एक कॅरियर विकल्प के रूप में शिक्षण को पूरे भारत में व्यापक लोकप्रियता हासिल है, एक आदर्श शिक्षक राष्ट्र निर्माता के रूप में देश के उज्ज्वल भविष्य को निर्मित करता है। केंद्र-स्तरीय विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिये आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के समान ही राज्य-स्तरीय विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिये आयोजित की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाएँ भी लोकप्रिय हैं। हरियाणा में, शिक्षण को कॅरियर के रूप में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है इसलिये यहाँ राज्य स्तर पर शिक्षक बनने के लिये आयोजित की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाएँ राज्य के मूल निवासियों के साथ-साथ अन्य राज्यों के अर्ह अभ्यर्थियों को भी आकर्षित करती हैं। इस खंड में, हम 'हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा' (HTET) पर चर्चा करेंगे, जिसमें परीक्षा पद्धति, HTET के तहत PRT, TGT और PGT पदों की विस्तृत रणनीति तथा पाठ्यक्रम पर चर्चा की जाएगी।
परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)
स्तर-1 : प्राथमिक शिक्षक (PRT) कक्षा I-V
क्र. सं.
भाग
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
1.
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
30
30
2.
भाषाएँ (हिंदी -15 MCQs , अंग्रेज़ी-15 MCQs )
30
30
3.
सामान्य अध्ययन
(मात्रात्मक अभिक्षमता -10 MCQs,
तार्किक योग्यता -10 MCQs तथा
हरियाणा G.K. एवं सामान्य जागरूकता – 10 MCQs)
30
30
4.
गणित
30
30
5.
पर्यावरण अध्ययन
30
30
कुल
150
150
प्राथमिक शिक्षक परीक्षा का केवल एक पेपर होगा, जिसमें सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे, प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा गलत उत्तरों के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं किया जाएगा। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प होंगे, जिनमें से केवल एक ही सही उत्तर होगा।
परीक्षा अवधि : 2 घंटे 30 मिनट
प्रश्नों की प्रकृति एवं मानक
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के प्रश्न 6-11 वर्ष की आयु वर्ग के लिये शिक्षण व अधिगम से संबंधित शैक्षणिक मनोविज्ञान पर आधारित होंगे। उनमें विविध पृष्ठभूमि से संबंधित अभ्यर्थियों की विशेषताओं और आवश्यकताओं को समझने, अभ्यर्थियों के साथ बातचीत जारी रखने और अधिगम के लिये एक अच्छे सुविधाप्रदाता के रूप में उनकी विशेष जरूरतों और गुणों को समझने पर बल दिया जाएगा।
भाषाओं (हिंदी और अंग्रेज़ी) से संबंधित प्रश्न शिक्षा के माध्यम (निर्देशों की भाषा) से संबंधित दक्षताओं पर केंद्रित होंगे।
मात्रात्मक अभिक्षमता, तार्किक योग्यता और हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान व सामान्य जागरूकता के प्रश्न मुख्यतः मानसिक और तार्किक अभिक्षमता तथा हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान के मुद्दों पर केंद्रित होंगे।
गणित और पर्यावरण अध्ययन से संबंधित प्रश्न मूलभूत अवधारणाओं, समस्या-समाधान क्षमताओं और विषयों की शैक्षणिक समझ पर आधारित होंगे। इन सभी विषयक्षेत्रों में प्रश्न शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार द्वारा कक्षा I-V के लिये निर्धारित उस विषय के पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रभागों में समान रूप से वितरित किये जाएंगे।
हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा के स्तर-1 के लिये आयोजित की जाने वाली परीक्षा के प्रश्न कक्षा I-V के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम के विषयों पर आधारित होंगे, लेकिन उनकी कठिनाई का स्तर माध्यमिक स्तर तक हो सकता है।
स्तर-2 : प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) कक्षा VI-VIII
क्र. सं.
भाग
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
1.
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
30
30
2.
भाषाएँ (हिंदी -15 MCQs , अंग्रेजी-15 MCQs )
30
30
3.
सामान्य अध्ययन
(मात्रात्मक अभिक्षमता -10 MCQs,
तार्किक योग्यता -10 MCQs तथा
हरियाणा G.K. एवं सामान्य जागरूकता – 10 MCQs)
30
30
4.
विषय विशिष्ट (चुने गए विकल्प के अनुसार)
60
60
कुल
150
150
TGT परीक्षा में सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे, प्रत्येक प्रश्न एक अंक होगा तथा गलत उत्तरों के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं किया जाएगा। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प होंगे, जिनमें से केवल एक ही सही उत्तर होगा।
परीक्षा अवधि : 2 घंटे 30 मिनट
प्रश्नों की प्रकृति एवं मानक
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के प्रश्न 11-16 वर्ष की आयु वर्ग के लिये शिक्षण व अधिगम से संबंधित शैक्षणिक मनोविज्ञान पर आधारित होंगे। उनमें विविध पृष्ठभूमि से संबंधित अभ्यर्थियों की विशेषताओं और आवश्यकताओं को समझने, अभ्यर्थियों के साथ बातचीत जारी रखने और अधिगम के लिये एक अच्छे सुविधाप्रदाता के रूप में उनकी विशेष जरूरतों और गुणों को समझने पर बल दिया जाएगा।
भाषाओं (हिंदी और अंग्रेज़ी) से संबंधित प्रश्न 11-16 वर्ष के आयु वर्ग के लिये शिक्षा के माध्यम(निर्देशों की भाषा) से संबंधित दक्षताओं पर केंद्रित होंगे।
मात्रात्मक अभिक्षमता, तार्किक योग्यता और हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान व सामान्य जागरूकता के प्रश्न मुख्यतः मानसिक और तार्किक अभिक्षमता तथा हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान के मुद्दों पर केंद्रित होंगे।
विषय-विशिष्ट से संबंधित प्रश्न इन विषयों की मूलभूत अवधारणाओं, समस्या-समाधान क्षमताओं और विषयों की शैक्षणिक समझ पर आधारित होंगे। इन सभी विषयक्षेत्रों में प्रश्न शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार द्वारा कक्षा VI-X के लिये निर्धारित उस विषय के पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रभागों में समान रूप से वितरित किये जाएंगे।
हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा के स्तर-2 के लिये आयोजित की जाने वाली परीक्षा के प्रश्न हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड कक्षा VI-X के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम के विषयों पर आधारित होंगे, लेकिन उनकी कठिनाई का स्तर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक का हो सकता है।
स्तर-3 : स्नातकोत्तर शिक्षक(PGT) कक्षा IX-XII
क्र. सं.
भाग
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
1.
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
30
30
2.
भाषाएँ (हिंदी -15 MCQs , अंग्रेज़ी-15 MCQs )
30
30
3.
सामान्य अध्ययन
(मात्रात्मक अभिक्षमता -10 MCQs,
तार्किक योग्यता -10 MCQs तथा
हरियाणा G.K. एवं सामान्य जागरूकता – 10 MCQs)
30
30
4.
विषय विशिष्ट (चुने गए विकल्प के अनुसार)
60
60
कुल
150
150
PGT परीक्षा में सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे, प्रत्येक प्रश्न एक अंक होगा तथा गलत उत्तरों के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं किया जाएगा। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प होंगे, जिनमें से केवल एक ही सही उत्तर होगा।
परीक्षा अवधि : 2 घंटे 30 मिनट
प्रश्नों की प्रकृति एवं मानक
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के प्रश्न 14-17 वर्ष की आयु वर्ग के लिये शिक्षण व अधिगम से संबंधित शैक्षणिक मनोविज्ञान पर आधारित होंगे। उनमें विविध पृष्ठभूमि से संबंधित अभ्यर्थियों की विशेषताओं और आवश्यकताओं को समझने, अभ्यर्थियों के साथ बातचीत जारी रखने और अधिगम के लिये एक अच्छे सुविधाप्रदाता के रूप में उनकी विशेष जरूरतों और गुणों को समझने पर बल दिया जाएगा।
भाषाओं (हिंदी और अंग्रेज़ी) से संबंधित प्रश्न 14-17 वर्ष के आयु वर्ग के लिये शिक्षा के माध्यम(निर्देशों की भाषा) से संबंधित दक्षताओं पर केंद्रित होंगे।
मात्रात्मक अभिक्षमता, तार्किक योग्यता और हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान व सामान्य जागरूकता के प्रश्न मुख्यतः मानसिक और तार्किक अभिक्षमता तथा हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान के मुद्दों पर केंद्रित होंगे।
विषय-विशिष्ट से संबंधित प्रश्न इन विषयों की मूलभूत अवधारणाओं, समस्या-समाधान क्षमताओं और विषयों की शैक्षणिक समझ पर आधारित होंगे। इन सभी विषयक्षेत्रों में प्रश्न शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार द्वारा कक्षा IX-XII के लिये निर्धारित उस विषय के पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रभागों में समान रूप से वितरित किये जाएंगे।
हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा के स्तर-3 के लिये आयोजित की जाने वाली परीक्षा के प्रश्न हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड कक्षा IX-XII के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम के विषयों पर आधारित होंगे, लेकिन उनकी कठिनाई का स्तर स्नातकोत्तर स्तर तक का हो सकता है।
रणनीति एवं पाठ्यक्रम
सफलता को लक्ष्य बनाने वाले अभ्यर्थियों के लिये परीक्षा से पहले एक रणनीतिक दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है, जो समय प्रबंधन, विषयों की प्राथमिकता, तनाव में कमी और संसाधनों के इष्टतम उपयोग जैसे तत्त्वों को भी सम्मिलित करता है। यह दृष्टिकोण समय के विवेकपूर्ण विभाजन में सहायता करता है, जिससे परीक्षा के विभिन्न खंडों पर पूरा ध्यान केंद्रित हो सके। मुख्य विषयों को प्राथमिकता देने तथा अभ्यर्थियों को परीक्षा पद्धति से परिचित कराकर उन्हें चिंता मुक्त करने में मदद मिलती है। यह संसाधनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, उत्पादक पुनरीक्षण की सुविधा देता है तथा लक्ष्य-निर्धारण और अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से आत्मविश्वास पैदा करता है। संक्षेप में, यह रणनीति अभ्यर्थियों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षाओं का सामना करने हेतु सशक्त बनाती है, जिससे विभिन्न परीक्षा परिस्थितियों में उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। इसे पहचानते हुए, हमने हरियाणा राज्य में आयोजित होने वाली महत्त्वपूर्ण विद्यालय स्तरीय शिक्षण परीक्षाओं के लिये व्यापक रणनीतियाँ विकसित की हैं। । हमें विश्वास है कि इन रणनीतियों को अपनाने और लागू करने से, न केवल अभ्यर्थियों की परीक्षा उत्तीर्ण करने की संभावनाओं में वृद्धि होगी बल्कि उन्हें अधिक अंक प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी।
प्राथमिक शिक्षक (PRT) पद के लिये हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (HTET) की तैयारी हेतु एक सुव्यवस्थित और परीक्षा केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इस परीक्षा की प्रभावी ढंग से तैयारी करने में आपकी मदद करने के लिये यहाँ एक व्यापक रणनीति दी गई है, जो निम्नलिखित है-
