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अवलोकन

भारत में एक कॅरियर विकल्प के तौर पर शिक्षण की लोकप्रियता केंद्रीय शिक्षण परीक्षाओं के साथ-साथ राज्य स्तरीय शिक्षण परीक्षाओं में भी समान रूप से है। देश का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान, पात्रता के आधार पर शिक्षण परीक्षाओं में न सिर्फ अपने यहाँ के अभ्यर्थियों को बल्कि अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थियों को भी आकर्षित करता है। इस पृष्ठ पर हम ‘राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा’ (REET) से संबंधित रणनीति और उसके स्वरूप पर चर्चा करेंगे।

  • Rajasthan Eligibility Examination for Teachers (REET) को Rajasthan Teacher Eligibility Test (RTET) के नाम से भी जाना जाता है। यह पात्रता परीक्षा ‘माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान’ (Board of Secondary Education, Rajasthan- BSER) द्वारा आयोजित की जाती है।

परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)

  • REET परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होंगे, प्रत्येक में चार विकल्प दिये जाएंगे, जिनमें से केवल एक ही सर्वाधिक उपयुक्त या तर्कसंगत उत्तर होगा। इस परीक्षा में प्रत्येक सही उत्तर के लिये अभ्यर्थी को 1 अंक दिया जाएगा तथा गलत उत्तर के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं होगा।
  • यह राज्यव्यापी परीक्षा दो स्तरों लेवल-I और लेवल-II श्रेणियों में आयोजित की जाती है। लेवल-I में कक्षा 1 से 5 तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थी और लेवल-II में कक्षा 6 से 8 तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं।
  • लेवल-I व लेवल-II, प्रत्येक स्तर हेतु निर्धारित समयावधि 2 घंटे 30 मिनट अर्थात् 150 मिनट है।


लेवल-I
(प्रश्नपत्र की संरचना एवं विषयवस्तु : सभी खंड अनिवार्य)
क्र.सं. खंड प्रश्नों की संख्या (MCQs) अंक
(i) बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र 30 30
(ii) भाषा-I 30 30
(iii) भाषा-II 30 30
(iv) गणित 30 30
(v) पर्यावरण अध्ययन 30 30
कुल 150 150

प्रश्नों की प्रकृति और स्तर

  • बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र खंड से संबंधित प्रश्न मुख्यतः 6-11 वर्ष के आयु वर्ग के विद्यार्थियों के शिक्षण और अधिगम के शैक्षिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगे। इसमें विद्यार्थियों की विभिन्न आवश्यकताओं, विशेषताओं को पहचानने तथा विद्यार्थियों के साथ प्रभावी अंतर्क्रियात्मक संवाद स्थापित करने के साथ-साथ प्रभावी शिक्षण सुविधा के लिये आवश्यक विशेषताओं एवं गुणों को शामिल करने पर बल दिया जाएगा।
  • भाषा-I खंड में शिक्षा के माध्यम से जुड़े प्रश्नों पर ज़ोर दिया जाएगा। साथ ही, भाषा-II खंड में संप्रेषण, भाषा और बोध क्षमता के तत्त्वों पर बल दिया जाएगा।
  • भाषा-II के लिये अभ्यर्थी उपलब्ध भाषा विकल्पों में से भाषा-I से अन्य कोई भाषा चुनकर पुष्टीकरण पृष्ठ पर निर्दिष्ट करेगा। भाषा के लिये उपलब्ध विकल्प- अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत, सिंधी, उर्दू, गुजराती व पंजाबी हैं।
  • गणित और पर्यावरण अध्ययन से संबंधित प्रश्न विषयों की अवधारणाओं, समस्या-समाधान क्षमताओं के साथ शैक्षणिक अंतर्दृष्टि व अनुप्रयोगों पर केंद्रित होंगे। सभी खंडों में प्रश्नों का वितरण समान होगा और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कक्षा 1 से 5 के पाठ्यक्रम के विभिन्न खंड इसमें सम्मिलित होंगे।
  • लेवल-I में, बहुविकल्पीय प्रश्नों का मापदंड राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम तथा कठिनाई मानक संभावित रूप से माध्यमिक स्तर तक विस्तारित पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होगा।
  • प्रश्नों का माध्यम (भाषा विषय को छोड़कर) हिंदी या अंग्रेज़ी होगा।

