भारत में एक कॅरियर विकल्प के तौर पर शिक्षण की लोकप्रियता केंद्रीय शिक्षण परीक्षाओं के साथ-साथ राज्य स्तरीय शिक्षण परीक्षाओं में भी समान रूप से है। देश का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान, पात्रता के आधार पर शिक्षण परीक्षाओं में न सिर्फ अपने यहाँ के अभ्यर्थियों को बल्कि अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थियों को भी आकर्षित करता है। इस पृष्ठ पर हम ‘राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा’ (REET) से संबंधित रणनीति और उसके स्वरूप पर चर्चा करेंगे।
Rajasthan Eligibility Examination for Teachers (REET) को Rajasthan Teacher Eligibility Test (RTET) के नाम से भी जाना जाता है। यह पात्रता परीक्षा ‘माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान’ (Board of Secondary Education, Rajasthan- BSER) द्वारा आयोजित की जाती है।
परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)
REET परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होंगे, प्रत्येक में चार विकल्प दिये जाएंगे, जिनमें से केवल एक ही सर्वाधिक उपयुक्त या तर्कसंगत उत्तर होगा। इस परीक्षा में प्रत्येक सही उत्तर के लिये अभ्यर्थी को 1 अंक दिया जाएगा तथा गलत उत्तर के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं होगा।
यह राज्यव्यापी परीक्षा दो स्तरों लेवल-I और लेवल-II श्रेणियों में आयोजित की जाती है। लेवल-I में कक्षा 1 से 5 तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थी और लेवल-II में कक्षा 6 से 8 तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं।
लेवल-I व लेवल-II, प्रत्येक स्तर हेतु निर्धारित समयावधि 2 घंटे 30 मिनट अर्थात् 150 मिनट है।
लेवल-I (प्रश्नपत्र की संरचना एवं विषयवस्तु : सभी खंड अनिवार्य)
क्र.सं.
खंड
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
(i)
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
30
30
(ii)
भाषा-I
30
30
(iii)
भाषा-II
30
30
(iv)
गणित
30
30
(v)
पर्यावरण अध्ययन
30
30
कुल
150
150
प्रश्नों की प्रकृति और स्तर
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र खंड से संबंधित प्रश्न मुख्यतः 6-11 वर्ष के आयु वर्ग के विद्यार्थियों के शिक्षण और अधिगम के शैक्षिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगे। इसमें विद्यार्थियों की विभिन्न आवश्यकताओं, विशेषताओं को पहचानने तथा विद्यार्थियों के साथ प्रभावी अंतर्क्रियात्मक संवाद स्थापित करने के साथ-साथ प्रभावी शिक्षण सुविधा के लिये आवश्यक विशेषताओं एवं गुणों को शामिल करने पर बल दिया जाएगा।
भाषा-I खंड में शिक्षा के माध्यम से जुड़े प्रश्नों पर ज़ोर दिया जाएगा। साथ ही, भाषा-II खंड में संप्रेषण, भाषा और बोध क्षमता के तत्त्वों पर बल दिया जाएगा।
भाषा-II के लिये अभ्यर्थी उपलब्ध भाषा विकल्पों में से भाषा-I से अन्य कोई भाषा चुनकर पुष्टीकरण पृष्ठ पर निर्दिष्ट करेगा। भाषा के लिये उपलब्ध विकल्प- अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत, सिंधी, उर्दू, गुजराती व पंजाबी हैं।
गणित और पर्यावरण अध्ययन से संबंधित प्रश्न विषयों की अवधारणाओं, समस्या-समाधान क्षमताओं के साथ शैक्षणिक अंतर्दृष्टि व अनुप्रयोगों पर केंद्रित होंगे। सभी खंडों में प्रश्नों का वितरण समान होगा और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कक्षा 1 से 5 के पाठ्यक्रम के विभिन्न खंड इसमें सम्मिलित होंगे।
लेवल-I में, बहुविकल्पीय प्रश्नों का मापदंड राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम तथा कठिनाई मानक संभावित रूप से माध्यमिक स्तर तक विस्तारित पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होगा।
प्रश्नों का माध्यम (भाषा विषय को छोड़कर) हिंदी या अंग्रेज़ी होगा।
लेवल-II
(प्रश्नपत्र की संरचना एवं विषयवस्तु)
क्र.सं.
खंड
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
(i)
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (अनिवार्य)
30
30
(ii)
भाषा-I (अनिवार्य)
30
30
(iii)
भाषा-II (अनिवार्य)
30
30
(iv)
गणित एवं विज्ञान (गणित एवं विज्ञान के अध्यापक के लिये)
60
60
अथवा
(v)
सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान के अध्यापक के लिये)
*किसी अन्य अध्यापक के लिये या तो खंड (IV) या (V)
60
60
कुल
150
150
प्रश्नों की प्रकृति और स्तर
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र खंड से संबंधित प्रश्न मुख्यतः 11-14 आयु वर्ग के विद्यार्थियों के शिक्षण और अधिगम के शैक्षिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगे। विभिन्न विद्यार्थियों के गुणों, आवश्यकताओं और मनोविज्ञान को समझने के साथ-साथ विद्यार्थियों के साथ प्रभावी अंतर्क्रियात्मक संवाद पर बल दिया जाएगा। इसके अलावा अधिगम की प्रक्रिया में मूल्यांकन के महत्त्व, जो कि विद्यार्थियों के आवश्यक गुणों और आवश्यकताओं को दर्शाएगा, पर बल दिया जाएगा।
भाषा-I खंड में शिक्षा के चुने हुए माध्यम से संबंधित कौशल पर आधारित प्रश्न होंगे। वहीं दूसरी ओर भाषा-II खंड से संबंधित प्रश्न भाषा तत्त्वों, संप्रेषण और बोध क्षमताओं पर आधारित होंगे।
भाषा-II के लिये अभ्यर्थी उपलब्ध भाषा विकल्पों में से भाषा-I से अन्य कोई भाषा चुनकर पुष्टीकरण पृष्ठ पर निर्दिष्ट करेगा।
चुनने के लिये उपलब्ध भाषाएँ लेवल-I के समान होंगी।
पाठ्यक्रम और रणनीति
राजस्थान में शिक्षक पदों के लिये अभ्यर्थियों का मूल्यांकन करने वाली REET परीक्षा अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी है। REET के पाठ्यक्रम की प्रकृति व्यापक है इसलिये इसमें गहन अभ्यास और रिवीज़न की आवश्कता होती है। इस परीक्षा में सफलता के इच्छुक अभ्यर्थियों को सुविचारित रणनीति की आवश्यकता पड़ती है। यहाँ हम अभ्यर्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के सपने को साकार करने के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण युक्तियाँ/सलाह प्रदान करेंगे जो कि परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन में सहायता करेंगी। चाहे आप यह परीक्षा पहली बार दे रहे हों या आप एक अनुभवी अभ्यर्थी हों, ये युक्तियाँ/सलाह आपकी REET की तैयारी की यात्रा को आगे बढ़ाने में अमूल्य हैं।
