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एक बहुमूल्य संसाधन के रूप में जल और उसकी अवस्थाएँ

    • जल एक सार्वभौमिक विलायक है। 
    • प्रतिवर्ष 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है हर व्यक्ति का जल संरक्षण के महत्त्व की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिये ही प्रतिवर्ष जल दिवस मनाते हैं। 
    • पेयजल, धुलाई, खाना पकाने और उचित सफाई बनाए रखने के लिये, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के लिये सुझाई गई जल की न्यूनतम मात्रा 50 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है यह मात्रा प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग ढाई बाल्टी जल के बराबर है। 
    • कुछ स्थानों पर जल की अत्यधिक कमी है। नलों में पानी का आना, जल भरने के लिये लंबी कतारें आदि मुद्दे देखने को मिलते हैं। 
    • निकट भविष्य में विश्व की एक-तिहाई से अधिक जनसंख्या को जल की कमी का सामना करना पड़ेगा 
    • एक शोध के अनुसार वर्ष 2003 को अंतर्राष्ट्रीय अलवण जल वर्ष के रूप में मनाया गया था जिससे लोगों को इस प्राकृतिक संसाधन की निरंतर घट रही उपलब्धता के बारे में जागरूक किया जा सके। 

    जल की अवस्थाएँ (States of Water)- 

    • जल चक्र द्वारा परिचक्रण के दौरान जल इसकी तीनों अवस्थाओं अर्थात् ठोस, द्रव और गैस में से किसी एक अवस्था में पृथ्वी पर कहीं भी पाया जा सकता है। ठोस अवस्था में जल बर्फ़ और हिम के रूप में पृथ्वी के ध्रुवों पर (बर्फ़ छत्रक), बर्फ़ से ढके पर्वतों और हिमनदों (ग्लेशियर) में पाया जाता है। द्रव अवस्था में जल महासागरों, झीलों और नदियों के अतिरिक्त भू-तल के नीचे (भौमजल) भी पाया जाता है। गैसीय अवस्था में जल हमारे आस-पास की वायु में जलवाष्प के रूप में उपस्थित रहता है। 
    • जल का उसकी तीनों अवस्थाओं के बीच सतत् चक्रण द्वारा पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा स्थिर बनी रहती है, जबकि समस्त मानव जनसंख्या तथा अन्य सभी जीव जल का उपयोग करते हैं। 
    • अधिकांश शहरों और नगरों की अपनी जल आपूर्ति व्यवस्था होती है जो नागरिक निकायों द्वारा संचालित होती है। जल को आस-पास की किसी झील, नदी, तालाब अथवा कुओं से लाया जाता है। जल की आपूर्ति पाइपों के विशेष क्रम में बिछाए जाल द्वारा की जाती है। सामान्यत: ग्रामीण क्षेत्रों में जल की आपूर्ति इस प्रकार नहीं होती। वहाँ लोग अपने उपयोग के लिये जल सीधे उसके स्रोत से ही प्राप्त करते हैं। 
    • हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग अपने उपयोग के लिये जल कुओं, नलकूपों अथवा हैंडपंपों से प्राप्त करता है। 

वास्तविक समय सकल भुगतान (RTGS)

    • वास्तविक समय सकल भुगतान (RTGS) प्रणाली एक ऐसा निधि अंतरण पद्धति है जिसमें एक बैंक से दूसरे बैंक में मुद्रा का अंतरणवास्तविक समयऔरसकलआधार पर होता है। 
    • यह बैंकिंग चैनल द्वारा मुद्रा अंतरण का सबसे तेज़ माध्यम है 
    • वास्तविक समयमें भुगतान से तात्पर्य है भुगतान संव्यवहारों के लिये प्रतीक्षा अवधि नहीं होती है। संव्यवहारों के प्रसंस्कृत होते ही उनका निपटान हो जाता है। 
    • सकल भुगतानसे तात्पर्य है, संव्यवहारों का बिना किसी अन्य संव्यवहार के लिये प्रतीक्षा किये एक के लिये आधार पर निपटान होना। 
    • इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणाली (EFT) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणाली (NEFT) इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण माध्यम हैं जिनमें अस्थगित निवल भुगतान आधार पर परिचालन होता है और संव्यवहारों का निपटान बैचों में होता है। 
    • वर्तमान में NEFT संपूर्ण दिवस अर्थात् 24 x 7 x 365 उपलब्ध है। इसका भुगतान पूरे दिन आधे-आधे घंटे के अंतराल पर बैचों में होता है। 
    • इसी तरह RTGS भी 14 दिसंबर, 2020 से  24 x 7 x 365 उपलब्ध है। RTGS मूल रूप से बड़े मूल्य की राशियों के लिये है RTGS से प्रेषित की जाने वाली न्यूनतम राशि दो लाख रुपये है। RTGS संव्यवहारों के लिये उच्च राशि की सीमा नहीं है। 
    • EFT और NEFT संव्यवहारों के लिये न्यूनतम और अधिकतम राशि निर्धारित नहीं की गई है  

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD)