लेवल-II (प्रश्नपत्र की संरचना एवं विषयवस्तु)
क्र.सं. खंड प्रश्नों की संख्या (MCQs) अंक
(i) बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (अनिवार्य) 30 30
(ii) भाषा-I (अनिवार्य) 30 30
(iii) भाषा-II (अनिवार्य) 30 30
(iv) गणित एवं विज्ञान (गणित एवं विज्ञान के अध्यापक के लिये) 60 60
अथवा
(v) सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान के अध्यापक के लिये) *किसी अन्य अध्यापक के लिये या तो खंड (IV) या (V) 60 60
कुल 150 150

प्रश्नों की प्रकृति और स्तर

  • बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र खंड से संबंधित प्रश्न मुख्यतः 11-14 आयु वर्ग के विद्यार्थियों के शिक्षण और अधिगम के शैक्षिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगे। विभिन्न विद्यार्थियों के गुणों, आवश्यकताओं और मनोविज्ञान को समझने के साथ-साथ विद्यार्थियों के साथ प्रभावी अंतर्क्रियात्मक संवाद पर बल दिया जाएगा। इसके अलावा अधिगम की प्रक्रिया में मूल्यांकन के महत्त्व, जो कि विद्यार्थियों के आवश्यक गुणों और आवश्यकताओं को दर्शाएगा, पर बल दिया जाएगा।
  • भाषा-I खंड में शिक्षा के चुने हुए माध्यम से संबंधित कौशल पर आधारित प्रश्न होंगे। वहीं दूसरी ओर भाषा-II खंड से संबंधित प्रश्न भाषा तत्त्वों, संप्रेषण और बोध क्षमताओं पर आधारित होंगे।
  • भाषा-II के लिये अभ्यर्थी उपलब्ध भाषा विकल्पों में से भाषा-I से अन्य कोई भाषा चुनकर पुष्टीकरण पृष्ठ पर निर्दिष्ट करेगा।
  • चुनने के लिये उपलब्ध भाषाएँ लेवल-I के समान होंगी।



पाठ्यक्रम और रणनीति

राजस्थान में शिक्षक पदों के लिये अभ्यर्थियों का मूल्यांकन करने वाली REET परीक्षा अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी है। REET के पाठ्यक्रम की प्रकृति व्यापक है इसलिये इसमें गहन अभ्यास और रिवीज़न की आवश्कता होती है। इस परीक्षा में सफलता के इच्छुक अभ्यर्थियों को सुविचारित रणनीति की आवश्यकता पड़ती है। यहाँ हम अभ्यर्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के सपने को साकार करने के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण युक्तियाँ/सलाह प्रदान करेंगे जो कि परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन में सहायता करेंगी। चाहे आप यह परीक्षा पहली बार दे रहे हों या आप एक अनुभवी अभ्यर्थी हों, ये युक्तियाँ/सलाह आपकी REET की तैयारी की यात्रा को आगे बढ़ाने में अमूल्य हैं।


लेवल-I (कक्षा 1 से 5)
लेवल-II (कक्षा 6 से 8) : सामाजिक अध्ययन
लेवल-II (कक्षा 6 से 8) : गणित एवं विज्ञान

लेवल-I (कक्षा 1 से 5)

  • लेवल-I को प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक) में अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है। इस स्तर में सफलता प्राप्त करने के लिये अभ्यर्थी को राज्य सरकार द्वारा संस्तुत कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम के संपूर्ण विषयों का अध्ययन करना आवश्यक है।
  • इसके अतिरिक्त, विभिन्न पब्लिकेशन्स द्वारा इससे संबंधित उपयुक्त सामग्री को भी आप अपने प्रयोग में ले सकते हैं। जैसे- दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित CTET पेपर-I तथा REET लेवल-I पर केंद्रित पुस्तकों की शृंखला।
  • यहाँ विशेष रूप से यह उल्लेखनीय है कि लेवल-I में पूछे जाने वाले प्रश्न लेवल-II की तुलना में थोड़े कम चुनौतीपूर्ण होते हैं। बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से संबंधित प्रश्न प्राथमिक स्तर के हैं जबकि भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न पाँचवी कक्षा के मानक के अनुरूप हैं।
  • लेवल-I में शिक्षाशास्त्र खंड छोटे बच्चों को निर्देश देने तथा भाषा सीखने के प्रभावी तरीकों को समझने में मदद करता है।
  • लेवल-I की सरलता के कारण कुछ अभ्यर्थी इसके लिये आवश्यक तैयारी को महत्त्व नहीं देते, जिससे चूक की संभावना बनी रहती है। इसलिये अभ्यर्थियों को पूरी तरह से तैयार होकर और अटूट आत्मविश्वास के साथ इस परीक्षा में बैठना चाहिये।