लेवल-I को प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक) में अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है। इस स्तर में सफलता प्राप्त करने के लिये अभ्यर्थी को राज्य सरकार द्वारा संस्तुत कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम के संपूर्ण विषयों का अध्ययन करना आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, विभिन्न पब्लिकेशन्स द्वारा इससे संबंधित उपयुक्त सामग्री को भी आप अपने प्रयोग में ले सकते हैं। जैसे- दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित CTET पेपर-I तथा REET लेवल-I पर केंद्रित पुस्तकों की शृंखला।
यहाँ विशेष रूप से यह उल्लेखनीय है कि लेवल-I में पूछे जाने वाले प्रश्न लेवल-II की तुलना में थोड़े कम चुनौतीपूर्ण होते हैं। बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से संबंधित प्रश्न प्राथमिक स्तर के हैं जबकि भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न पाँचवी कक्षा के मानक के अनुरूप हैं।
लेवल-I में शिक्षाशास्त्र खंड छोटे बच्चों को निर्देश देने तथा भाषा सीखने के प्रभावी तरीकों को समझने में मदद करता है।
लेवल-I की सरलता के कारण कुछ अभ्यर्थी इसके लिये आवश्यक तैयारी को महत्त्व नहीं देते, जिससे चूक की संभावना बनी रहती है। इसलिये अभ्यर्थियों को पूरी तरह से तैयार होकर और अटूट आत्मविश्वास के साथ इस परीक्षा में बैठना चाहिये।
REET लेवल-I के प्रत्येक खंड के लिये विस्तृत खंडवार रणनीति इस प्रकार है :
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy)
प्राथमिक कक्षाओं में एक शिक्षक की प्राथमिक ज़िम्मेदारी बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय आने हेतु प्रेरित करना है, जिससे संबंधित प्रश्न अक्सर बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र में पूछे जाते हैं। इस खंड पर प्रभावी पकड़ के लिये अभ्यर्थियों को विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत सिद्धांतों को गहराई से समझना आवश्यक है।
विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा की समझ विकसित करना आवश्यक है तथा विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का नियमित अभ्यास भी महत्त्वपूर्ण है।
इसके अतिरिक्त अभ्यर्थियों को बच्चों के अधिगम की प्रक्रियाओं और विद्यालय के वातावरण में आने वाली संभावित चुनैतियों के विषय में भी ज्ञान होना चाहिये।
इसके लिये केवल विविध पब्लिकेशन्स की उपलब्ध पाठ्यसामग्री का अध्ययन ही आवश्यक नहीं है, बल्कि बच्चों के सामने आने वाले विशिष्ट मुद्दों की समझ के लिये कक्षा के वातावरण में सक्रिय रूप से शामिल होना आवश्यकता है। यह व्यावहारिक अनुभव आपकी परीक्षा की तैयारी में सक्रिय योगदान देता है।
भाषा (Language)
भाषा खंड में कुल 60 प्रश्न होते हैं, जो 60 अंकों का योगदान देते हैं, जिसमें भाषा-I और भाषा-II दोनों खंड शामिल होते हैं। यह खंड परीक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस खंड को आगे दो भागों में विभाजित किया गया है : भाषा बोधगम्यता और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र।
भाषा बोधगम्यता पर आधारित प्रश्नों में मुख्यतः अपठित गद्यांशों से संबंधित तथ्यात्मक और संज्ञानात्मक पक्षों पर बल दिया जाता है, जहाँ प्रश्न व्याकरण और शाब्दिक योग्यता से संबंधित होते हैं। इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को व्याकरण की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिये तथा गद्यांश आधारित प्रश्नों का अधिक-से-अधिक अभ्यास करना चाहिये।
अभ्यर्थियों के लिये भाषा अधिगम में प्राथमिक कक्षा के बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों की समझ का होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त परिवार, समाज और विद्यालय के संदर्भ में भाषा के एकीकरण की समझ भी आवश्यक है।
भाषा से संबंधित ज्ञान भाषा-शिक्षण संबंधी प्रश्नों को आसानी से हल करने में मदद करता है। संक्षेप में, भाषा बोधगम्यता और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र, दोनों के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण REET की परीक्षा में सफलता का एक अचूक अस्त्र है।
गणित (Mathematics)
इस विषय के प्रारंभिक चरण में बच्चों को बुनियादी कौशल, जैसे- लिखना और संख्याएँ गिनना, सिखाया जाता है। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते हैं उन्हें जोड़ना व घटाना जैसी अधिक उन्नत अवधारणाएँ सिखाई जाती हैं। अनेक अभ्यर्थी सामान्यतः परीक्षा में प्रारंभिक स्तर के गणित को अधिक प्रबंधनीय पाते हैं।
गणित में शैक्षणिक दृष्टिकोण का उद्देश्य अवधारणाओं को सरल भाषा में व्यक्त करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थी बाद की कक्षाओं में गणित को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण न समझे, तथा निरंतर सीखने के आनंददायक अनुभव को बढ़ावा मिल सके।
पर्यावरण अध्ययन
पर्यावरण अध्ययन को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें से प्रत्येक को 15 प्रश्न आवंटित किये गए हैं। ये खंड पर्यावरण से संबंधित मूलभूत पहलुओं, जैसे- परिवार और मित्र, भोजन, पानी, यात्रा और आश्रय, को कवर करते हैं।
शिक्षाशास्त्र के संदर्भ में पर्यावरण अध्ययन बच्चों के अपने परिवेश के साथ अधिगम की समझ के एकीकरण पर प्रकाश डालता है। इसलिये अभ्यर्थियों को परीक्षा की तैयारी करते समय इन पहलुओं का ध्यान रखना चाहिये।
नोट : परीक्षा में पूछे जाने वाले बहुविकल्पीय प्रश्नों का मापदंड कक्षा 1 से 5 तक के राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 की पाठ्यपुस्तकों एवं पाठ्यवस्तु के आधार पर होगा, लेकिन कठिनाई का स्तर माध्यमिक (कक्षा 10) तक की पाठ्यपुस्तकों का होगा।
REET लेवल-I के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
बाल विकास : वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, विकास के विभिन्न आयाम एवं सिद्धांत, विकास को प्रभावित करने वाले कारक (विशेष रूप से परिवार एवं विद्यालय के संदर्भ में) एवं अधिगम से उनका संबंध।
वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका।
