वर्तमान में शिक्षण भारत में सर्वाधिक प्रचलित कॅरियर विकल्प के रूप में केंद्र और राज्य/संघ राज्यक्षेत्र दोनों स्तरों पर लोकप्रिय है। संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली के पास एक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने के बावजूद, दिल्ली सरकार के अधीन विद्यालयों में शिक्षण पदों हेतु दिल्ली और इसके अन्य पड़ोसी राज्यों के युवाओं में इसे लेकर आकर्षण अधिक है। इस आकर्षण का श्रेय दिल्ली की केंद्रीय स्थिति और संबंधित नौकरी में मिलने वाली सुविधाओं जैसे कारकों को दिया जाता है, जिससे यहाँ शिक्षक का पद शिक्षा के क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों की तलाश करने वाले अभ्यर्थियों के लिये एक आकर्षक कॅरियर विकल्प बन जाता है। संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली में शिक्षक भर्ती के लिये प्राथमिक संस्था के रूप में, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) प्राथमिक शिक्षक (PRT), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) और स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT) पदों हेतु परीक्षा का आयोजन कराता है। चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थी की विषय संबंधी समझ, शिक्षण पद्धति और सामान्य योग्यता का आकलन किया जाता है। इस भाग में हम DSSSB द्वारा PRT, TGT और PGT पदों के लिये आयोजित परीक्षाओं की पद्धति और रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।
परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)
DSSSB प्राथमिक शिक्षक (PRT)
क्र. सं.
भाग
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
अवधि
भाग-I
2 घंटे
1.
मानसिक योग्यता और तर्कशक्ति
20
20
2.
सामान्य जागरूकता
20
20
3.
अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता
20
20
4.
हिंदी भाषा एवं बोधगम्यता
20
20
5.
संख्यात्मक अभिक्षमता और आँकड़ों की व्याख्या
20
20
भाग-II
6.
पद के लिये आवश्यक योग्यता और शिक्षण पद्धति से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न
100
100
कुल
200
200
नोट : प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 0.25 अंक (1/4 अंक) का ऋणात्मक अंकन होगा।
DSSSB प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT)
क्र. सं.
भाग
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
अवधि
भाग-I
2 घंटे
1.
सामान्य जागरूकता
20
20
2.
सामान्य बुद्धिमत्ता एवं तर्कशक्ति
20
20
3.
गणितीय एवं संख्यात्मक अभिक्षमता
20
20
4.
हिंदी भाषा एवं बोधगम्यता का परीक्षण
20
20
5.
अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता का परीक्षण
20
20
भाग-II
6.
चयनित विषय तथा उसकी शिक्षण विधि/बी.एड से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न
100
100
कुल
200
200
नोट : प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 0.25 अंक (1/4 अंक) का ऋणात्मक अंकन होगा।
DSSSB स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT)
क्र. सं.
भाग
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
अवधि
भाग-I
3 घंटे
1.
मानसिक योग्यता और तर्कशक्ति
20
20
2.
सामान्य जागरूकता
20
20
3.
अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता
20
20
4.
हिंदी भाषा एवं बोधगम्यता
20
20
5.
संख्यात्मक अभिक्षमता और आँकड़ों की व्याख्या
20
20
भाग-II
6.
पद के लिये आवश्यक योग्यता और शिक्षण पद्धति से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न
200
200
कुल
300
300
नोट : प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 0.25 अंक (1/4 अंक) का ऋणात्मक अंकन होगा ।
रणनीति और पाठ्यक्रम
DSSSB द्वारा आयोजित शिक्षक परीक्षा में सफलता को लक्ष्य बनाने वाले अभ्यर्थियों के लिये एक व्यवस्थित परीक्षा-पूर्व दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है, जो समय प्रबंधन, विषयों की प्राथमिकता, तनाव में कमी और संसाधनों के इष्टतम उपयोग जैसे पहलुओं को ध्यान मे रखकर तैयार किया जाता है। यह रणनीति समय के विवेकपूर्ण विभाजन की सुविधा प्रदान करती है, जिससे परीक्षा के विभिन्न अनुभागों पर संतुलित रूप से ध्यान दिया जा सकता है। प्रमुख विषयों को प्राथमिकता देकर, यह अभ्यर्थियों को परीक्षा पैटर्न से परिचित कराकर तनावमुक्त रखने में मदद करता है। यह दृष्टिकोण संसाधनों के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करता है तथा लक्ष्य-निर्धारण और अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है। कुल मिलाकर, यह रणनीति अभ्यर्थियों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षा का सामना करने हेतु सशक्त बनाती है, जिससे विभिन्न परीक्षा परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने की उनकी क्षमता में वृद्धि होती है। इसे ध्यान में रखते हुए हमने DSSSB परीक्षा प्रश्नपत्र के सभी भागों के लिये व्यापक रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की है। हमारा मानना है कि इन रणनीतियों को अपनाकर, परीक्षार्थी न केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने की बल्कि अधिक अंक प्राप्त करने की संभावना में वृद्धि कर सकते हैं।
DSSSB PRT परीक्षा में दो भाग होते हैं और दोनों भागों से वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। परीक्षा ऑनलाइन माध्यम में आयोजित की जाती है। प्रत्येक प्रश्न के लिये एक अंक निर्धारित है जबकि प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 0.25 अंक (1/4 अंक) का ऋणात्मक अंकन किया जाता है। अभ्यर्थियों को परीक्षा की तैयारी के लिये सीमित समय-सीमा की बाधा का सामना करना पड़ता है, इसलिये आवंटित समय-सीमा के भीतर सभी विषयों को प्रभावी ढंग से कवर करना और तैयार की गई विषयवस्तु के रिवीज़न के लिये कुछ समय निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण है। एक प्रभावी व तार्किक अध्ययन समय-सारिणी तैयार करना और उसका पालन करना DSSSB PRT परीक्षा की तैयारी के लिये एक स्पष्ट मार्ग प्रदान कर सकता है। यह रणनीति अभ्यर्थियों को पाठ्यक्रम और उसमें उल्लिखित विषय के प्रत्येक भाग की तैयारी के लिये विवेकपूर्ण ढंग से समय आवंटित करने, रिवीज़न की योजना बनाने तथा अध्ययन सामग्री और संसाधनों के संबंध में स्पष्ट निर्णय लेने हेतु सक्षम बनाता है।
प्रश्नपत्र के प्रत्येक भाग हेतु विस्तृत अनुभाग-वार रणनीति निम्नलिखित है :
विस्तृत पाठ्यक्रम और कवरेज रणनीति :
पाठ्यक्रम तथा विषय के प्रत्येक भाग के गहन अध्ययन के लिये विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित करें तथा यह प्रयास करें कि संपूर्ण परीक्षा पाठ्यक्रम निर्धारित समय-सीमा में कवर किया जाए। सामान्य जागरूकता से संबंधित टॉपिक्स की व्यापकता को देखते हुए यह अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि आप अपने अध्ययन के कमज़ोर और मज़बूत पक्षों को समझकर बहुविकल्पीय प्रश्नों का यथासंभव अभ्यास करें। इस अनुभाग की बेहतर तैयारी तथा अधिक अंक प्राप्त करने के लिये आप दृष्टि पब्लिकेशन्स की सामान्य ज्ञान (दृष्टि G.K.) तथा वन डे मैजिक सीरीज़ की पुस्तकों को भी अपनी अध्ययन सामग्री में सम्मिलित कर सकते हैं। दूसरी तरफ मानसिक योग्यता एवं तर्कशक्ति की तैयारी के लिये आपको पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों में आए महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स पर यथासंभव अभ्यास करना आवश्यक होगा। इस खंड में प्रश्नों को समयबद्ध तरीके से हल करना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
भाषा अनुभाग में उच्च अंक प्राप्त करने हेतु नई शब्दावली सीखने के लिये नियमित रूप से हिंदी और अंग्रेज़ी समाचार पत्रों को पढ़ने की आदत विकसित करें तथा प्रत्येक दिन समयबद्ध तरीके से अंग्रेज़ी से हिंदी तथा हिंदी से अंग्रेज़ी में कम-से-कम 1-2 अनुच्छेदों का अनुवाद करें। यह अभ्यास, परीक्षा के समय प्रश्नों के उत्तर देने में आपकी गति बढ़ाएगा और परीक्षा के दौरान सटीकता में सुधार करेगा।
भारांश समीक्षा : परीक्षा में पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों के विश्लेषण के माध्यम से पारंपरिक रूप से अधिक भारांश वाले बिंदुओं की पहचान करें और गहराई से समझने तथा उनकी बेहतर तैयारी के लिये अधिक समय दें।
अध्ययन सामग्री : अपनी समय-सारिणी में स्पष्ट रूप से रेखांकित करें कि अध्ययन सामग्री जैसे- विगत वर्षों के प्रश्नपत्र, टेस्ट सीरीज़ और अन्य प्रासंगिक संसाधनों का उपयोग कब करना है। DSSSB PRT मॉक टेस्ट, जिसमें पूर्ण टेस्ट, अध्यायवार और विषयवार टेस्ट सम्मिलित हैं; यह आपकी तैयारी को सुदृढ़ आधार प्रदान करने तथा अन्य अभ्यर्थियों के मुकाबले परीक्षा में आपके प्रदर्शन को बेहतर करने में सहायक होगा।
शिक्षण पद्धति : इस परीक्षा का यह खंड अभ्यर्थियों की शिक्षण पद्धतियों और शैक्षिक अवधारणाओं की समझ का आकलन करता है। बाल मनोविज्ञान, कक्षा प्रबंधन और संचार कौशल पर विशेष ध्यान दें। शैक्षिक दर्शन और शिक्षण-अधिगम की प्रक्रियाओं से खुद को परिचित करें। आलोचनात्मक विचार कौशल और समस्या समाधान की क्षमता विकसित करें। मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों से अभ्यास करें। अपने प्रदर्शन का निरंतर विश्लेषण करें और उन क्षेत्रों की पहचान करें जिनमें सुधार की आवश्यकता है।
DSSSB PRT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम निम्नलिखित है :
मानसिक योग्यता एवं तर्कशक्ति
सादृश्यता, समानताएँ, अंतर, रिक्त स्थान, समस्या-समाधान, विश्लेषण, निर्णय, निर्णय लेना, दृश्य स्मृति, भेदभाव, अवलोकन, संबंध, अवधारणाएँ, अंकगणितीय तर्कशक्ति, मौखिक और आकृति वर्गीकरण, अंकगणितीय संख्या शृंखला आदि।
सामान्य जागरूकता
वर्तमान घटनाक्रम, दैनिक समाचारों का अवलोकन, इतिहास, राजव्यवस्था, खेल, कला और संस्कृति, भूगोल, अर्थशास्त्र, दैनिक विज्ञान, वैज्ञानिक अनुसंधान, राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संगठन/संस्थाएँ आदि।
English Language and Comprehension
Understanding and comprehension of the English Languages, Sentence Structure, Word Power, Articles, Narrations, Prepositions, Punctuations, Comprehension, Fill in the Blanks. Adverb, Error Correction, Sentence Rearrangement, Vocabulary, Antonyms, Synonyms, Idioms, Verbs, Tenses, adjectives, modal, Voice, Subject-Verb Agreement.