HTET PRT परीक्षा पद्धति के सभी पक्षों जैसे-अनुभागों, प्रश्नों की संख्या, अंकन योजना और परीक्षा की अवधि आदि का ध्यान रखें। इस परीक्षा में आने वाले सभी विषयों की पहचान करने के लिये आधिकारिक पाठ्यक्रम का अच्छी तरह से अध्ययन करें। आपकी सहायता के लिये हम यहाँ विस्तृत पाठ्यक्रम भी प्रदान करेंगे।
एक सुनियोजित और प्रभावी अध्ययन योजना बनाकर सभी विषयों और टॉपिक्स को तय समय-सीमा के अंदर कवर करने का प्रयास करें। प्रत्येक विषय के लिये विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित करें और उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दें जहाँ आपको अधिक सुधार की आवश्यकता है।
पाठ्यपुस्तकें, संदर्भ पुस्तकें, विगत वर्षों के प्रश्नपत्र और ऑनलाइन संसाधनों सहित प्रासंगिक अध्ययन सामग्री एकत्र करें। परीक्षा संचालन प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए आधिकारिक प्रकाशनों और सामग्रियों का उपयोग करें।
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र अनुभाग पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यह परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। शिक्षण और अधिगम के मनोवैज्ञानिक पहलुओं के साथ-साथ विविध पृष्ठभूमियों से आने वाले अभ्यर्थियों की विशेषताओं और उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझें।
हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में अपनी दक्षता बढ़ाएँ, क्योंकि भाषा दक्षता HTET PRT परीक्षा का एक प्रमुख घटक है। इस खंड के लिये नियमित रूप से समाचार पत्रों, सम्पादकीय आदि को पढ़े, समझें और भाषा से संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें।
नियमित अभ्यास के माध्यम से अपनी विषय से संबंधित योग्यता और तर्कशक्ति को मज़बूत करें। समस्या-समाधान तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करें तथा अपनी गति और सटीकता में सुधार करें।
गणित और पर्यावरण अध्ययन के लिये , मौलिक अवधारणाओं और शैक्षणिक समझ पर ध्यान केंद्रित करें। इन विषयों के लिये हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करें।
हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान और सामान्य जागरूकता संबंधी मुद्दों को विशेष महत्त्व दें, क्योंकि यह आपकी परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिये यह आपके बेहतर प्रदर्शन के लिये विशेष महत्त्व रखता है।
परीक्षा के वातावरण में स्वयं को ढालने और अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने के लिये नियमित मॉक टेस्ट का अभ्यास करें। परीक्षा पैटर्न तथा उससे संबद्ध विषयों में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्तर को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को अवश्य हल करें।
अपनी तैयारी को सुदृढ़ करने के लिये कवर किये गए विषयों को नियमित रूप से दोहराएँ। प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें, विशेष रूप से परीक्षा के दौरान, यह सुनिश्चित करने के लिये कि आप सभी अनुभागों को निर्धारित समय सीमा में पूरा कर सकें।
HTET PRT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
भाग-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(A)
विकास की अवधारणा एवं अधिगम के साथ इसका संबंध, बच्चों के विकास के सिद्धांत, पर्यावरण एवं आनुवंशिकता का प्रभाव।
समाजीकरण की प्रक्रिया : बच्चे एवं सामाजिक दुनिया (शिक्षक, अभिभावक, समकक्ष लोग)।
पियाजे, कोहलबर्ग और वायगोत्स्की : निर्माण एवं आलोचनात्मक दृष्टिकोण।
बाल केंद्रित एवं प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा, बुद्धि निर्माण का आलोचनात्मक दृष्टिकोण, बहु-आयामी बुद्धि, भाषा एवं विचार, सामाजिक संरचना के रूप में लिंग, लिंग भूमिका, लिंग-विभेद एवं शैक्षिक व्यवहार, अधिगमकर्त्ताओं में वैयक्तिक भिन्नताएँ, भाषा, जाति, लिंग, समुदाय, धर्म आदि की विविधता आधारित विभिन्नताओं को समझना। अधिगम का आकलन और अधिगम के लिये आकलन में भेद, विद्यालय आधारित आकलन।
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन : दृष्टिकोण एवं अभ्यास।
अधिगमकर्त्ता के तत्परता स्तर के आकलन के लिये, कक्षा में आलोचनात्मक चिंतन एवं अधिगम बढ़ाने के लिये तथा अधिगमकर्त्ता की उपलब्धि के आकलन के लिये उपयुक्त प्रश्न तैयार करना।
(B)
समावेशी शिक्षा की अवधारणा एवं विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को समझना :
वंचित सहित विविध पृष्ठभूमि वाले अधिगमकर्त्ताओं का संबोधन।
अधिगम में कठिनाई, क्षीणता आदि वाले बच्चों की आवश्यकताओं का संबोधन।
प्रतिभावान, रचनात्मक, विशेष रूप से सक्षम अधिगमकर्त्ताओं को संबोधित करना।
अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र :
बच्चे कैसे सोचते एवं सीखते हैं, क्यों और कैसे बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में ‘असफल’ होते हैं।
शिक्षण और अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के सीखने की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
एक समस्या समाधानकर्त्ता और वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पनाएँ, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण सोपान के रूप में समझना।
संज्ञान एवं भावनाएँ।
अभिप्रेरणा एवं अधिगम।
अधिगम में योगदान करने वाले कारक- व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय।
भाग-2 : भाषा
(A) भाषा-I (हिंदी)
भाषा बोध के प्रश्न :
अपठित गद्याश/पद्यांश- बोध, अनुमान, व्याकरण और शाब्दिक योग्यता पर आधारित प्रश्नों वाले दो लेखांश एक गद्य/नाटक पर और एक पद्य पर आधारित (गद्यांश साहित्यिक, वैज्ञानिक, वर्णनात्मक या तार्किक हो सकता है)
भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र के प्रश्न :
अधिगम एवं अधिग्रहण, भाषा शिक्षण के सिद्धांत, सुनने एवं बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य और बच्चे इसे एक उपकरण के रूप में किस प्रकार प्रयोग करते है; मौखिक तथा लिखित रूप में विचारों को संप्रेषित करने के लिये भाषा सीखने में व्याकरण की भूमिका पर समालोचनात्मक दृष्टिकोण, विविधतापूर्ण कक्षा में भाषा शिक्षण की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ एवं विकार, भाषा कौशल।
भाषा बोध और दक्षता का मूल्यांकन : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
Two unseen prose passages (Discursive or Literary or Narrative or Scientific) with question on comprehension, grammar and verbal ability.
Pedagogy of Language Development Questions :
Learning and acquisition, Principles of language Teaching, Role of listening and speaking; Functions of language and how children use it as a tool, Critical perspective on the role of grammar in learning a language for communicating ideas verbally and in written form; Challenges of teaching language in a diverse classroom; Language difficulties, errors and disorders, Language skills.
Evaluating Language Comprehension and Proficiency : Speaking, Listening, Reading and Writing.
Teaching-Learning materials : Learning materials- Textbook, Multi-media materials, Multilingual resource of the classroom, Remedial Teaching.
भाग-3 : सामान्य अध्ययन
हरियाणा से संबंधित इतिहास, समसामयिक मुद्दे, साहित्य, भूगोल, नागरिकशास्त्र, पर्यावरण, संस्कृति, कला, परंपराएँ एवं हरियाणा सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ।
सामान्य बुद्धिमता एवं तार्किक योग्यता :
इसमें शाब्दिक और गैर-शाब्दिक दोनों प्रकार के प्रश्न शामिल होंगें, जो हैं - सादृश्यता, समानताएँ और अंतर, स्थानिक दृश्यता, स्थानिक अभिविन्यास, समस्या का समाधान, विश्लेषण, निर्णय, दृश्य स्मृति, विभेदन, कथन, संबंध अवधारणाएँ, अंकगणितीय तर्क और चित्रात्मक वर्गीकरण, अंकगणितीय संख्या शृंखला, गैर-शाब्दिक शृंखला, कूटलेखन-कूटवाचन, कथन निष्कर्ष, न्याय निगमन, तर्कपूर्ण आधार।
विषय है : शब्दार्थगत सादृश्यता, प्रतीकात्मक/संख्या सादृश्य, चित्रात्मक सादृश्य, शब्दार्थगत वर्गीकरण, प्रतीकात्मक/संख्या वर्गीकरण, चित्रात्मक वर्गीकरण, शब्दार्थगत शृंखला, संख्या शृंखला, चित्रात्मक शृंखला। समस्या का समाधान, शब्द निर्माण, कूटलेखन-कूटवाचन, संख्यात्मक संचालन। प्रतीकात्मक संचालन, रूझान, स्थानिक अभिविन्यास, स्थानिक दृश्यता, वेन आरेख, निष्कर्ष निकालना, छिद्रित छेद/डिज़ाइन नमूना मोड़ना और खोलना, आकृति पैटर्न-मोड़ना और पूर्णता, अनुक्रमण, पता मिलान, दिनांक और शहर मिलान, केंद्र कोड/रोल नंबर का वर्गीकरण, छोटे और बड़े अक्षर/संख्या कोडिंग, डिकोडिंग और वर्गीकरण, अंतर्निहित आँकड़े, आलोचनात्मक सोच, भावनात्मक बुद्धिमता, सामाजिक बुद्धिमता।
संख्यात्मक अभिक्षमता : अभ्यर्थियों की संख्या एवं संख्या बोध के उपयुक्त उपयोग की क्षमता का परीक्षण करने के लिये प्रश्न तैयार किये जाएंगे। इस परीक्षा में पूर्ण संख्या, दशमलव, भिन्नों एवं संख्याओं के बीच संबंध, प्रतिशत, अनुपात तथा समानुपात, वर्गमूल, औसत, ब्याज, लाभ तथा हानि, छूट, साझेदारी व्यवसाय, मिश्रण एवं आरोपण, समय और दूरी, समय और कार्य, विद्यालय बीजगणित की मूल बीजगणितीय पहचान एवं प्राथमिक करणी, रैखिक समीकरणों का रेखांकन, त्रिभुज और इसके विभिन्न प्रकार के केंद्र, त्रिभुजों की सर्वांगसमता एवं समरूपता, वृत्त और उसकी जीवाएँ, स्पर्श रेखा, एक वृत्त की जीवा द्वारा उपनिर्मित कोण, दो या दो से अधिक वृत्तों की सामान्य स्पर्श रेखाएँ, त्रिभुज, चतुर्भुज, सम बहुभुज, वृत्त, समकोण प्रिज्म, लंब वृत्तीय शंकु, लंब वृत्तीय बेलन, गोला, गोलार्द्ध, आयताकार समांतर षटफलक, त्रिभुज या वर्ग आधार वाले सामान्य समकोण पिरामिड, त्रिकोणमितीय अनुपात, डिग्री एवं रेडियन माप, मानक पहचान, पूरक कोण, ऊँचाई तथा दूरी, हिस्टोग्राम, बारंबारता बहुभुज, बार आरेख और पाई चार्ट आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।
भाग-4 : विषय-विशिष्ट
गणित विषयवस्तु : ज्यामिति, आकार एवं स्थानिक समझ, हमारे चारों ओर ठोस, संख्याएँ, जोड़ तथा घटाव, गुणा, भाग, माप, वजन, समय, आयतन, आँकड़ा प्रबंधन, पैटर्न, मुद्रा।शैक्षणिक मुद्दे : गणित की प्रकृति/तार्किक सोच, बच्चों की सोच एवं तर्क पैटर्न को समझना तथा अर्थ बनाने और सीखने की रणनीतियाँ, पाठ्यक्रम में गणित का स्थान, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, औपचारिक तथा अनौपचारिक विधियों के माध्यम से मूल्यांकन, शिक्षण की समस्याएँ, त्रुटि विश्लेषण और सीखने एवं सिखाने के संबंधित पहलू, निदान और उपचारात्मक शिक्षण।
पर्यावरण अध्ययन विषयवस्तु : परिवार तथा मित्र : संबंध, काम और खेल, जंतु, पादप। खाद्य पदार्थ, आश्रय, पानी, यात्रा, चीजें जो हम बनाते हैं और करते हैं।
परिवार तथा मित्र : संबंध, कार्य और खेल, जंतु, पादप। खाद्य पदार्थ, आश्रय, पानी, यात्रा, चीजें जो हम बनाते हैं और करते हैं।
