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कॉन्सेप्ट कार्ड
मुगलकालीन प्रमुख पुस्तकें और लेखक
पुस्तक
भाषा
लेखक
तुज़ुक-ए-बाबरी (बाबरनामा)
तुर्की
बाबर
हुमायूँनामा
फारसी
गुलबदन बेगम
तारीख़-ए-रशीदी
फारसी
मिर्ज़ा हैदर दुगलत
तजकिरात-उल-वाक्यात
फारसी
जौहर आफतावची
वाक्यात-ए-मुश्ताकी
फारसी
रिज़कुल्लाह मुश्ताकी
तोहफा-ए-अकबरशाही (तारीख़-ए-शेरशाही)
फारसी
अब्बास खां शेरवानी
अकबरनामा
फारसी
अबुल फज़ल
तबकात-ए-अकबरी
फारसी
निज़ामुद्दीन अहमद
तुज़ुक-ए-जहाँगीरी
फारसी
जहाँगीर, मौतमिद खां, हादी खां
पादशाहनामा
फारसी
मुहम्मद अमीन काज़विनी
शाहजहाँनामा
फारसी
इनायत खां
मज़म-उल-बहरीन
फारसी
दारा शिकोह
महत्त्वपूर्ण काव्य पंकियाँ (भाग-1)
सरहपा
- पंडिअ सअल सत्त बक्खाणइ। देहहि बुद्ध बसंत न जाणइ।
अमणागमण ण तेन विखंडिअ। तोवि णिलज्जइ भणइ हउँ पंडिअ।।
- जहि मन पवन न संचरइ, रवि ससि नांहि पवेश।
तहि बट चित्त बिसाम करु। सरेहे कहि उवेस।।
- घोर अंधारे चन्दमणि जिमि उज्जोअ करेइ।
परम महासुह एखु कणे दुरिअ अशेष हरेइ।।
जीवंतह जो नउ जरइ सो अजरामर होइ।
गुरु उपएसें बिमलमइ सो पर घण्णा कोइ।।
- नाद न बिंदु न रवि न शशि मंडल। चिअराज सहाबे मूकल।
उजु रे उजु छाँड़ि मा लेहु रे बंक। निअहि बोहि मा जाहु रे रंक।।
हाथेरे काकाण मा लोउ दापण। अपणे अपा बुझतु निअन्मण।
लुइपा
- काआ तरुवर पंच बिड़ाल। चंचल चीए पइठो काल।
दिट करिअ महासुह परिमाण। लूइ भणइ गुरु पुच्छिअ जाण।।
(बौद्ध शास्त्रों में विकारों की संख्या पाँच/पंच प्रतिबंध- आलस्य हिंसा काम चिकित्सा और मोह। निर्गुण संतों और सूफियों ने यही स्वीकारी। हिंदू शास्त्रों में विकार-संख्या-6)
- भाव न होइ, अभाव ण जाइ। अइस संबोहे को पतिआइ?
लूइ भइ बट दुलक्ख बिणाण। तिअ धाए बिलसइ, अह लागे णा।
कण्हपा
- एक्क ण किज्जइ मंत्र ण तंत। णिअ धरणी लइ केलि करंत।
णिज घर घरणी जाब ण मज्जइ। ताब की पंचवर्ण बिहरिज्जइ।।
जिमि लोण बिलज्जइ पाणिएहि तिमि धरिणी लइ चित्त।
समरस जइ तक्खणे जड़ पुणु ते सम नित्त।
- नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छइ।
छोड़ जाइ सो बाह्य नाड़िया।
- आलो डोंबि! तोए सम करिब म साँग। निघिण कण्ह कपाली जोइ लाग।।
एक्क सो पदमा चौषट्टि पाखुड़ी। तढ़ि चढ़ि नाचअ डोंबी बापुड़ी।।
हालो डोंबी! तो पुछमि सदभावे। अइससि जासि डोंबी काहरि नावे।।
- गंगा जउँना माझे रे बहइ नाई।
ताहि बुड़िलि मातंगि पोइआ लीले पार करेइ।
- बाहतु डोंबीए बाहलो डोंबी बाट त भइल उछारा।
सद्गुरु पाअ पए जाइब पुणु जिणउरा।।
- काआ नावड़ि खाँटि मन करिआल। सदगुरु बअणे घर पतवाल।
चीअ थिर करि गहु रे नाई। अन्न उपाये पार ण जाई।।
ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology)
- ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिससे बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टोकरेंसियों का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजनिक बही-खाता’ (Public Ledger) है। ब्लॉकचेन तकनीक में तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन होता है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल की (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।
- ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहां से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे- बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की शृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है।) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि 2008 में बिटकॉइन का आविष्कार होने के बाद इस क्रिप्टोकरेंसी को समर्थन देने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक की खोज की गई।
- इस तकनीक में सभी ब्लॉक एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और किसी ब्लॉक में बदलाव के लिये अरबों गणनाएँ करने की ज़रूरत होती है, इसलिये एक बार आंकड़े दर्ज हो जाने के बाद इसमें बदलाव करना असंभव होता है, क्योंकि किसी भी एक ब्लॉक में मामूली बदलाव करते ही दूसरे सभी ब्लॉक परस्पर जुड़े होने के कारण बदलाव से असहमति जता देते हैं।
- अतः साइबर क्राइम और हैकिंग को रोकने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक को फुलप्रूफ सिस्टम के तौर पर जाना जाता है। साइबर सिक्योरिटी को बढ़ावा देने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक लागू करने वाला आंध्र प्रदेश पहला राज्य है।
