Switch to English

अवलोकन


UGC NET परीक्षा का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर और 'जूनियर रिसर्च फेलोशिप' की भूमिकाओं के लिये भारतीय नागरिकों की योग्यता का आकलन करना है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने UGC NET परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को सौंपी है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) दिसंबर 2018 से कंप्यूटर आधारित टेस्ट (CBT) मोड में यूजीसी-नेट का आयोजन करती आ रही थी। हालाँकि जून 2024 सत्र के लिये NTA ने परीक्षा को ऑफलाइन मोड (OMR आधारित) में आयोजित करने का निर्णय लिया। सामान्यतः यूजीसी-नेट परीक्षा वर्ष में दो बार (जून और दिसंबर) में आयोजित की जाती है।

UGC द्वारा उल्लिखित परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम के अनुसार, हम एनटीए UGC NET परीक्षा के लिये विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, इन पाठ्यक्रमों में प्रश्नपत्र- I और प्रश्नपत्र- II के तहत हिंदी साहित्य, इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल शामिल हैं।





परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)

UGC NET परीक्षा के अंतर्गत दो प्रश्नपत्र - प्रश्नपत्र-I और प्रश्नपत्र-II शामिल होते हैं। प्रश्नपत्र-I, को 'शिक्षण और शोध अभिवृत्ति/अभिक्षमता' के नाम से भी जाना जाता है, जो शिक्षण अभिक्षमता, संप्रेषण, गणितीय और विश्लेषणात्मक तर्क आदि में अभ्यर्थी की दक्षता का मूल्यांकन करता है।

इसके विपरीत, प्रश्नपत्र-II अभ्यर्थी के स्नातकोत्तर विषय से संबंधित एक विषय-विशिष्ट प्रश्नपत्र है। प्रश्नपत्र-I और प्रश्नपत्र-II में क्रमशः 50 और 100 प्रश्न होते हैं। विस्तृत परीक्षा पद्धति निम्नलिखित है :

परीक्षा पद्धति
मोड ऑफलाइन (OMR आधारित)
प्रश्नपत्रों की संख्या 2 (प्रश्नपत्र-I और प्रश्नपत्र-II)
अंकन योजना प्रत्येक सही उत्तर के लिये 2 अंक (कोई ऋणात्मक अंकन नहीं)
प्रश्नों की संख्या 150 प्रश्न ((प्रश्नपत्र- I से 50 प्रश्न और प्रश्नपत्र- II से 100 प्रश्न)
प्रश्नों के प्रकार बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रश्न
अवधि कुल 3 घंटे (प्रश्नपत्र- I के लिये 1 घंटा, प्रश्नपत्र- II के लिये 2 घंटे)
परीक्षा का माध्यम हिंदी या अंग्रेज़ी (भाषा के प्रश्नपत्र को छोड़कर)
कुल अंक 300 अंक (प्रश्नपत्र- I में 100 अंक और प्रश्नपत्र- II में 200 अंक)

रणनीति एवं पाठ्यक्रम

परीक्षा-पूर्व एक सुव्यवस्थित रणनीति, जैसे - समय प्रबंधन, विषय की प्राथमिकता की निर्धारण, तनाव में कमी और संसाधनों का इष्टतम उपयोग आदि, विद्यार्थी की सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह विभिन्न सेक्शन्स पर आवश्यकतानुसार संतुलित ध्यान सुनिश्चित करते हुए समय के कुशलतम उपयोग हेतु सक्षम बनाती है। रणनीति महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स के प्राथमिकता निर्धारण में सहायता करती है और विद्यार्थियों को परीक्षा संरचना से परिचित करवाकर उनके तनाव को कम करती है। यह संसाधनों के इष्टतम उपयोग को बढ़ावा देती है, प्रभावी पुनरीक्षण में सहायता करती है एवं लक्ष्य निर्धारण और अनुकूल दृष्टिकोण के माध्यम से आत्मविश्वास पैदा करती है। कुल मिलाकर रणनीति विद्यार्थियों में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें परीक्षा कक्ष में बेहतर प्रदर्शन योग्य बनाती है|, जिससे विभिन्न परीक्षा परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने की उनकी क्षमता बढ़ती है। इसे ध्यान में रखते हुए, हमने अपने पाठ्यक्रमों में प्रस्तुत प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिये व्यापक रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की है। हमें विश्वास है कि इन रणनीतियों को पढ़ने और लागू करने से, विद्यार्थी अपनी उच्च अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करने की संभावना को बढ़ा सकते हैं|