शैक्षणिक मुद्दे : पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा, कार्यक्षेत्र तथा महत्त्व, एकीकृत पर्यावरण अध्ययन, पर्यावरण अध्ययन और पर्यावरण शिक्षा, अधिगम के सिद्धांत, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान का कार्यक्षेत्र तथा संबंध, अवधारणाओं को प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण, क्रियाविधियाँ, प्रयोगात्मक/व्यावहारिक कार्य, विचार-विमर्श, सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन, शिक्षण सामग्री/सहायक उपकरण, समस्याएँ
नोट : HTET स्तर-1 (PRT) के लिये प्रश्नों का कठिनाई स्तर माध्यमिक स्तर तक का होगा।
विषय : स्तर-1 (PRT) के लिये प्रश्न हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 1 से 5वीं के निर्धारित पाठ्यक्रम के विषयों पर आधारित होंगे।
HTET प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT)
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) पद के लिये हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (HTET) की तैयारी हेतु एक सुव्यवस्थित और परीक्षा केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। परीक्षा की प्रभावी ढंग से तैयारी करने में आपकी मदद करने के लिये यहाँ एक व्यापक रणनीति दी गई है, जो निम्नलिखित है-
HTET TGT परीक्षा पद्धति के सभी पक्षों जैसे-अनुभागों, प्रश्नों की संख्या, अंकन योजना और परीक्षा की अवधि आदि का ध्यान रखें। TGT परीक्षा के विशिष्ट पाठ्यक्रम को समझें, जिसमें बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र, भाषाएँ (हिंदी/अंग्रेज़ी), सामान्य अध्ययन और विषय-विशिष्ट से संबंधित पाठ्यसामग्री सम्मिलित है। आपकी सहायता के लिये हम यहाँ विस्तृत पाठ्यक्रम भी प्रदान करेंगे।
एक सुनियोजित और प्रभावी अध्ययन योजना बनाकर सभी विषयों और टॉपिक्स को तय समय-सीमा के अंदर कवर करने का प्रयास करें। वेटेज के आधार पर प्रत्येक विषय के लिये विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित करें और उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दें जहाँ आपको अधिक सुधार की आवश्यकता है।
पाठ्यपुस्तकें, संदर्भ पुस्तकें, विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों और ऑनलाइन संसाधनों सहित प्रासंगिक अध्ययन सामग्री एकत्र करें। परीक्षा संचालन प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए आधिकारिक प्रकाशनों और सामग्रियों का उपयोग करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आपकी अध्ययन सामग्री TGT पाठ्यक्रम के अनुरूप हो।
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र अनुभाग पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यह परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। शिक्षण और अधिगम के मनोवैज्ञानिक पहलुओं के साथ-साथ विविध पृष्ठभूमियों से आने वाले अभ्यर्थियों की विशेषताओं और उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझें।
नियमित अभ्यास के माध्यम से TGT के लिये विषय विशिष्ट से संबंधित गहन ज्ञान पर ध्यान दें। संपूर्ण पाठ्यक्रम को कवर करें और समस्याओं को हल करने का अभ्यास करें तथा अपनी गति और सटीकता में सुधार करें।
विशेषकर हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान और सामान्य जागरूकता से संबद्ध मुद्दों को विशेष महत्त्व दें, क्योंकि यह आपकी परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिये यह आपके समग्र प्रदर्शन के लिये विशेष महत्त्व रखता है।
परीक्षा के वातावरण में स्वयं को ढालने और अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने के लिये नियमित मॉक टेस्ट का अभ्यास करें। परीक्षा पैटर्न तथा उससे संबद्ध विषयों में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्तर को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को अवश्य हल करें।
अपनी तैयारी को सुदृढ़ करने के लिये कवर किये गए विषयों के संक्षिप्त नोट्स बनाकर नियमित रूप से दोहराएँ। प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें, विशेष रूप से परीक्षा के दौरान, यह सुनिश्चित करने के लिये कि आप सभी अनुभागों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा कर सकें।
HTET TGT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
भाग-I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(A)
विकास की अवधारणा एवं अधिगम के साथ इसका संबंध, बच्चों के विकास के सिद्धांत, पर्यावरण एवं आनुवंशिकता का प्रभाव।
समाजीकरण की प्रक्रिया : बच्चे एवं सामाजिक दुनिया (शिक्षक, अभिभावक, समकक्ष लोग)।
पियाजे, कोहलबर्ग और वायगोत्स्की : निर्माण एवं आलोचनात्मक दृष्टिकोण।
बाल केंद्रित एवं प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा, बुद्धि निर्माण का आलोचनात्मक दृष्टिकोण, बहु-आयामी बुद्धि, भाषा एवं विचार, सामाजिक संरचना के रूप में लिंग, लिंग भूमिका, लिंग-विभेद एवं शैक्षिक व्यवहार, अधिगमकर्त्ताओं में वैयक्तिक भिन्नताएँ, भाषा, जाति, लिंग, समुदाय, धर्म आदि की विविधता आधारित विभिन्नताओं को समझना। अधिगम का आकलन और अधिगम के लिये आकलन में भेद, विद्यालय आधारित आकलन।
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन : दृष्टिकोण एवं अभ्यास।
अधिगमकर्त्ता के तत्परता स्तर के आकलन के लिये, कक्षा में आलोचनात्मक चिंतन एवं अधिगम बढ़ाने के लिये तथा अधिगमकर्त्ता की उपलब्धि के आकलन के लिये उपयुक्त प्रश्न तैयार करना।
(B)
समावेशी शिक्षा की अवधारणा एवं विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को समझना :
वंचित सहित विविध पृष्ठभूमि वाले अधिगमकर्त्ताओं का संबोधन।
अधिगम में कठिनाई, क्षीणता आदि वाले बच्चों की आवश्यकताओं का संबोधन।
प्रतिभावान, रचनात्मक, विशेष रूप से सक्षम अधिगमकर्त्ताओं को संबोधित करना।
अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र :
बच्चे कैसे सोचते एवं सीखते हैं, क्यों और कैसे बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में ‘असफल’ होते हैं।
शिक्षण और अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के सीखने की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
एक समस्या समाधानकर्त्ता और वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पनाएँ, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण सोपान के रूप में समझना।
संज्ञान एवं भावनाएँ।
अभिप्रेरणा एवं अधिगम।
अधिगम में योगदान करने वाले कारक- व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय।
भाग- II : भाषा
(A) भाषा-I (हिंदी)
भाषा बोध के प्रश्न :
अपठित गद्याश/पद्यांश- बोध, अनुमान, व्याकरण और शाब्दिक योग्यता पर आधारित प्रश्नों वाले दो लेखांश एक गद्य/नाटक पर और एक पद्य पर आधारित (गद्यांश साहित्यिक, वैज्ञानिक, वर्णनात्मक या तार्किक हो सकता है)
भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र के प्रश्न :
अधिगम एवं अधिग्रहण, भाषा शिक्षण के सिद्धांत, सुनने एवं बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य और बच्चे इसे एक उपकरण के रूप में किस प्रकार प्रयोग करते हैं; मौखिक तथा लिखित रूप में विचारों को संप्रेषित करने के लिये भाषा अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर समालोचनात्मक दृष्टिकोण, विविधतापूर्ण कक्षा में भाषा शिक्षण की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ एवं विकार, भाषा कौशल।
भाषा बोध और दक्षता का मूल्यांकन : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
Two unseen prose passages (Discursive or Literary or Narrative or Scientific) with question on comprehension, grammar and verbal ability.
Pedagogy of Language Development Questions :
Learning and acquisition, Principles of language Teaching, Role of listening and speaking; Functions of language and how children use it as a tool, Critical perspective on the role of grammar in learning a language for communicating ideas verbally and in written form; Challenges of teaching language in a diverse classroom; Language difficulties, Errors and disorders, Language skills.
Evaluating Language Comprehension and Proficiency : Speaking, Listening, Reading and Writing.
Teaching-Learning materials : Learning materials- Textbook, Multi-media materials, Multilingual resource of the classroom, Remedial Teaching.
भाग- III : सामान्य अध्ययन
हरियाणा से संबंधित इतिहास, समसामयिक मुद्दे, साहित्य, भूगोल, नागरिकशास्त्र, पर्यावरण, संस्कृति, कला, परंपराएँ एवं हरियाणा सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ।
सामान्य बुद्धिमत्ता एवं तर्कशक्ति :
इसमें शाब्दिक और गैर-शाब्दिक दोनों प्रकार के प्रश्न शामिल होंगें, जो हैं - सादृश्यता, समानताएँ और अंतर, स्थानिक दृश्यता, स्थानिक अभिविन्यास, समस्या का समाधान, विश्लेषण, निर्णय, दृश्य स्मृति, विभेदन, कथन, संबंध अवधारणाएँ, अंकगणितीय तर्क और चित्रात्मक वर्गीकरण, अंकगणितीय संख्या शृंखला, गैर-शाब्दिक शृंखला, कूटलेखन-कूटवाचन, कथन निष्कर्ष, न्याय निगमन, तर्कपूर्ण आधार।
विषय है : शब्दार्थगत सादृश्यता, प्रतीकात्मक/संख्या सादृश्य, चित्रात्मक सादृश्य, शब्दार्थगत वर्गीकरण, प्रतीकात्मक/संख्या वर्गीकरण, चित्रात्मक वर्गीकरण, शब्दार्थगत शृंखला, संख्या शृंखला, चित्रात्मक शृंखला। समस्या का समाधान, शब्द निर्माण, कूटलेखन-कूटवाचन, संख्यात्मक संचालन। प्रतीकात्मक संचालन, रूझान, स्थानिक अभिविन्यास, स्थानिक दृश्यता, वेन आरेख, निष्कर्ष निकालना, छिद्रित छेद/डिज़ाइन नमूना मोड़ना और खोलना, आकृति पैटर्न-मोड़ना और पूर्णता, अनुक्रमण, पता मिलान, दिनांक और शहर मिलान, केंद्र कोड/रोल नंबर का वर्गीकरण, छोटे और बड़े अक्षर/संख्या कोडिंग, डिकोडिंग और वर्गीकरण, अंतर्निहित आँकड़े, आलोचनात्मक सोच, भावनात्मक बुद्धिमता, सामाजिक बुद्धिमता।
संख्यात्मक अभिक्षमता : अभ्यर्थियों की संख्या एवं संख्या बोध के उपयुक्त उपयोग की क्षमता का परीक्षण करने के लिये प्रश्न तैयार किये जाएंगे। इस परीक्षा में पूर्ण संख्याओं, दशमलव, भिन्नों एवं संख्याओं के बीच संबंध, प्रतिशत, अनुपात तथा समानुपात, वर्गमूल, औसत, ब्याज, लाभ तथा हानि, छूट, साझेदारी व्यवसाय, मिश्रण एवं आरोपण, समय और दूरी, समय एवं कार्य, स्कूल बीजगणित की मूल बीजगणितीय पहचान एवं प्राथमिक करणी, रैखिक समीकरणों का रेखांकन, त्रिभुज और इसके विभिन्न प्रकार के केंद्र, त्रिभुजों की सर्वांगसमता एवं समरूपता, वृत्त और उसकी जीवाएँ, स्पर्श रेखा, एक वृत्त की जीवा द्वारा उपनिर्मित कोण, दो या दो से अधिक वृत्तों की सामान्य स्पर्श रेखाएँ, त्रिभुज, चतुर्भुज, समबहुभुज, वृत्त, समकोण प्रिज्म, लंब वृत्तीय शंकु, लंब वृत्तीय बेलन, गोला, गोलार्द्ध, आयताकार समांतर षटफलक, त्रिभुज या वर्ग आधार वाले सामान्य समकोण पिरामिड, त्रिकोणमितीय अनुपात, डिग्री एवं रेडियन माप, मानक पहचान, पूरक कोण, ऊँचाई तथा दूरी, हिस्टोग्राम, बारंबारता बहुभुज, बार आरेख और पाई चार्ट आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।