REET लेवल-I के प्रत्येक खंड के लिये विस्तृत खंडवार रणनीति इस प्रकार है :

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy)

  • प्राथमिक कक्षाओं में एक शिक्षक की प्राथमिक ज़िम्मेदारी बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय आने हेतु प्रेरित करना है, जिससे संबंधित प्रश्न अक्सर बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र में पूछे जाते हैं। इस खंड पर प्रभावी पकड़ के लिये अभ्यर्थियों को विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत सिद्धांतों को गहराई से समझना आवश्यक है।
  • विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा की समझ विकसित करना आवश्यक है तथा विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का नियमित अभ्यास भी महत्त्वपूर्ण है।
  • इसके अतिरिक्त अभ्यर्थियों को बच्चों के अधिगम की प्रक्रियाओं और विद्यालय के वातावरण में आने वाली संभावित चुनैतियों के विषय में भी ज्ञान होना चाहिये।
  • इसके लिये केवल विविध पब्लिकेशन्स की उपलब्ध पाठ्यसामग्री का अध्ययन ही आवश्यक नहीं है, बल्कि बच्चों के सामने आने वाले विशिष्ट मुद्दों की समझ के लिये कक्षा के वातावरण में सक्रिय रूप से शामिल होना आवश्यकता है। यह व्यावहारिक अनुभव आपकी परीक्षा की तैयारी में सक्रिय योगदान देता है।

भाषा (Language)

  • भाषा खंड में कुल 60 प्रश्न होते हैं, जो 60 अंकों का योगदान देते हैं, जिसमें भाषा-I और भाषा-II दोनों खंड शामिल होते हैं। यह खंड परीक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इस खंड को आगे दो भागों में विभाजित किया गया है : भाषा बोधगम्यता और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र।
  • भाषा बोधगम्यता पर आधारित प्रश्नों में मुख्यतः अपठित गद्यांशों से संबंधित तथ्यात्मक और संज्ञानात्मक पक्षों पर बल दिया जाता है, जहाँ प्रश्न व्याकरण और शाब्दिक योग्यता से संबंधित होते हैं। इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को व्याकरण की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिये तथा गद्यांश आधारित प्रश्नों का अधिक-से-अधिक अभ्यास करना चाहिये।
  • अभ्यर्थियों के लिये भाषा अधिगम में प्राथमिक कक्षा के बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों की समझ का होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त परिवार, समाज और विद्यालय के संदर्भ में भाषा के एकीकरण की समझ भी आवश्यक है।
  • भाषा से संबंधित ज्ञान भाषा-शिक्षण संबंधी प्रश्नों को आसानी से हल करने में मदद करता है। संक्षेप में, भाषा बोधगम्यता और भाषा विकास का शिक्षाशास्त्र, दोनों के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण REET की परीक्षा में सफलता का एक अचूक अस्त्र है।

गणित (Mathematics)

  • इस विषय के प्रारंभिक चरण में बच्चों को बुनियादी कौशल, जैसे- लिखना और संख्याएँ गिनना, सिखाया जाता है। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते हैं उन्हें जोड़ना व घटाना जैसी अधिक उन्नत अवधारणाएँ सिखाई जाती हैं। अनेक अभ्यर्थी सामान्यतः परीक्षा में प्रारंभिक स्तर के गणित को अधिक प्रबंधनीय पाते हैं।
  • गणित में शैक्षणिक दृष्टिकोण का उद्देश्य अवधारणाओं को सरल भाषा में व्यक्त करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थी बाद की कक्षाओं में गणित को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण न समझे, तथा निरंतर सीखने के आनंददायक अनुभव को बढ़ावा मिल सके।