हिंदी भाषा एवं बोधगम्यता
संज्ञा एवं संज्ञा के भेद, सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद, विशेषण एवं विशेषण के भेद, क्रिया एवं क्रिया के भेद, वचन, लिंग, उपसर्ग एवं प्रत्यय, वाक्य निर्माण (सरल, संयुक्त एवं मिश्रित वाक्य), पर्यायवाची, विपरीतार्थक, अनेकार्थक, समानार्थी शब्द, मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ, अलंकार, संधि, तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशज शब्द, समास।
संख्यात्मक अभिक्षमता एवं आँकड़ों की व्याख्या
सरलीकरण, दशमलव, आँकड़ों की व्याख्या, भिन्न, ल.स.प., म.स.प., अनुपात और समानुपात, प्रतिशत, औसत, लाभ और हानि, छूट, साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज, क्षेत्रमिति, समय और कार्य, समय और दूरी, तालिकाएँ और ग्राफ आदि।
शिक्षण पद्धति
वृद्धि की अवधारणा, विकास के क्षेत्र, किशोरावस्था को समझना, प्राथमिक और द्वितीयक समाजीकरण संस्थाओं की भूमिका, अधिगम के सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य - व्यवहारवाद, संज्ञानात्मकता और रचनावाद, अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक और उनके निहितार्थ, शिक्षण अधिगम की योजना और संगठन, सुधार, शिक्षण अधिगम की प्रक्रियाएँ : कक्षा अवलोकन और प्रतिपुष्टि, रचनात्मक शिक्षण के साधन के रूप में विचार और संवाद, दिव्यांगता, निर्देशन और परामर्श, समावेशी शिक्षा, विद्यालय संगठन और नेतृत्व, NEP-2020; बच्चों का निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009; शिक्षा में राष्ट्रीय नीतियाँ, विद्यालय पाठ्यचर्या के सिद्धांत : परिप्रेक्ष्य, अधिगम और ज्ञान, पाठ्यचर्या क्षेत्र।
नोट : DSSSB द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर संबंधित विषयों का विस्तृत पाठ्यक्रम नहीं दिया गया है। हमारे द्वारा दिया गया पाठ्यक्रम DSSSB द्वारा अपनी परीक्षाओं में पूछे गए विगत वर्षों के प्रश्नों पर आधारित है।
DSSSB प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT)
DSSSB द्वारा आयोजित TGT परीक्षा में सफलता को लक्ष्य बनाने वाले अभ्यर्थियों द्वारा प्रत्येक विषय के लिये एक व्यवस्थित परीक्षा-पूर्व दृष्टिकोण का निर्माण महत्त्वपूर्ण है। DSSSB TGT परीक्षा में दो भाग होते हैं - भाग-I (सामान्य जागरूकता, सामान्य बुद्धिमत्ता एवं तर्कशक्ति, गणितीय एवं संख्यात्मक अभिक्षमता, हिंदी भाषा एवं बोधगम्यता का परीक्षण तथा अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता का परीक्षण) और भाग-II (चयनित विषय तथा उसकी शिक्षण पद्धति)। दोनों अनुभागों में वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होते हैं। परीक्षा ऑनलाइन माध्यम में आयोजित की जाती है। प्रत्येक प्रश्न के लिये एक अंक निर्धारित है जबकि प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 0.25 अंक (1/4 अंक) का ऋणात्मक अंकन होगा। अभ्यर्थियों को परीक्षा की तैयारी के लिये सीमित समय-सीमा की बाधा का सामना करना पड़ता है, इसलिये आवंटित समय-सीमा के भीतर सभी विषयों को प्रभावी ढंग से कवर करना और तैयार की गई विषयवस्तु के रिवीज़न के लिये कुछ समय निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण है।
प्रत्येक भाग के लिये विस्तृत अनुभाग-वार रणनीति निम्नलिखित है :
भाग-I
सामान्य जागरूकता : पाठ्यक्रम में दिये गए महत्त्वपूर्ण बिंदुओं और पिछली परीक्षाओं में उनकी आवृत्ति को ध्यान में रखते हुए तैयारी की रणनीति बनानी होगी क्योंकि इस खंड की विषयवस्तु स्वयं में व्यापक है। भारतीय इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था और सामान्य विज्ञान जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दें। NCERT पुस्तकों का अध्ययन करें और विशेष रूप से उस विषय के अध्ययन पर ज़ोर दें जिसके लिये आप आवेदन कर रहे हैं। इस खंड में अधिक अंक प्राप्त करने के लिये आप अपनी अध्ययन सामग्री में दृष्टि पब्लिकेशन्स की सामान्य ज्ञान (दृष्टि G.K.) और वन डे मैजिक सीरीज़ तथा DSSSB TGT : प्रैक्टिस वर्क बुक की पुस्तकों को शामिल कर सकते हैं। शिक्षा, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों से संबंधित समसामयिक मुद्दों से अपडेट रहें। परीक्षा पैटर्न को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करें और बार-बार पूछे जाने वाले बिन्दुओं एवं विषयों की पहचान करें, जिसमें दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित प्रैक्टिस वर्क बुक आपकी विशेष सहायता करेगी।
सामान्य बुद्धिमत्ता एवं तर्कशक्ति : इस भाग के लिये आप कुछ प्रामाणिक पुस्तकों की सहायता भी ले सकते हैं। इस खंड में प्रश्नों को समयबद्धता के साथ हल करना अधिक महत्त्वपूर्ण है। भाषिक एवं अभाषिक तर्क सहित विभिन्न प्रकार के तर्कशक्ति से संबंधित प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें। इस खंड में सुधार करने के लिये प्रश्नों का नियमित अभ्यास करें। समय प्रबंधन कौशल पर ध्यान दें ताकि आप निर्धारित समय-सीमा के भीतर संबंधित प्रश्नों को हल कर सकें।
गणितीय एवं संख्यात्मक अभिक्षमता : DSSSB TGT परीक्षा के गणितीय एवं संख्यात्मक अभिक्षमता खंड की तैयारी तथा इसकी परीक्षा पद्धति से अभ्यर्थियों को परिचित करवाने के लिये एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। इसके लिये यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी विगत वर्षों की परीक्षा में पूछे गए महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स पर ध्यान दें तथा उनका अधिक अभ्यास करें। जैसे- सरलीकरण, दशमलव एवं भिन्न, लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्त्य, प्रतिशत, अनुपात एवं समानुपात, औसत, लाभ एवं हानि आदि। गणितीय समस्याओं को हल करने वाले अंतर्निहित सिद्धांतों, सूत्रों तथा नियमों को समझें। गणित की प्रामाणिक पाठ्यपुस्तकों एवं अध्ययन सामग्री का अध्ययन करें। NCERT की पाठ्यपुस्तकें, विशेषतः 10वीं के स्तर तक की पुस्तकें गणित की अवधारणाओं की ठोस समझ बनाने के लिये उत्कृष्ट स्रोत हैं । यह एक कौशल आधारित खंड है इसलिये इसमें नियमित रूप से अभ्यास महत्त्वपूर्ण है, अतः प्रश्नपत्र से संबंधित प्रश्नों का प्रतिदिन अभ्यास करें।
हिंदी तथा अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता का परीक्षण : हिंदी एवं अंग्रेज़ी, दोनों भाषाओं में व्याकरण, शब्दावली एवं बोधगम्यता जैसे बिन्दुओं को मज़बूत करें। इस परीक्षा के लिये कक्षा 10वीं के स्तर की हिंदी एवं अंग्रेज़ी की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन महत्त्वपूर्ण है। प्रतिदिन पढ़ने की आदत विकसित करने से बोध क्षमता बढ़ती है तथा समाचार पत्रों व लेखों का नियमित अध्ययन करना शब्दावली में वृद्धि के लिये लाभदायी होता है। कुल 40 अंकों का यह भाग परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
भाग-II
चयनित विषय एवं उसकी शिक्षण विधि :
प्रश्नपत्र का यह खंड शिक्षण पद्धतियों तथा शैक्षणिक अवधारणाओं के बारे में अभ्यर्थियों की समझ का आकलन करता है। बाल मनोविज्ञान, कक्षा-कक्ष प्रबंधन एवं संप्रेषण कौशल पर ध्यान दें। शैक्षणिक दर्शन एवं शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं का अध्ययन करें। विवेचनात्मक चिंतन कौशल तथा समस्या-समाधान क्षमता विकसित करें। अपने विषय की मूलभूत अवधारणाओं एवं सिद्धांतों की स्पष्ट समझ को सुनिश्चित करें। विषय विशिष्ट पाठ्यक्रम का ज्ञान DSSSB TGT परीक्षा परिणामों की सफलता सूची में आपका नाम सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक प्रतिस्पर्द्धी परीक्षा है इसलिये अभ्यर्थियों का प्रामाणिक पुस्तकों से समयबद्ध रूप से अध्ययन तथा प्रतिदिन विषय से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) का अभ्यास करना महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थियों को विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करना चाहिये, जिससे आप परीक्षा पद्धति को समझ सकें तथा यह निर्धारित कर सकें कि कौन-सा बिंदु/टॉपिक दूसरे की तुलना में अधिक प्रासंगिक है। किसी भी संदेह या अवधारणात्मक अस्पष्टता की स्थिति में पाठ्यपुस्तकों, ऑनलाइन संसाधनों की मदद लें अथवा विषय विशेषज्ञों से परामर्श लें। प्रत्येक विषय को उसके महत्त्व एवं जटिलता के आधार पर निश्चित समय आवंटित करें। चुने गए विषय से संबंधित NCERT पाठ्यपुस्तकों का गहन अध्ययन करें। परीक्षा के समय त्वरित रिवीज़न के लिये संक्षिप्त किंतु सारगर्भित नोट्स तैयार करें तथा रिवीज़न के दौरान अध्ययन के कमज़ोर पक्षों पर विशेष ध्यान दें।
DSSSB TGT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
हिन्दी
गद्य साहित्य
हिन्दी साहित्य का उद्भव, विकास एव गद्य साहित्य की विधाएँ
उपन्यास/कहानी/नाटक/एकांकी/यात्रा-वृत्तांत/संस्मरण/रेखाचित्र/आत्मकथा/जीवनी पर आधारित प्रश्न
काव्य भाग
हिन्दी काव्य का विकास
आदिकालीन काव्य पर प्रश्न
भक्तिकालीन काव्य पर प्रश्न (निर्गुण काव्य, सगुण काव्य तथा सूफी काव्य)
शब्द विचार और शब्द रचना (पर्याय, विलोम, अनेकार्थक, श्रुति-समभिन्नार्थक शब्द इत्यादि)
विकारी शब्द, अविकारी शब्द
वाक्य रचना : (रचना और अर्थ के आधार पर), पद परिचय
अलंकार
शब्द-शक्तियाँ
मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ
अपठित गद्यांश/पद्यांश
संविधान में हिन्दी की स्थिति (संपर्क भाषा हिन्दी, प्रयोजनमूलक हिन्दी, कार्यालय हिन्दी, मानक हिन्दी)
English
Reading Comprehension
Ability to comprehend, analyze and interpret an unseen text
Three/four unseen texts of varying lengths (150-250 words) with a variety of objective type, multiple choice questions (including questions to test vocabulary) testing factual and global comprehension.