भाग-IV : विषय-विशिष्ट
विज्ञान
(A) रसायन विज्ञान
सामग्रियों को समूहबद्ध एवं क्रमबद्ध करना : हमारे आस-पास की वस्तुएँ, पदार्थ के गुण, आकृति, कठोरता, घुलनशील अथवा अघुलनशील, पारदर्शिता, वस्तुओं का पानी में तैरना या डूबना।
पदार्थों का पृथक्करण : पदार्थों का पृथक्करण, मिश्रण एवं उनके प्रकार, पृथक्करण की विधियाँ, निस्पंदन, ओसाना (थ्रैसिंग), वाष्पीकरण, अवसादन, निस्तारण, छानना, फटकना।
अम्ल, क्षार एवं लवण : अम्ल एवं क्षार, हमारे चारों ओर के सूचक, उदासीनीकरण, दैनिक जीवन में उदासीनीकरण।
भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन : भौतिक परिवर्तन, रासायनिक परिवर्तन, लोहे में जंग लगना, क्रिस्टलीकरण।
कोयला एवं पेट्रोलियम : कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कुछ सीमित प्राकृतिक संसाधन
दहन एवं ज्वाला : दहन, हम आग को कैसे नियंत्रित करते हैं, दहन के प्रकार, ज्वाला, ज्वाला की संरचना, ईंधन क्या है, ईंधन की दक्षता।
हमारे आस-पास के पदार्थ : पदार्थ की भौतिक प्रकृति, पदार्थ के कणों की विशेषताएँ, पदार्थ की अवस्थाएँ, क्या पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है, वाष्पीकरण।
क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं : मिश्रण, घोल, मिश्रण के घटकों को अलग करना, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन, शुद्ध पदार्थ के प्रकार।
परमाणु एवं अणु : अणु एवं परमाणु, रासायनिक संयोजन के नियम, परमाणु, अणु, मोल की अवधारणा, आणविक द्रव्यमान, रासायनिक सूत्र।
परमाणु की संरचना : पदार्थ में आवेशित कण, परमाणु की संरचना, विभिन्न कक्षा-कक्ष में इलेक्ट्रॉन्स का वितरण, संयोजकता, परमाणु क्रमांक, परमाणु द्रव्यमान।
रासायनिक समीकरण एवं अभिक्रियाएँ : रासायनिक अभिक्रिया, रासायनिक समीकरण, रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार, दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण अभिक्रियाओं के प्रभाव।
धातु एवं अधातु : धातुओं एवं अधातुओं के भौतिक गुण, रासायनिक गुण, धातुओं की जल, वायु एवं अम्लों के साथ अभिक्रिया, धातुओं की प्रतिक्रियाशीलता का क्रम, धातु एवं अधातुओं की अभिक्रियाएँ, आयनिक यौगिकों के गुण, धातुओं की उपस्थिति, निष्कर्षण, शोधन, संक्षारण एवं इसकी रोकथाम।
कार्बन एवं उसके यौगिक : कार्बन एवं उसके यौगिक, कार्बन में आबंध, सहसंयोजी आबंध, कार्बनिक यौगिकों के रासायनिक गुण, महत्त्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक- एथेनॉल, इथेनोइक एसिड, साबुन एवं अपमार्जक।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
(B) जीव विज्ञान
जीवन की मौलिक इकाई : कोशिका तथा कोशिका का संरचनात्मक संगठन एवं कार्य, कोशिका विभाजन।
जीव जगत : पादपों एवं प्राणियों के रूप तथा कार्य।
पादप एवं प्राणी ऊतक
जीवों में विविधता : पादपों तथा प्राणियों का उनके लक्षणों के साथ वर्गीकरण।
प्राणियों एवं पादपों के विभिन्न जैव प्रक्रम : पोषण, श्वसन, वहन, उत्सर्जन (मनुष्यों के विभिन्न तंत्रों सहित)।
शरीर की गतियाँ : प्राणियों में गति, मानव शरीर और उसकी गतिविधियाँ, पादपों एवं प्राणियों में नियंत्रण तथा समन्वय।
जीवों में प्रजनन : प्रजनन की विधियाँ (अलैंगिक एवं लैंगिक प्रजनन), जनन स्वास्थ्य (किशोरावस्था तथा युवावस्था), वंशागति तथा विकास।
रोग : प्रकार, कारण, वाहक, उपचार और रोकथाम।
मौसम, जलवायु तथा विभिन्न प्रकार की जलवायु एवं आवासों के लिये जीवों का अनुकूलन, पारिस्थितिकी तंत्र, प्रदूषण, जैव-भूरासायनिक चक्र, ओज़ोन परत, पशुपालन, मृदा, जल, वन तथा वन्यजीव, पर्यावरण जागरूकता, पादपों एवं प्राणियों का संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन और उनका प्रबंधन।
खाद्य पदार्थ : इसके संसाधन, घटक तथा कार्य, खाद्य संसाधनों में सुधार, फसल उत्पादन तथा उसका प्रबंधन, फसल की पैदावार में सुधार और प्रबंधन, फसल सुरक्षा प्रबंधन, सूक्ष्मजीव।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
(C) भौतिकी
गति और मापन : गति के प्रकार एवं असमान गति, चाल, वेग और त्वरण, दूरी-समय ग्राफ, वेग-समय ग्राफ, गति के समीकरण, एकसमान वृत्तीय गति, दूरी तथा समय का मापन।
बल तथा गति के नियम : बल के प्रकार, संतुलित एवं असंतुलित बल, गति का प्रथम नियम, गति का द्वितीय नियम, गति का तृतीय नियम, घर्षण, घर्षण को प्रभावित करने वाले कारक, घर्षण की आवश्यकता, पहिये घर्षण कम करते हैं, तरल घर्षण।
गुरुत्वाकर्षण : गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौमिक नियम, गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का महत्त्व, मुक्त पतन, गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ के मान का परिकलन, पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव में वस्तुओं की गति, द्रव्यमान, भार, किसी वस्तु का चंद्रमा पर भार, प्रणोद तथा दाब, वायुमंडलीय दाब, तरलों में दाब, उत्प्लावकता, पानी की सतह पर रखने पर वस्तुएँ तैरती या डूबती क्यों है, आर्किमिडीज का सिद्धांत।
कार्य, ऊर्जा और शक्ति : कार्य की वैज्ञानिक अवधारणा, एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य, ऊर्जा के रूप, गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, ऊर्जा सरंक्षण का नियम, कार्य करने की दर।
ध्वनि : ध्वनि का उत्पादन, ध्वनि का संचरण, ध्वनि तरंग के अभिलक्षण, विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल, प्रतिध्वनि एवं अनुरणन, ध्वनि के बहुल परावर्तन के उपयोग, श्रव्यता का परिसर, श्रव्य और अश्रव्य ध्वनियाँ, शोर तथा संगीत, ध्वनि प्रदूषण, अल्ट्रासाउंड का अनुप्रयोग।
प्रकाश : पारदर्शी, अपारदर्शी और पारभासी वस्तु, पिनहोल कैमरा, सूर्य का प्रकाश- सफेद या रंगीन, ब्रेल प्रणाली, प्रकाश का परावर्तन, गोलीय दर्पणों द्वारा बने प्रतिबिबों का निरूपण, अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना, उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना, दर्पण सूत्र तथा आवर्धन; प्रकाश का अपवर्तन- काँच के आयताकार स्लैब से अपवर्तन, अपवर्तनांक, गोलीय लेंस द्वारा अपवर्तन, लेंसों द्वारा प्रतिबिंब बनना, गोलीय लेंसो के लिये चिह्न परिपाटी, लेंस सूत्र एवं आवर्धन, लेंस की क्षमता।
मानव नेत्र : समंजन क्षमता, दृष्टि दोष तथा उनका संशोधन, निकट दृष्टि दोष, दूर दृष्टि दोष, जरा दूरदृष्टिता, प्रिज्म में प्रकाश का अपवर्तन, काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का प्रकीर्णन; वायुमंडलीय अपवर्तन- तारों का टिमटिमाना, अग्रिम सूर्योदय तथा विलंबित सूर्यास्त; प्रकाश का प्रकीर्णन, टिंडल प्रभाव- स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है।
विद्युत एवं परिपथ : विद्युत सेल, विद्युत परिपथ, विद्युत स्विच, विद्युत धारा, विद्युत विभव, ओम का नियम, वह कारक जिन पर एक चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है, प्रतिरोध का संयोजन- श्रेणी क्रम तथा समांतर क्रम, विशिष्ट प्रतिरोध, विद्युत परिपथ एवं धारा का तापीय प्रभाव, विद्युत धारा के तापीय प्रभाव, रासायनिक प्रभाव एवं इलेक्ट्रोप्लेटिंग के व्यावहारिक अनुप्रयोग।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव : चुंबकीय क्षेत्र एवं क्षेत्र रेखाएँ, किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण चुंबकीय क्षेत्र, सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र, धारावाही वृत्ताकार लूप सोलनॉइड, दाएँ हाथ के अंगूठे का नियम, फ्लेमिंग का दाएँ हाथ का नियम, फ्लेमिंग का बाएँ हाथ का नियम, विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश के कारण चुंबकीय क्षेत्र, परिनालिका, चुंबकीय क्षेत्र में किसी विद्युत धारावाही चालक पर बल, घरेलू विद्युत परिपथ, विद्युत घंटी, विद्युत चुंबक, मोटर, ए.सी. जनरेटर।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
हिंदी
(क)
हिंदी भाषा एवं साहित्य का इतिहास : भाषा के विविध रूप एवं संवैधानिक स्थिति, हिंदी भाषा का इतिहास, देवनागरी लिपि का इतिहास, वैज्ञानिकता एवं विशेषताएँ, हिंदी साहित्य का इतिहास, नामकरण एवं विविध प्रवृतियाँ।
(ख)
माध्यमिक स्तरीय एवं पाठ्यक्रम में संकलित रचनाओं की जानकारी : बसंत भाग-1, 2 एवं 3 में संकलित गद्य एवं पद्य रचनाओं पर आधारित प्रश्न, पाठ्यक्रम में संकलित कविताओं के भाव, भाषा एवं शैली पक्ष पर आधारित प्रश्न, पाठ्यक्रम में संकलित गद्य रचनाओं और उनके विविध पक्षों के ज्ञान पर आधारित प्रश्न, पाठ्यक्रम में आए पर्यायवाची, विलोम एवं अनेकार्थक शब्दों के साथ-साथ वाक्यांश के लिये एक शब्द से संबंधित प्रश्न।
(ग)
काव्यशास्त्र एवं व्याकरण : काव्य गुण एवं काव्य दोष पर आधारित प्रश्न, अलंकार- उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, वक्रोक्ति, श्लेष, अतिशयोक्ति, असंगति एवं द्रष्टांत पर आधारित प्रश्न; छंद- दोहा, रोला, हरिगीतिका, मालिनी, कवित्त, सवैया, वंशस्थ पर आधारित प्रश्न; रस एवं रस के अवयव पर आधारित प्रश्न; वर्ण विचार- स्वर एवं व्यंजन के प्रकार, प्रयत्न एवं स्थान की दृष्टि से; शब्द विचार- तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशज पर आधारित प्रश्न; संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय पर आधारित प्रश्न; विकारी शब्द- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया; अविकारी शब्द- क्रिया विशेषण, संबंधसूचक, समुच्चय बोधक एवं विस्मयादिबोधक, वाक्य एवं पद विचार पर आधारित शुद्ध वाक्यों की पहचान, मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ, शुद्धाशुद्ध शब्द-वर्तनी पर आधारित शुद्ध-अशुद्ध।
English
Reading Comprehension: One/Two Unseen Passage/s (Prose/Poem) to assess the candidate's ability to comprehend, analyse, and interpret text.
Language: (Pedagogy of English) – Aims and Objectives of Teaching English at Secondary Level, Methods and Approaches of Teaching English Language, Teaching Aids, Use of ICT in Classroom.
Grammar and Usage – This will include questions based on Verb Patterns, Tenses, Analysis of Sentences, Transformation of Sentences, Voices, Narration, Articles, Determiners, Auxiliaries (Primary & Modal), Idiomatic Expressions, Phrasal Verbs, and Parts of Speech in Detail (Nouns, Pronouns, Verbs, Adjectives, Adverbs, Conjunctions, Interjections, Prepositions).
Basic Phonetics – Word Formation, Vowel and Consonant Sounds, Simple Transcription.
Literature: Text-Based questions must be selected from the prescribed syllabus of the Board of School Education Haryana for classes VI to X. Difficulty level of the questions may be raised to UG level.