पर्यावरण अध्ययन

  • पर्यावरण अध्ययन को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें से प्रत्येक को 15 प्रश्न आवंटित किये गए हैं। ये खंड पर्यावरण से संबंधित मूलभूत पहलुओं, जैसे- परिवार और मित्र, भोजन, पानी, यात्रा और आश्रय, को कवर करते हैं।
  • शिक्षाशास्त्र के संदर्भ में पर्यावरण अध्ययन बच्चों के अपने परिवेश के साथ अधिगम की समझ के एकीकरण पर प्रकाश डालता है। इसलिये अभ्यर्थियों को परीक्षा की तैयारी करते समय इन पहलुओं का ध्यान रखना चाहिये।

नोट : परीक्षा में पूछे जाने वाले बहुविकल्पीय प्रश्नों का मापदंड कक्षा 1 से 5 तक के राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 की पाठ्यपुस्तकों एवं पाठ्यवस्तु के आधार पर होगा, लेकिन कठिनाई का स्तर माध्यमिक (कक्षा 10) तक की पाठ्यपुस्तकों का होगा।

REET लेवल-I के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :

खंड I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र

  • बाल विकास : वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, विकास के विभिन्न आयाम एवं सिद्धांत, विकास को प्रभावित करने वाले कारक (विशेष रूप से परिवार एवं विद्यालय के संदर्भ में) एवं अधिगम से उनका संबंध।
  • वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका।
  • व्यक्तिगत विभिन्नताएँ : अर्थ, प्रकार एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं को प्रभावित करने वाले कारक।
  • व्यक्तित्व : संकल्पना, प्रकार व व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक एवं व्यक्तित्व का मापन।
  • बुद्धि : संकल्पना, सिद्धांत एवं इसका मापन, बहु-बुद्धि सिद्धांत एवं इसके निहितार्थ।
  • विविध अधिगमकर्त्ताओं की समझ : पिछड़े, विमंदित(डिप्रेस्ड), प्रतिभाशाली, सृजनशील, अलाभान्वित-वंचित, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे एवं अधिगम अक्षमता युक्त बच्चे।
  • अधिगम में आने वाली कठिनाइयाँ।
  • समायोजन की संकल्पना एवं तरीके, समायोजन में अध्यापक की भूमिका
  • अधिगम का अर्थ एवं संकल्पना, अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
  • अधिगम के सिद्धांत एवं इनके निहितार्थ
  • बच्चे सीखते कैसे हैं; अधिगम की प्रक्रियाएँ; चिंतन, कल्पना एवं तर्क।
  • अभिप्रेरणा व इसके अधिगम के लिये निहितार्थ।
  • शिक्षण अधिगम की प्रक्रियाएँ, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा- 2005 के संदर्भ में शिक्षण अधिगम की व्यूह रचना एवं विधियाँ।
  • आकलन, मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ व उद्देश्य, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, अधिगम के प्रतिफल।
  • क्रियात्मक अनुसंधान
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (अध्यापकों की भूमिका एवं दायित्व)

खंड II : (भाषा I) हिंदी

  • एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित व्याकरण संबंधी प्रश्न :
    • पर्यायवाची, विलोम, वाक्याशों के लिये एक शब्द, शब्दार्थ, शब्द शुद्धि।
    • उपसर्ग, प्रत्यय, संधि, समास, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय।
  • एक अपठित गद्यांश में से निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रश्न :
    • रेखांकित शब्दों का अर्थ स्पष्ट करना, वचन, काल, लिंग ज्ञात करना
    • दिये गए शब्दों का वचन, काल और लिंग बदलना।
  • वाक्य रचना, वाक्य के अंग, वाक्य के प्रकार, पदबंध।
  • मुहावरे और लोकोक्तियाँ, विराम चिह्न।
  • भाषा की शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषा दक्षता का विकास।
  • भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), हिंदी भाषा शिक्षण में चुनौतियाँ, शिक्षण-अधिगम सामग्री, पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
  • भाषा शिक्षण में मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।