- एक सर्वे के अनुसार, विश्व के 70% से अधिक बैंक अपनी व्यवस्था में ब्लॉकचेन के अनुप्रयोग की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं। ध्यातव्य है कि यह तकनीक केवल क्रिप्टोकरेंसी तक सीमित नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी के अलावा निम्नलिखित क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है-
- सूचना प्रौद्योगिकी और डाटा प्रबंधन
- सरकारी योजनाओं का लेखा-जोखा
- सब्सिडी वितरण
- भू-रिकॉर्ड विनियमन
- बैंकिंग और बीमा
- डिजिटल पहचान और प्रमाणीकरण
- स्वास्थ्य आंकड़े
- क्लाउड स्टोरेज
- ई-गवर्नेंस
- शैक्षणिक जानकारी
- ई-वोटिंग आदि।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने अप्रत्याशित फोन कॉल्स तथा मैसेजेज़ को रोकने के लिये ‘टेलिकॉम कमर्शियल कम्यूनिकेशन कस्टमर प्रिफरेंस रेग्यूलेशन, 2018’ जारी किया है। ट्राई ने इस मसौदे में ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल को वरीयता दी है।
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI)
- 27 अगस्त, 1947 को प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) को रजिस्टर्ड किया गया तथा 1 फरवरी, 1949 को इसने कार्य करना शुरू किया। यह भारत की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी है।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में है। यह अपने इनसेट उपग्रह पर एक ट्रांसपोंडर के ज़रिये समाचार सीधे ग्राहक तक पहुँचाती है और इंटरनेट के माध्यम से अपने ग्राहकों से जुड़ी है।
- यह भारत की गैर-मुनाफे वाली सबसे बड़ी सहकारी संस्था है, जो देश के अख़बारों द्वारा चलाई जाती है। पीटीआई अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिंदी समाचार सेवा भी देती है, जिसे ‘भाषा’ नाम दिया गया है।
- वर्तमान में ज़्यादा-से-ज़्यादा ग्राहक सैटेलाइट के ज़रिये पीटीआई की सेवाएँ प्राप्त कर रहे हैं। देश के कोने-कोने में पीटीआई के लगभग 400 पत्रकार और लगभग 500 स्टिंगर्स प्रत्येक ज़िले एवं छोटे शहर में मौजूद हैं, जो अलग-अलग श्रेणियों में 2000 से ज़्यादा ख़बरें और 200 से ज़्यादा फोटोग्राफ प्रतिदिन प्रदान करते हैं। वर्तमान में भारत में समाचार एजेंसी बाज़ार के 90% हिस्से पर पीटीआई का कब्ज़ा है।
- यह समाचार एजेंसी एशिया के समाचार को पहला स्थान देती है। यह संस्था रॉयटर्स (Reuters), यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) और आजांस फ्रांस प्रेस (AFP) के साथ समाचारों का लेन-देन करती है। टेली प्रिंटर सर्विस के अलावा यह एजेंसी कंप्यूटर संगणक की सहायता से भी समाचार देती है।
- पीटीआई ने भारत में समाचार सेवा प्रदान करने के लिये 100 से अधिक देशी एवं विदेशी समाचार एजेंसियों के साथ करार किया है। एशियाई देशों में आर्थिक विकास और व्यापारिक अवसरों के बारे में ऑनलाइन डाटा बैंक के लिये, सूचनाएँ एकत्र करने के लिये पीटीआई और पांच अन्य एशियाई मीडिया संगठनों ने सिंगापुर में ‘एशिया पल्स इंटरनेशनल’ नाम की कंपनी स्थापित की है।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र की 12 समाचार एजेंसियों ने एक सहकारी व्यवस्था बनाई है, जिसका नाम ‘एशियानेट’ है। पीटीआई एक संस्था में सहभागी अंग है।
समदाब रेखा
- सागर तल पर समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाने वाली कल्पित रेखा को ‘समदाब रेखा’ कहते हैं।
- धरातलीय सतह पर वायुदाब के क्षैतिज वितरण का अध्ययन समदाब रेखाओं के माध्यम से किया जाता है।
- समदाब रेखाओं की परस्पर दूरियां वायुदाब में अंतर की दिशा और उसकी दर को दर्शाती हैं, जिसे ‘दाब प्रवणता’ कहते हैं। जहाँ समदाब रेखाएँ पास-पास हों, वहां दाब प्रवणता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।
- इस अंतर के कारण जो बल उत्पन्न होता है, वह हवा में क्षैतिज गति उत्पन्न करता है, इसे ‘वायुदाब प्रवणता बल’ कहते हैं। इसकी इकाई ‘मिलीबार’ होती है। इसको ‘बैरोमेट्रिक ढाल’ भी कहते हैं। वायुदाब प्रवणता जितनी अधिक होगी, पवनों की गति उतनी ही अधिक होगी।
- वायु की दिशा में यह विचलन पृथ्वी की घूर्णन गति से उत्पन्न ‘विक्षेप बल’ या ‘कोरिओलिस बल’ के कारण होता है। अतः हवाएं समदाब रेखाओं को समकोण पर न काटकर न्यूनकोण पर काटती हैं।



