सामाजिक अध्ययन
भूगोल
सामान्य भूगोल : सामाजिक अध्ययन के रूप में भूगोल, सौरमंडल, पृथ्वी की गतियाँ, ग्लोब, अंक्षाश तथा देशांतर, पृथ्वी के प्रमुख मंडल, पृथ्वी का आंतरिक भाग- परतें एवं चट्टानें, हमारी पृथ्वी- पर्वत, पठार, मैदान, ज्वालामुखी तथा भूकंप, भू-आकृतियों का विकास- विभिन्न तत्त्व एवं प्रक्रियाएँ, वायुमंडल- संघटन, संरचना, वायुदाब, पवनें, वर्षण तथा जलवायु प्रदेश, जलमंडल और इसकी उपयोगिता, ज्वार-भाटा, समुद्री धाराएँ। जल, वायुमंडल- अवधारणा, पारिस्थितिकी तंत्र, प्रदूषण, आपदाएँ तथा संकट। मानव पर्यावरण अंतर्संबंध, संसाधन- भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति, वन्यजीव संसाधन, कृषि- प्रकार एवं विधियाँ, प्रमुख फसलें और उनका विकास, उद्योग- वर्गीकरण तथा वितरण, मानव संसाधन, मानचित्र एवं उसके प्रकार।
भारत का भूगोल : भारत- आकार एवं अवस्थिति, भू-आकृतिक तथा भौतिक संरचना, जल-निकास, जलवायु तथा मानसून, प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव, जल संसाधन, कृषि- प्रमुख फसलें, उनका वितरण एवं संबंधित समस्याएँ, खनिज तथा ऊर्जा संसाधन, प्रमुख विनिर्माण उद्योग- वर्गीकरण एवं वितरण, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
नागरिकशास्त्र
राजनीतिक सिद्धांत : राजनीतिक सिद्धांतों की प्रकृति, कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, राज्य-तत्त्व तथा इसकी उत्पत्ति के विभिन्न मूल सिद्धांत, स्वरूप एवं कार्य, संप्रभुता, स्वतंत्रता, समानता, न्याय, अधिकार, नागरिकता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, उपभोक्ता के अधिकार, नारीवाद।
सरकार के रूप : लोकतांत्रिक एवं तानाशाही, संसदीय एवं अध्यक्षात्मक, एकात्मक एवं संघीय।
लोकतंत्र : अवधारणा, विभिन्न प्रकार, लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धांत, पद्धति तथा प्रतिनिधित्व, लोकतंत्र के लिये संघर्ष एवं विभिन्न आंदोलन, लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ- असमानता, निर्धनता, आर्थिक प्रगति तथा विकास, निरक्षरता, भाषावाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता, जातिवाद, अलगाववाद, राजनीतिक हिंसा, राष्ट्रीय एकीकरण, लैंगिक मुद्दे, धर्म, हाशियाकरण।
भारतीय संविधान : संविधान का विकास, संविधान की निर्माण प्रकिया, स्रोत, विशेषताएँ, प्रस्तावना। मौलिक अधिकार और मौलिक कर्त्तव्य, राज्य की नीति के निदेशक सिद्धांत, संघ कार्यकारी- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद, संघीय विधायिका- संरचना तथा कानून निर्माण प्रक्रिया, संविधान संशोधन प्रक्रिया, राज्य विधायिका, भारतीय न्यायपालिका- सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, न्यायिक समीक्षा, न्यायिक सक्रियता, जनहित याचिका, सूचना का अधिकार अधिनियम, संघवाद, पंचायतीराज संस्थाओं का विकास 73वाँ संवैधानिक संशोधन, निर्वाचन आयोग, चुनावी प्रक्रिया, चुनाव सुधार, दल-बदल की राजनीति, भारत में दल प्रणाली, राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय राजनीतिक दल, गठबंधन सरकार, आरक्षण की राजनीति।
सयंक्त राष्ट्र संघ : संयुक्त राष्ट्र की उत्पत्ति एवं विकास, संयुक्त राष्ट्र के अंग, संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्थाएँ, सुरक्षा परिषद की भूमिका संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव की भूमिका, संयुक्त राष्ट्र संघ में लोकतंत्रीकरण।
भारत की विदेश नीति : मूल सिद्धांत, भारत और उसके पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका तथा चीन) का अमेरिका एवं रूस के साथ संबंध, शीत युद्ध का दौर एवं शीत युद्ध के बाद, गुटनिरपेक्षता तथा इसकी प्रासंगिकता, द्वि-ध्रुवीयता का अंत, नई विश्व व्यवस्था, यूरोपियन यूनियन, आसियान, सार्क, विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, निःशस्त्रीकरण, वैश्वीकरण, पर्यावरणवाद।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
इतिहास
प्राचीन भारत : प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत, प्रागैतिहासिक सभ्यता- आखेटक-संग्रहक से नवपाषाण क्रांति तक। हड़प्पा सभ्यता- पुरास्थल एवं प्रमुख विशेषताएँ आदि। धार्मिक प्रवृत्तियाँ- वैदिक, बौद्ध एवं जैन- मूल विशेषताएँ एवं तुलना। महाजनपद काल- राजनीति एवं अर्थव्यवस्था, मौर्य साम्राज्य- प्रशासन एवं नीतियाँ। विदेशी आक्रमणकारी एवं उनका भारतीय संस्कृति में समावेश। उत्तर मौर्यकालीन राज्य एवं भारत में राजनीतिक विकास। दक्षिणी राज्य- चालुक्य, पल्लव एवं चोल, प्राचीन भारत में व्यापार एवं वाणिज्य- व्यापार एवं मुख्य व्यापारिक मार्ग, नगरीकरण।
गुप्त एवं वर्द्धन साम्राज्य : सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन, अर्थव्यवस्था, प्रशासन आदि। विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रसार। प्राचीन काल से गुप्तोत्तर काल तक कला एवं वास्तुकला।
मध्यकालीन भारत : मध्यकालीन भारत के इतिहास के स्रोत (700 ई. से 1750 ई.)। प्रारंभिक मध्यकालीन भारत में शासक एवं राजवंश (700 ई. से 1200 ई.)- त्रिपक्षीय संघर्ष, पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट, राजा दाहिर तथा अनंगपाल, सुहलदेव एवं पृथ्वीराज चौहान। दिल्ली सल्तनत एवं मुगल- प्रशासन एवं नीतियाँ, विजयनगर साम्राज्य, छत्रपति शिवाजी महाराज एवं मराठा, मध्यकालीन कला तथा वास्तुकला, भाषाएँ एवं साहित्य इत्यादि। सामाजिक-धार्मिक आंदोलन (भक्ति, सूफी, सिख गुरु परंपरा, नयनार, अलवार आदि)। मध्यकालीन भारत के दौरान व्यापार एवं वाणिज्य, कला एवं वास्तुकला, शहरी केंद्र, कृषि प्रधान समाज।
आधुनिक भारत : आधुनिक भारतीय इतिहास के स्रोत, 18वीं शताब्दी में भारत, यूरोपीय कंपनियाँ और बंगाल एवं अन्य भारतीय राज्यों में उनका संघर्ष। भू-राजस्व व्यवस्था में परिवर्तन तथा आरंभिक भारतीय प्रतिरोध। 1857 की क्रांति- कारण, घटनाएँ, स्वरूप एवं परिणाम। 18वीं शताब्दी में भारतीय पुनर्जागरण- महिला एवं निम्न जाति-मुक्ति। ब्रिटिश शिक्षा नीति, औपनिवेशीकरण एवं स्वदेशी वस्त्र उद्योग पर इसका प्रभाव- औद्योगीकरण का आरंभ। औपनिवेशिक काल के दौरान नगरीकरण एवं वास्तुकला। राष्ट्रवाद का उदय, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (1885-1947), स्वतंत्रता एवं विभाजन में गांधीजी, नेताजी एवं आज़ाद हिंद फौज की भूमिका। भारतीय संविधान का निर्माण, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में हरियाणा की भूमिका। भारतीय स्वतंत्रता के 50 वर्ष।
विश्व इतिहास : मानव विकास का इतिहास- होमोसेपियंस का उदय, प्रागैतिहासिक मानव इतिहास औज़ार आदि। इस्लाम का उदय- खलीफा, कंफ्यूशीयसवाद, यहूदी तथा पारसी दर्शन। चंगेज खाँ तथा मंगोल साम्राज्य। मध्यकाल के दौरान यूरोप में सामंतवाद, यूरोप के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में चर्च की भूमिका। यूरोपीय पुनर्जागरण- मध्यकालीन यूरोप में शहरी केंद्रो का विकास। उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
अर्थशास्त्र
कृषि : भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका, विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान भारत में कृषि विकास, कृषि उत्पाद, गैर-कृषि गतिविधियाँ। उत्पादन के साधन- भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यमी एवं मानव पूंजी। लगान, मज़दूरी, ब्याज एवं लाभ के सिद्धांत, बेरोज़गारी एवं भारत में बेरोज़गारी की प्रवृत्तियाँ।
गरीबी : अवलोकन, प्रकार, माप, कारण, अंतर्राज्यीय विषमताएँ, निर्धनता अनुमान, गरीबी उन्मूलन हेतु योजनाएँ एवं भविष्य की चुनौतियाँ। खाद्य सुरक्षा- अर्थ, कारण, हरित क्रांति, भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं इसकी प्रगति सहित प्रमुख खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम, बफर स्टॉक (सुरक्षित भंडार), खाद्य सुरक्षा के स्तंभ।
विकास : आर्थिक संवृद्धि का अर्थ, आर्थिक विकास तथा धारणीय विकास की अवधारणाएँ, विकास के मापक- पारंपरिक, HDI, HPI, PQLI, भुखमरी सूचकांक, अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकासात्मक तुलना।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक : आर्थिक क्रियाओं के कार्यक्षेत्र, प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र, संगठित एवं असंगठित क्षेत्र, सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र। मुद्रा एवं साख- मुद्रा का अर्थ, कार्य, मुद्रा के आधुनिक रूप, वाणिज्यिक बैंक एवं उनकी भूमिका, भारतीय रिज़र्व बैंक एवं इसके कार्य, साख निर्माण, मुद्रा गुणक, औपचारिक एवं अनौपचारिक साख।
भारतीय अर्थव्यवस्था एवं वैश्वीकरण : नई आर्थिक नीति- उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण- विशेषताएँ, भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल एवं अनुकूल प्रभाव। विश्व व्यापार संगठन- सरंचना एवं कार्य, वैश्वीकरण के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष।
उपभोक्ता अधिकार : उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम, 1986; भारत में उपभोक्ता आंदोलन, उपभोक्ता शोषण, उपभोक्ता की जिम्मेदारियाँ, उपभोक्ता के अधिकार एवं उनकी प्रगति।
उपयोगिता विश्लेषण : अर्थ एवं प्रकार, गणनावाचक उपयोगिता विश्लेषण, क्रमवाचक उपयोगिता विश्लेषण, अनधिमान वक्र विश्लेषण।
मांग विश्लेषण : मांग- अर्थ एवं इसके निर्धारक तत्त्व, मांग का नियम, मांग की लोच।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
गणित
संख्या पद्धति, अंक गणित एवं त्रिकोणमिति :
रोमन अंक, पूर्ण संख्याएँ, प्राकृत संख्याएँ, पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ तथा वास्तविक संख्याएँ, उनके गुणधर्म तथा संख्या रेखा पर निरूपण, प्राकृत संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य (LCM), महत्तम समापवर्त्य (HCM), वर्ग एवं वर्गमूल, घन एवं घनमूल, घातांक के नियम, अनुपात एवं समानुपात, प्रतिशत, दशमलव, भिन्न, लाभ तथा हानि, छूट, कार्य एवं समय, प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष अनुपात, ऐकिक विधि, मात्राओं की तुलना, त्रिकोणमिति का परिचय और ऊँचाई तथा दूरी ज्ञात करने के लिये इसका अनुप्रयोग।
बीजगणित, सांख्यिकी एवं प्रायिकता :
बीजगणितीय पद और सर्वसमिकाएँ, गुणनखंड, एक एवं दो चरों में रैखिक समीकरण, रैखिक समीकरणों के ग्राफ, बहुपद, द्विघात समीकरण, समांतर श्रेणी, आँकड़ा प्रबंधन, औसत, पाई आरेख, दंड आरेख, आयत चित्र, बारंबारता बहुभुज, केंद्रीय प्रवृत्ति की माप (माध्य, माध्यिका, बहुलक), प्रायिकता, सैद्धांतिक दृष्टिकोण।
ज्यामिति, निर्देशांक ज्यामिति और क्षेत्रमिति :
यूक्लिड की ज्यामिति, रेखाएँ एवं कोण, सममिति रेखाएँ, त्रिभुज तथा उसके गुण, त्रिभुज के प्रकार एवं उसके विभिन्न प्रकार के केंद्र, परिमाप तथा क्षेत्रफल, त्रिभुजों की सर्वांगसमता और समरूपता, समबहुभुज, चतुर्भुज, वृत्त, वृत्त से संबंधित क्षेत्रफल, निर्देशांक ज्यामिति, हिरोन का सूत्र, पाइथागोरस प्रमेय, ठोस आकृतियों का चित्रण, बहुभुज का क्षेत्रफल, घन, घनाभ, बेलन, लंबवृत्तीय बेलन, शंकु, लंबवृत्तीय शंकु एवं गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल तथा आयतन, ठोसों के संयोजन का पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन।
विषय संबंधित शिक्षाशास्त्र।
नोट: HTET स्तर-2 (TGT) के लिये प्रश्नों का कठिनाई स्तर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक का होगा।
विषय : स्तर-2 (TGT) के लिये प्रश्न हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 6वीं से 10वीं के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम के विषयों पर आधारित होंगे।
HTET स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT)
