अवलोकन
बच्चों को ‘निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009' द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुपालन में, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षक पद के लिये अर्हता प्राप्त करने हेतु किसी व्यक्ति के लिये आवश्यक न्यूनतम योग्यताएँ निर्धारित की हैं।
प्रावधानों के अनुसार, RTE अधिनियम, 2009 की धारा-2(n) में उल्लिखित स्कूलों में शिक्षक के रूप में पात्रता के लिये आवश्यक योग्यताओं में से एक शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में सफल होना है। TET परीक्षा का आयोजन NCTE द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के अनुसार संबंधित सरकार द्वारा किया जाता है। वर्तमान में इसका संचालन ‘केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड’ (CBSE) द्वारा किया जा रहा है।
परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)
- CTET के सभी प्रश्न बहुविकल्पीय (MCQs) होंगे, प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प होंगे, जिनमें से एक को सबसे उपयुक्त उत्तर माना जाएगा। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा और कोई ऋणात्मक अंकन नहीं किया जाएगा।
-
CTET में दो पेपर शामिल हैं:
- पेपर-I : कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये है।
- पेपर-II : कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये है|
- प्रत्येक पेपर के लिये आवंटित समय 2.5 घंटे यानी 150 मिनट है।
पेपर-I (संरचना एवं विषयवस्तु : सभी खंड अनिवार्य) | |||
क्र.सं. | खंड | प्रश्नों की संख्या (MCQs) | अंक |
---|---|---|---|
(i) | बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र | 30 | 30 |
(ii) | भाषा-I | 30 | 30 |
(iii) | भाषा-II | 30 | 30 |
(iv) | गणित | 30 | 30 |
(v) | पर्यावरण अध्ययन | 30 | 30 |
कुल | 150 | 150 |
नोट :
- बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से संबंधित प्रश्न 6-11 वर्ष के आयु वर्ग से संबंधित शिक्षण और अधिगम के शैक्षिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगे। मुख्य फोकस विविध शिक्षार्थियों की विशेषताओं और आवश्यकताओं को समझने, शिक्षार्थियों के बीच परस्पर संवाद को बढ़ावा देने तथा प्रभावी शिक्षण सुविधा के लिये आवश्यक विशेषताओं और गुणों को शामिल करने पर होगा।
- भाषा-I में, प्रश्न शिक्षा के माध्यम (Medium) से जुड़ी भाषा दक्षता का परीक्षण करेंगे| इसके साथ ही भाषा-II में भाषा, संप्रेषण और अधिगम की क्षमताओं संबंधी तत्त्वों पर ज़ोर दिया जाएगा।
- भाषा-II, भाषा-I से भिन्न, अभ्यर्थी द्वारा उपलब्ध भाषा विकल्पों में से चुनी जा सकती है और चयनित विकल्पों को पुष्टिकरण पृष्ठ (Confirmation Page) में निर्दिष्ट करना होता है। भाषा के लिये उपलब्ध विकल्प हैं- अंग्रेज़ी, हिंदी, असमिया, बांग्ला, गारो, गुजराती, कन्नड़, खासी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मिज़ो, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगू, तिब्बती, उर्दू।
- गणित तथा पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न इन विषयों की अवधारणाओं, समस्या-समाधान अभिक्षमताओं एवं शैक्षणिक अंतर्दृष्टि और अनुप्रयोगों की समझ पर केंद्रित होंगे। इन विषय क्षेत्रों में, प्रश्नों का वितरण एकसमान होगा, जिसमें कक्षा 1 से 5 के लिये NCERT द्वारा उल्लिखित पाठ्यक्रम के विभिन्न खंड शामिल होंगे।