Grammar and Usage
Ability to apply the knowledge of syntax, language/grammatical items and to use them accurately in context.
The following grammatical structures will be tested:
Tenses
Modals
Voice
Subject - verb concord
Connectors
Clauses
Parts of speech
Punctuation
Sequencing to form a coherent sentence or a paragraph
Literature
To test the candidate's familiarity with the works of writers of different genres and periods of English Literature.
The candidate should have a thorough knowledge of
Shakespeare's works.
Romantic Period (e.g. Shelley, Wordsworth, Keats, Coleridge, Byron etc.)
19th & 20th Century American and English Literature (e.g. Robert Frost Hemingway, Ted Hughes, Whitman, Hawthorne, Emily Dickinson, Bernard Shaw etc.)
Modern Indian Writing in English (e.g. Anita Desai, Vikram Seth, Nissim Ezekiel, K.N. Daruwala, Ruskin Bond, R.K. Narayan, Mulk Raj Anand, Khushwant Singh etc.)
Modern Writings in English from different parts of the world.
गणित
वास्तविकसंख्याएँ
प्राकृतिक संख्याओं, पूर्णांकों, परिमेय संख्याओं का संख्या रेखा पर निरूपण। क्रमिक आवर्धन के माध्यम से संख्या रेखा पर सांत/असांत आवर्ती दशमलवों का निरूपण। आवर्ती/सांत दशमलव के रूप में परिमेय संख्याएँ। अनावर्ती/असांत दशमलव के उदाहरण। अपरिमेय संख्याओं का अस्तित्व और संख्या रेखा पर उनका निरूपण। यह समझाएँ कि प्रत्येक वास्तविक संख्या को संख्या रेखा पर एक विशिष्ट बिंदु द्वारा दर्शाया जाता है और इसके विपरीत, संख्या रेखा पर प्रत्येक बिंदु एक विशिष्ट वास्तविक संख्या को दर्शाता है। पूर्णांकों की घात तथा घातांक के नियम। धनात्मक वास्तविक आधारों वाले परिमेय घातांक। वास्तविक संख्याओं का परिमेयकरण। यूक्लिड का विभाजन प्रमेय, अंकगणित की आधारभूत प्रमेय। सांत/असांत आवर्ती दशमलव के संदर्भ में परिमेय संख्याओं का विस्तार।
मूलभूतसंख्यासिद्धांत
पीयानो के अभिगृहीत, प्रेरण का सिद्धांत : पहला सिद्धांत, दूसरा सिद्धांत, तीसरा सिद्धांत, मूल प्रतिनिधित्व प्रमेय, सबसे बड़ा पूर्णांक फलन, विभाज्यता का परीक्षण, यूक्लिड का एल्गोरिथ्म, अद्वितीय गुणनखंडन प्रमेय, सर्वांगसमता, चाइनीज शेषफल प्रमेय, किसी संख्या के विभाजकों का योग। यूलर का टोशिएंट(totient) फंक्शन, फॉर्मेट और विल्सन के प्रमेय।
आव्यूह
R पर सदिश समष्टि के रूप में R1, R2, R3 और Rn की अवधारणा तथा उनमें से प्रत्येक के लिये मानक आधार। रैखिक स्वतंत्रता और विभिन्न आधारों के उदाहरण। R2, R3 के उपस्थान। एक बिंदु, रेखा और तल में ट्रांसलेशन, फैलाव, घूर्णन और परावर्तन। मूलभूत ज्यामितीय परिवर्तनों का आव्यूह रूप। आव्यूहों में रैखिक रूपांतरणों के लिये eigenvalues और eigenvectors की व्याख्या तथा अपरिवर्तनीय उप-स्थानों के रूप में eigenspaces। विकर्ण आव्यूह। 3 कोटि तक के आव्यूह का विकर्ण आव्यूह में परिवर्तन। प्रारंभिक पंक्ति संक्रियाओं का उपयोग करके आव्यूह व्युत्क्रमों की गणना। आव्यूह की रैंक, आव्यूहों का उपयोग करके रैखिक समीकरणों के निकाय का हल ।
बहुपद
एक चर वाले बहुपद की परिभाषा, इसके गुणांक, उदाहरण और प्रतिउदाहरण सहित, उसके पद, शून्य बहुपद। एक बहुपद की घात, अचर, रैखिक, द्विघात, त्रिघाती बहुपद, एकपद, द्विपद और त्रिपद। गुणनखंड और गुणज। बहुपद/समीकरण के शून्य/मूल। पूर्णांकों की सादृस्यता तथा उदाहरण सहित शेषफल प्रमेय। गुणनखंड प्रमेय का कथन और प्रमाण। गुणनखंड प्रमेय का उपयोग करके द्विघात और त्रिघात बहुपदों का गुणनखंडन। बीजगणितीय अभिव्यक्तियाँ और सर्वसमिकाएँ तथा बहुपदों के गुणनखंड में उनका उपयोग। इन बहुपदों के लिये सरल व्यंजक।
दोचरवालेरैखिकसमीकरण
दो चरों वाले समीकरण का परिचय। यह सिद्ध करें कि दो चर वाले एक रैखिक समीकरण के अनंत हल होते हैं और उन्हें वास्तविक संख्याओं, बीजगणितीय और आलेखीय समाधानों के क्रमित युग्म के रूप में लिखे जाने का कारण बताएँ।
दोचरोंवालेरैखिकसमीकरणोंकायुग्म
दो चरों में रैखिक समीकरणों का युग्म। समाधान/असंगतता की विभिन्न संभावनाओं का ज्यामितीय निरूपण। समाधानों के लिये बीजगणितीय शर्तें। दो चरों वाले रैखिक समीकरणों के एक युग्म का बीजगणितीय हल - प्रतिस्थापन , विलोपन और क्रॉस गुणन विधि द्वारा।
द्विघातीयसमीकरण
द्विघात समीकरण का मानक रूप। द्विघात सूत्र का उपयोग करके द्विघात समीकरणों का हल (केवल वास्तविक मूल)- गुणनखंड विधि द्वारा तथा पूर्ण वर्ग विधि द्वारा। विभेदक और मूलों की प्रकृति के बीच संबंध। मूलों और गुणांकों के बीच संबंध, समीकरण के मूलों के सममित फलन । उभनिष्ठ मूल।
समांतरश्रेणी
nवें पद और पहले n पदों का योग ज्ञात करने के मानक परिणामों की व्युत्पत्ति।
असमानताएँ
प्राथमिक असमानताएँ, निरपेक्ष मान, माध्यों (Means) की असमानता, कॉची-श्वार्ज़(Cauchy – Schwarz) असमानता, चेबीशेफ(Chebycheff's) असमानता।
कलन (Calculus)
समुच्चय, फलन और उनके ग्राफ : बहुपद, ज्या, कोज्या, घातांकीय और लघुगणकीय फलन। सीढ़ी फलन(Step function) , सीमाएँ और निरंतरता। विभेदन, विभेदन की विधियाँ जैसे शृंखला नियम, उत्पाद नियम और भागफल नियम। उपर्युक्त फलनों(Functions) का द्वितीय क्रम अवकलज(Second order derivatives) । अवकलन के विपरीत प्रक्रम के रूप में समाकलन । उपर्युक्त फलनों के समाकलन।
यूक्लिडियनज्यामिति
अभिगृहीत(Axioms)/अभिधारणाएँ और प्रमेय। यूक्लिड की पाँच अभिधारणाएँ। पाँचवी अभिधारणा के समतुल्य संस्करण। अभिगृहीत और प्रमेय के बीच संबंध। प्रमेय, रेखाएँ और कोण, त्रिभुज और चतुर्भुज, समांतर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफलों पर प्रमेय, वृत्त, वृत्तों पर प्रमेय, समरूप त्रिभुज, समरूप त्रिभुजों पर प्रमेय। ज्यामितीय रचनाएँ ।
निर्देशांक ज्यामिति : कार्तीय तल, एक बिंदु के निर्देशांक, दो बिंदुओं के बीच की दूरी और विभाजन सूत्र, त्रिभुज का क्षेत्रफल।
क्षेत्रफलऔरआयतन
हेरॉन(Heron's) के सूत्र का उपयोग करके एक त्रिभुज का क्षेत्रफल और एक चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात करने में इसका अनुप्रयोग। घनों, घनाभों, गोले (अर्द्धगोला सहित) और लंब वृत्तीय बेलन/शंकुओं का सतह क्षेत्रफल और आयतन। एक शंकु का छिन्नक। वृत्त का क्षेत्रफल : वृत्त के त्रिज्यखंडों और वृत्तखंडों का क्षेत्रफल।
त्रिकोणमिति
समकोण त्रिभुज के न्यून कोण का त्रिकोणमितीय अनुपात। अनुपातों के बीच संबंध। त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ। पूरक कोणों का त्रिकोणमितीय अनुपात। ऊँचाई और दूरियां.