व्यक्तिगत विभिन्नताएँ : अर्थ, प्रकार एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं को प्रभावित करने वाले कारक।
व्यक्तित्व : संकल्पना, प्रकार व व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक एवं व्यक्तित्व का मापन।
बुद्धि : संकल्पना, सिद्धांत एवं इसका मापन, बहु-बुद्धि सिद्धांत एवं इसके निहितार्थ।
विविध अधिगमकर्त्ताओं की समझ : पिछड़े, विमंदित(डिप्रेस्ड), प्रतिभाशाली, सृजनशील, अलाभान्वित-वंचित, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे एवं अधिगम अक्षमता युक्त बच्चे।
अधिगम में आने वाली कठिनाइयाँ।
समायोजन की संकल्पना एवं तरीके, समायोजन में अध्यापक की भूमिका
अधिगम का अर्थ एवं संकल्पना, अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
अधिगम के सिद्धांत एवं इनके निहितार्थ
बच्चे सीखते कैसे हैं; अधिगम की प्रक्रियाएँ; चिंतन, कल्पना एवं तर्क।
अभिप्रेरणा व इसके अधिगम के लिये निहितार्थ।
शिक्षण अधिगम की प्रक्रियाएँ, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा- 2005 के संदर्भ में शिक्षण अधिगम की व्यूह रचना एवं विधियाँ।
आकलन, मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ व उद्देश्य, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, अधिगम के प्रतिफल।
क्रियात्मक अनुसंधान
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (अध्यापकों की भूमिका एवं दायित्व)
खंड II : (भाषा I) हिंदी
एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित व्याकरण संबंधी प्रश्न :
पर्यायवाची, विलोम, वाक्याशों के लिये एक शब्द, शब्दार्थ, शब्द शुद्धि।
एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रश्न :
रेखांकित शब्दों का अर्थ स्पष्ट करना, वचन, काल, लिंग ज्ञात करना
दिये गए शब्दों का वचन, काल और लिंग बदलना।
वाक्य रचना, वाक्य के अंग, वाक्य के प्रकार, पदबंध।
मुहावरे और लोकोक्तियाँ, विराम चिह्न।
भाषा की शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषा दक्षता का विकास।
भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), हिंदी भाषा शिक्षण में चुनौतियाँ, शिक्षण-अधिगम सामग्री, पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।
English
Unseen Prose Passage
Synonyms, Antonyms, Spellings, Word-formation, One Word Substitution
Unseen Poem Passage
Parts of Speech, Tenses, Determiners, Degrees of comparison
Framing Questions Including Wh-questions, Active and Passive Voice, Narration, Knowledge of English Sounds and Phonetic Symbols
Principles of Teaching English, Methods and Approaches to English Language Teaching
Development of Language Skills, Teaching Learning Materials: (Text books, Multi-media materials and other Resources)
Comprehensive & Continuous Evaluation, Evaluation in English Language
भाषा शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषायी दक्षता का विकास।
भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), शिक्षण-अधिगम सामग्री- पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।
English
Unseen Prose Passage
Linking Devices, Subject-Verb Concord, Inferences
Unseen Poem passage
Identification of Alliteration, Simile, Metaphor, Personification, Assonance, Rhyme
Modal Auxiliaries, Common Idioms and Phrases Literary Terms
Elegy, Sonnet, Short Story, Drama
Basic knowledge of English Sounds and symbols
Principles of Teaching English, Communicative Approach to English Language Teaching, Challenges of Teaching English: Difficulties in learning English (role of home language and multilingualism)
एक करोड़ तक की पूर्ण संख्याएँ, स्थानीय मान, तुलना, गणितीय मूल संक्रियाएँ : जोड़, घटाना, गुणा, भाग; भारतीय मुद्रा।
भिन्न की अवधारणा, उचित भिन्नें, समान हर वाली उचित भिन्नों की तुलना, मिश्र भिन्नें, असमान हर वाली उचित भिन्नों की तुलना, भिन्नों का जोड़ व घटाना, अभाज्य एवं संयुक्त संख्याएँ, अभाज्य गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्तक, महत्तम समापवर्तक।
ऐकिक नियम, औसत, लाभ-हानि, सरल ब्याज।
समतल व वक्रतल, समतल व ठोस ज्यामितीय आकृतियाँ, समतल ज्यामितीय आकृतियों की विशेषताएँ, बिंदु, रेखा, किरण, रेखाखंड, कोण एवं उनके प्रकार।
लंबाई, भार, धारिता, समय, क्षेत्रमापन एवं इनकी मानक इकाइयाँ एवं उनमें संबंध, वर्गाकार तथा आयताकार वस्तुओं के पृष्ठ-तल का क्षेत्रफल एवं परिमाप।
गणित की प्रकृति एवं तर्कशक्ति, पाठ्यक्रम में गणित की महत्ता, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, आँकड़ों का प्रबंधन।
औपचारिक एवं अनौपचारिक विधियों द्वारा मूल्यांकन, शिक्षण की समस्याएँ, त्रुटि विश्लेषण तथा शिक्षण एवं अधिगम से संबंधित विभिन्न पहलू, निदानात्मक एवं उपराचारात्मक शिक्षण।
खंड V : पर्यावरण अध्ययन
परिवार : आपसी संबंध, एकल एवं संयुक्त परिवार, सामाजिक बुराइयाँ (बाल विवाह, दहेज़ प्रथा, बालश्रम, चोरी), दुर्व्यसन (नशाखोरी, धूम्रपान) और इनके व्यक्तिगत, सामाजिक एवं आर्थिक दुष्परिणाम।
वस्त्र एवं आवास : विभिन्न ऋतुओं में पहने जाने वाले वस्त्र, घर पर वस्त्रों का रख-रखाव, हस्तकरघा तथा पावरलूम, जीव-जंतुओं के आवास, विभिन्न प्रकार के मानव-आवास, आवास और निकटवर्ती स्थानों की स्वच्छता, आवास निर्माण हेतु विभिन्न प्रकार की सामग्री।
व्यवसाय : अपने परिवेश के व्यवसाय (कपड़े सिलना, बागवानी, कृषि-कार्य, पशुपालन, सब्जीवाला आदि), लघु एवं कुटीर उद्योग, राजस्थान राज्य के प्रमुख उद्योग एवं हस्तकलाएँ, उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता, सहकारी समितियाँ।
हमारी सभ्यता व संस्कृति : राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय पर्व, राजस्थान के मेले एवं त्योहार, राजस्थान की वेशभूषा एवं आभूषण, राजस्थान का खान-पान, राजस्थान की वास्तुकला, राजस्थान के पर्यटन स्थल, राजस्थान की प्रमुख विभूतियाँ एवं गौरव, राजस्थान की विरासत (प्रमुख दुर्ग, महल, स्मारक), राजस्थान की चित्रकला, राजस्थान के लोकदेवता।
परिवहन और संचार : यातायात और संचार के साधन, सड़क पर चलने और यातायात के नियम, यातायात के संकेत, संचार साधनों का जीवन-शैली पर प्रभाव।