- पेपर-I में, प्रश्न कक्षा 1 से 5 के लिये NCERT पाठ्यक्रम में निर्दिष्ट विषयों से लिये जाएंगे, जिनमें कठिनाई का स्तर संभावित रूप से माध्यमिक स्तर तक विस्तारित होगा।
पेपर-II (संरचना एवं विषयवस्तु) | |||
क्र.सं. | खंड | प्रश्नों की संख्या (MCQs) | अंक |
---|---|---|---|
(i) | बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (अनिवार्य) | 30 | 30 |
(ii) | भाषा-I (अनिवार्य) | 30 | 30 |
(iii) | भाषा-II (अनिवार्य) | 30 | 30 |
(iv) | गणित एवं विज्ञान (गणित एवं विज्ञान के शिक्षक हेतु) | 60 | 60 |
अथवा | |||
(v) | सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान के शिक्षक हेतु) *किसी अन्य शिक्षक के लिये या तो खंड (IV) या (V) | 60 | 60 |
कुल | 150 | 150 |
नोट :
- बाल विकास और शिक्षाशास्त्र से संबंधित प्रश्न शिक्षण और अधिगम के शैक्षिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगे, जो विशेष रूप से 11-14 आयु वर्ग के लिये तैयार किए गए हैं।
- भाषा-I के प्रश्न चयनित माध्यम से संबंधित भाषा दक्षता पर केंद्रित होंगे |
- दूसरी ओर, भाषा-II के प्रश्न भाषा के तत्त्वों, संप्रेषण और अधिगम की अभिक्षमताओं पर बल देंगे।
- भाषा-II, भाषा-I से भिन्न, दिये गए भाषा विकल्पों में से अभ्यर्थी द्वारा वांछित कोई भी भाषा हो सकती है। अभ्यर्थियों को पुष्टिकरण पृष्ठ (Confirmation Page) पर भाषा-I और भाषा-II के लिये अपनी पसंद निर्दिष्ट करनी होगी।
- चुनने के लिये उपलब्ध भाषाएँ पेपर-I के समान ही होंगी।
रणनीति एवं पाठ्यक्रम
विद्यार्थियों के सफल होने के लिये एक सुविचारित परीक्षा-पूर्व दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण होता है, जो समय प्रबंधन, विषयों की प्राथमिकता, तनाव में कमी और संसाधनों के इष्टतम उपयोग जैसे पहलुओं को प्रभावित करता है। यह रणनीति समय के कुशल आवंटन की सुविधा प्रदान करती है, जिससे परीक्षा के विभिन्न खंडों पर संतुलित फोकस सुनिश्चित होता है। यह प्रमुख विषयों को प्राथमिकता देते हुए विद्यार्थियों को परीक्षा पैटर्न से परिचित कराकर तनाव को कम करने में मदद करता है। संसाधनों के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए यह लक्ष्य-निर्धारण और अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है। कुल मिलाकर, यह रणनीति विद्यार्थियों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षा देने हेतु सशक्त बनाती है, जिससे विद्यार्थी की अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता में वृद्धि हो सके। इस आलोक में, हमने CTET के तहत प्रत्येक पेपर के लिये व्यापक रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की है। हमारा मानना है कि इन रणनीतियों को पढ़ने और लागू करने से, विद्यार्थियों में न केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने की बल्कि उच्च अंक प्राप्त करने की संभावना भी बढ़ सकती है।
पेपर-I (कक्षा 1 से 5) |
पेपर-II (कक्षा 6 से 8): सामाजिक अध्ययन |
पेपर-II (कक्षा 6 से 8): गणित एवं विज्ञान |
पेपर-I (कक्षा 1 से 5)
- पेपर-I उन अभ्यर्थियों के लिये है जो प्राथमिक शिक्षा- कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाने के इच्छुक हैं। इस पेपर की पर्याप्त तैयारी के लिये कक्षा 1 से 5 तक की NCERT पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करना अनिवार्य है।
- इसके अतिरिक्त, विभिन्न पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का अध्ययन लाभदायक हो सकता है। इस उद्देश्य के लिये, दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित CTET पेपर- I पर केंद्रित पुस्तकों की एक शृंखला उपयोगी हो सकती है।