सांख्यिकी
सांख्यिकी का परिचय : डेटा का संग्रह, डेटा की प्रस्तुति, सारणीबद्ध रूप, असमूहीकृत/समूहीकृत, बार ग्राफ, हिस्टोग्राम, आवृत्ति बहुभुज, एकत्रित डेटा की सही रूप में प्रस्तुति के लिये डेटा का गुणात्मक विश्लेषण। अवर्गीकृत डेटा का माध्य, माध्यिका और मोड। समूहीकृत डेटा का माध्य, माध्यिका और मोड। संचयी आवृत्ति ग्राफ।
प्रायिकता
प्रायिकता और मूलभूत सिद्धांत। असतत और सतत यादृच्छिक चर, गणितीय अपेक्षा, द्विपद का माध्य और प्रसरण, पॉइसन और सामान्य वितरण। सैम्पल माध्य और सैम्पलिंग वेरिएंस। मानक सामान्य चर का उपयोग करके परिकल्पना परीक्षण। कर्व फिटिंग। सहसंबंध और समाश्रयण(Regression)।
सामाजिक विज्ञान
इतिहास
समसामयिक विश्व
औद्योगिक क्रांति
आर्थिक मंदी
श्रमिक और किसान वर्ग के मुद्दे
बीसवीं सदी में भारत में उद्योगों का विकास
भारत में औपनिवेशिक समाज की विशेषताएँ
फ्राँसीसी क्रांति
कारण, घटनाक्रम, प्रभाव और परिणाम
1857 का विद्रोह
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम - 1885 से 1947 तक
रूसी क्रांति - 1917, कारण, घटनाएँ, रूस और शेष विश्व पर प्रभाव, परिणाम
समाजवाद का उदय
कार्ल मार्क्स का दर्शन
यूरोप में समाजवाद
समाजवाद का प्रभाव
जर्मनी और इटली में फासीवादी ताकतों का उदय।
दो विश्व युद्ध और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना।
भूगोल
सौरमंडल का परिचय, पृथ्वी की उत्पत्ति।
पृथ्वी की गतियाँ : परिक्रमण, परिभ्रमण, दिन और रात का होना, ऋतुओं का परिवर्तन, अक्षांश और देशांतर, समय निर्धारण।
पृथ्वी का आंतरिक भाग : महाद्वीपों और महासागरीय घाटियों की उत्पत्ति, वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, प्लेट टेक्टोनिक्स(विवर्तनिकी) सिद्धांत, भूकंप और ज्वालामुखी, वलन और भ्रंशन।
चट्टानें और खनिज : चट्टानों के प्रकार, मिट्टी का निर्माण, प्रमुख प्रकार एवं विशेषताएँ।
तल संतुलन/उन्नयन(Gradation) के कारक : अपक्षय, बड़े पैमाने पर बर्बादी, बहता पानी, वायु, ग्लेशियर, समुद्री लहरें और कार्स्ट स्थलाकृति।
जलवायु
वायुमंडल : संरचना और संगठन, मौसम और जलवायु के तत्त्व, सूर्यातप : ऊष्मा बजट, वायुमंडल का तापन और शीतलन, चालन, संवहन, सौर विकिरण, पार्थिव विकिरण, अभिवहन, तापमान, तापमान को नियंत्रित करने वाले कारक, तापमान का क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर वितरण।
दाब : दाब कटिबंध, पवनें, चक्रवात और प्रतिचक्रवात, वाष्पन, संघनन और वर्षण के रूप: आर्द्रता, वर्षा और उसके प्रकार।
जल (महासागर) : पृथ्वी की सतह पर जल निकायों का वितरण, जलीय चक्र ।
महासागर : अंतः सागरीय उच्चावच, तापमान और लवणता का वितरण; महासागरीय जलधाराओं की गति; अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर की धाराएँ और ज्वार-भाटा ।
मानचित्र और पैमाने : परिभाषा और वर्गीकरण, दिशा निर्धारण, पारंपरिक संकेत, मानचित्र पर उच्चावच विशेषताओं को दर्शाने की तकनीक, समोच्च रेखाएँ(कंटूर), हैच्यूर्स, पर्वतीय छायाकरण(हिल शेडिंग), स्तर वर्णन (लेयर टिंटिंग)। जलवायवीय आँकड़ों का निरूपण, रेखा और बार ग्राफ, क्लाइमो ग्राफ , समताप रेखाएँ, समदाब रेखाएँ और समवर्षा रेखाएँ ।
जैवमंडल : पारिस्थितिकी, पारिस्थितिक तंत्र का प्रकार, पारिस्थितिक तंत्र की संरचना और कार्य- खाद्य शृंखला, खाद्य जाल(वेब), दुनिया के प्रमुख बायोम, पारिस्थितिक संतुलन, जैव विविधता और इसका संरक्षण।
भारत (आकार और स्थिति )
भारत की भौतिक विशेषताएँ
भू-वैज्ञानिक संरचना, भू-आकृतिक विभाजन, अपवाह तंत्र और इसका विकास।
जलवायु : भारतीय मानसून की उत्पत्ति और क्रियाविधि, भारत की ऋतुएँ, भारत की जलवायु का वर्गीकरण (कोपेन के अनुसार)
मृदा : प्रकार और वितरण, प्राकृतिक वनस्पति - प्रकार और वितरण।
जनसंख्या : जनसंख्या की वृद्धि और वितरण - कारण और निर्धारक घटक, प्रवासन-कारण और परिणाम,
संसाधन के रूप में जनसंख्या, भारत के संदर्भ में जनसंख्या समस्याएँ एवं नीतियाँ।
संसाधन और विकास : संसाधनों और पर्यावरण का अर्थ, प्रकृति और घटक; संसाधन, पर्यावरण और प्रौद्योगिकी इंटरफेस; संसाधनों का वर्गीकरण। जल, खनिज, वन और मत्स्य पालन का वितरण, उपयोग, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्त्व तथा जल संरक्षण। प्रमुख फसलों, वन्यजीव संसाधन और ऊर्जा संसाधनों का उत्पादन और वितरण।
कृषि : आर्द्र एवं शुष्क कृषि; गहन, व्यापक, स्थानांतरणीय, वाणिज्यिक और बागवानी कृषि का विकास और समस्याएँ, फसल गहनता, प्रमुख फसलें।
विनिर्माण उद्योग : वर्गीकरण, स्थानीय कारक, प्रकार और वितरण, भारत के औद्योगिक समूह (Clusters), चीनी का उत्पादन और वितरण, सूती कपड़ा, लोहा और इस्पात, रसायन और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ : परिवहन और संचार के साधन, सड़कें, रेलवे, जलमार्ग और वायुमार्ग, तेल और गैस पाइपलाइन, राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड, रेडियो, टेलीविज़न उपग्रह और कंप्यूटर।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार : भारत के विदेशी व्यापार, बंदरगाहों और हवाई अड्डों का बदलता स्वरूप; व्यापार के रूप में पर्यटन।
क्षेत्रों का वर्गीकरण जैसे- प्राथमिक/ द्वितीयक/ तृतीयक/ संगठित/ असंगठित/ सार्वजनिक/निजीक्षेत्र
लघुएवंवृहद्उद्योग
सार्वजनिकक्षेत्रकाप्रदर्शन
निजीकरण
औद्योगिकक्षेत्रमेंरोज़गारवृद्धि
मुद्राऔरसाख :
भारतीयमौद्रिकप्रणाली
मुद्राकेकार्य
बैंक :
केंद्रीयबैंककेकार्य,
वाणिज्यिकबैंक
स्वयंसहायतासमूह (SHG)
ऋणजाल
मुद्राकीमांगऔरमुद्राकीआपूर्ति
वित्तीयबाज़ार
मुद्राऔरपूंजीबाज़ार
भारतमेंमौद्रिकसमुच्चय
नागरिकशास्त्र
सत्ताकीसाझेदारी
संघवाद
लोकतंत्रऔरविविधता
राजनीतिकदल
चुनाव
लोकतंत्रकीचुनौतियाँ
लोकप्रियसंघर्षऔरआंदोलन, जैसे- नेपाल, बोलीवियामें।
लोकतंत्र :
अवधारणा
मुख्यविशेषताएँ
स्थानीयस्वशासन
चुनाव
भारतऔरविश्वमेंलोकतंत्र
भारतीयसंविधान :
संविधानकानिर्माण
संविधानकोअंगीकृतकरना
संस्थानोंकीकार्यप्रणाली - संसद, न्यायपालिका
मौलिकअधिकार
विज्ञान
धाराकाप्रभाव
विभव, विभवांतर, ओम का नियम, प्रतिरोधों का शृंखला संयोजन, प्रतिरोधों का समानांतर संयोजन, प्रतिरोध के कारण शक्ति का क्षय, शक्ति; धारा; विभव और प्रतिरोध के बीच अंतर संबंध। चुंबकीय क्षेत्र और चुंबकीय रेखा, धारा प्रवाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र, फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम, विद्युत चुंबकीय प्रेरण, प्रेरित विभवांतर, प्रेरित धारा, प्रत्यक्ष धारा, प्रत्यावर्ती धारा, प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति, विद्युत मोटर और विद्युत जेनरेटर(जनित्र) का लाभ।
प्रकाश
प्रकाश का अभिसरण और विचलन, अवतल दर्पण द्वारा निर्मित छवियाँ; संबंधित अवधारणाएँ, वक्रता केंद्र; मुख्य अक्ष, प्रकाशिक केंद्र, केंद्र बिंदु, फोकल लंबाई, अपवर्तन और अपवर्तन के नियम। उत्तल लेंस द्वारा निर्मित छवियाँ; नेत्र की कार्यप्रणाली एवं उपचार। गोलाकार दर्पण और लेंस के अनुप्रयोग। अपवर्तन सूचकांक की अवधारणा के अनुप्रयोग; तारों की टिमटिमाहट, प्रकाश का फैलाव, प्रकाश का प्रकीर्णन।
ऊर्जाकेस्रोत
ऊर्जा के विभिन्न रूप, मानव उपयोग के लिये महत्त्वपूर्ण ऊर्जा सूत्र हैं : जीवाश्म ईंधन; सौर ऊर्जा; बायोगैस; पवन ऊर्जा; जल एवं ज्वारीय ऊर्जा तथा परमाणु ऊर्जा आदि। नवीकरणीय तथा गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत।
गति : बलऔरन्यूटनकेनियम
विस्थापन, वेग, एक सीधी रेखा के सापेक्ष एकसमान और असमान गति, त्वरण; दूरी-समय और वेग, एकसमान और समान रूप से त्वरित गति के लिये समय ग्राफ; ग्राफिकल(आलेखीय) विधि द्वारा गति के समीकरण; एकसमान वृत्तीय गति संबंधी मौलिक विचार।
बल और गति, न्यूटन के गति के नियम, किसी पिंड का जड़त्व, जड़त्व और द्रव्यमान, संवेग बल और त्वरण, संवेग संरक्षण का मूलभूत विचार, क्रिया और प्रतिक्रिया बल।
गुरुत्वाकर्षण : कार्य, ऊर्जाऔरशक्ति
गुरुत्वाकर्षण, गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौमिक सिद्धांत, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल, गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण, द्रव्यमान और भार, स्वतंत्र रूप से नीचे की ओर गिरना(Free Fall) । किसी बल द्वारा किया गया कार्य; ऊर्जा; शक्ति, गतिज और संभावित ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण का नियम।