अपने शरीर की देख-भाल : शरीर के बाह्य अंग और उनकी साफ-सफाई, शरीर के आंतरिक भागों की सामान्य जानकारी, संतुलित भोजन की जानकारी और इसका महत्त्व, सामान्य रोग (आंत्रशोथ, अमीबायोसिस, मेटहीमोग्लोबिन, एनिमिया, फ्लुओरोसिस, मलेरिया, डेंगू) के कारण और बचाव के उपाय, पल्स पोलियो अभियान।
सजीव जगत : पादपों और जंतुओं के संगठन के स्तर, सजीवों में विविधता, राज्य पुष्प, राज्य वृक्ष, राज्य पक्षी, राज्य पशु, संरक्षित वन क्षेत्र एवं वन्यजीव (राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, बाघ संरक्षित क्षेत्र, विश्व धरोहर) की जानकारी, पादपों तथा जंतुओं की जातियों का संरक्षण, कृषि पद्धतियाँ।
जल : जल, वन, आर्द्रभूमि(नमभूमि) और मरुस्थल की मूलभूत जानकारी, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण एवं इनका नियंत्रण, जल के गुण, जल के स्त्रोत, जल-प्रबंधन, राजस्थान में कलात्मक जल स्रोत, पेयजल व सिंचाई स्रोत।
हमारी पृथ्वी व अंतरिक्ष- सौर परिवार, भारत के अंतरिक्ष यात्री।
पर्वतारोहण- पर्वतारोहण में कठिनाइयाँ एवं काम आने वाले औज़ार, भारत की प्रमुख महिला पर्वतारोही।
पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र एवं संकल्पना-
पर्यावरण अध्ययन का महत्त्व, समाकलित पर्यावरण अध्ययन, पर्यावरण शिक्षा के अधिगम सिद्धांत, पर्यावरण अध्ययन का विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान विषयों के साथ अंतर्संबंध तथा क्षेत्र।
पर्यावरणीय शिक्षाशास्त्र- संकल्पना प्रस्तुतीकरण के उपागम, क्रियाकलाप, प्रयोग/प्रायोगिक कार्य, चर्चा, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, शिक्षण सामग्री/सहायक सामग्री, शिक्षण की समस्याएँ, सूचना एवं संचार प्रोद्यौगिकी।
लेवल-II (कक्षा 6 से 8) : सामाजिक अध्ययन (Social Studies)
लेवल-II को कक्षा 6 से 8 तक अध्यापन करने के इच्छुक अभ्यर्थियों हेतु तैयार किया गया है। यह खंड केवल उन अभ्यर्थियों की रणनीति से संबंधित है जिन्होंने लेवल-II में ‘सामाजिक विज्ञान’ का विकल्प चुना है।
इस परीक्षा की पर्याप्त तैयारी के लिये राजस्थान बोर्ड की कक्षा 6 से 8 तक की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थी इस परीक्षा विशेष से संबंधित विभिन्न पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की मदद ले सकता है। जैसे- दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन) तथा REET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन) पर केन्द्रित पुस्तकों की शृंखला।
लेवल-II के प्रश्न लेवल-I की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण होते हैं, विशेष रूप से बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र में, जहाँ प्रश्नों की कठिनाई का स्तर अधिक होता है। लेवल-II का मुख्य लक्ष्य बच्चों का समुचित विकास सुनिश्चित करना और उन्हें भविष्य के लिये तैयार करना है।
भाषा और सामाजिक विज्ञान से संबंधित प्रश्न कक्षा 6 से 8 तक की पाठ्यसामग्री को कवर करते हैं। सामाजिक विज्ञान विशेष रूप से इतिहास, राजव्यवस्था, भूगोल और पर्यावरण पर गहन जानकरी प्रदान करता है। अभ्यर्थियों को अपनी तैयारी के दौरान तथ्यों और अवधारणाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम में उल्लिखित राजस्थान से संबंधित बिंदुओं पर पर्याप्त जानकारी होना भी आवश्यक है। सामाजिक विज्ञान में शैक्षणिक मुद्दों और पाठ्यसामग्री के बारे में व्यावहारिक ज्ञान होना भी महत्त्वपूर्ण है। इसमें दक्षता प्राप्त करने के लिये अभ्यर्थियों को अधिक से अधिक बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) को हल करना चाहिये।
भाषा शिक्षण बच्चों के लिये आसान भाषा अधिग्रहण की सुविधा पर बल देता है। इसमें भाषा कौशल को परिष्कृत करने की रणनीतियाँ भी शामिल हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि अभ्यर्थी शैक्षणिक पाठ्यक्रम और शिक्षण के शैक्षणिक पहलुओं, दोनों को गहनता से समझते हुए लेवल-II के लिये तैयार हैं।
REET लेवल-II के प्रत्येक खंड के लिये विस्तृत खंडवार रणनीति इस प्रकार है :
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy)
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के लेवल-II का पाठ्यक्रम लेवल-I के समान ही है किंतु इसमें प्रश्नों की कठिनाई का स्तर ऊँचा होता है। जैसे-जैसे कोई शैक्षिक स्तर पर आगे बढ़ता जाता है, परीक्षा में प्रश्नों की जटिलता आनुपातिक रूप से बढ़ती जाती है।
यह खंड बच्चों के विकास में अधिगम के महत्त्व पर विशेष बल देता है। इसमें बच्चे के विकास में आनुवंशिकता और पर्यावरण के प्रभाव का गहराई से अध्ययन किया जाता है। साथ ही, समावेशी कक्षाओं और कक्षा में व्यक्तिगत विभिन्नताओं जैसे विषयों पर अध्ययन की आवश्यकता होती है।
पाठ्यक्रम/पाठ्यचर्या कमज़ोर और वंचित बच्चों की आवश्यकताओं को संबोधित करता है तथा उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये कक्षाओं को तैयार करता है। REET परीक्षा में इस खंड की तैयारी में बी.एड. या डी.एल.एड. के दौरान प्राप्त शिक्षण-प्रशिक्षण से काफी लाभ मिलता है, जो पूर्व शैक्षिक प्रशिक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये उपर्युक्त बिंदुओं से संबंधित प्रश्नों के लिये भली-भाँति तैयार होकर परीक्षा में शामिल हों।
भाषा (Language)
भाषा खंड में कुल 60 प्रश्न होते हैं, जो 60 अंकों का योगदान देते हैं, जिसमें भाषा-I और भाषा-II दोनों खंड शामिल होते हैं। यह खंड परीक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस खंड को दो भागों में विभाजित किया गया है : भाषा बोधगम्यता और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र।
भाषा बोधगम्यता में मुख्य रूप से अपठित गद्यांश आधारित प्रश्न, व्याकरण और शाब्दिक योग्यता से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसकी विस्तृत समझ विकसित करने के लिये अभ्यर्थी को व्याकरण की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिये और अधिक-से-अधिक प्रश्नों का अभ्यास करना चाहिये।
शिक्षाशास्त्र का पाठ्यक्रम दोनों स्तरों पर लगभग समान रहता है। हालाँकि, अधिगम का स्तर प्राथमिक चरण की तुलना में कुछ अधिक उन्नत होता है जिससे परीक्षा के प्रश्नों में कठिनाई का स्तर अधिक होता है।