स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT) पद के लिये हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (HTET) की तैयारी हेतु एक सुव्यवस्थित और परीक्षा केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। परीक्षा की प्रभावी ढंग से तैयारी करने में आपकी मदद करने के लिये यहाँ एक व्यापक रणनीति दी गई है, जो निम्नलिखित है-
HTET PGT परीक्षा पद्धति के सभी पक्षों जैसे-अनुभागों, प्रश्नों की संख्या, अंकन योजना और परीक्षा की अवधि आदि का ध्यान रखें| TGT परीक्षा के विशिष्ट पाठ्यक्रम को समझें, जिसमें बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र, भाषाएँ (हिंदी/अंग्रेज़ी), सामान्य अध्ययन और विषय-विशिष्ट से संबंधित पाठ्यसामग्री सम्मिलित है। आपकी सहायता के लिये हम यहाँ विस्तृत पाठ्यक्रम भी प्रदान करेंगे।
एक सुनियोजित और प्रभावी अध्ययन योजना बनाकर सभी विषयों और टॉपिक्स को तय समय-सीमा के अंदर कवर करने का प्रयास करें। वेटेज के आधार पर प्रत्येक विषय के लिये विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित करें और उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दें जहाँ आपको अधिक सुधार की आवश्यकता है।
पाठ्यपुस्तकें, संदर्भ पुस्तकें, विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों और ऑनलाइन संसाधनों सहित प्रासंगिक अध्ययन सामग्री एकत्र करें। परीक्षा संचालन प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए आधिकारिक प्रकाशनों और सामग्रियों का उपयोग करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आपकी अध्ययन सामग्री PGT पाठ्यक्रम के अनुरूप हो।
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र अनुभाग पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यह परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। शिक्षण और अधिगम के मनोवैज्ञानिक पहलुओं के साथ-साथ विविध पृष्ठभूमियों से आने वाले अभ्यर्थियों की विशेषताओं और उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझें।
नियमित अभ्यास के माध्यम से PGT के लिये विषय विशिष्ट से संबंधित गहन ज्ञान पर ध्यान दें। संपूर्ण पाठ्यक्रम को कवर करें और समस्याओं को हल करने का अभ्यास करें तथा अपनी गति और सटीकता में सुधार करें।
विशेषकर हरियाणा राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान और सामान्य जागरूकता से संबद्ध मुद्दों को विशेष महत्त्व दें, क्योंकि यह आपकी परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिये यह आपके समग्र प्रदर्शन के लिये विशेष महत्त्व रखता है।
परीक्षा के वातावरण में स्वयं को ढालने और अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने के लिये नियमित मॉक टेस्ट का अभ्यास करें। परीक्षा पैटर्न तथा उससे संबद्ध विषयों में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्तर को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को अवश्य हल करें।
अपनी तैयारी को सुदृढ़ करने के लिये कवर किये गए विषयों के संक्षिप्त नोट्स बनाकर नियमित रूप से दोहराएँ। प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें, विशेष रूप से परीक्षा के दौरान, यह सुनिश्चित करने के लिये कि आप सभी अनुभागों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा कर सकें।
HTET PGT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
भाग-I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(A)
विकास की अवधारणा एवं अधिगम के साथ इसका संबंध, बच्चों के विकास सिद्धांत, पर्यावरण एवं आनुवांशिकता का प्रभाव।
समाजीकरण की प्रक्रिया : बच्चे एवं सामाजिक दुनिया (शिक्षक, अभिभावक, समक लोग)।
पियाजे, कोहलबर्ग और वायगोत्स्की : निर्माण एवं आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य।
फ्रॉयड का मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत, एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास सिद्धांत।
बाल केंद्रित एवं प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा; बुद्धि, भाषा एवं विचार; सामाजिक संरचना के रूप में लिंग, लिंग भूमिका, लिंग-विभेद एवं शैक्षिक व्यवहार अधिगमकर्त्ताओं में वैयक्तिक भिन्नताएँ; भाषा, जाति, लिंग, समुदाय, धर्म आदि विविधता आधारित विभिन्नताओं को समझना।
अधिगम का आकलन और अधिगम के लिये आकलन में भेद, विद्यालय आधारित आकलन, सतत एवं व्यापक मूल्यांकन - परिप्रेक्ष्य एवं अभ्यास।
अधिगमकर्त्ता के तत्परता स्तर के आकलन के लिये कक्षा में आलोचनात्मक चिंतन और अधिगम बढ़ाने के लिये एवं अधिगमकर्ता की उपलब्धि के आकलन के लिये उपयुक्त प्रश्न तैयार करना।
(B)
समावेशी शिक्षा की अवधारणा एवं विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को समझना :
वंचित सहित विविध पृष्ठभूमि वाले अधिगमकर्त्ताओं का संबोधन।
अधिगम में कठिनाई, क्षति आदि वाले बच्चों की आवश्यकताओं का संबोधन;
प्रतिभावान, रचनात्मक, विशेष रूप से सक्षम अधिगमकर्त्ताओं को संबोधित करना।
अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र :
बच्चे कैसे सोचते और सीखते हैं, क्यों और कैसे बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में ‘असफल’ होते हैं। शिक्षण और अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों की अधिगम की अभिविधि, सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
एक समस्या समाधानकर्त्ता और वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पनाएँ, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण सोपान के रूप में समझना।
संज्ञान एवं भावनाएँ
अभिप्रेरणा एवं अधिगम
अधिगम में योगदान करने वाले कारक-व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय।
बंदूरा का सामाजिक अधिगम निर्माण एवं आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य।
भाग- II : भाषा
(A) भाषा-I (हिंदी)
भाषा बोध के प्रश्न : अपठित गद्यांश/पद्यांश- बोध, अनुमान, व्याकरण और शाब्दिक योग्यता पर आधारित प्रश्नों वाले दो लेखांश एक गद्य पर और एक पद्य पर आधारित (गद्यांश साहित्यिक, वैज्ञानिक, वर्णनात्मक या तार्किक हो सकता है)
भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र के प्रश्न : अधिगम और अधिग्रहण, भाषा शिक्षण के सिद्धांत, सुनने और बोलने की भूमिका; भाषा का कार्य और बच्चे इसे एक उपकरण के रूप में कैसे उपयोग करते हैं, मौखिक और लिखित रूप में विचारों को संप्रेषित करने के लिये भाषा अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य, एक विविध कक्षा में भाषा शिक्षण की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार, भाषा कौशल
भाषा बोध और दक्षता का मूल्यांकन : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना
शिक्षण : पाठ्यपुस्तक, मल्टीमीडिया सामग्री, कक्षा के बहुभाषी संसाधन, उपचारात्मक शिक्षण।
(B) Language - II (English)
Language Comprehension Questions : Two unseen prose passages (discursive or literary or narrative or scientific) with question on comprehension, grammar and verbal ability.
Pedagogy of Language Development : Learning and acquisition, Principles of language Teaching, Role of listening and speaking; function of language and how children use it as a tool, Critical perspective on the role of grammar in learning a language for communicating ideas verbally and in written form; Challenges of teaching language in a diverse classroom; language difficulties, errors and disorders, Language Skills.
Evaluating Language Comprehension and Proficiency : speaking, listening, reading and writing.
Teaching-learning materials : Textbook, multi-media materials, multilingual resource of the classroom, Remedial Teaching.
भाग- III : सामान्य अध्ययन
हरियाणा से संबंधित इतिहास, समसामयिक मुद्दे, साहित्य, भूगोल,नागरिक शास्त्र, पर्यावरण, संस्कृति, कला, परंपराएँ एवं हरियाणा सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ
सामान्य बुद्धिमता एवं तर्कशक्ति :
इसमें शाब्दिक और गैर-शाब्दिक दोनों प्रकार के प्रश्न शामिल होंगें। इस घटक में सादृश्यता, समानताएँ और अंतर, स्थानिक दृश्यता, स्थानिक अभिविन्यास, समस्या का समाधान, विश्लेषण, निर्णय, निर्णय लेने, दृश्य स्मृति, विभेदन, कथन, संबंध अवधारणाएँ, अंकगणितीय तर्क और चित्रात्मक वर्गीकरण, अंकगणितीय संख्या शृंखला, गैर-शाब्दिक शृंखला, कूटलेखन-कुटवाचन, कथन-निष्कर्ष, न्याय निगमन, तर्कपूर्ण आधार प्रश्न शामिल हो सकते हैं।
विषय है : शब्दार्थगत सादृश्यता, प्रतीकात्मक/संख्या सादृश्यता, चित्रात्मक सादृश्यता, शब्दार्थगत वर्गीकरण, प्रतीकात्मक/संख्या वर्गीकरण, चित्रात्मक वर्गीकरण, शब्दार्थगत शृंखला, संख्या शृंखला, चित्रात्मक शृंखला । समस्या का समाधान, शब्द निर्माण, कूटलेखन-कूटवाचन, संख्यात्मक संचालन। प्रतीकात्मक संचालन, रूझान, स्थानिक अभिविन्यास, स्थानिक दृश्यता, वेन आरेख, निष्कर्ष निकालना, छिद्रित छड़/डिज़ाइन नमूना मोड़ना और खोलना, आकृति पैटर्न-मोड़ना और पूर्णता, अनुक्रमण, पता मिलान, दिनांक और शहर मिलान, केंद्र कोड/रोल नंबर का वर्गीकरण, छोटे और बड़े अक्षर/संख्या कोडिंग, डिकोडिंग और वर्गीकरण, अंतर्निहित आँकड़े, आलोचनात्मक विचार, भावनात्मक बुद्धिमता, सामाजिक बुद्धिमता।
संख्यात्मक अभिक्षमता: अभ्यर्थियों की संख्या एवं संख्या बोध के उपयुक्त उपयोग की क्षमता का परीक्षण करने के लिये प्रश्न तैयार किये जाएंगे। इस परीक्षा में पूर्ण संख्याओं, दशमलव, भिन्नों एवं संख्याओं के बीच संबंध, प्रतिशत, अनुपात तथा समानुपात, वर्गमूल, औसत, ब्याज, लाभ तथा हानि, छूट, साझेदारी व्यवसाय, मिश्रण एवं आरोपण, समय और दूरी, समय एवं कार्य, स्कूल बीजगणित की मूल बीजगणितीय पहचान एवं प्राथमिक करणी, रैखिक समीकरणों का रेखांकन, त्रिभुज और इसके विभिन्न प्रकार के केंद्र, त्रिभुजों की सर्वांगसमता एवं समरूपता, वृत्त और उसकी जीवाएँ, स्पर्श रेखा, एक वृत्त की जीवा द्वारा उपनिर्मित कोण, दो या दो से अधिक वृत्तों की सामान्य स्पर्श रेखाएँ, त्रिभुज, चतुर्भुज, समबहुभुज, वृत्त, समकोण प्रिज्म, लंब वृत्तीय शंकु, लंब वृत्तीय बेलन, गोला, गोलार्द्ध, आयताकार समांतर षटफलक, त्रिभुज या वर्ग आधार वाले सामान्य समकोण पिरामिड, त्रिकोणमितीय अनुपात, डिग्री एवं रेडियन माप, मानक पहचान, पूरक कोण, ऊँचाई तथा दूरी, हिस्टोग्राम, बारंबारता बहुभुज, बार आरेख और पाई चार्ट आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।
भाग-IV : विषय-विशिष्ट
English
(A)
Reading Comprehension : One/two unseen passage (prose/poem) to assess the candidate's competence in the language; the necessary skills to derive meaning, analyse and information gathered through reading.
Language : Pedagogy of English- Aims and objectives of teaching English at school level, methods and approaches of teaching English language, ICT of/for/in Education.
(B)
Grammar and Usage- This will include questions based on verb patterns, tenses, analysis of sentences, transformation of sentences, voices, narration, articles, determiners, auxiliaries (Primary, Modal) idiomatic expressions, phrasal verbs and parts of speech in detail(Noun, pronoun, verb, adjective, adverb, conjunction, interjection, preposition).
Basic Phonetics- Word formation, vowel and consonant sounds, simple transcription, stress and intonation.
(C)
Literature : Text based questions must be selected from the prescribed syllabus of the Board of School Education Haryana for classes IX to XII, Difficulty level of the questions may be raised to PG Level.