- विशेष रूप से, पेपर-I के प्रश्न पेपर-II की तुलना में थोड़े कम चुनौतीपूर्ण होते हैं। बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से संबंधित प्रश्न प्राथमिक स्तर के होते हैं, जबकि भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न पाँचवी कक्षा के मानक के अनुरूप होते हैं। यह विशेषता पेपर-I को पेपर-II से तुलनात्मक रूप से अधिक प्रबंधनीय बनाती है।
- पेपर-I के अंतर्गत, शिक्षाशास्त्र खंड विद्यार्थियों को निर्देश देने तथा भाषा अधिगम के प्रभावी तरीकों को स्पष्ट करने की अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
प्रत्येक खंड के लिये विस्तृत खंडवार रणनीति इस प्रकार है :
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (CDP)
- प्राथमिक कक्षाओं में, एक शिक्षक की प्राथमिक जिम्मेदारी बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने के लिये प्रेरित करना है, यह विषय सामान्यतः CDP के प्रश्नपत्र में भी परिलक्षित होता है। इसे प्रभावी ढंग से हल करने हेतु, अभ्यर्थियों को विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत सिद्धांतों को गहराई से समझने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
- बाल-केन्द्रित शिक्षा की समझ विकसित करना आवश्यक है। विगत वर्षों के प्रश्नों का लगातार अभ्यास भी महत्त्वपूर्ण है।
- इसके अतिरिक्त, अभ्यर्थियों को बच्चों की अधिगम प्रक्रियाओं और विद्यालय के वातावरण में उनके सामने आने वाली चुनौतियों के विषय में ज्ञान होना चाहिये।
भाषा
- भाषा खंड में कुल 60 प्रश्न होते हैं, जो कि 60 अंकों के होते हैं, जिसमें भाषा-I और भाषा-II दोनों शामिल हैं| भाषा खंड परीक्षा में पात्रता निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इस खंड को दो भागों में विभाजित किया गया है : भाषा अधिगम और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र।
- भाषा बोध में, प्राथमिक फोकस तथ्यात्मक और संज्ञानात्मक दोनों प्रकार के अपठित गद्यांश पर होता है, जहाँ प्रश्न व्याकरण और मौखिक अभिक्षमता से संबंधित होते हैं। इस खंड की तैयारी के लिये, अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे व्याकरण की पुस्तकों का गहन अध्ययन करें और गद्यांश- आधारित प्रश्नों का अभ्यास करते रहें।
- अभ्यर्थियों के लिये भाषा अधिगम में प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों की समझ हासिल करना महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त परिवार, समाज और विद्यालय के दायरे में भाषा के एकीकरण की समझ आवश्यक है।
- यह अध्ययन परीक्षा में भाषा शिक्षण संबंधी प्रश्नों को आसानी से हल करने हेतु आधार के रूप में कार्य करता है|
गणित
- शुरुआती चरणों में, विद्यार्थियों को बुनियादी कौशल, जैसे - लिखना और संख्या गिनना सिखाया जाता है। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते हैं, जोड़ और घटाव जैसी अधिक उन्नत अवधारणाओं को गहराई से समझ पाते हैं। अभ्यर्थी आमतौर पर परीक्षाओं के दौरान प्रारंभिक स्तर के गणित को प्रबंधनीय पाते हैं।
- गणित में शैक्षणिक दृष्टिकोण का उद्देश्य अवधारणाओं को एक सुलभ भाषा में व्यक्त करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थी बाद की कक्षाओं में गणित को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण न समझें, जिससे निरंतर और सुगम अधिगम अनुभव को बढ़ावा मिले।