    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंकविश्व बैंक समूह की प्रमुख संस्था है, जिसकी स्थापना 1944 में संपन्न हुए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के पश्चात् हुई। इसने वर्ष 1946 से कार्य करना प्रारंभ किया 
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक में वर्तमान में कुल 189 सदस्य हैं नौरू गणराज्य (Republic of Nauru) 12 अप्रैल, 2016 को इसका 189वाँ सदस्य बना। 
    • वर्तमान में डेविड मालपस (David Malpass) इसके अध्यक्ष हैं। एक परिपाटी के अनुसार इसके अध्यक्ष के रूप में अमेरिकी नागरिक की ही नियुक्ति की जाती है, क्योंकि इसके वित्तीय संसाधनों में सर्वाधिक हिस्सेदारी संयुक्त राज्य अमेरिका की है 
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना के समय इसका मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् युद्ध में शामिल देशों की अर्थव्यवस्थाओं का पुनर्निर्माण एवं विकास था 
    • उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिये बैंक द्वारा पहली बार वर्ष 1947 में फ्रांस के अवसंरचना विकास के लिये 250 मिलियन डॉलर का ऋण प्रदान किया गया। 1950 के दशक में बैंक द्वारा अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों की बाँध परियोजनाओं, विद्युत उत्पादन परियोजनाओं, इस्पात उद्योग एवं अन्य परियोजनाओं हेतु ऋण प्रदान किया गया। 
    • 1948 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पश्चिमी यूरोप के देशों के विकास हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिये प्रारंभ किये गए मार्शल प्लान के कारण यूरोपीय देशों द्वारा बैंक द्वारा प्रदान किये जाने वाले ऋण के संदर्भ में विशेष अभिरुचि प्रदर्शित नहीं की गई, जिसके फलस्वरूप बैंक को अपने उद्देश्यों में परिवर्तन करना पड़ा। 
    • उसके पश्चात् बैंक ने नव स्वतंत्र देशों में गरीबी उन्मूलन को अपना मुख्य उद्देश्य बनाया 
    • वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) के साथ मिलकर विकासशील एवं अल्पविकसित अर्थव्यवस्था वाले सदस्य देशों में मानव संसाधन विकास, कृषि एवं ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण, अवसंरचना विकास एवं प्रशासनिक सुधार हेतु वित्तीयन में ध्यान केंद्रित किये हुए है। 
    • विश्व विकास रिपोर्टका वार्षिक प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक द्वारा ही किया जाता है।  

विद्यालय संबद्ध भारत सरकार की कुछ पहलें

    • केंद्रीय विद्यालय परियोजना- यह परियोजना भारत की केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिये शुरू की गई थी जो पूरे देश में प्रभावी है भारत सरकार के द्वितीय वेतन आयोग की सिफारिश पर नवंबर 1962 में केंद्रीय विद्यालय परियोजना को सहमति प्रदान की गई तथा वर्ष 1963 में इसे शुरू किया गया इसमें कर्मचारियों के परिवारों को स्थानांतरित किये जाने के स्थान पर समान गति से समान पाठ्यक्रम का पालन करने वाली संस्थाओं में समान शिक्षा प्रदान करने के लिये व्यवस्था की गई। 
    • नवोदय विद्यालय- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 ने सुझाव दिया कि बुद्धिमान ग्रामीण विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा का अवसर देने के लिये प्रत्येक ज़िला मुख्यालय में कम-से-कम एक नए नवोदय विद्यालय की स्थापना की जाए। ग्रामीण प्रतिभा का समुचित पोषण करना इन विद्यालयों का उद्देश्य है। 
    • ओपन स्कूल- मुक्त शिक्षा प्रणाली उन लोगों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये लाई गई जो विभिन्न कारणों से बहुत व्यवस्थित तरीके से शैक्षिक मिशन को पूरा नहीं कर सकते। शिक्षा के उच्च या तृतीयक स्तर की तरह, विद्यालय स्तर में भी शिक्षा की ओपन व्यवस्था में आम लोगों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने का प्रावधान है। ओपन सिस्टम की अवधारणा और दूरस्थ शिक्षा ने इस नई अवधारणा को विकसित किया है। जब भी पत्राचार पाठ्यक्रमों के माध्यम से स्कूली शिक्षा ज़रूरतमंद व्यक्तियों को प्रदान की जाती है तो उसे ओपन स्कूल कहा जाता है। NIOS इस तरह के विद्यालयों को संचालन करता है 

ऋग्वेद के मंडल और उनके रचयिता ऋषि

  • क्रम संख्या 

    मंडल 

    ऋषि 

    1. 

    प्रथम मंडल 

    अनेक ऋषियों द्वारा रचित 

    2. 

    द्वितीय मंडल 

    गृत्समद 

    3. 

    तृतीय मंडल 

    विश्वामित्र 

    4. 

    चतुर्थ मंडल 

    वामदेव 

    5. 

    पंचम मंडल 

    अत्रि 

    6. 

    षष्टम मंडल 

    भारद्वाज 

    7. 

    सप्तम मंडल 

    वशिष्ठ 

    8. 

    अष्टम मंडल 

    कण्व एवं अंगिरा 

    9. 

    नवम मंडल 

    सोम को समर्पित 

    10. 

    दसवाँ मंडल 

    पुरुष सूक्त का वर्णन 

     





















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