समाजशास्त्र

प्रश्नपत्र - I

  • इस प्रश्नपत्र का प्राथमिक उद्देश्य अभ्यर्थियों की शिक्षण और शोध अभिक्षमताओं का आकलन करना है। नतीजतन, अभ्यर्थियों से संज्ञानात्मक अभिक्षमताओं का प्रदर्शन करने की अपेक्षा की जाती है, जिसमें संज्ञानात्मक अभिवृत्ति, विश्लेषण, मूल्यांकन, तर्क संरचना की समझ, निगमनात्मक और आगमनात्मक तर्क शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त, अभ्यर्थियों को उच्चतर शिक्षण संस्थानों में शिक्षण और अधिगम का व्यापक ज्ञान होना चाहिये, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी की सामान्य समझ और लोगों के परस्पर संवाद, पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधनों और जीवन की गुणवत्ता पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता होनी चाहिये। यूजीसी-नेट परीक्षा में प्रश्नपत्र- I किसी विशिष्ट विषय के लिये नहीं है, लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर या जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिये अभ्यर्थियों की पात्रता को निर्धारित करने में महत्त्व रखता है।
  • UGC ने प्रश्नपत्र - I के पाठ्यक्रम को 10 इकाइयों में विभाजित करते हुए इसकी रूपरेखा तैयार की है। प्रश्नपत्र -I के प्रश्नपत्र में 50 बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं, प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प होते हैं। अभ्यर्थियों को सही विकल्प चुनना होता है और आमतौर पर प्रत्येक इकाई से 5 प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक सही उत्तर के लिये 2 अंक प्रदान किये जाते हैं, और गलत उत्तरों के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं होता है।
  • यूजीसी-नेट परीक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये , प्रश्नपत्र-I की प्रकृति और संरचना की गहन समझ महत्त्वपूर्ण है। इस प्रश्नपत्र के अनुरूप एक प्रभावी अध्ययन योजना तैयार करना आवश्यक है। UGC NET परीक्षा में प्रश्नपत्र-1 के लिये एक प्रभावी रणनीति समझने हेतु मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं :

पाठ्यक्रम को समझना

अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे UGC NET प्रश्नपत्र-I के पाठ्यक्रम की व्यापक समझ रखें। इस पाठ्यक्रम में शिक्षण अभिवृत्ति/अभिक्षमता; शोध अभिवृत्ति/अभिक्षमता; बोध, सम्प्रेषण; युक्तियुक्त तर्क; आँकड़ों की व्याख्या; सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी); लोग, विकास और पर्यावरण तथा उच्चतर शिक्षा प्रणाली सहित विविध विषय शामिल हैं।

एक व्यापक अध्ययन योजना तैयार करना

अभ्यर्थियों को पाठ्यक्रम के अनुरूप एक व्यावहारिक और संपूर्ण अध्ययन योजना विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। विद्यार्थियों के मज़बूत और कमज़ोर दोनों पक्षों की पहचान करना महत्त्वपूर्ण है। इससे अभ्यर्थियों को प्रत्येक विषय के लिये पर्याप्त समय के सही उपयोग के क्षेत्रों की जानकारी होती है, जहाँ सुधार अपेक्षित है|

प्रश्नपत्र-I के किसी भी सेक्शन्स में क्या और कितना अध्ययन करना है, इसकी बेहतर समझ के लिये, विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण आवश्यक है। विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण पाठ्यक्रम के विभिन्न सेक्शन्स की सामग्री में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और प्रभावी अध्ययन रणनीतियों को तैयार करने में सहायता करता है।

प्रमुख खंडों के लिये रणनीतियों के संबंध में कुछ बिंदु निम्नलिखित हैं :

शिक्षण अभिवृत्ति/अभिक्षमता

इस सेक्शन में, अभ्यर्थियों को अपनी समझ बढ़ाने के लिये निम्नलिखित तत्त्वों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है:

  • शिक्षण और अधिगम की प्रक्रियाओं के मूलभूत सिद्धांतों को समझना।
  • नवीन शैक्षिक सिद्धांतों और पद्धतियों के साथ अद्यतन बने रहना।
  • शिक्षण प्रणाली में शिक्षक की भूमिका के बारे में गहन ज्ञान अर्जित करना।
  • शिक्षा में समसामयिक मुद्दों के प्रति जागरूकता बने रखना।
शोध अभिवृत्ति/अभिक्षमता

अभ्यर्थियों को शोध अभिवृत्ति/अभिक्षमता से संबंधित निम्नलिखित पहलुओं को समझने का प्रयास करना चाहिये:

  • विविध शोध विधियों और तकनीकों से परिचित होना।
  • शोध-आधारित प्रश्नों के समाधान और डेटा की व्याख्या में संलग्न होना।
  • शोध में प्रयुक्त सांख्यिकीय विधियों के मूल सिद्धांतों को समझना।
बोध

बोध (Comprehension) एक ऐसा सेक्शन है जो भ्रामक रूप से आसान लगता है लेकिन इसमें निपुणता हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बहरहाल, अभ्यर्थी कुछ आवश्यक बिंदुओं को ध्यान में रखकर 'कॉम्प्रिहेंशन' में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस सेक्शन के लिये रणनीतिक विचारों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  • गद्यांश/परिच्छेद को पढ़ने से पूर्व उससे संबंधित प्रश्नों पर ध्यान दें। इससे आपको यह समझ आता है कि पढ़ते समय कौन-सी जानकारी पर ध्यान देना है।
  • प्रश्नों में महत्त्वपूर्ण शब्दों को रेखांकित या हाइलाइट करें। इससे आपको गद्यांश में आवश्यक विशिष्ट जानकारी पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
  • विवरण पर पूरा ध्यान देते हुए, गद्यांश को सक्रिय रूप से पढ़ें। पाठ पर केवल सरसरी निगाह डालने के बजाय पाठ को ध्यान से पढ़ें।
  • प्रत्येक गद्यांश में मुख्य विचारों और मुख्य बिंदुओं को पहचानें। गद्यांश की समग्र संरचना को समझने से प्रश्नों का अधिक सटीक उत्तर देने में सहायता मिलती है।
  • गद्यांश पढ़ने के बाद प्रश्नों को वापस पढ़ें। यह सुनिश्चित करता है कि आपको इस बात की स्पष्ट समझ है कि क्या पूछा जा रहा है और प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने के लिये किस जानकारी की आवश्यकता है।
  • स्पष्ट रूप से गलत उत्तर विकल्पों को हटा दें। उन विकल्पों को हटाने के लिये गद्यांश की अपनी समझ का उपयोग करें जो प्रदान की गई जानकारी से मेल नहीं खाते हैं।
संप्रेषण
  • अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे मौलिक संप्रेषण सिद्धांतों, मॉडलों और अवधारणाओं से परिचित हों, पारस्परिक, जनसंचार माध्यम और संगठनात्मक संदर्भों सहित विभिन्न संचार रूपों में उनके अनुप्रयोगों को समझें।
  • इसके अतिरिक्त, उन्हें भारत में जनसंचार की कार्यप्रणाली को समझने, इससे जुड़े संबंधित निकायों और एजेंसियों से परिचित होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • 'संप्रेषण' के कुछ पहलुओं की गतिशील प्रकृति को देखते हुए, अभ्यर्थियों को वर्तमान और प्रासंगिक जानकारी से अवगत रहने की सलाह दी जाती है।
गणितीय तर्क एवं अभिवृत्ति/अभिक्षमता
  • अभ्यर्थियों को आधारभूत अंकगणित में प्रतिशत, अनुपात और समानुपात जैसी अवधारणाओं सहित अपनी दक्षता को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। अंकगणितीय समस्याओं को हल करने में दक्षता हासिल करने तथा संख्यात्मक अभिक्षमता को मज़बूत करने के लिये लगातार अभ्यास की आवश्यकता होती है।
  • अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे तर्क को भी उचित महत्त्व दें। तर्क में गहन समझ और दक्षता के लिये शृंखला, कोडिंग-डिकोडिंग और पैटर्न जैसे क्षेत्रों में नियमित अभ्यास आवश्यक है।
युक्तियुक्त तर्क