इस प्रकार अभ्यर्थियों को इस खंड की तैयारी पर विशेष ध्यान देना चाहिये ताकि परीक्षा में उत्कृष्ट और सफल प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।
सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान (Social Studies/Social Science)
सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान कक्षा 6 से 8 के लिये REET पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है। यह खंड राजस्थान बोर्ड की कक्षा 6 से 8 तक की पाठ्यपुस्तकों पर आधारित है जिसमें इतिहास, भूगोल तथा सामाजिक व राजनीतिक जीवन जैसे विषयों को शामिल किया गया है।
अभ्यर्थियों को प्रभावी तैयारी के लिये सलाह दी जाती है कि वे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को पढ़ने के साथ पिछले वर्षों के प्रश्नों का अभ्यास भी करें। व्यापक तैयारी के लिये संपूर्ण पाठ्यक्रम की अध्यायवार अवधारणाओं को समझना और उनसे संबंधित प्रश्नों को हल करना आवश्यक है।
शिक्षाशास्त्र पाठ्यक्रम में सामाजिक अध्ययन केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है बल्कि इसे विद्यार्थियों के जीवन से संबंधित व्यावहारिक अनुप्रयोगों के माध्यम से सिखाया जाता है। यह दृष्टिकोण विद्यार्थियों में सामाजिक अध्ययन को उनके दैनिक जीवन और भविष्य में कॅरियर को एकीकृत करने में सक्षम बनाता है।
अभ्यर्थियों को परीक्षा से पूर्व यह सलाह दी जाती है कि वे वास्तविक जीवन की समस्याओं और उनसे जुड़े प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें, जिससे विषयवस्तु के साथ आपका परिचय हो और परीक्षा में आपको प्रश्न चुनौतीपूर्ण न लगें।
नोट : परीक्षा में पूछे जाने वाले बहुविकल्पीय प्रश्नों का मापदंड कक्षा 6 से 8 तक के राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 की पाठ्यपुस्तकों एवं पाठ्यवस्तु के आधार पर होगा, लेकिन कठिनाई का स्तर उच्चतर माध्यमिक (कक्षा 12) तक की पाठ्यपुस्तकों का होगा।
REET लेवल-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
बाल विकास : वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, विकास के विभिन्न आयाम एवं सिद्धांत, विकास को प्रभावित करने वाले कारक (विशेष रूप से परिवार एवं विद्यालय के संदर्भ में) तथा अधिगम से उनका संबंध।
वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका
व्यक्तिगत विभिन्नताएँ : अर्थ, प्रकार एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं को प्रभावित करने वाले कारक।
व्यक्तित्व : संकल्पना, प्रकार व व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक तथा व्यक्तित्व का मापन।
बुद्धि : संकल्पना, सिद्धांत एवं इसका मापन, बहु-बुद्धि सिद्धांत एवं इसके निहितार्थ।
विविध अधिगमकर्त्ताओं की समझ : पिछड़े, विमंदित (डिप्रेस्ड), प्रतिभाशाली, सृजनशील, अलाभान्वित- वंचित, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे एवं अधिगम अक्षमता युक्त बच्चे।
अधिगम में आने वाली कठिनाइयाँ।
समायोजन की संकल्पना एवं तरीके, समायोजन में अध्यापक की भूमिका
अधिगम का अर्थ एवं संकल्पना और अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक।
अधिगम के सिद्धांत (व्यवहारवाद, गैस्टाल्टवाद, संज्ञानवाद, निर्मितिवाद) एवं इनके निहितार्थ।
बच्चे सीखते कैसे हैं, अधिगम की प्रक्रियाएँ; चिंतन, कल्पना एवं तर्क (निर्मितिवादी उपागम, आनुभविक अधिगम, संकल्पना-मानचित्रण, अन्वेषण एवं समस्या समाधान)
अभिप्रेरणा एवं इसके अधिगम के लिये निहितार्थ।
शिक्षण-अधिगम की प्रक्रियाएँ, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा- 2005 के संदर्भ में शिक्षण अधिगम की व्यूह रचना एवं विधियाँ।
आकलन, मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ तथा उद्देश्य, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण तथा अधिगम के प्रतिफल।
क्रियात्मक अनुसंधान
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (अध्यापकों की भूमिका एवं दायित्व)
खंड II : (भाषा-I) हिंदी
एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित व्याकरण संबंधी प्रश्न :
संधि और समास, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, विशेष्य, अव्यय, वाक्यांश के लिये एक शब्द, शब्द शुद्धि।
एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रश्न :
रेखांकित शब्दों का अर्थ स्पष्ट करना, वचन, काल, लिंग ज्ञात करना।
दिये गए शब्दों का वचन, काल और लिंग बदलना, राजस्थानी शब्दों के हिंदी रूप।
वाक्य रचना, वाक्य के अंग, वाक्य के प्रकार, पदबंध, मुहावरे और लोकोक्तियाँ, विराम चिह्न।
भाषा की शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषा दक्षता का विकास।
भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), हिंदी भाषा शिक्षण में चुनौतियाँ, शिक्षण-अधिगम सामग्री, पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।
English
Unseen Prose Passage
Synonyms, Antonyms, Spellings, Word-formation, One Word Substitution
Unseen Poem Passage
Parts of Speech, Tenses, Determiners, Degrees of comparison
Framing Questions Including Wh-questions, Active and Passive Voice, Narration Knowledge of English Sounds and Phonetic Symbols
Principles of Teaching English, Methods and Approaches to English Language Teaching
Development of Language Skills, Teaching Learning Materials: ( Text books, Multi-media Materials and other Resources)
Continuous and Comprehensive Evaluation, Assessment and Evaluation in Language
Modal Auxiliaries, Common Idioms and Phrases, Literary Terms : Elegy, Sonnet, Short Story, Drama
Basic knowledge of English sounds and their Phonetic Symbols
Principles of Teaching English, Communicative Approach to English Language Teaching, Challenges of Teaching English: Difficulties in learning English (role of home language and multilingualism)
भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं समाज : सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक संस्कृति, जैन व बौद्ध धर्म, महाजनपद काल।