उत्प्लावन
प्रणोद और दबाव, आर्किमिडीज़ का सिद्धांत, उछाल, सापेक्षिक घनत्व की मूलभूत अवधारणा ।
ध्वनि
ध्वनि की प्रकृति और विभिन्न माध्यमों में इसका प्रसार, ध्वनि की गति, मनुष्यों में सुनने की सीमा; अल्ट्रासाउंड, ध्वनि का परावर्तन; गूँज(Echo) और सोनार; मानव कर्ण की संरचना (केवल श्रवण पहलू)।
पदार्थ-प्रकृतिऔरव्यवहार : पदार्थकीअवस्थाएँ
गैसें, तरल पदार्थ, ठोस, प्लाज्मा और बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट्स(BEC), अंतरआणविक बलों के प्रकार। पदार्थ का मिश्रण एवं शुद्ध पदार्थ में वर्गीकरण, हेनरी का नियम। विलियनों की सांद्रता। कोलॉइड - कोलॉइड के चरण, टिंडल प्रभाव, ब्राउनी गति, निलंबन। पदार्थ के गुण, पदार्थ के गुणों का मापन- एस.आई.(SI) मात्रकों की प्रणाली, भौतिक और रासायनिक परिवर्तन।
रासायनिकसंयोजनकेनियम
गै-लुसैक का नियम, एवोगैड्रो का नियम, परमाणु और आणविक द्रव्यमान, औसत परमाणु द्रव्यमान, मोल(Mole) की अवधारणा और आणविक द्रव्यमान, प्रतिशत संरचना।
परमाणुकीसंरचना
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत, विसर्जन नलिका प्रयोग, जे.जे. थॉमसन का परमाणु मॉडल, रदरफोर्ड का मॉडल, बोर का परमाणु मॉडल, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, आयनों का निर्माण; धातु, उपधातु या अधातु के रूप में तत्त्वों की विशेषता, आइसोटोप (उनके अनुप्रयोग), आइसोबार और आइसोटोन।
तत्त्वोंकाआवर्तिकवर्गीकरण
मेंडलीव का आवर्त नियम, तत्त्वों के आवर्त गुण, आवर्त और समूहों में प्रवृत्ति : आवर्त सारणी का महत्त्व, आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति।
रासायनिकपदार्थ
अम्ल, क्षार और लवण की प्रकृति व व्यवहार : अम्ल और क्षार की शास्त्रीय परिभाषा, ब्रान्सटेड-लोरी सिद्धांत, लूइस की अम्ल और क्षार की अवधारणा, अम्ल और क्षार की सापेक्ष शक्ति, लघुगणक या पीएच स्केल- pH, pOH और pKw , विलियन में आयनिक साम्य/संतुलन । अम्ल और क्षार पर सूचकों की प्रतिक्रिया, अम्ल और क्षार के स्रोत, लवण- लवण का वर्गीकरण और उनका pH।
रासायनिकअभिक्रियाएँ
रासायनिक समीकरणों का निर्माण, रासायनिक समीकरणों को संतुलित करना, रासायनिक समीकरणों के प्रकार उदाहरण सहित।
धातुऔरअधातु
सभी गुणों और अनुप्रयोगों सहित धातुओं और अधातुओं के लक्षण, प्रकृति में धातुओं की उपस्थिति : अयस्क और खनिज, अयस्कों का संवर्द्धन- धातुकर्म प्रक्रियाएँ । संक्षारण : लोहे में जंग लगना – संक्षारण निवारण।
कार्बनयौगिक
आवर्त सारणी में कार्बन की स्थिति, संकरण की अवधारणा और अणुओं के आकार, संरचनात्मक सूत्र और आणविक मॉडल, कार्बनिक यौगिकों द्वारा होने वाली अभिक्रियाओं के प्रकार, विभिन्न कार्यात्मक समूहों वाले यौगिकों की समजातीय श्रेणी, समावयवता(Isomerism), कार्बनिक यौगिकों का IUPAC नामकरण। हाइड्रोकार्बन- कोयला एवं पेट्रोलियम का निर्माण और उनका वर्गीकरण। एल्केन्स का निर्माण, गुण और औद्योगिक स्रोत। एल्कोहल : निर्माण और गुण। एल्कोहल का गुणात्मक विश्लेषण, आयोडोफॉर्म परीक्षण, एल्कोहल का जीवों पर प्रभाव। कार्बोक्सिलिक अम्ल : निर्माण और गुण। कार्बोक्सिलिक अम्ल का प्रकार्यात्मक समूह परीक्षण। साबुन, डिटर्जेंट, बायोडिग्रेडेबल डिटर्जेंट, कार्बन तंतु(Fibers)।
प्राकृतिकसंसाधनोंकासंरक्षण
नदी जल प्रदूषण, जल की गुणवत्ता में सुधार के लिये गंगा एक्शन प्लान। प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन की आवश्यकता।
प्रदूषण को रोकने और वायुमंडलीय संरक्षण के लिये गैर-पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों का विकास।
मानवनिर्मितपदार्थ
चीनी मिट्टी की वस्तुएँ, सीमेंट, चीनी मिट्टी के बर्तन(Porcelain), काँच, कार्बन तंतु(फाइबर), साबुन और डिटर्जेंट, पॉलिमर, तंतु(फाइबर) और प्लास्टिक।
जीवनकाचक्र
जैव प्रक्रम क्या है?
पोषण की आवश्यकता
जंतुओं में पोषण की विभिन्न विधियाँ
प्रकाश संश्लेषण क्या है?
होलोज़ोइक पोषण के विभिन्न चरण
वायवीय और अवायवीय श्वसन
मनुष्यों में परिवहन (परिसंचरण तंत्र)
पादपों में परिवहन
जंतुओं में परिवहन
जंतुओं(मानवों सहित) में उत्सर्जन
पौधों में उत्सर्जन
नियंत्रणएवंसमन्वय
जंतु - तंत्रिका तंत्र
जंतुओं में तंत्रिका तंत्र की मूल इकाई
प्रतिवर्ती क्रिया
मानव मस्तिष्क
पादपों में समन्वय
भू-अनुवर्तन(Geotropism) - सकारात्मक, नकारात्मक
जंतुओं में हॉर्मोन
अंतःस्रावी और बहिःस्रावी ग्रंथियाँ
प्रजनन
विविधता का महत्त्व
एकल जीवों द्वारा उपयोग किये जाने वाले प्रजनन के तरीके
वातावरण, जलवायु नियंत्रण में वातावरण की भूमिका, वायु, वर्षा, पर्यावरणीय प्रदूषण
ग्लोबल वार्मिंग(वैश्विक तापन) और ग्रीनहाउस(हरित गृह) प्रभाव, अम्लीय वर्षा, कणिकीय प्रदूषक, स्मॉग, प्रकाश रासायनिक स्मॉग का निर्माण
ओज़ोन परत का निर्माण और इसके विखंडन से ओज़ोन छिद्र का निर्माण, ओज़ोन छिद्र बनने के कारण, ध्रुवीय भँवर, ओज़ोन क्षरण के प्रभाव
जल प्रदूषण-ऑक्सीजन की मांग, रासायनिक ऑक्सीजन की मांग, पेयजल के अंतर्राष्ट्रीय मानक, पेयजल प्रसंस्करण
मृदा प्रदूषण : जल पुनर्चक्रण, पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने की रणनीतियाँ, प्रदूषकों का संग्रहण और निपटान के उचित तरीके
जैव-भू-रासायनिक चक्र : जल चक्र, नाइट्रोजन चक्र, कार्बन चक्र और ऑक्सीजन चक्र
प्राणवायु : वायु, वायु प्रदूषण
जल एक अद्भुत द्रव
जल प्रदूषण
जैव भू-रासायनिक चक्र, नाइट्रोजन चक्र, कार्बन चक्र,ऑक्सीजन चक्र
नोट : DSSSB द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर संबंधित विषयों का विस्तृत पाठ्यक्रम नहीं दिया गया है। हमारे द्वारा दिया गया पाठ्यक्रम DSSSB द्वारा अपनी परीक्षाओं में पूछे गए विगत वर्षों के प्रश्नों पर आधारित है।
DSSSB स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT)
DSSSB PGT परीक्षा की प्रभावी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को सभी विषयों को कवर करने वाला व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। DSSSB PGT परीक्षा में दो भाग होते हैं- भाग-I (मानसिक योग्यता एवं तर्कशक्ति, सामान्य जागरूकता, अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता, हिंदी भाषा एवं बोधगम्यता, संख्यात्मक अभिक्षमता एवं आँकड़ों की व्याख्या) तथा भाग-II (चयनित विषय तथा उसकी शिक्षण विधि)। दोनों अनुभागों में वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। परीक्षा ऑनलाइन माध्यम में आयोजित की जाती है। प्रत्येक प्रश्न के लिये एक अंक निर्धारित है जबकि प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 0.25 अंक (1/4 अंक) का ऋणात्मक अंकन होगा। प्रत्येक विषय की गहन समझ अभ्यर्थियों को अपने मज़बूत एवं कमज़ोर पक्षों का आकलन करने की अनुमति प्रदान करती है जिससे वे अपने अध्ययन के समय को रणनीतिक रूप से प्रबंधित करने में सक्षम होते हैं।
प्रत्येक भाग हेतु विस्तृत रणनीति निम्नलिखित है :
भाग-I
मानसिक योग्यता एवं तर्कशक्ति : भाग-I के इस खंड के लिये आप कुछ प्रामाणिक पुस्तकों की सहायता ले सकते हैं। इस खंड में प्रश्नों को समयबद्धता के साथ हल करना अधिक महत्त्वपूर्ण है। भाषिक एवं अभाषिक तर्क सहित विभिन्न प्रकार के तर्कशक्ति से संबंधित प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें। इस खंड में सुधार के लिये नियमित अभ्यास करें। समय प्रबंधन कौशल पर ध्यान दें ताकि आप निर्धारित समय-सीमा के भीतर इससे संबंधित प्रश्नों को हल कर सकें।