प्रश्नपत्र-I का यह खंड विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले पारंपरिक तर्क प्रश्नों से काफी अलग है। इसलिये, अभ्यर्थियों को पाठ्यक्रम में उल्लिखित सभी बिंदुओं का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना चाहिये जैसे- तर्कों की संरचना, भ्रांतियाँ , निगमनात्मक तथा आगमनात्मक तर्क और भारतीय तर्क के पहलू।

आँकड़ों की व्याख्या

बुनियादी स्तर पर आँकड़ों की व्याख्या संबंधी प्रश्नों में अक्सर तालिकाओं, ग्राफ या चार्ट में प्रस्तुत जानकारी को समझना और उसका विश्लेषण करना शामिल होता है। बुनियादी स्तर के आँकड़ों की व्याख्या संबंधी प्रश्नों को हल करने में आपकी सहायता के लिये यहाँ कुछ संकेत दिये गए हैं:

  • दिये गए आँकड़ें के शीर्षक और लेबल को पढ़कर प्रश्न हल करना प्रारंभ करें।
  • माप की इकाइयों और आँकड़ों में प्रयुक्त किसी भी प्रमुख शब्द को समझें।
  • यदि आँकड़ों में प्रतिशत या अनुपात शामिल हैं, तो विभिन्न तत्त्वों के बीच संबंधों को बेहतर ढंग से समझने के लिये उनकी गणना करें।
  • प्रत्येक प्रश्न को एक-एक करके पढ़ें। प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें और प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिये आँकड़े देखें।
  • यदि सटीक मान प्रदान नहीं किये गए हैं, तो उचित अनुमान लगाने के लिये डेटा का उपयोग करें। इससे उन उत्तर विकल्पों को हटाने में मदद मिल सकती है जो स्पष्ट रूप से गलत हैं।
  • कुछ प्रश्नों के लिये बुनियादी अंकगणितीय गणनाओं की आवश्यकता हो सकती है, इसलिये सुनिश्चित करें कि आप जोड़, घटाव, गुणा और भाग में सहज हैं।
  • यदि आप किसी उत्तर के बारे में अनिश्चित हैं, तो स्पष्ट रूप से गलत विकल्पों को हटाने का प्रयास करें। इससे आपके सही विकल्प चुनने की संभावना बढ़ सकती है।
  • आँकड़ों की व्याख्या एक कौशल है जो अभ्यास के साथ बेहतर होता है। विभिन्न प्रकार के आँकड़ों की व्याख्या आसान रूप से करने के लिये विभिन्न प्रकार के डेटा सेट पर काम करें। आँकड़ों की व्याख्या कौशल संबंधी आत्मविश्वास पैदा करने के लिये प्रत्येक प्रश्न को व्यवस्थित रूप से हल करना और नियमित रूप से अभ्यास करना याद रखे
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी

इस सेक्शन में, अभ्यर्थियों से आधारभूत कंप्यूटर ज्ञान रखने की अपेक्षा की जाती है। यह अनिवार्य है कि अभ्यर्थी :

  • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के बुनियादी सिद्धांतों पर मज़बूत पकड़ रखे।
  • कंप्यूटर एप्लिकेशन, इंटरनेट उपयोग और ई-गवर्नेंस के बारे में जानकारी रखे।
  • सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वर्तमान तकनीकी प्रवृत्तियों और प्रगति से अवगत रहे। यह जानकारी आधारभूत कंप्यूटर अवधारणाओं की व्यापक समझ में योगदान दे सकती है।
लोग, विकास और पर्यावरण

इस अनुभाग को समझने के लिये, अभ्यर्थियों को यह करना चाहिये :

  • विविधता, समावेशन और सतत विकास से संबंधित चिंताओं का समाधान करें।
  • व्यक्ति, समाज और पर्यावरण के बीच अंतर्संबंधों को समझने का प्रयास करें।
उच्चतर शिक्षा प्रणाली

यह देखते हुए कि परीक्षा उच्चतर शिक्षण और शोध से संबंधित है, अभ्यर्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे :

  • भारत में उच्चतर शिक्षण संस्थानों की संरचना और संचालन के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
  • उच्चतर शिक्षा क्षेत्र में नवीनतम विकास से अवगत रहें।

प्रत्येक सेक्शन के लिये लक्षित रणनीति तैयार करने के अलावा, अभ्यर्थियों को विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों और मॉक टेस्ट को हल करके व्यापक अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। हमारे यूजीसी नेट प्रश्नपत्र- I कोर्सेज़ (अंग्रेज़ी और हिंदी) में, हम पर्याप्त संख्या में मॉक टेस्ट प्रदान करते हैं, जो कक्षाओं के दौरान विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों (PYQs) पर चर्चा के साथ पूर्ण होते हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण तैयारी की संपूर्णता सुनिश्चित करता है, जिससे विद्यार्थियों को परीक्षा में आने वाली किसी भी चुनौती से निपटने में सहायता मिलती है।

इसके अलावा, यह सलाह दी जाती है कि विद्यार्थी सभी प्रासंगिक सेक्शन्स को कवर करने वाली एक व्यापक पुस्तक पढ़ें। हमने अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में एक पुस्तक प्रकाशित की है जो आवश्यक विषयों की विस्तृत कवरेज प्रदान करती है और इसमें विगत वर्षों में प्रत्येक सेक्शन से पूछे गए प्रश्न भी शामिल हैं।

उल्लिखित रणनीति का सटीकता के साथ पालन करके, विद्यार्थी प्रश्नपत्र- I में उच्च अंक प्राप्त करने का लक्ष्य रख सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिये अर्हता प्राप्त करने की उनकी संभावनाएँ बढ़ सकती हैं।





प्रश्नपत्र-I का विस्तृत पाठ्यक्रम निम्नलिखित है :

इकाई-I : शिक्षण अभिवृत्ति / अभिक्षमता (Teaching Aptitude)

  • शिक्षण : अवधारणाएँ, उद्देश्य, शिक्षण का स्तर (स्मरण शक्ति, समझ और विचारात्मक), विशेषताएँ और मूल अपेक्षाएँ
  • शिक्षार्थी की विशेषताएँ : किशोर और वयस्क शिक्षार्थी की विशेषताएँ (शैक्षिक, सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक), व्यक्तिगत भिन्नताएँ
  • शिक्षण प्रभावक तत्त्व : शिक्षक, शिक्षार्थी, सहायक सामग्री, अनुदेशात्मक सुविधाएँ, शैक्षिक वातावरण एवं संस्था
  • उच्चतर अधिगम संस्थाओं में शिक्षण पद्धति : अध्यापक-केंद्रित बनाम शिक्षार्थी-केंद्रित पद्धति, ऑफलाइन बनाम ऑनलाइन पद्धतियाँ (स्वयं, स्वयंप्रभा, मूक्स इत्यादि)।
  • शिक्षण सहायक प्रणाली : परंपरागत, आधुनिक और आई.सी.टी. आधारित।
  • मूल्यांकन प्रणालियाँ : मूल्यांकन के तत्त्व और प्रकार, उच्चतर शिक्षा में विकल्प-आधारित क्रेडिट प्रणाली में मूल्यांकन, कंप्यूटर आधारित परीक्षा, मूल्यांकन पद्धतियों में नवाचार।

इकाई-II : शोध अभिवृत्ति /अभिक्षमता (Research Aptitude)

  • शोध : अर्थ, प्रकार और विशेषताएँ, प्रत्यक्षवाद एवं शोध के उत्तर-प्रत्यक्षवादी उपागम
  • शोध पद्धतियाँ : प्रयोगात्मक, विवरणात्मक, ऐतिहासिक, गुणात्मक एवं मात्रात्मक पद्धतियाँ
  • शोध के चरण
  • शोध प्रबंध एवं आलेख लेखन : फॉर्मेट और संदर्भ की शैली
  • शोध में आई.सी.टी. का अनुप्रयोग
  • शोध नैतिकता

इकाई-III : बोध (Comprehension)

  • एक गद्यांश दिया जाएगा, उस गद्यांश से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना होगा।

इकाई-IV : संप्रेषण (Communication)