मौर्य तथा गुप्त साम्राज्य एवं गुप्तोत्तर काल : राजनीतिक इतिहास और प्रशासन, भारतीय संस्कृति के प्रति योगदान, भारत 600-1000 ईस्वी, वृहद्तर भारत।
मध्यकाल एवं आधुनिक काल : भक्ति और सूफी आंदोलन, मुगल राजपूत संबंध; मुगल प्रशासन, भारतीय राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति, 1857 का विद्रोह, भारतीय अर्थव्यवस्था पर ब्रिटिश प्रभाव, पुनर्जागरण एवं सामाजिक सुधार, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (1885-1947)
भारतीय संविधान एवं लोकतंत्र : भारतीय संविधान का निर्माण व विशेषताएँ, उद्देशिका, मूल अधिकार एवं मूल कर्त्तव्य, सामाजिक न्याय, बाल अधिकार व बाल संरक्षण, लोकतंत्र में निर्वाचन व मतदाता जागरूकता।
सरकार गठन एवं कार्य : संसद; राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद्, उच्चतम न्यायालय, राज्य सरकार, पंचायती राज एवं नगरीय स्वशासन (राजस्थान के विशेष संदर्भ में), जिला प्रशासन व न्याय व्यवस्था।
पृथ्वी एवं हमारा पर्यावरण : सौरमंडल, अक्षांश, देशांतर, पृथ्वी की गतियाँ, वायुदाब एवं पवनें, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात, महासागरीय परिसंचरण, ज्वालामुखी, भूकंप, पर्यावरणीय समस्याएँ एवं समाधान।
भारत का भूगोल एवं संसाधन : भू-आकृति प्रदेश, जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, वन्यजीव, बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ, मृदा, कृषि फसलें, उद्योग, खनिज, परिवहन, जनसंख्या, मानव संसाधन, विकास के आर्थिक एवं सामाजिक कार्यक्रम।
राजस्थान का भूगोल एवं संसाधन : भौतिक प्रदेश, जलवायु एवं अपवाह प्रणाली, झीलें, मृदा, जल-संरक्षण एवं संग्रहण, कृषि फसलें, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, राजस्थान की प्रमुख नहरें एवं नदी घाटी परियोजनाएँ, परिवहन, उद्योग एवं जनसंख्या, पर्यटन स्थल, वन एवं वन्यजीव।
राजस्थान का इतिहास : प्राचीन सभ्यताएँ एवं जनपद, राजस्थान के प्रमुख राजवंशों का इतिहास, 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान, राजस्थान में प्रजामंडल, जनजातीय व किसान आंदोलन, राजस्थान का एकीकरण, राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व।
राजस्थान की कला व संस्कृति : राजस्थान की विरासत (दुर्ग, महल, स्मारक) राजस्थान के मेले, त्योहार एवं लोक कलाएँ, राजस्थान की चित्रकला, राजस्थान के लोकनृत्य एवं लोकनाट्य, लोक देवता, लोक संत, लोक संगीत एवं संगीत वाद्ययंत्र, राजस्थान की हस्तकला एवं स्थापत्य कला, राजस्थान की वेशभूषा एवं आभूषण, राजस्थान की भाषा एवं साहित्य।
शिक्षाशास्त्रीय मुद्दे-I : सामाजिक विज्ञान/सामाजिक अध्ययन की संकल्पना एवं प्रकृति; कक्षा-कक्ष की प्रक्रियाएँ, क्रियाकलाप एवं विमर्श; सामाजिक विज्ञान/सामाजिक अध्ययन के अध्यापन की समस्याएँ; समालोचनात्मक चिंतन का विकास।
शिक्षाशास्त्रीय मुद्दे II : पृच्छा/आनुभाविक साक्ष्य, शिक्षण अधिगम सामग्री एवं सहायक सामग्री, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, परियोजना कार्य, अधिगम के प्रतिफल, मूल्यांकन।
लेवल-II (कक्षा 6 से 8) : गणित एवं विज्ञान (Mathematics and Science)
लेवल-II को कक्षा 6 से 8 तक अध्यापन करवाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है। लेवल-II में अभ्यर्थी ‘सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान’ या ‘गणित एवं विज्ञान’ में से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं। यह खंड केवल उन अभ्यर्थियों की रणनीति से संबंधित है जिन्होंने लेवल-II में ‘गणित एवं विज्ञान’ का विकल्प चुना है।
इस परीक्षा की पर्याप्त तैयारी के लिये राजस्थान बोर्ड की कक्षा 6 से 8 तक की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थी इस परीक्षा विशेष से संबंधित विभिन्न पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की मदद ले सकता है। जैसे- दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित CTET पेपर-II (गणित एवं विज्ञान) तथा REET पेपर-II (गणित एवं विज्ञान) पर केंद्रित पुस्तकों की एक शृंखला।
लेवल-II के प्रश्न लेवल-I की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण होते हैं, विशेष रूप से बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र में, जहाँ प्रश्नों की कठिनाई का स्तर अधिक होता है। लेवल-II का मुख्य लक्ष्य बच्चों के समुचित विकास को सुनिश्चित करने और उन्हें भविष्य के लिये तैयार करना है।
भाषा और गणित एवं विज्ञान से संबंधित प्रश्न कक्षा 6 से 8 तक की पाठ्यसामग्री को कवर करते हैं। गणित एवं विज्ञान विशेष रूप से अंकगणित, बीजगणित, आधारभूत जीव विज्ञान और आधारभूत रसायन विज्ञान की गहन जानकारी की मांग करता है। अभ्यर्थियों को अपनी तैयारी के दौरान तथ्यों और अवधारणाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
भाषा शिक्षण बच्चों के लिये आसान भाषा अधिग्रहण की सुविधा पर बल देता है। इसमें भाषा कौशल को परिष्कृत करने की रणनीतियाँ भी शामिल हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि अभ्यर्थी शैक्षणिक पाठ्यक्रम और शिक्षण के शैक्षणिक पहलुओं, दोनों को गहनता से समझते हुए लेवल-II के लिये तैयार हैं।
REET लेवल-I के प्रत्येक खंड के लिये विस्तृत खंडवार रणनीति इस प्रकार है :
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy)
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के लेवल-II का पाठ्यक्रम लेवल-I के समान ही है किंतु इसमें प्रश्नों की कठिनाई का स्तर ऊँचा होता है। जैसे-जैसे शैक्षिक स्तर आगे बढ़ता जाता है, परीक्षा में प्रश्नों की जटिलता आनुपातिक रूप से बढ़ती जाती है।
यह खंड बच्चों के विकास में अधिगम के महत्त्व पर विशेष बल देता है। इसमें बच्चे के विकास में आनुवंशिकता और पर्यावरण के प्रभाव का गहराई से अध्ययन किया जाता है। साथ ही, समावेशी कक्षाओं और कक्षा में व्यक्तिगत विभिन्नताओं जैसे विषयों पर व्यापक अध्ययन की आवश्यकता होती है।
पाठ्यक्रम/पाठ्यचर्या कमज़ोर और वंचित बच्चों की आवश्यकताओं को संबोधित करता है तथा उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये कक्षाओं को तैयार करता है। REET परीक्षा में इस खंड की तैयारी में बी.एड. या डी.एल.एड. के दौरान प्राप्त शिक्षण-प्रशिक्षण से काफी लाभ मिलता है, जो पूर्व शैक्षिक प्रशिक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये उपर्युक्त बिंदुओं से संबंधित प्रश्नों के लिये भली-भाँति तैयार होकर परीक्षा में शामिल हों।