सामान्य जागरूकता : पाठ्यक्रम में दिये गए महत्त्वपूर्ण बिंदुओं और पिछली परीक्षाओं में उनकी आवृत्ति को ध्यान में रखते हुए तैयारी की रणनीति बनानी होगी क्योंकि इस खंड की विषयवस्तु स्वयं में व्यापक है। भारतीय इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था और सामान्य विज्ञान जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दें। NCERT पुस्तकों का अध्ययन करें और विशेष रूप से उस विषय के अध्ययन पर ज़ोर दें जिसके लिये आप आवेदन कर रहे हैं। इस खंड में अधिक अंक प्राप्त करने के लिये आप अपनी अध्ययन सामग्री में दृष्टि पब्लिकेशन्स की सामान्य ज्ञान (दृष्टि G.K.), वन डे मैजिक सीरीज़ तथा DSSSB PGT : प्रैक्टिस वर्क बुक की पुस्तकों को शामिल कर सकते हैं। शिक्षा, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों से संबंधित समसामयिक मुद्दों से अपडेट रहें। परीक्षा पैटर्न को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करें और बार-बार पूछे जाने वाले बिन्दुओं एवं विषयों की पहचान करें, जिसमें दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित प्रैक्टिस वर्क बुक आपकी विशेष सहायता करेगी।
हिंदी तथा अंग्रेज़ी भाषा एवं बोधगम्यता : हिंदी एवं अंग्रेज़ी, दोनों भाषाओं में व्याकरण, शब्दावली एवं बोधगम्यता जैसे बिन्दुओं को मज़बूत करें। इस परीक्षा के लिये कक्षा 11 वीं-12वीं के स्तर की हिंदी एवं अंग्रेज़ी की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन महत्त्वपूर्ण है। प्रतिदिन पढ़ने की आदत विकसित करने से बोध क्षमता बढ़ती है तथा समाचार पत्रों व लेखों का नियमित अध्ययन करना शब्दावली में वृद्धि के लिये लाभदायी होता है। कुल 40 अंकों का यह भाग परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
संख्यात्मक अभिक्षमता एवं आँकड़ों की व्याख्या : DSSSB PGT परीक्षा के संख्यात्मक अभिक्षमता एवं आँकड़ों की व्याख्या खंड की तैयारी तथा इसकी परीक्षा पद्धति से अभ्यर्थियों को परिचित करवाने के लिये एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। इसके लिये यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी विगत वर्षों की परीक्षा में पूछे गए महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स पर ध्यान दें तथा उनका अधिक अभ्यास करें। जैसे- सरलीकरण, दशमलव एवं भिन्न, लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्त्य, प्रतिशत, अनुपात एवं समानुपात, औसत, लाभ एवं हानि आदि। गणितीय समस्याओं को हल करने वाले अंतर्निहित सिद्धांतों, सूत्रों तथा नियमों को समझें। गणित की प्रामाणिक पाठ्यपुस्तकों एवं अध्ययन सामग्री का अध्ययन करें। NCERT की पाठ्यपुस्तकें, विशेषतः 11वीं-12वीं के स्तर तक की पुस्तकें गणितीय अवधारणाओं की ठोस समझ बनाने के लिये उत्कृष्ट स्रोत हैं । यह एक कौशल आधारित खंड है इसलिये इसमें नियमित रूप से अभ्यास महत्त्वपूर्ण है, अतः प्रश्नपत्र से संबंधित प्रश्नों का प्रतिदिन अभ्यास करें।
भाग-II
चयनित विषय एवं उसकी शिक्षण विधि : प्रश्नपत्र का यह खंड शिक्षण पद्धतियों तथा शैक्षणिक अवधारणाओं के बारे में अभ्यर्थियों की समझ का आकलन करता है। बाल मनोविज्ञान, कक्षा-कक्ष प्रबंधन एवं संप्रेषण कौशल पर ध्यान दें। शैक्षणिक दर्शन एवं शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं का अध्ययन करें। विवेचनात्मक चिंतन कौशल तथा समस्या-समाधान क्षमता विकसित करें। अपने विषय की मूलभूत अवधारणाओं एवं सिद्धांतों की स्पष्ट समझ को सुनिश्चित करें। विषय विशिष्ट पाठ्यक्रम का ज्ञान DSSSB PGT परीक्षा परिणामों की सफलता सूची में आपका नाम सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक प्रतिस्पर्द्धी परीक्षा है इसलिये अभ्यर्थियों का प्रामाणिक पुस्तकों से समयबद्ध रूप से अध्ययन तथा प्रतिदिन विषय से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) का अभ्यास करना महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थियों को विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करना चाहिये, जिससे आप परीक्षा पद्धति को समझ सकें तथा यह निर्धारित कर सकें कि कौन-सा बिंदु/टॉपिक दूसरे की तुलना में अधिक प्रासंगिक है। किसी भी संदेह या अवधारणात्मक अस्पष्टता की स्थिति में पाठ्यपुस्तकों, ऑनलाइन संसाधनों की मदद लें अथवा विषय विशेषज्ञों से परामर्श लें। प्रत्येक विषय को उसके महत्त्व एवं जटिलता के आधार पर निश्चित समय आवंटित करें। चुने गए विषय से संबंधित NCERT पाठ्यपुस्तकों का गहन अध्ययन करें। परीक्षा के समय त्वरित रिवीज़न के लिये संक्षिप्त किंतु सारगर्भित नोट्स तैयार करें तथा रिवीज़न के दौरानअध्ययन के कमज़ोर पक्षों पर विशेष ध्यान दें।
DSSSB PGT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
भूगोल
भूगोलएकविषयकेरूपमें
प्राचीन काल, मध्यकाल और आधुनिक काल में भौगोलिक विचार- वेरेनियस, कांट, रेने, हम्बोल्ट और रिटर का योगदान, रिचथोफेन एवं डार्विन का प्रभाव, विडाल डि ला ब्लॉश तथा फ्रेडरिक रैटज़ेल आदि
समकालीन भूगोल- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, पर्यावरणवाद, क्षेत्रीय विभेदीकरण, स्थानिक संरचना एवं तंत्र, व्यवहारवादी एवं अवधारणात्मक/अनुभवात्मक भूगोल, भूगोल में प्रत्यक्षवाद, मानववादी भूगोल, मार्क्सवादी भूगोल एवं समालोचनात्मक सामाजिक सिद्धांत, भारतीय भूगोल का विकास
पृथ्वीकीउत्पत्तिएवंविकास
सौरमंडल का परिचय
पृथ्वीकीगतियाँ : घूर्णन, परिक्रमण, दिन और रात का होना, ऋतुओं का परिवर्तन, अक्षांश एवं देशांतर, समय माप
पृथ्वीकाआंतरिकभाग : महाद्वीपों एवं महासागरों की उत्पत्ति, वेगनर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत, भूकंप एवं ज्वालामुखी, वलन एवं भ्रंश
पृथ्वीकीउत्पत्ति : नीहारिका परिकल्पना (पुराना सिद्धांत) तथा बिग-बैंग सिद्धांत; महाद्वीपों, महासागरों एवं वायुमंडल का विकास
पृथ्वी का आंतरिक भाग तथा महासागरों एवं महाद्वीपों का वितरण
पृथ्वी की आंतरिक संरचना (भूकंपीय साक्ष्यों के आधार पर), महाद्वीपों एवं महासागरीय नितल की उत्पत्ति, वेगनर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत, प्लेट संचलन एवं अंतःक्रिया- ज्वालामुखी तथा भूकंप
भू-आकृतियाँ
खनिज एवं चट्टानें- चट्टानों का वर्गीकरण, शैल चक्र; महत्त्वपूर्ण खनिज अनाच्छादन की भू-आकृतिक प्रक्रिया, अंतर्जात एवं बहिर्जात प्रक्रियाएँ, वृहद् क्षरण, भूस्खलन, नदी के कार्य, ग्लेशियर, पवन, समुद्री तरंगें, मृदा-निर्माण की प्रक्रियाएँ
जलवायु
वायुमंडल- संघटन एवं संरचना, सूर्यातप एवं तापमान, वायुमंडलीय दबाव एवं पवन, वायुमंडलीय आर्द्रता, चक्रवात, जलवायु का वर्गीकरण (कोपेन तथा थॉर्नथ्वेट का वर्गीकरण), वैश्विक जलवायु परिवर्तन- कारण एवं प्रभाव
जल(महासागर)
समुद्र तल का भू-आकृतिक विज्ञान; अटलांटिक, प्रशांत तथा हिंद महासागर की अंतःसागरीय उच्चावच विशेषताएँ, महासागरीय जल संचलन- तरंगें, ज्वार-भाटा, धाराएँ; महासागरीय निक्षेप तथा प्रवाल भित्तियाँ
पृथ्वीपरजीवन
पर्यावरण भूगोल में दृष्टिकोण, भूदृश्य, पारिस्थितिक एवं अनुभवात्मक दृष्टिकोण, मानव एवं जैवमंडल : अन्योन्यक्रियात्मक तथा गतिशील संबंध, मानव का जैव भू-रासायनिक चक्र पर प्रभाव
भारत
भारतीय राज्य-क्षेत्र का भौगोलिक आधार; अवस्थिति, प्रसार, आकृति एवं आकार
भू-आकृतिविज्ञान
संरचना, भू-आकृतिक विभाजन, अपवाह तंत्र और उसका विकास
जलवायु, वनस्पतिएवंमृदा
जलवायु : भारत की जलवायु को नियंत्रित करने वाले कारक, भारतीय मानसून की उत्पत्ति एवं क्रियाविधि; भारत की ऋतुएँ, भारत की जलवायु का वर्गीकरण (कोपेन, थॉर्नथ्वेट तथा ट्रिवार्था के अनुसार)
मृदा : प्रकार एवं वितरण (I.C.A.R.), मृदा की समस्याएँ, मृदा संरक्षण
वनस्पति : प्रकार, वितरण एवं संरक्षण
वन्यजीव और इसका संरक्षण
प्राकृतिकसंकटतथाआपदाएँ
भारत में प्राकृतिक संकट के कारण, परिणाम तथा प्रबंधन : बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप एवं भूस्खलन; संकटों/आपदाओं के प्रति मानव का समायोजन; विपदा अनुमान एवं न्यूनीकरण; भारत में पर्यावरण संस्थान तथा कानून
मानवभूगोल : प्रकृतितथाइसकाविषय-क्षेत्र
मानव भूगोल की प्रकृति एवं प्रसार, मानव भूगोल के दृष्टिकोण, नियतिवाद, वातावरणीय नियतिवाद, संभावनावाद, नव-नियतिवाद, पारिस्थितिकी एवं व्यवहारवाद
लोग (विश्व एवंभारत)
जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियाँ एवं पैटर्न : जनसंख्या वितरण के निर्धारक एवं पैटर्न; सिद्धांत, जनसांख्यिकीय संक्रमण; मानव प्रवासन, मानव विकास के स्वरूप
मानवीयक्रियाएँ (विश्वएवंभारत)
प्राथमिक : आखेट, संग्रहण, पशुपालन (चलवासी एवं व्यावसायिक), लकड़ी काटना, मछली पकड़ना, खनन एवं कृषि; कृषि पद्धतियाँ; कुछ प्रमुख फसलें