  • संप्रेषण : संप्रेषण का अर्थ, प्रकार और अभिलक्षण
  • प्रभावी संप्रेषण : वाचिक एवं गैर-वाचिक, अंत:सांस्कृतिक एवं सामूहिक संप्रेषण, कक्षा संप्रेषण
  • प्रभावी संप्रेषण की बाधाएँ
  • जन-मीडिया एवं समाज

इकाई-V : गणितीय तर्क और अभिवृत्ति / अभिक्षमता (Mathematical Reasoning and Aptitude)

  • तर्क के प्रकार
  • संख्या श्रेणी, अक्षर शृंखला, कूट और संबंध
  • गणितीय अभिवृत्ति (अंश, समय और दूरी, अनुपात, समानुपात एवं प्रतिशतता, लाभ और हानि, ब्याज़ और छूट, औसत आदि)।

इकाई-VI : युक्तियुक्त / युक्तिसंगत तर्क (Logical Reasoning)

  • युक्ति के ढाँचे का बोध : युक्ति के रूप, निरुपाधिक तर्कवाक्य का ढाँचा, अवस्था और आकृति, औपचारिक एवं अनौपचारिक युक्ति दोष, भाषा के प्रयोग, शब्दों का लक्ष्यार्थ और वस्त्वर्थ (Denotation), विरोध का परंपरागत वर्ग।
  • निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्ति का मूल्यांकन और विशिष्टीकरण, अनुरूपताएँ
  • वेन आरेख : तर्क की वैधता सुनिश्चित करने के लिये वेन आरेख का सरल और बहुविध प्रयोग
  • भारतीय तर्कशास्त्र : ज्ञान के साधन
  • प्रमाण : प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति और अनुपलब्धि।
  • अनुमान की संरचना और प्रकार, व्याप्ति, हेत्वाभास

इकाई-VII : आँकड़ों की व्याख्या (Data Interpretation)

  • आँकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण
  • गुणात्मक एवं मात्रात्मक आँकडे़
  • चित्रवत वर्णन (बार-चार्ट, हिस्टोग्राम, पाई-चार्ट, टेबल-चार्ट व रेखा-चार्ट) और आँकड़ों का मान-चित्रण
  • आँकड़ों की व्याख्या
  • आँकड़े और शासन

इकाई-VIII : सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology – ICT)

  • आई.सी.टी. : सामान्य संक्षिप्तियाँ और शब्दावली
  • इंटरनेट, इंट्रानेट, ई-मेल, दृश्य-श्रव्य कॉन्फ्रेंसिंग की मूलभूत बातें
  • उच्चतर शिक्षा में डिजिटल पहलें
  • आई.सी.टी. और शासन

इकाई-IX : लोग, विकास और पर्यावरण (People, Development and Environment)

  • विकास और पर्यावरण : सहस्राब्दि विकास और संपोषणीय विकास लक्ष्य
  • मानव और पर्यावरण संव्यवहार : नृजातीय क्रियाकलाप और पर्यावरण पर उनके प्रभाव
  • पर्यावरणपरक मुद्दे : स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक; वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट (ठोस, तरल, बायो-मेडिकल, जोखिमपूर्ण, इलेक्ट्रॉनिक) जलवायु परिवर्तन और इसके सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक आयाम
  • मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषकों का प्रभाव
  • प्राकृतिक और ऊर्जा स्रोत : सौर, पवन, मृदा, जल, भू-ताप,बायोमास, बायो-मास, नाभिकीय और वन
  • प्राकृतिक जोखिम और आपदाएँ : न्यूनीकरण की युक्तियाँ
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना, अंतर्राष्ट्रीय समझौते/प्रयास - मॉण्ट्रियल प्रोटोकॉल, रियो सम्मेलन, जैव विविधता सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

इकाई-X : उच्चतर शिक्षा प्रणाली (Higher Education System)

  • उच्चतर अधिगम संस्थाएँ और प्राचीन भारत में शिक्षा
  • स्वतंत्रता के बाद भारत में उच्चतर अधिगम और शोध का उद्भव
  • भारत में प्राच्य, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक अधिगम कार्यक्रम
  • व्यावसायिक/तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा
  • मूल्य शिक्षा और पर्यावरणपरक शिक्षा
  • नीतियाँ, शासन और प्रशासन



Download PDF