भाषा (Language)
भाषा खंड में कुल 60 प्रश्न होते हैं, जो 60 अंकों का योगदान देते हैं, जिसमें भाषा-I और भाषा-II दोनों खंड शामिल होते हैं। यह खंड परीक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस खंड को दो भागों में विभाजित किया गया है : भाषा बोधगम्यता और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र।
भाषा बोधगम्यता में मुख्य रूप से अपठित गद्यांश आधारित प्रश्न, व्याकरण और शाब्दिक योग्यता से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे संबंधित कौशल विस्तार के लिये अभ्यर्थी को व्याकरण की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिये और अधिक-से-अधिक प्रश्नों का अभ्यास करना चाहिये।
शिक्षाशास्त्र का पाठ्यक्रम दोनों स्तरों पर लगभग समान रहता है। हालाँकि, अधिगम का स्तर प्राथमिक चरण की तुलना में कुछ अधिक उन्नत होता है जिससे परीक्षा के प्रश्नों में कठिनाई का स्तर अधिक होता है।
इस प्रकार अभ्यर्थियों को इस खंड की तैयारी पर विशेष ध्यान देना चाहिये ताकि परीक्षा में उत्कृष्ट और सफल प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।
गणित एवं विज्ञान (Mathematics and Science)
REET परीक्षा में अभ्यर्थी ‘सामाजिक अध्ययन’ या ‘गणित एवं विज्ञान’ में से किसी एक विषय को चुन सकता है। इसमें कुल 60 अंकों के 60 प्रश्न होते हैं। इस खंड में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये राजस्थान बोर्ड की कक्षा 6 से 8 तक की पाठ्यपुस्तकों का गहन अध्ययन आवश्यक है।
गणित खंड में संख्या प्रणाली, बीजगणित और ज्यामिति से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रभावी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को गणितीय सूत्रों को याद रखना चाहिये और इनसे संबंधित प्रश्नों का व्यापक अभ्यास करना चाहिये ताकि तैयारी को प्रभावी बनाया जा सके।
विज्ञान खंड में प्रायोगिक और तथ्यात्मक दोनों प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसकी तैयारी के लिये राजस्थान बोर्ड की कक्षा 6 से 8 तक की विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों का गहन अध्ययन किया जाना चाहिये।
विज्ञान के प्रश्न मुख्यतः दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों, जैसे- भोजन, स्वच्छता, चुंबक, बिजली आदि पर आधारित होते हैं। इसलिये अभ्यर्थियों को इस खंड में अपनी तैयारी को समग्र रूप देने के लिये न केवल पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करना चाहिये बल्कि अपने दैनिक वातावरण के प्रति भी सतर्क रहना चाहिये।
नोट : परीक्षा में पूछे जाने वाले बहुविकल्पीय प्रश्नों का मापदंड कक्षा 6 से 8 तक के राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 की पाठ्यपुस्तकों एवं पाठ्यवस्तु के आधार पर होगा, लेकिन कठिनाई का स्तर उच्चतर माध्यमिक (कक्षा 12) तक की पाठ्यपुस्तकों का होगा।
REET लेवल-II (गणित एवं विज्ञान) के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
बाल विकास : वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, विकास के विभिन्न आयाम एवं सिद्धांत, विकास को प्रभावित करने वाले कारक (विशेष रूप से परिवार एवं विद्यालय के संदर्भ में) तथा अधिगम से उनका संबंध।
वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका
व्यक्तिगत विभिन्नताएँ : अर्थ, प्रकार एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं को प्रभावित करने वाले कारक।
व्यक्तित्व : संकल्पना, प्रकार व व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक तथा व्यक्तित्व का मापन।
बुद्धि : संकल्पना, सिद्धांत एवं इसका मापन, बहु-बुद्धि सिद्धांत एवं इसके निहितार्थ।
विविध अधिगमकर्त्ताओं की समझ : पिछड़े, विमंदित(डिप्रेस्ड), प्रतिभाशाली, सृजनशील, अलाभान्वित- वंचित, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे एवं अधिगम अक्षमता युक्त बच्चे।
अधिगम में आने वाली कठिनाइयाँ।
समायोजन की संकल्पना एवं तरीके, समायोजन में अध्यापक की भूमिका
अधिगम का अर्थ एवं संकल्पना और अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक।
अधिगम के सिद्धांत (व्यवहारवाद, गैस्टाल्टवाद, संज्ञानवाद, निर्मितिवाद) एवं इनके निहितार्थ।
बच्चे सीखते कैसे हैं, अधिगम की प्रक्रियाएँ; चिंतन, कल्पना एवं तर्क (निर्मितिवादी उपागम, आनुभविक अधिगम, संकल्पना-मानचित्रण, अन्वेषण एवं समस्या समाधान)
अभिप्रेरणा एवं इसके अधिगम के लिये निहितार्थ।
शिक्षण-अधिगम की प्रक्रियाएँ, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा- 2005 के संदर्भ में शिक्षण अधिगम की व्यूह रचना एवं विधियाँ। आकलन, मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ एवं उद्देश्य, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण तथा अधिगम के प्रतिफल।
क्रियात्मक अनुसंधान
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (अध्यापकों की भूमिका एवं दायित्व)
खंड II : (भाषा-I) हिंदी
एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित व्याकरण संबंधी प्रश्न :
संधि और समास, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, विशेष्य, अव्यय, वाक्यांश के लिये एक शब्द, शब्द शुद्धि।
एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रश्न :
रेखांकित शब्दों का अर्थ स्पष्ट करना, वचन, काल, लिंग ज्ञात करना।
दिये गए शब्दों का वचन, काल और लिंग बदलना, राजस्थानी शब्दों के हिंदी रूप।
वाक्य रचना, वाक्य के अंग, वाक्य के प्रकार, पदबंध, मुहावरे और लोकोक्तियाँ, विराम चिह्न।
भाषा की शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषा दक्षता का विकास।
भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), हिंदी भाषा शिक्षण में चुनौतियाँ, शिक्षण-अधिगम सामग्री, पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।
English
Unseen Prose Passage
Synonyms, Antonyms, Spellings, Word-formation, One Word Substitution
Unseen Poem Passage
Parts of Speech, Tenses, Determiners, Degrees of comparison