द्वितीयक : उद्योग : वर्गीकरण, स्थानीयकरण के सिद्धांत, प्रमुख उद्योग, उद्योगों में नवीनतम प्रवृत्तियाँ, विश्व से तुलना
तृतीयक : सेवाएँ
चतुर्थक : चतुर्थक क्रियाकलाप
भारत में नियोजन : लक्ष्य क्षेत्र नियोजन, सतत पोषणीय विकास का विचार
परिवहन, संचारऔरव्यापार(विश्वएवंभारत)
परिवहन एवं संचार- स्थलमार्ग, रेलमार्ग, जलमार्ग एवं वायुमार्ग; तेल एवं गैस पाइपलाइन, राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड; संचार नेटवर्किंग- रेडियो, टेलीविज़न, उपग्रह तथा इंटरनेट
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार एवं घटक, व्यापार संतुलन, प्रमुख व्यापारिक संगठन, भारत के विदेशी व्यापार का बदलता स्वरूप, समुद्री मार्ग, अंतर्देशीय जलमार्ग, समुद्री पत्तन तथा उनके पृष्ठ प्रदेश
मानवबस्तियाँ (विश्व एवंभारत)
स्थायी तथा अस्थायी बस्तियाँ, ग्रामीण बस्तियाँ- उत्पत्ति, प्रकार एवं स्वरूप; नगरीय बस्तियाँ- नगरों की उत्पत्ति एवं विकास; नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण, विश्व में नगरीकरण की समस्याएँ, भारत में नगरीकरण; नगरीय मलिन बस्तियाँ और अतिक्रमणकारी; नगरों की आकारिकी; मेगासिटी का वितरण, विकासशील देशों में मानव बस्तियों से संबंधित समस्याएँ
भौगोलिकपरिप्रेक्ष्यमेंचयनितकुछमुद्देएवंसमस्याएँ
पर्यावरण प्रदूषण- भूमि, जल, वायु, ध्वनि, वैश्विक तापन, गरीबी, खाद्य सुरक्षा, सतत पोषणीय विकास
सामान्यमानचित्रण (प्रयोगात्मक)
मानचित्र के तत्त्व एवं वर्गीकरण, पैमाने, मानचित्र प्रक्षेप, दिशाओं, अक्षांशों एवं देशांतरों का पता लगाना, स्थानीय तथा मानक समय की गणना, उच्चावचों की पहचान एवं विश्लेषण : स्थलाकृतिक मानचित्र एवं विवेचन; मौसम के यंत्र एवं मौसम मानचित्रों का विवेचन; डिजिटल मैपिंग, सुदूर संवेदन, दृश्य विवेचन; आँकड़ों का प्रसंस्करण, विषयक मानचित्रण, विभिन्न आरेखों द्वारा सांख्यिकीय आँकड़ों को दर्शाना- बार, हिस्टोग्राम, वृत्त आरेख आदि; स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी : GIS, GPS, कंप्यूटर- हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर के घटक, डाटा प्रारूप, रेखापुंज एवं वेक्टर, संपादन, टोपोलॉजी आदि; स्थानिक विश्लेषण; ओवरले, बफर एवं निकटता विश्लेषण
इतिहास
भारतीय इतिहास
हड़प्पा सभ्यता -
नगर नियोजन
धर्म
आर्थिक एवं सामाजिक जीवन
लिपि
16 महाजनपदों के संबंध में मगध का उदय
बौद्ध एवं जैन धर्म के विशेष संदर्भ में नास्तिक संप्रदायों का उदय
उदय
शिक्षाएँ
तुलना
समाज, व्यापार तथा वाणिज्य पर प्रभाव
मौर्यवंश-
उदय के कारण
चंद्रगुप्त मौर्य का प्रशासन
अशोक महान का योगदान (सभी पक्ष)
मौर्य साम्राज्य की अवनति और पतन
गुप्तवंश
स्वर्णिम काल
समुद्रगुप्त
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य आदि
प्रशासन, धर्म, व्यापार तथा वाणिज्य
समाज एवं अर्थव्यवस्था- वैदिक काल से 7वीं शताब्दी तक
सल्तनत काल- हिंदू साम्राज्य का पराभव तथा दिल्ली सल्तनत की स्थापना
मुगल काल- 1526 से 1707 ई. (सभी पक्ष)
राजव्यवस्था
प्रशासन
समाज
अर्थव्यवस्था
मध्यकाल- भक्ति आंदोलन तथा सूफीवाद के विशेष संदर्भ में समाज एवं संस्कृति
मध्यकालीन वास्तुकला- दिल्ली सल्तनत तथा मुगल काल
यूरोपीय लोगों का आगमन और ब्रिटिश शासन की स्थापना
ब्रिटिश शासन और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव
विद्रोह 1857 -
स्वरूप
कारण
नेतृत्व
घटनाएँ
परिणाम
पराजय के कारण
प्रभाव
सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन और राष्ट्रवाद का उदय
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन- 1885 से 1947
संविधान
निर्माण
विशेषताएँ
संविधान की कार्यप्रणाली
संविधान का अंगीकरण
विश्व का इतिहास
प्राचीन सभ्यताओं का उदय मेसोपोटामिया के विशेष संदर्भ में
शहरीकरण
लिपि
व्यापार
कैलेंडर
रोमन तथा यूनानी सभ्यता
साम्राज्य का उदय
प्रशासन
समाज
इस्लाम का उदय
शिक्षाएँ
संस्कृति
धर्मयुद्ध
मध्य एशिया के खानाबदोश लोग
अंधकार युग- यूरोप में सामंतवाद
सामंत भूमि
अवनति
यूरोप में पुनर्जागरण तथा धर्म सुधार
पूंजीवाद तथा वाणिज्यवाद
औद्योगिक क्रांति
साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद
चीन- 1840 से 1949 तक
जापान- 1840 से 1949 तक
अर्थशास्त्र
खंड-क
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय
परिचय- किसी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ, उत्पादन संभावना वक्र एवं अवसर लागत
उपभोक्तासंतुलनएवंमांग : उपभोक्ता संतुलन- उपयोगिता दृष्टिकोण एवं अनधिमान दृष्टिकोण, मांग, बाज़ार मांग, मांग के निर्धारक, मांग वक्र, मांग वक्र में गति एवं शिफ्ट के माध्यम से संतुलन का अर्थ एवं व्याप्ति; मांग के नियम और उसके अपवाद; मांग की कीमत लोच, मांग की कीमत लोच की माप- प्रतिशत परिवर्तन, कुल व्यय तथा ज्यामितीय माप विधियाँ
उत्पादकव्यवहारएवंपूर्ति : उत्पादन के कारक; उत्पादन फलन; लागत एवं राजस्व- लागत, राजस्व का अर्थ तथा उनके विभिन्न प्रकार; समान मात्रा; पैमाने के प्रतिफल तथा साधन के प्रतिफल; पूर्ति, बाज़ार पूर्ति, पूर्ति के निर्धारक, पूर्ति वक्र, पूर्ति वक्र में गति एवं शिफ्ट, पूर्ति की कीमत लोच एवं उसकी माप; वितरण का सिद्धांत एवं घटक; कल्याणकारी अर्थशास्त्र- पेरेटो इष्टतम, निजी एवं सामाजिक उत्पाद; उपभोक्ता अधिशेष
बाज़ारएवंमूल्यनिर्धारणकेस्वरूप : बाज़ार के स्वरूप- अर्थ एवं विशेषताएँ; पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा, एकाधिकार तथा अपूर्ण प्रतिस्पर्द्धा के अंतर्गत मूल्य निर्धारण, मांग एवं पूर्ति में शिफ्ट के प्रभाव
राष्ट्रीयआयऔरसंबंधितसमुच्चय : समष्टि अर्थशास्त्र- अर्थ, आय का वर्तुल प्रवाह, GDP, GNP, NNP, NDP की अवधारणा (बाज़ार कीमत तथा साधन लागत पर); राष्ट्रीय प्रयोज्य आय, निजी आय, व्यक्तिगत प्रयोज्य आय एवं व्यक्तिगत आय; राष्ट्रीय आय का मापन
आयएवंरोज़गारकानिर्धारण : समग्र मांग, समग्र पूर्ति एवं उसके अवयव; उपभोग तथा बचत करने की प्रवृत्ति; पूर्ण रोज़गार एवं अनैच्छिक बेरोज़गारी; निवेश गुणक की अवधारणा और उसका तंत्र; अधिक मांग एवं कम मांग की समस्या तथा उसे ठीक करने के उपाय- साख उपलब्धता, सरकारी व्यय में परिवर्तन; मुद्रास्फीति : अर्थ, कारण एवं निवारण
मुद्राऔरबैंकिंग : मुद्रा- अर्थ, विकास एवं कार्य; केंद्रीय बैंक- अर्थ एवं कार्य; व्यावसायिक बैंक- अर्थ एवं कार्य; भारतीय बैंकिंग प्रणाली में नवीनतम महत्त्वपूर्ण सुधार एवं मुद्दे- निजीकरण तथा आधुनिकीकरण
सरकारीबजटएवंअर्थव्यवस्था : सरकारी बजट- अर्थ, उद्देश्य एवं उसके अवयव; प्राप्तियों तथा व्यय का वर्गीकरण; बजट के प्रकार, राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा एवं प्राथमिक घाटा : अर्थ तथा उनके निहितार्थ; विभिन्न घाटे को नियंत्रित करने के उपाय; सरकार की भूमिका में कटौती
अदायगीसंतुलन : विदेशी विनिमय दर- नम्य एवं स्थिर दरों का अर्थ तथा इसके गुण-दोष; मांग तथा पूर्ति के माध्यम से निर्धारण; अदायगी संतुलन खाता- अर्थ एवं उसके अवयव
अंतर्राष्ट्रीयअर्थशास्त्र : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, मुक्त व्यापार तथा सुरक्षा के सिद्धांत; IMF- विश्व बैंक और उसके सहयोगी, विश्व व्यापार संगठन
शेयर, डिबेंचर, SEBI, NSEW, BSE और विभिन्न सूचकांकों की संकल्पनाएँ
खंड-ख
सांख्यिकी और भारतीय आर्थिक विकास
आँकड़ोंकापरिचय, संग्रहएवं संगठन : अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का अर्थ, विषय क्षेत्र एवं महत्त्व; आँकड़ों का संग्रहण एवं संगठन; भारत की जनगणना तथा राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन
सांख्यिकीयविधियाँएवंविवेचना : केंद्रीय प्रवृत्ति की माप, गुणोत्तर माध्य एवं हरात्मक माध्य; अपकिरण के माप; लॉरेंज वक्र : अर्थ और उसका अनुप्रयोग; सहसंबंध- अर्थ एवं सहसंबंध मापने की विधियाँ- कार्ल पियर्सन की विधि तथा स्पीयरमैन का कोटि सहसंबंध; काल श्रेणी विश्लेषण; सूचकांक का परिचय- अर्थ, प्रकार- थोक कीमत सूचकांक, उपभोक्ता कीमत सूचकांक एवं औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, सूचकांक का उपयोग; मुद्रास्फीति एवं सूचकांक