English

  • Unseen Prose Passage
    • Synonyms, Antonyms, Spellings, Word-formation, One Word Substitution
  • Unseen Poem Passage
    • Parts of Speech, Tenses, Determiners, Degrees of comparison
  • Framing Questions Including Wh-questions, Active and Passive Voice, Narration, Knowledge of English Sounds and Phonetic Symbols
  • Principles of Teaching English, Methods and Approaches to English Language Teaching
  • Development of Language Skills, Teaching Learning Materials: (Text books, Multi-media materials and other Resources)
  • Comprehensive & Continuous Evaluation, Evaluation in English Language

संस्कृतम्

  • एकम् अपठितं गद्यांशम् आधारीकृत्य निम्नलिखित-व्याकरण-सम्बन्धिन: प्रश्ना:
    • शब्दरूप - धातुरूप - कारक - विभक्ति - उपसर्ग - प्रत्यय - सन्धि - समास - सर्वनाम - विशेषण - अव्ययेषु प्रश्ना:।
  • एकम् अपठितं गद्यांशम् राजस्थानस्य इतिहासं कलां संस्कृतिं चाधारीकृत्य निम्नलिखित बिन्दुसम्बन्धिन: प्रश्ना –
    • रेखांकितपदेषुक्रियापद - चयन - वचन - लकार - लिंग - सन्धि - समास - विशेष्य - विशेषणज्ञान - विलोमशब्द - प्रश्ना:।
  • लकारपरिवर्तन - प्रश्ना: (लद - लह - लुद - विधिलिलकारेषु)
  • संख्याज्ञान - माहेश्वर - सूत्र - सम्बन्धिन: प्रश्ना-
  • संस्कृतानुवाद:, वाच्यपरिवर्तनम् (लट्-लकारस्य) वाक्येषु प्रश्ननिर्माणम्, अशुद्धिसंशोधनम् संस्कृतसूक्तय:।
    1. संस्कृतभाषा-शिक्षण-विधय:।
    2. संस्कृतभाषा-शिक्षण-सिद्धान्ता:।
  • संस्कृतभाषाकौशलस्य विकास: (श्रवणम्, सम्भाषणम्, पठनम्, लेखनम्)
  • संस्कृताध्यापनस्य अधिगमसाधनानि, पाठ्यपुस्तकानि संप्रेषणस्य साधनानि।
  • संस्कृतभाषा-शिक्षणस्य मूल्यांकन-सम्बन्धिन: प्रश्ना, मौखिक - लिखितप्रश्नानां प्रकार – सततमूल्यांकनम्, उपचारात्मकशिक्षणम्।

खंड III : (भाषा II) हिंदी

  • एक अपठित गद्यांश आधारित निम्नलिखित व्याकरण संबंधी प्रश्न :
    • युग्म शब्द, वाक्याशों के लिये एक शब्द, उपसर्ग, प्रत्यय
    • संधि, समास, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, लिंग, वचन, काल, शब्द शुद्धि।
  • एक अपठित पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रश्न :
    • नाद सौंदर्य, विचार सौंदर्य, भाव सौंदर्य, शिल्प सौंदर्य, जीवन दृष्टि।
  • वाक्य रचना, वाक्य के अंग, वाक्य के भेद, पदबंध।
  • मुहावरे, लोकोक्तियाँ, कारक चिह्न, अव्यय, विराम चिह्न।
  • भाषा शिक्षण विधि, भाषा शिक्षण के उपागम, भाषायी दक्षता का विकास।
  • भाषायी कौशलों का विकास (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), शिक्षण-अधिगम सामग्री- पाठ्यपुस्तक, बहु-माध्यम एवं शिक्षण के अन्य संसाधन।
  • भाषा शिक्षण में मूल्यांकन (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना), उपलब्धि परीक्षण का निर्माण, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपचारात्मक शिक्षण।