हिंदी
(अ)
हिंदी भाषा एवं साहित्य :हिंदी भाषा का उद्भव और विकास, हिंदी और उसकी बोलियों का सामान्य परिचय, हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की पद्धतियाँ, इतिहास लेखक, काल-विभाजन एवं नामकरण, हिंदी साहित्य का आरंभ एवं विभिन्न कालखंडों का प्रवृत्तिगत इतिहास, मुख्य काव्यधाराएँ, प्रतिनिधि कवि एवं रचनाएँ और विशेषताएँ, हिंदी गद्य का उद्भव और विकास एवं गद्य की विभिन्न विधाएँ।
(ब)
पाठ्यक्रम में संकलित रचनाओं की जानकारी : क्षितिज, कृतिका, आरोह एवं वितान पुस्तकों में संकलित काव्य एवं गद्य रचनाओं पर आधारित प्रश्न; क्षितिज, कृतिका, आरोह एवं वितान पुस्तकों में संकलित कविताओं के काव्य-सौंदर्य (भाव एवं कला पक्ष) पर आधारित प्रश्न; क्षितिज, कृतिका, आरोह एवं वितान पुस्तकों में संकलित गद्य रचनाओं, रचनाकारों, विषय-वस्तु, विचार, संवेदना और भाषा पर आधारित प्रश्न; पाठ्यक्रम में संकलित गद्य विधाओं का परिचय, प्रमुख व्यक्तित्व एवं उनके कौशल के परिचयात्मक ज्ञान पर आधारित प्रश्न, कहानी का नाट्य रुपांतरण; रेडियो, नाटक और हिंदी पत्रकारिता के विविध आयाम पर आधारित प्रश्न; पाठ्यक्रम में आए पर्यायवाची, विलोम, अनेकार्थक एवं वाक्यांश के लिये एक शब्द पर आधारित प्रश्न।
(स)
काव्यशास्त्र एवं व्याकरण : शब्द-शक्तियों के भेद एवं उदाहरण पर आधारित प्रश्न; काव्य हेतु, काव्य-गुण, काव्य-दोष एवं काव्य रीतियाँ; श्लेष, यमक, दीपक, अनुप्रास (भेद सहित), भ्रांतिमान, विरोधाभाष, उत्प्रेक्षा, संदेह एवं मानवीकरण अलंकारों पर आधारित प्रश्न; दोहा, रोला, सोरठा, चौपाई, मालिनी, वसंततिलका, गीतिका, हरिगीतिका, कवित्त, सवैया एवं वंशस्थ छंदों पर आधारित प्रश्न; रस का स्वरूप, रस के अवयव एवं रस-निष्पत्ति पर आधारित प्रश्न; काव्य रीति के स्वरुप एवं विवेचन पर आधारित प्रश्न, वर्ण-विचार एवं वार्तनिक अशुद्धियों की पहचान पर आधारित प्रश्न; संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय पर आधारित प्रश्न; विकारी शब्द- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया पर आधारित प्रश्न; अविकारी शब्द- क्रियाविशेषण, संबंधसूचक, समुच्चयबोधक एवं विस्मयादिबोधक पर आधारित प्रश्न; पद-विचार संबंधी प्रयोग एवं शुद्ध वाक्यों की पहचान पर आधारित प्रश्न, मुहावरे एवं लोकोक्तियों पर आधारित प्रश्न, औपचारिक एवं अनौपचारिक पत्रों पर आधारित प्रश्न।
भूगोल
(A) भारत का भूगोल :
भारत : आकार, अवस्थिति और पड़ोसी देश; भौतिक संरचना और भौगोलिक विभाजन, जलनिकास, जलवायु और मानसून, प्राकृतिक वनस्पति और वन्यजीव, प्राकृतिक आपदाएँ और संकट, जल संसाधन, भूमि संसाधन और कृषि, खनिज और ऊर्जा संसाधन, विनिर्माण उद्योग, जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि, संघटन; मानव आवास- प्रकार, प्रतिरूप और वितरण, परिवहन और संचार, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, भारत में आपदाएँ और संकट, भारतीय संदर्भ में योजनाएँ और सतत विकास, भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित मुद्दे और समस्याएँ, विषय संबंधी शिक्षाशास्त्र।
(B) भौतिक भूगोल :
भूगोल एक विषय के रूप में, इसका विकास और कार्यक्षेत्र, सौरमंडल, पृथ्वी की गतियाँ, पृथ्वी की उत्पत्ति और विकास, महासागर और महाद्वीपों की उत्पत्ति और वितरण, पृथ्वी की आंतरिक संरचना और संघटन, भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ, स्थलरूप और उनका विकास; वायुमंडल की संरचना और संघटन, सौर विकिरण, ताप-संतुलन और तापमान, वायुमंडलीय परिसंचरण और मौसम प्रणाली, वायुमंडल में जल, विश्व की जलवायु और जलवायु परिवर्तन, समुद्री जल और उसकी गति, जैव विविधता और संरक्षण, विषय संबंधी शिक्षाशास्त्र।
(C) मानव भूगोल :
मानव भूगोल : अर्थ, सिद्धांत, प्रकृति और कार्यक्षेत्र; मानव विकास; आर्थिक क्रियाएँ : प्राथमिक, द्वितीयक तृतीयक और चतुर्थक क्रियाएँ; विश्व जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन; परिवहन और संचार, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, विषय संबंधी शिक्षाशास्त्र।
राजनीति विज्ञान
(A)
राजनीतिक सिद्धांत : प्रकृति, विषयक्षेत्र और महत्त्व, राजनीतिक सिद्धांत का पतन एवं पुनरुत्थान, राज्य-तत्त्व और इसकी उत्पत्ति के विभिन्न मूल सिद्धांत, प्रकृति कार्य, संप्रभुता, स्वतंत्रता, समानता, न्याय, अधिकार, नागरिकता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, शांति, विकास की अवधारणा, संविधानवाद, उपभोक्ताओं के अधिकार, नारीवाद ।
सरकार के रूप : लोकतंत्र, तानाशाही, संसदीय और अध्यक्षात्मक (ब्रिटेन, भारत और अमेरिका), एकात्मक, संघीय (ब्रिटेन, भारत और अमेरिका)
लोकतंत्र : अवधारणा, विभिन्न प्रकार, लोकतंत्र में प्रतिनिधित्व के विभिन्न सिद्धांत और पद्धति, लोकतंत्र के लिये प्रसिद्ध संघर्ष एवं विभिन्न आंदोलन, लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ, असमानता, निर्धनता, आर्थिक प्रगति और विकास, निरक्षरता, भाषावाद और क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता और जातिवाद, अलगाववाद, राजनीतिक हिंसा, राष्ट्रीय एकीकरण, लैंगिक मुद्दे, धर्म, हाशियाकरण (उपेक्षित समुदाय)।
(B)
भारतीय संविधान : भारतीय संविधान की निर्माण प्रकिया और संवैधानिक विकास, स्रोत, विशेषताएँ, प्रस्तावना और राजनीतिक दर्शन, नागरिकता, मौलिक अधिकार और मौलिक कर्त्तव्य, राज्य की नीति के निदेशक सिद्धांत, संघीय कार्यपालिका- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद; संघीय विधायिका- सरंचना, कानून निर्माण की प्रक्रिया; समितियाँ, संविधान संशोधन प्रक्रिया, संविधान संसोधन का राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव, राज्य विधायिका ।
भारतीय न्यायपालिका : सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, न्यायिक समीक्षा, न्यायिक गतिविधियाँ- जनहित याचिका, भारत में सूचना का अधिकार, संघवाद तथा संघ और राज्य संबंधो के विषय में इसकी कार्यप्रणाली, नीति आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC), लोक-नीति, आधिकारिक भाषा, पंचायती राज संस्थाओं का विकास और शहरी तथा स्थानीय सरकारों के विषय में 73वाँ तथा 74वाँ संशोधन, निर्वाचन आयोग, चुनाव प्रक्रिया और चुनाव सुधार, दल-बदल की राजनीति, भारत में दल प्रणाली, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल, दबाव समूह तथा हित समूह, गठबंधन सरकार, आरक्षण की राजनीति ।
(C)
अंतर्राष्ट्रीय संबंध और राजनीति : अंतर्राष्ट्रीय संबंध तथा राजनीति के अध्ययन का विकास और विभिन्न आयाम, राष्ट्र शक्ति, राष्ट्रीय हित, शक्ति संतुलन, सामूहिक सुरक्षा, वैश्विक सरकार, नवीन अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था, विश्व व्यापार संगठन (WTO) ।
संयुक्त राष्ट्र संघ(UNO) : संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्भव और विकास, संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग, संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट संस्थाएँ, सुरक्षा परिषद की भूमिकाएँ, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव की भूमिका, संयुक्त राष्ट्र संघ का लोकतंत्रीकरण, संयुक्त राष्ट्र और एक ध्रुवीय विश्व, संयुक्त राष्ट्र और समकालीन विश्व में सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार
भारत की विदेश नीति : मूल सिद्धांत, भारत और पड़ोसी देश (पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन), भारत के अमेरिका और रूस के साथ संबंध, शीत युद्ध और उत्तर शीत युद्ध का दौर, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और उसका महत्त्व, द्वि-ध्रुवीयता का अंत, नवीन विश्व व्यवस्था, यूरोपियन यूनियन, दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क), दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह (आसियान), विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, G-7, G20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स में भारत की भूमिका, भारत की सुरक्षा रणनीति, भारत की परमाणु नीति, निरस्त्रीकरण (निःशस्त्रीकरण), वैश्वीकरण, पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद।
विषय से संबंधित शिक्षाशास्त्र
इतिहास
(A)
प्राचीन भारत : प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत, प्रागैतिहासिक सभ्यताएँ : आखेटक-संग्राहक से लेकर नवपाषाण क्रांति तक। हड़प्पा सभ्यता पुरास्थल एवं प्रमुख विशेषताएँ इत्यादि। धार्मिक प्रवृत्तियाँ : वैदिक, बौद्ध एवं जैन धर्म से संबंधित आधारभूत तथ्य एवं तुलना। महाजनपदकालीन राजनीति एवं अर्थव्यवस्था, मौर्य साम्राज्य प्रशासन एवं नीतियाँ। विदेशी आक्रमण एवं उनका भारतीय संस्कृति में समावेश। उत्तर मौर्यकालीन राज्य एवं भारत में राजनीतिक विकास। दक्षिणी राज्य- चालुक्य, पल्लव एवं चोल। प्राचीन भारत में व्यापार एवं वाणिज्य : व्यापार एवं मुख्य व्यापारिक मार्ग, शहरीकरण। गुप्त एवं वर्द्धन-साम्राज्य : सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन, अर्थव्यवस्था, प्रशासन इत्यादि। विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रसार। कला एवं स्थापत्य- प्राचीन काल से उत्तर गुप्त काल तक।
(B)
मध्यकालीन भारत : मध्यकालीन भारतीय इतिहास (700 ई० से 1750 ई०) के स्रोत। पूर्व मध्यकाल (700 ई० से 1200 ई०) में शासक एवं राजवंश। त्रिपक्षीय संघर्ष : पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट, राजा दाहिर और अनंगपाल तथा सुहलदेव एवं पृथ्वीराज चौहान। दिल्ली सल्तनत एवं मुगल : प्रशासन व नीतियाँ, विजयनगर साम्राज्य, छत्रपति शिवाजी एवं मराठा, मध्यकालीन कला एवं स्थापत्य, भाषा एवं साहित्य इत्यादि। सामाजिक-धार्मिक आंदोलन (भक्ति, सूफी, सिख गुरु परंपरा, नयनार तथा अलवार इत्यादि) व्यापार एवं वाणिज्य, कला एवं स्थापत्य, शहरी केंद्र, मध्यकालीन भारत के दौरान कृषि प्रधान समाज।
(C)
आधुनिक भारत : आधुनिक भारत के स्रोत, अठारहवीं शताब्दी में भारत, यूरोपियन कंपनी और बंगाल व अन्य भारतीय राज्यों में उनका संघर्ष। भू-राजस्व व्यवस्था में परिवर्तन एवं आरंभिक भारतीय प्रतिरोध। 1857 की क्रांति : कारण, घटनाएँ, स्वरूप एवं परिणाम। अठाहरवीं शताब्दी में भारतीय पुनर्जागरण : महिला एवं निम्न जाति-मुक्ति। ब्रिटिश शिक्षा नीति। उपनिवेशीकरण और स्वदेशी वस्त्र उद्योग पर इसका प्रभाव : औद्योगीकरण का उदय। औपनिवेशिक काल के दौरान शहरीकरण एवं स्थापत्य। राष्ट्रवाद का उदय , भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (1885-1974), गांधीजी, नेताजी एवं आज़ाद हिंद फौज की भूमिका। स्वतंत्रता एवं विभाजन, भारतीय संविधान का निर्माण, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में हरियाणा की भूमिका। भारतीय स्वतंत्रता के 50 वर्ष।
(D)