विकासनीतियाँऔरअनुभव : स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति का संक्षिप्त परिचय; पंचवर्षीय योजनाओं के सामान्य लक्ष्य, भारत में नियोजन पर प्रमुख वाद-विवाद, कृषि, उद्योग एवं विदेशी व्यापार की मुख्य विशेषताएँ, समस्याएँ तथा नीतियाँ
1991 से आर्थिकसुधार : उदारीकरण, वैश्वीकरण तथा निजीकरण की आवश्यकता एवं मुख्य विशेषताएँ; LPG नीतियों का मूल्यांकन
वर्तमान मेंभारतीयअर्थव्यवस्थाकेसमक्षचुनौतियाँ : गरीबी एवं गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम; ग्रामीण विकास : प्रमुख मुद्दे- साख एवं विपणन- सहकारी समितियों की भूमिका; कृषि विविधता; वैकल्पिक एवं जैविक कृषि; मानव पूंजी निर्माण; भारत में शिक्षा क्षेत्र का विकास; रोज़गार : अवसर तथा अन्य संबंधित मुद्दे; आधारभूत संरचना संबंधी समस्याएँ एवं नीतियाँ; संधारणीय आर्थिक विकास : अर्थ; संसाधनों और पर्यावरण पर आर्थिक विकास का प्रभाव
भारतकाविकासअनुभव : भारत की उसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान एवं चीन के साथ तुलना, मुद्दे- संवृद्धि, जनसंख्या, क्षेत्रीय विकास और अन्य मानव विकास संकेतक
हिंदी
खंड-क : इतिहास एवं साहित्य
हिंदी साहित्य के इतिहास का विस्तृत अध्ययन
आदिकाल से रीतिकाल : इसके अंतर्गत कालगत परिस्थितियाँ एवं साहित्य पर उसका प्रभाव, प्रत्येक युग के साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ, प्रमुख रचनाकार एवं उनकी रचनाएँ, साहित्यिक विशेषताएँ, भाषा-शैली
आदिकाल- चंदबरदाई, अमीर खुसरो, विद्यापति
भक्तिकाल- निर्गुण भक्तिधारा- ज्ञानमार्गी शाखा, प्रेममार्गी शाखा- कबीर, दादू, रैदास, नानक, जायसी, कुतुबन। सगुण भक्तिधारा- राम भक्तिशाखा, कृष्ण भक्तिशाखा- तुलसीदास, केशव, सूरदास, मीराबाई, अष्टछाप के कवि ।
नई कविता- भवानी प्रसाद मिश्र, नरेंद्र शर्मा, धूमिल, धर्मवीर भारती, शंभुनाथ सिंह
गद्य साहित्य का विस्तृत अध्ययन
गद्य एवं अन्य विधाओं का प्रारंभ, विकास, प्रमुख प्रवृत्तियाँ, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ, साहित्यिक विशेषताएँ, भाषा-शैली ।
निबंध, कथा साहित्य- उपन्यास एवं कहानी, नाटक, एकांकी, रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत, आत्मकथा, जीवनी, पत्र, डायरी, आलोचना, रिपोर्ताज़ आदि इन सभी विधाओं का विस्तृत परिचय ।
हिंदी साहित्य
(काव्य साहित्य पर आधारित तीन प्रश्न)
निम्नलिखित कवियों की प्रसिद्ध काव्य-रचनाओं में से लिये गए काव्यांशों पर आधारित सप्रसंग व्याख्या, भाव सौंदर्य, शिल्प सौंदर्य पर एक वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं दो विषयपरक प्रश्न
सप्रसंग व्याख्या, भाव सौंदर्य – विषयपरक प्रश्न
शिल्प सौंदर्य- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
अमीर खुसरो, विद्यापति, सूरदास, तुलसीदास, कबीरदास, जायसी, मीराबाई, रसखान, घनानंद, बिहारीलाल, भारतेंदु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, दिनकर, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, निराला, पंत, हरिवंशराय बच्चन, मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय, केदारनाथ सिंह, भवानीप्रसाद मिश्र, अज्ञेय इत्यादि (संकेत- स्नातकोत्तर तक के पाठ्यक्रम में पढ़ी उपर्युक्त कवियों की प्रसिद्ध कविताएँ)
निम्नलिखित गद्य लेखकों की प्रसिद्ध रचनाओं में से व्याख्या से संबंधित अंश, आशय स्पष्टीकरण एवं भाषा-शैली पर आधारित प्रश्न
सप्रसंग व्याख्या एवं आशय स्पष्टीकरण पर आधारित दो विषयपरक प्रश्न
कवियों और लेखकों के व्यक्तित्व एवं औचित्य पर आधारित एक प्रश्न जिसके पाँच भाग होंगे, यह प्रश्न हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवियों एवं लेखकों के जीवन-परिचय, साहित्यिक रचनाएँ एवं भाषा-शैली पर आधारित होंगे।
खण्ड-ख : व्याकरण एवं रचना
1. व्याकरण
शब्द-विचार एवं शब्द भंडार
शब्द भेद- अर्थ, रचना, स्रोत तथा प्रयोग की दृष्टि से शब्द भंडार- पर्यायवाची, विपरीतार्थक, एकार्थी, अनेकार्थी शब्द-युग्म
शब्द निर्माण- उपसर्ग, प्रत्यय, समास
पद-विचार, पदबंध, पद-परिचय
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण
पदबंध-भेद, प्रयोग
पद-परिचय
वाक्य-विचार
वाक्य संरचना
वाक्य भेद- अर्थ एवं रचना की दृष्टि से
वाक्य-परिवर्तन
वाक्य-संश्लेषण, वाक्य-विश्लेषण
संधि
स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि
2. अपठित बोध
काव्यांश पर आधारित प्रश्न, भाव सौंदर्य, शिल्प सौंदर्य
गद्यांश (साहित्यिक/वर्णनात्मक)
3. समसामयिक विषय
वर्णनात्मक विषय
सर्जनात्मक विषय
साहित्यिक विषय
4. काव्यशास्त्रीय अध्ययन
साहित्य का अर्थ, स्वरूप, उद्देश्य
साहित्य की विविध विधाएँ
रस मीमांसा- सभी रसों का ज्ञान, काव्य की आत्मा के रूप में रस मीमांसा
शब्द शक्ति- अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
काव्य गुण- प्रसाद, माधुर्य, ओज
काव्य दोष- विस्तृत जानकारी
छंद ज्ञान - वर्णिक, मात्रिक
अलंकार- शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार एवं नए अलंकार
खण्ड-ग : लेखन कौशल और पत्रकारिता
पत्रकारिता से संबंधित विषय
प्रिंट माध्यम (समाचार और संपादकीय)
रिपोर्ट
आलेख
फीचर लेखन
साक्षात्कार
रेडियो व दूरदर्शन के लिये लेखन
विज्ञापन लेखन
उद्घोषणा
स्वागत भाषण
संगोष्ठी संचालन
व्यावहारिक लेखन पर एक विषयपरक प्रश्न
व्यावहारिक हिंदी का स्वरूप
प्रयोजनमूलक हिंदी और उसके विविध आयाम
कार्यालयी हिंदी और उसके विविध आयाम
प्रतिवेदन, अर्थ, प्रमुख तत्त्व, विशेषताएँ, प्रकार, प्रतिवेदन लेखन
कार्यसूची- कार्यसूची तैयार करने का नमूना
कार्यवछत्ता स्वरूप, निर्माण
सर्जनात्मक लेखन एवं मौलिक अभिव्यक्ति पर एक विषयपरक प्रश्न- कविता, कहानी, लघुकथा, डायरी लेखन आदि के रूप में-
दिये गए विषय पर- कविता, लघुकथा संबंधी मौलिक रचना
कहानी का कविता में रूपांतरण
अनुभवों के आधार पर लेखन
विभिन्न दक्षताओं के विकास हेतु एक विषयपरक प्रश्न
वार्तालाप की दक्षता के विकास हेतु संवाद लेखन
कोई भी समसामयिक विषय द्वारा कहानी/कविता लेखन
ENGLISH
Section A
READING COMPREHENSION
Ability to comprehend, analyze and interpret unseen texts.
Three/four unseen reading passages may be set.
Section B
WRITING ABILITY
Ability to express views/opinions in a coherent & logical manner.
One out of two tasks such as factual description of any event or incident, a report or a process.
Writing one formal letter. Letter types include
Business or official letters (for making enquiries, registering complaints, asking for and
giving information, placing orders and sending replies)
Letter to the editors (giving facts/figures suggestions/opinions on an issue of public interest) on contemporary/current issues.
Application for a job with cv.
Writing personal opinion /views/stand in an article/debate/speech etc on a given socio-cultural issue –in a style/register suitable to the task set. Issues could relate to
environment
education
gender discrimination
economic disparity etc.
Section C
GRAMMAR AND USAGE
Ability to apply the knowledge of syntax and grammatical items & use them accurately in the context provided.
The following grammatical structures will be tested through error correction / editing/ gap
Romantic period (e.g. Shelley, Wordsworth, Keats, Coleridge etc)
19th and 20th Century American and English Literature (e.g. Robert Frost, Hemmingway, Whitman, Hawthorne, Emily Dickinson, Bernard Shaw, Arthur Miller etc.)
Modern Indian Writing in English (e.g. Anita Desai, Vikram Seth, Nissin Ezekiel, K N Daruwala, Ruskin Bond, R K Narayan, Mulk Raj Anand, Khushwant Singh etc)
Modern writing in English from other parts of the world e.g. Latin America / Africa /Australia/South Asia.
नोट : नोट : DSSSB द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर संबंधित विषयों का विस्तृत पाठ्यक्रम नहीं दिया गया है। हमारे द्वारा दिया गया पाठ्यक्रम DSSSB द्वारा अपनी परीक्षाओं में पूछे गए विगत वर्षों के प्रश्नों पर आधारित है।