English

  • Unseen Prose Passage
    • Linking Devices, Subject-Verb Concord, Inferences
  • Unseen Poem passage
    • Identification of Alliteration, Simile, Metaphor, Personification, Assonance, Rhyme
  • Modal Auxiliaries, Common Idioms and Phrases Literary Terms
    • Elegy, Sonnet, Short Story, Drama
  • Basic knowledge of English Sounds and symbols
  • Principles of Teaching English, Communicative Approach to English Language Teaching, Challenges of Teaching English: Difficulties in learning English (role of home language and multilingualism)
  • Methods of Evaluation, Remedial Teaching

संस्कृतम्

  • एकम् अपठितं गद्यांशम् आधारीकृत्य निम्नलिखित-व्याकरण-सम्बन्धिन: प्रश्ना:
    • शब्दरूप - धातुरूप - कारक - विभक्ति - उपसर्ग - प्रत्यय - सन्धि - समास - सर्वनाम - विशेषण - अव्ययेषु प्रश्ना:
  • एकम् अपठितं पद्यांशं वा श्लोकम् राजस्थानस्य इतिहासं कलां संस्कृतिं चाधारीकृत्य निम्नलिखित- बिन्दुसम्बन्धिन: व्याकरण प्रश्ना:
    • सन्धि - समास - कारक - प्रत्यय - छन्द - अलंकार - विशेष्य - विशेषण - लिंगसम्बन्धिन: प्रश्ना:।
  • संख्याज्ञान - समयज्ञान - माहेश्वरसूत्राणां सम्बन्धिन: प्रश्ना:।
  • संस्कृतानुवाद:, स्वर - व्यंजन - उच्चारणस्थानानि, वाच्यपरिवर्तनम् (लट्लकार) अशुद्धिसंशोधनम्, संस्कृतसूक्तय:।
    1. संस्कृत - भाषा - शिक्षण - विधय:।
    2. संस्कृतभाषा - शिक्षण - सिद्धान्ता:।
    3. संस्कृत शिक्षणाभिरुचिप्रश्ना:।
  • संस्कृतभाषाकौशलस्य विकास: (श्रवणम्, सम्भाषणम्, पठनम्, लेखनम्), संस्कृतशिक्षणे - अधिगमसाधनानि, संस्कृतशिक्षणे संप्रेषणस्यसाधनानि, संस्कृतपाठ्यपुस्तकानि।
  • संस्कृतभाषाशिक्षणस्य मूल्यांकन - सम्बन्धिन: प्रश्ना:
  • मौखिक - लिखितप्रश्नानां प्रकारा: सततमूल्यांकनम् उपचारात्मक - शिक्षणम्।

खंड IV : गणित

  • एक करोड़ तक की पूर्ण संख्याएँ, स्थानीय मान, तुलना, गणितीय मूल संक्रियाएँ : जोड़, घटाना, गुणा, भाग; भारतीय मुद्रा।
  • भिन्न की अवधारणा, उचित भिन्नें, समान हर वाली उचित भिन्नों की तुलना, मिश्र भिन्नें, असमान हर वाली उचित भिन्नों की तुलना, भिन्नों का जोड़ व घटाना, अभाज्य एवं संयुक्त संख्याएँ, अभाज्य गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्तक, महत्तम समापवर्तक।
  • ऐकिक नियम, औसत, लाभ-हानि, सरल ब्याज।
  • समतल व वक्रतल, समतल व ठोस ज्यामितीय आकृतियाँ, समतल ज्यामितीय आकृतियों की विशेषताएँ, बिंदु, रेखा, किरण, रेखाखंड, कोण एवं उनके प्रकार।
  • लंबाई, भार, धारिता, समय, क्षेत्रमापन एवं इनकी मानक इकाइयाँ एवं उनमें संबंध, वर्गाकार तथा आयताकार वस्तुओं के पृष्ठ-तल का क्षेत्रफल एवं परिमाप।
  • गणित की प्रकृति एवं तर्कशक्ति, पाठ्यक्रम में गणित की महत्ता, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, आँकड़ों का प्रबंधन।
  • औपचारिक एवं अनौपचारिक विधियों द्वारा मूल्यांकन, शिक्षण की समस्याएँ, त्रुटि विश्लेषण तथा शिक्षण एवं अधिगम से संबंधित विभिन्न पहलू, निदानात्मक एवं उपराचारात्मक शिक्षण।