पर्यावरण अध्ययन
- पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत दो खंड शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में कुल 15 प्रश्न हैं। ये खंड पर्यावरण के मूलभूत पहलुओं को कवर करते हैं, जिनमें परिवार और मित्र, भोजन, पानी, परिवहन और आश्रय जैसे विषय शामिल हैं।
- प्रश्नपत्र की सम्पूर्ण तैयारी हेतु कक्षा 3, 4 और 5 की NCERT पर्यावरण अध्ययन पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करना आवश्यक है, जिसमें पर्यावरण अध्ययन विषय की पाठ्यसामग्री तथा प्रश्न और उसके समाधान दोनों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- शिक्षाशास्त्र, पाठ्यक्रम पर्यावरण अध्ययन, अधिगम के सिद्धांतों और बच्चों के उनके पर्यावरण के साथ एकीकरण की समझ पर प्रकाश डालता है। परिणामस्वरूप, अभ्यर्थी को परीक्षा की तैयारी करते समय इन पहलुओं का ध्यान रखना चाहिये।
CTET पेपर-I के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(अ) बाल विकास : प्राथमिक विद्यालय के बच्चे (15 प्रश्न)
- विकास की अवधारणा तथा इसका अधिगम से संबंध
- बाल विकास के सिद्धांत
- आनुवंशिकता एवं पर्यावरण का प्रभाव
- समाजीकरण की प्रक्रियाएँ : सामाजिक दुनिया तथा बच्चे (शिक्षक, माता-पिता, सहपाठी)
- पियाजे, कोहलबर्ग एवं वायगोत्स्की: सिद्धांत एवं आलोचनात्मक दृष्टिकोण
- बाल केंद्रित तथा प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणाएँ
- बुद्धिमत्ता (इंटेलिजेंस) के विचार का समालोचनात्मक परिप्रेक्ष्य
- बहुआयामी बुद्धिमत्ता
- भाषा तथा विचार
- सामाजिक विचार के रूप में लिंग; लिंग की भूमिकाएँ, लैंगिक-पूर्वाग्रह एवं शैक्षिक प्रयास
- शिक्षार्थियों के बीच वैयक्तिक अंतर; भाषा, जाति, लिंग, समुदाय, धर्म आदि की विविधता के आधार पर अंतरों को समझना
- अधिगम के लिये आकलन एवं अधिगम के आकलन के बीच अंतर; स्कूल-आधारित मूल्यांकन, सतत एवं समग्र मूल्यांकन : परिप्रेक्ष्य तथा अभ्यास
- शिक्षार्थियों की तैयारी के स्तर का आकलन करने, कक्षा में अधिगम एवं समालोचनात्मक सोच को बढ़ाने तथा शिक्षार्थी की उपलब्धि का आकलन करने के लिये उपयुक्त प्रश्न तैयार करना
(ब) समावेशी शिक्षा की अवधारणा एवं विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को समझना (5 प्रश्न)
- कमज़ोर एवं वंचित वर्गों सहित विविध पृष्ठभूमि के शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं को संबोधित करना
- अधिगम की कठिनाइयों, शारीरिक/मानसिक दोष आदि से पीड़ित बच्चों की आवश्यकताओं को संबोधित करना
- प्रतिभाशाली, रचनात्मक, दिव्यांग शिक्षार्थियों को संबोधित करना
(स) अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र (10 प्रश्न)
- बच्चे कैसे सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे क्यों तथा कैसे स्कूल के प्रदर्शन में सफलता हासिल करने में ‘असफल’ होते हैं?
- शिक्षण तथा अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएँ; बच्चों के अधिगम की रणनीतियाँ; सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम; अधिगम का सामाजिक संदर्भ;
- एक समस्या समाधानकर्त्ता एवं ‘वैज्ञानिक अन्वेषक’ के रूप में बच्चा
- बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक अवधारणाएँ, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण कदमों के रूप में समझना
- संज्ञान एवं भावनाएँ
- अभिप्रेरणा एवं अधिगम
- अधिगम में योगदान देने वाले कारक - व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय
खंड-2 : भाषा-I