विश्व इतिहास : मानव विकास का इतिहास : होमो-सेपियंस की उत्पत्ति, प्रागैतिहासिक मानव : इतिहास व औज़ार इत्यादि। मेसोपोटामिया, मिश्र, यूनान और रोमन सभ्यताएँ। इस्लाम का उदय : खलीफा, धर्मयुद्ध और कन्फ्यूशियसवाद, यहुदी और पारसी दर्शन। चंगेज खाँ और मंगोल साम्राज्य। मध्यकाल के दौरान यूरोप में सामंतवाद। यूरोप के सामाजिक व राजनीतिक जीवन में चर्च की भूमिका। यूरोपियन पुनर्जागरण : मध्यकालीन यूरोप में शहरी केंद्रों का विकास। माया सभ्यता और इंका सभ्यता। सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान यूरोप में राष्ट्रवाद। इंडो-चीन में राष्ट्रवाद। उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद, जापान और चीन में आधुनिकीकरण : यूरोपीय उपनिवेश से साम्यवादी राज्य तक।
विषय से संबंधित शिक्षाशास्त्र।
अर्थशास्त्र
(A)
अर्थशास्त्र : अर्थ, परिभाषाएँ, क्षेत्र, आर्थिक समस्याएँ, उत्पादन संभावना वक्र(पीपीसी)।
आँकड़ो का संग्रह : आँकड़ों के स्रोत , आँकड़ें संकलन की विधियाँ, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संस्थान (एन. एस. एस. ओ.), भारत की जनगणना
केंद्रीय प्रवृत्ति की माप : समांतर माध्य (साधारण एवं भारित), हरात्मक माध्य, ज्यामितीय माध्य, माध्यिका, बहुलक, दशमक, चतुर्थक, शतमक
परिक्षेपण की माप : परास, चतुर्थक, विचलन, माध्य विचलन, प्रमाप विचलन, सापेक्ष परिक्षेपण की माप
सहसंबंध : प्रकीर्ण आरेख, कार्ल पियर्सन (कार्ल पियर्सन विधि), स्पीयरमैन की कोटि सहसंबंध विधि, समवर्ती विचलन विधि
सूचकांक : अर्थ, सूचकांक के प्रकार, सूचकांक के प्रयोग, उपभोक्ता कीमत सूचकांक, थोक कीमत सूचकांक, ए.आई.सी.पी.आई.एम.- विभिन्न अखिल भारतीय उपभोक्ता कीमत सूचकांक, समय उत्क्रमण परीक्षण (टाईप रिवर्सल टेस्ट) तथा कारक उत्क्रमण परीक्षण (फैक्टर रिवर्सल टेस्ट), आधार वर्ष स्थानांतरण
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था
स्वतंत्रता पूर्व तथा स्वतंत्रता उपरांत भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ।
आर्थिक नियोजन : अर्थ, योजना आयोग, भारतीय आर्थिक नियोजन की विशेषताएँ, पंचवर्षीय योजनाएँ, पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता तथा असफलताएँ, हरित क्रांति, नीति आयोग।
नए आर्थिक सुधार : नई आर्थिक नीति-1991, एल. पी. जी. (उदारवाद, निजीकरण तथा वैश्वीकरण)
(B)
निर्धनता : निर्धनता के प्रकार, भारत में निर्धनता का संख्यात्मक विश्लेषण, निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम (योजनाएँ)
ग्रामीण विकास : ग्रामीण विकास हेतु विभिन्न योजनाएँ तथा कार्यक्रम, कृषि साख, सहकारी बैंक, कृषि विपणन, नाबार्ड।
रोज़गार : अर्थ, बेरोज़गारी के प्रकार, रोज़गार संवर्द्धन योजनाएँ।
अवसंरचना : ऊर्जा, परिवहन तथा संचार, सिंचाई, स्वास्थ्य, वित्तीय संस्थाएँ
धारणीय विकास (सतत् विकास) : अर्थ, धारणीय विकास का माप, विकास में पर्यावरण की भूमिका, पर्यावरण प्रदूषण
सकल घरेलू उत्पाद(जी. डी. पी.) : राष्ट्रीय आय की अवधारणा, मानव विकास सूचकांक, एच. पी. आई. सूचकांक (मानव गरीबी सूचकांक), जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक (PQLI)
व्यष्टि अर्थशास्त्र : परिभाषाएँ, प्रकृति तथा क्षेत्र, सीमितताएँ
आर्थिक समस्याएँ : अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ, उत्पादन संभावना वक्र तथा इसके अनुप्रयोग, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था, मिश्रित अर्थव्यवस्था, समाजवादी अर्थव्यवस्था, अवसर लागत
उपभोक्ता व्यवहार : उपयोगिता विश्लेषण- गणनावाचक तथा क्रमवाचक, कीमत रेखा (बजट रेखा), तटस्थता वक्र तथा इसकी विशेषताएँ, तटस्थता वक्र के अनुप्रयोग, उपभोक्ता संतुलन, प्रतिस्थापन सीमांत दर (MRS)
मांग विश्लेषण : मांग का नियम, सामान्य निम्नकोटि तथा गिफेन वस्तुएँ, निर्धारक तत्त्व, मांग के अपवाद, कीमत प्रभाव, आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव, हिक्ल तथा स्लटस्की के सिद्धांत, प्रकट वरीयता सिद्धांत
मांग की लोच : मांग की लोच की श्रेणियाँ, प्रकार तथा माप, मांग की कीमत लोच तथा मांग की आय लोच का महत्त्व
उत्पादन फलन : मूल अवधारणाएँ, पैमाने के प्रतिफल के नियम, कारक के प्रतिफल के नियम, पैमाने की बचतें एवं हानियाँ, तकनीकी प्रतिस्थापन की सीमांत दर
लागत : लागत के पारंपरिक तथा आधुनिक सिद्धांत, लागत की अवधारणाएँ, अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक लागतें, विभिन्न लागत वक्र के मध्य परस्पर संबंध
(C)
राजस्व : राजस्व की अवधारणाएँ एवं उनके मध्य अंतर्संबंध।
बाज़ार : पूर्व प्रतियोगिता, फर्म तथा उद्योग का संतुलन, पूर्ति वक्र, बाज़ार कीमत तथा सामान्य कीमत, नियंत्रण मूल्य तथा समर्थन मूल्य, खाद्य-उपलब्धता के गिरावट सिद्धांत
एकाधिकार, एकाधिकारी प्रतियोगिता तथा अल्पाधिकार : विशेषताएँ, अल्पाधिकार तथा अधिकार के विभिन्न मॉडल के मध्य तुलना
समष्टि अर्थशास्त्र : प्रकृति, क्षेत्र तथा सीमितताएँ, स्टॉक तथा प्रवाह आय का चक्रीय प्रवाह, वास्तविक तथा मौद्रिक प्रवाह; दो, तीन तथा चार क्षेत्रीय मॉडल रिसाव तथा समावेशन
राष्ट्रीय आय : राष्ट्रीय आय संबंधित समुच्चय, आय विधि, उत्पाद विधि, व्यय विधि, राष्ट्रीय आय लेखांकन, मौद्रिक राष्ट्रीय आय, वास्तविक सकल घरेलु उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद अपस्कायक/अपस्फीतिकारक
मुद्रा : मुद्रा का अर्थ एवं परिभाषाएँ, निकट मुद्रा अवधारणा, मुद्रा के कार्य, मुद्रा पूर्ति के निर्धारित तत्त्व, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा मौद्रिक मुद्रा पूर्ति के नियंत्रण में बैंक की भूमिका, केंद्रीय बैंक के एकल वाणिज्यिक बैंक के कार्य, साख निर्माण
उत्पादन एवं रोज़गार का निर्धारण : समग्र मांग तथा समग्र आपूर्ति विश्लेषण, सीमांत उपभोग प्रवृत्ति, औसत उपभोग प्रवृत्ति, औसत बचत प्रवृत्ति, सीमांत बचत प्रवृत्ति, पूंजी की सीमांत कुशलता, पूर्ति कीमत, अनुमानित आय, रोज़गार का परंपरावादी तथा केंजीमन सिद्धांत, उपभोग परिकल्पनाएँ।
निवेश गुणक : अर्थ, सीमांत उपभोग प्रवृत्ति तथा गुणक, गुणक के आगामी तथा प्रतिगामी क्रियाविधि, स्थैतिक एवं गत्यात्मक गुणक ।
न्यून एवं अधिमांग : मुद्रा सांकेतिक अंतराल, न्यून एवं अधिमांग की समस्या को नियंत्रित करने के उपाय, मौद्रिक नीति की भूमिका, राजकोषीय नीति तथा विदेशी व्यापार नीति ।
सरकारी बजट : बजट का अर्थ, उद्देश्य एवं संरचना, बजट प्राप्तियाँ, कर एवं गैर-कर प्राप्तियाँ, बजट व्यय, बजट घाटा- अर्थ, प्रकार तथा माप, घाटे की वित्तीय व्यवस्था, संतुलित बजट ।
विदेशी विनियम दर : अर्थ, प्रकार, विनियम दर, सिद्धांत, भुगतान संतुलन, संरचना एवं घटक, भुगतान शेष में असंतुलन, प्रतिकूल भुगतान संतुलन को ठीक करने के उपाय, आर्थिक नियोजन में भुगतान संतुलन, व्यापार संतुलन ।
विषय से संबंधित शिक्षाशास्त्र
गणित
(A)
अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति : वास्तविक संख्या प्रणाली और उसका विश्लेषण, समांतर श्रेणी, बहुपद, दो चरों वाले रैखिक समीकरण, द्विघात समीकरण, त्रिकोणमिति का परिचय और ऊँचाई और दूरियाँ खोजने के लिये उसका अनुप्रयोग।
ज्यामिति और क्षेत्रमिति : यूक्लिड की ज्यामिति, रेखाएँ और कोण, त्रिभुजों की सर्वांगसमता और समरूपता, चतुर्भुज, वृत्त, हीरोन का सूत्र, वृत्तों से संबंधित क्षेत्रफल, ठोसों के संयोजन का पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन।
सांख्यिकी और प्रायिकता : दंड आरेख, आयत चित्र, बारंबारता बहुभुज, केंद्रीय प्रवृत्ति के माप : माध्य, माध्यिका, बहुलक और प्रकीर्णन के माप, वर्गीकृत तथा अवर्गीकृत आँकड़ों के लिये सीमा, माध्य विचलन, प्रसरण तथा मानक विचलन, प्रायिकता का सैद्धांतिक (अभिगृहीतीय) दृष्टिकोण, सप्रतिबंध प्रायिकता, प्रायिकता गुणन नियम, स्वतंत्र घटनाएँ, बेज-प्रमेय, संपूर्ण प्रायिकता की प्रमेय
(B)
समुच्चय, संबंध और फलन : समुच्चय और उनका निरूपण, समुच्चय के प्रकार, वेन आरेख, समुच्चयों पर संक्रियाएँ (सम्मिलन, सर्वनिष्ठ, अंतर), समुच्चय का पूरक, क्रमित जोड़े, समुच्चय का कार्तीय गुणन, संबंध और उसके प्रकार, फलन और उसके प्रकार, फलनों की बीजगणित, फलनों के संयोजन, व्युत्क्रमणीय फलन, रेडियन और डिग्री माप, त्रिकोणमितीय फलन और उनके ग्राफ, प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के मुख्य मान और गुण।
बीजगणित : सम्मिश्र संख्याएँ और द्विघात समीकरण, आर्गड तल, रैखिक असमिकाएँ, रैखिक प्रोग्रामन समस्या और उसका गणितीय सूत्रीकरण, क्रमचय और संचय, द्विपद प्रमेय, पास्कल त्रिभुज, अनुक्रम तथा श्रेणी (गुणोत्तर श्रेणी), समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य के बीच संबंध, आव्यूह तथा उसके प्रकार, आव्यूहों पर संक्रियाएँ, आव्यूह का परिवर्त, सममित तथा विषय सममित आव्यूह, व्युत्क्रमणीय आव्यूह; एक, दो व तीन कोटि के आव्यूह का सारणिक, सारणिक द्वारा त्रिभुज का क्षेत्रफल, उपसारणिक और सहखंड, आव्यूह के सहखंडज और व्युत्क्रम, आव्यूहों के व्युत्क्रम द्वारा रैखिक समीकरणों के निकाय का हल।
(C)
कलन (Calculus) : सीमा का सहजानुभूत बोध, बहुपद फलन, परिमेय फलन, त्रिकोणमितीय, घातीय और लघुगणकीय फलनो की सीमाएँ, सांतत्य और अवकलनीयता की परिभाषा, संतत तथा अवकलनीय फलनों का बीजगणित, अवकलनीयता की परिभाषा; बहुपद फलनों, त्रिकोणमितीय फलनों, संयुक्त फलनों, अस्पष्ट फलनों, प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के अवकलज, शृंखला नियम, चरघातांकीय तथा लघुगणकीय फलनों के अवकलज, लघुगणकीय अवकलन फलनों के प्राचलिक रूपों के अवकलज, द्वितीय कोटि अवकलज, राशियों की परिवर्तन की दर, अवकलज के अनुप्रयोग, वर्द्धमान और ह्रासमान फलन, उच्चतम और निम्नतम समाकलन की प्रक्रिया, समाकलन की विभिन्न विधियाँ, कलन की आधारभूत प्रमेय, प्रतिस्थापन द्वारा निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात करना, निश्चित समाकलनों के गुणधर्म, समाकलन के अनुप्रयोग, साधारण वक्रों के अंतर्गत क्षेत्रफल।
सदिश तथा निर्देशांक ज्यामिति : द्वि-विमीय तथा त्रि-विमीय निर्देशांक ज्यामिति, सरल रेखाएँ, शंकु के परिच्छेद (वृत्त, दीर्घ वृत्त, परवलय और अतिपरवलय, एक बिंदु, एक सरल रेखा तथा प्रतिच्छेदी रेखा का एक युग्म, शंकु परिच्छेद के रूप में), त्रि-विमीय अंतरिक्ष में निर्देशांक तथा निर्देशांक तल, दो बिन्दुओं के बीच की दूरी, सदिश की परिभाषा, स्थिति सदिश, दिक् कोसाइन। सदिश के प्रकार, सदिशों का योगफल, एक अदिश से सदिश का गुणन, एक सदिश के घटक, दो बिंदुओं को मिलाने वाला सदिश, विभाजन सूत्र, दो सदिशों का अदिश गुणनफल, रेखा के दिक् कोसाइन तथा दिक् अनुपात, अंतरिक्ष में रेखा का समीकरण, दो रेखाओं के मध्य कोण, दो रेखाओं के मध्य न्यूनतम दूरी।
विषय संबंधी शिक्षाशास्त्र।
नोट : HTET स्तर-3 (PGT) के लिये प्रश्नों का कठिनाई स्तर स्नातकोत्तर स्तर तक का होगा।
विषय : स्तर-3 (PGT) के लिये प्रश्न हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 9वीं से 12वीं के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम के विषयों पर आधारित होंगे।