खंड V : पर्यावरण अध्ययन

  • परिवार : आपसी संबंध, एकल एवं संयुक्त परिवार, सामाजिक बुराइयाँ (बाल विवाह, दहेज़ प्रथा, बालश्रम, चोरी), दुर्व्यसन (नशाखोरी, धूम्रपान) और इनके व्यक्तिगत, सामाजिक एवं आर्थिक दुष्परिणाम।
  • वस्त्र एवं आवास : विभिन्न ऋतुओं में पहने जाने वाले वस्त्र, घर पर वस्त्रों का रख-रखाव, हस्तकरघा तथा पावरलूम, जीव-जंतुओं के आवास, विभिन्न प्रकार के मानव-आवास, आवास और निकटवर्ती स्थानों की स्वच्छता, आवास निर्माण हेतु विभिन्न प्रकार की सामग्री।
  • व्यवसाय : अपने परिवेश के व्यवसाय (कपड़े सिलना, बागवानी, कृषि-कार्य, पशुपालन, सब्जीवाला आदि), लघु एवं कुटीर उद्योग, राजस्थान राज्य के प्रमुख उद्योग एवं हस्तकलाएँ, उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता, सहकारी समितियाँ।
  • हमारी सभ्यता व संस्कृति : राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय पर्व, राजस्थान के मेले एवं त्योहार, राजस्थान की वेशभूषा एवं आभूषण, राजस्थान का खान-पान, राजस्थान की वास्तुकला, राजस्थान के पर्यटन स्थल, राजस्थान की प्रमुख विभूतियाँ एवं गौरव, राजस्थान की विरासत (प्रमुख दुर्ग, महल, स्मारक), राजस्थान की चित्रकला, राजस्थान के लोकदेवता।
  • परिवहन और संचार : यातायात और संचार के साधन, सड़क पर चलने और यातायात के नियम, यातायात के संकेत, संचार साधनों का जीवन-शैली पर प्रभाव।
  • अपने शरीर की देख-भाल : शरीर के बाह्य अंग और उनकी साफ-सफाई, शरीर के आंतरिक भागों की सामान्य जानकारी, संतुलित भोजन की जानकारी और इसका महत्त्व, सामान्य रोग (आंत्रशोथ, अमीबायोसिस, मेटहीमोग्लोबिन, एनिमिया, फ्लुओरोसिस, मलेरिया, डेंगू) के कारण और बचाव के उपाय, पल्स पोलियो अभियान।
  • सजीव जगत : पादपों और जंतुओं के संगठन के स्तर, सजीवों में विविधता, राज्य पुष्प, राज्य वृक्ष, राज्य पक्षी, राज्य पशु, संरक्षित वन क्षेत्र एवं वन्यजीव (राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, बाघ संरक्षित क्षेत्र, विश्व धरोहर) की जानकारी, पादपों तथा जंतुओं की जातियों का संरक्षण, कृषि पद्धतियाँ।
  • जल : जल, वन, आर्द्रभूमि(नमभूमि) और मरुस्थल की मूलभूत जानकारी, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण एवं इनका नियंत्रण, जल के गुण, जल के स्त्रोत, जल-प्रबंधन, राजस्थान में कलात्मक जल स्रोत, पेयजल व सिंचाई स्रोत।
  • हमारी पृथ्वी व अंतरिक्ष- सौर परिवार, भारत के अंतरिक्ष यात्री।
  • पर्वतारोहण- पर्वतारोहण में कठिनाइयाँ एवं काम आने वाले औज़ार, भारत की प्रमुख महिला पर्वतारोही।
  • पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र एवं संकल्पना-
    • पर्यावरण अध्ययन का महत्त्व, समाकलित पर्यावरण अध्ययन, पर्यावरण शिक्षा के अधिगम सिद्धांत, पर्यावरण अध्ययन का विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान विषयों के साथ अंतर्संबंध तथा क्षेत्र।
  • पर्यावरणीय शिक्षाशास्त्र- संकल्पना प्रस्तुतीकरण के उपागम, क्रियाकलाप, प्रयोग/प्रायोगिक कार्य, चर्चा, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, शिक्षण सामग्री/सहायक सामग्री, शिक्षण की समस्याएँ, सूचना एवं संचार प्रोद्यौगिकी।

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