(अ) भाषा बोधगम्यता (15 प्रश्न)
- अपठित गद्यांशों को पढ़ना : बोधगम्यता, अनुमान, व्याकरण और मौखिक अभिक्षमता पर प्रश्नों के साथ दो परिच्छेद, पहला गद्य या नाटक और दूसरा कविता (गद्य से संबंधित परिच्छेद साहित्यिक, वैज्ञानिक, कथात्मक या तर्कपूर्ण हो सकते हैं)
(ब) भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र (15 प्रश्न)
- अधिगम एवं अर्जन
- भाषा शिक्षण के सिद्धांत
- सुनने और बोलने की भूमिका; भाषा के कार्य और बच्चे इसे एक उपकरण के रूप में कैसे उपयोग करते हैं
- मौखिक और लिखित रूप में विचारों को संप्रेषित करने के लिये भाषा अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर आलोचनात्मक दृष्टिकोण
- विविध कक्षा में भाषा के शिक्षण की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ एवं विकार
- भाषा कौशल
- भाषा बोध और दक्षता का मूल्यांकन : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना
- शिक्षण-अधिगम सामग्री : पाठ्यपुस्तक, मल्टी-मीडिया सामग्री, कक्षा के बहुभाषी संसाधन
- उपचारात्मक शिक्षण
खंड-3 : भाषा-II
(अ) बोधगम्यता (15 प्रश्न)
- बोधगम्यता, व्याकरण और मौखिक अभिक्षमता पर प्रश्न के साथ दो अपठित गद्य परिच्छेद (तर्कपूर्ण या साहित्यिक या कथात्मक या वैज्ञानिक)
(ब) भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र (15 प्रश्न)
- अधिगम एवं अर्जन
- भाषा शिक्षण के सिद्धांत
- सुनने और बोलने की भूमिका; भाषा के कार्य और बच्चे इसे एक उपकरण के रूप में कैसे उपयोग करते हैं
- मौखिक और लिखित रूप में विचारों को संप्रेषित करने के लिये भाषा अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर आलोचनात्मक दृष्टिकोण
- विविध कक्षा में भाषा के शिक्षण की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ एवं विकार
- भाषा कौशल
- भाषा की समझ और दक्षता का मूल्यांकन : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना
- शिक्षण-अधिगम सामग्री : पाठ्यपुस्तक, मल्टी-मीडिया सामग्री, कक्षा के बहुभाषी संसाधन
- उपचारात्मक शिक्षण
खंड-4 : गणित
(अ) विषयवस्तु (15 प्रश्न)
- ज्यामिति
- आकृतियाँ और स्थानिक समझ
- हमारे आस-पास ठोस पदार्थ
- संख्याएँ
- जोड़ एवं घटाव
- गुणन
- विभाजन
- माप
- भार
- समय
- आयतन
- आँकड़ों का प्रबंधन
- पैटर्न
- मुद्रा
(ब) शिक्षाशास्त्रीय मुद्दे (15 प्रश्न)
- गणित की प्रकृति/तार्किक चिंतन; बच्चों की सोच एवं तार्किक पैटर्न, अर्थ निकालने और अधिगम संबद्ध रणनीतियों को समझना
- पाठ्यचर्या में गणित का स्थान
- गणित की भाषा
- सामुदायिक गणित
- औपचारिक और अनौपचारिक विधियों से मूल्यांकन
- शिक्षण की समस्याएँ
- त्रुटि विश्लेषण और अधिगम एवं शिक्षण से संबंधित पहलू
- निदानात्मक और उपचारात्मक शिक्षण
खंड - 5 : पर्यावरण अध्ययन
(अ) विषयवस्तु (15 प्रश्न)
- परिवार एवं मित्र
- ❖ संबंध
- ❖ काम और खेल
- ❖ जंतु
- ❖ पौधे
- भोजन
- आश्रय
- जल
- यात्रा/भ्रमण
- चीज़ें, जो हम बनाते हैं और करते हैं
(ब) शिक्षाशास्त्रीय मुद्दे (15 प्रश्न)
- पर्यावरणीय अध्ययन की अवधारणा और विषयक्षेत्र
- पर्यावरणीय अध्ययन का महत्त्व, एकीकृत पर्यावरणीय अध्ययन
- पर्यावरणीय अध्ययन और पर्यावरणीय शिक्षण
- अधिगम के सिद्धांत
- विज्ञान और सामाजिक विज्ञान से संबंध एवं विषय-क्षेत्र
- अवधारणाओं को प्रस्तुत करने के उपागम
- गतिविधियाँ
- प्रयोग/प्रायोगिक कार्य
- चर्चा
- सतत एवं व्यापक मूल्यांकन
- शिक्षण सहायक सामग्री
- समस्याएँ
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