Framing Questions Including Wh-questions, Active and Passive Voice, Narration Knowledge of English Sounds and Phonetic Symbols
Principles of Teaching English, Methods and Approaches to English Language Teaching
Development of Language Skills, Teaching Learning Materials: ( Text books, Multi-media Materials and other Resources)
Continuous and Comprehensive Evaluation, Assessment and Evaluation in Language
संधि, समास, शब्दों को शब्द-कोश क्रम में लिखना, शब्दों के मानक रूप लिखना, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, क्रिया, लिंग, वचन, काल।
एक अपठित पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रश्न :
भाव सौंदर्य, विचार सौंदर्य, नाद सौंदर्य, शिल्प सौंदर्य, जीवन दृष्टि
वाक्य रचना, वाक्य के अंग, वाक्य के भेद, पदबंध, मुहावरे, लोकोक्तियाँ।
कारक चिह्न, अव्यय, विराम चिह्न, राजस्थानी मुहावरों का अर्थ व प्रयोग।
भाषा शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषायी दक्षता का विकास ।
भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), शिक्षण अधिगम सामग्री- पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन (सुनना, बोलना पढ़ना, लिखना), उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।
English
Unseen Prose Passage
Linking Devices, Subject-Verb Concord, Inferences
Unseen Poem passage
Identification of Alliteration, Simile, Metaphor, Personification, Assonance, Rhyme
Modal Auxiliaries, Common Idioms and Phrases, Literary Terms : Elegy, Sonnet, Short Story, Drama
Basic knowledge of English sounds and their Phonetic Symbols
Principles of Teaching English, Communicative Approach to English Language Teaching, Challenges of Teaching English: Difficulties in learning English (role of home language and multilingualism)
घातांक : समान आधार की घातीय संख्याओं का गुणा तथा भाग, घातांक नियम।
बीजीय व्यंजक : बीजीय व्यंजकों का योग, व्यवकलन, गुणा एवं भाग, सर्वसमिकाएँ।
गुणनखण्ड : सरल बीजीय व्यंजकों के गुणनखण्ड।
समीकरण : सरल एकघातीय समीकरण।
वर्ग और वर्गमूल, घन और घनमूल
ब्याज : सरल ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज, लाभ-हानि।
अनुपात एवं समानुपात: समानुपाती भागों में विभाजन, भिन्न।
प्रतिशतता, जन्म व मृत्यु दर, जनसंख्या वृद्धि, ह्रास।
रेखा तथा कोण, रेखाखंड, सरल एवं वक्र रेखाएँ, कोणों के प्रकार।
समतलीय आकृतियाँ : त्रिभुज, त्रिभुजों की सर्वांगसमता, चतुर्भुज तथा वृत्त, बहुभुज, समतलीय आकृतियों का क्षेत्रफल एवं परिमाप, त्रिभुज, आयत, समांतर चतुर्भुज एवं समलम्ब चतुर्भुज।
पृष्ठीय क्षेत्रफल तथा आयतन : घन, घनाभ एवं लम्बवृत्तीय बेलन।
सांख्यिकी : आँकड़ों का संग्रह एवं वर्गीकरण, बारम्बारता बंटन सारिणी, मिलान चिह्न, स्तम्भ (बार) लेखाचित्र एवं आयत लेखाचित्र, वृत्तीय ग्राफ (पाई चित्र)।
लेखाचित्र (ग्राफ) : विभिन्न प्रकार के लेखाचित्र।
प्रायिकता
गणित की प्रकृति एवं तर्कशक्ति
पाठ्यक्रम में गणित की महत्ता
गणित की भाषा
सामुदायिक गणित
मूल्यांकन
उपचारात्मक शिक्षण
शिक्षण की समस्याएँ
विज्ञान
सजीव एवं निर्जीव : परिचय, अंतर एवं लक्षण
सूक्ष्मजीव : जीवाणु, विषाणु, कवक (लाभकारी एवं अलाभकारी)
सजीव : पौधे के प्रकार एवं विभिन्न भाग, पादपों में पोषण, श्वसन एवं उत्सर्जन, पादप और जंतु कोशिकाओं की संरचना और कार्य, कोशिका विभाजन
मानव शरीर एवं स्वास्थ्य : सूक्ष्मजीवों से फैलने वाले रोग (क्षय रोग, खसरा, डिप्थीरिया, हैजा, टाइफ़ॉइड), रोगों से बचाव के उपाय; मानव शरीर के विभिन्न तंत्र; संक्रामक रोग (फैलने के कारण और बचाव); भोजन के स्रोत, भोजन के प्रमुख अवयव और इनकी कमी से होने वाले रोग, संतुलित भोजन।
जंतु प्रजनन एवं किशोरावस्था : जनन की विधियाँ- लैंगिक एवं अलैंगिक, किशोरावस्था एवं यौवनारंभ- शारीरिक परिवर्तन, जनन में हॉर्मोंस की भूमिका, जननात्मक स्वास्थ्य
यांत्रिकी : बल एवं गति, बलों के प्रकार (पेशीय बल, घर्षण बल, गुरुत्व बल, चुंबकीय बल, स्थिर विद्युत बल, आदि), गति के प्रकार (रेखीय, वृत्ताकार, कंपन, आवर्त एवं घूर्णन गति), दाब, वायुमंडलीय दाब, उत्प्लावन बल, कार्य एवं ऊर्जा, ऊर्जा के परंपरागत तथा वैकल्पिक स्रोत, ऊर्जा संरक्षण।
ताप एवं ऊष्मा : ताप एवं ऊष्मा का अभिप्राय, तापमापी, ऊष्मा संचरण।
प्रकाश एवं ध्वनि : प्रकाश के स्रोत, प्रकाश का परावर्तन, गोलीय दर्पण, समतल दर्पण व गोलीय दर्पण से प्रतिबिंब बनना, प्रकाश का अपवर्तन, लेंस एवं लेंस से प्रतिबिंब का निर्माण, ध्वनि, ध्वनि के अभिलक्षण, ध्वनि संचरण, ध्वनि प्रदूषण।
विद्युत एवं चुंबकत्व : विद्युत धारा, विद्युत परिपथ; विद्युत धारा के ऊष्मीय, चुंबकीय एवं रासायनिक प्रभाव, चुंबक एवं चुंबकत्व ।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्त्व, संश्लेषित रेशे तथा प्लास्टिक संश्लेषित रेशों के गुणधर्म एवं प्रकार, प्लास्टिक एवं इसके गुणधर्म, प्लास्टिक एवं पर्यावरण, डिटर्जेंट, सीमेंट आदि, चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एक्स किरण, सी.टी. स्कैन, शल्य चिकित्सा, अल्ट्रासाउण्ड तथा लेजर किरणें), दूरसंचार के क्षेत्र में फैक्स मशीन, कंप्यूटर, इंटरनेट, ई-मेल तथा वेबसाइट की सामान्य जानकारी।
सौरमंडल : चंद्रमा एवं तारे, सौर परिवार-सूर्य एवं ग्रह, धूमकेतु, तारामंडल।
पदार्थ की संरचना : परमाणु एवं अणु, परमाणु की संरचना; तत्त्व, यौगिक और मिश्रण; मिश्रण के अवयवों का पृथक्करण; तत्त्वों के प्रतीक, यौगिकों के रासायनिक सूत्र तथा रासायनिक समीकरण, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन।
रासायनिक पदार्थ : ऑक्साइड्स, हरित गृह प्रभाव और वैश्विक तापन, हाइड्रोकार्बन (सामान्य जानकारी); अम्ल, क्षार और लवण; ऑक्सीजन गैस, नाइट्रोजन गैस, नाइट्रोजन चक्र, कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस।
कृषि प्रबंधन : कृषि पद्धतियाँ, फसलों के प्रकार व उदाहरण।
विज्ञान की संरचना एवं प्रकृति
प्राकृतिक विज्ञान : लक्ष्य एवं उद्देश्य, प्राकृतिक संसाधन, पर्यावरण प्रदूषण व नियंत्रण, जैव विविधता, अनुकूलन, कचरा प्रबंधन