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प्रैक्टिस क्विज़


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UP LT Grade Exam 2025 | Pre Answer Key Released | Science

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UP LT Grade Exam 2025 | Pre Answer Key Released | Mathematics

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UP LT Grade Exam 2025 | Pre Answer Key Released | Hindi

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KVS/NVS Recruitment 2025 | Vacancy Revision Notification

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CTET 2026 | Examination City Allotment Notice

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EMRS 2025 | Tier-I Examination Schedule

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WB Primary Teacher Vacancy 2025 | Detailed Advertisement Released

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KVS/NVS 2025 Tier-I Exam Date Announced | Official Update

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Dadra & Nagar Haveli + Daman & Diu Primary and Upper Primary Teacher Recruitment 2025 | Detailed Advt.

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Bihar STET 2025 Provisional Answer Key Out | Challenge Window Open

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UP TGT Exam (Advt. 01/2022) Postponement Notice

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Chhattisgarh TET 2026 | Notification Released!

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KVS & NVS 2025 | Short Notification | Teaching & Non Teaching Vacancies

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RSSB REET Mains Level-1 (Primary Teacher) | Detailed Advt 08/2025

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RPSC Assistant Professor 2025 | Exam Schedule

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RSSB REET Mains Level-2 (Upper Primary Teacher) | Detailed Advt 09/2025

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WBSSC 2nd SLST (Asst. Teacher) Written Exam Result 2025 Out!

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UP LT Grade Exam 2025 | Date Sheet

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CTET 2025 | Exam Schedule Announced

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EMRS Recruitment 2025 | Last Date to Apply Extended

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MP SET 2025 Detailed Notification | Eligibility, Syllabus & Exam Date

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EMRS Recruitment 2025 | Exam Dates Declared

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UGC-NET December 2025 | Official Notification

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DSSSB TGT 2025 Advertisement | Official Notification

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UP LT Grade Exam 2025 : Date Sheet

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Bihar STET 2025 Application Form Released – Apply Online

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Himachal Pradesh TET 2025 Official Notification

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Bihar STET 2025 - Short Notification

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BPSC TRE 4.0 Exam Date Announced – Official Update!

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UPPSC Assistant Professor 2025 (Govt. Degree College) Abridged Advertisement

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RPSC Senior Teacher (TGT) 2024 Exam Date – Check Official Schedule

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RPSC School Lecturer (PGT) Agriculture 2025 – Detailed Notification

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DSSSB TGT CS Vacancies Out | RTI Update

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UPPSC GIC Lecturer Detailed Notification 2025

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Marks released and e-dossier called for PGT (Economics)-Male, Post Code 80923, DOE & NDMC.

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HTET Level-3 Provisional Answer Key 2024

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HTET Level-2 Provisional Answer Key 2024

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HTET Level-1 Provisional Answer Key 2024

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Samagra Shiksha, Chandigarh | JBT Advertisement 2025

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UP Aided Colleges TGT/PGT Vacancy Data Requested by Directorate

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UP LT Grade 2025 विस्तृत विज्ञापन

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EMRS Recruitment 2025 | Response to Parliamentary Question

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WBSSC Notifies Exam Dates for 2nd SLST 2025

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UGC-NET June 2025 Exam Schedule

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UGC-NET जून 2024 - परीक्षा कार्यक्रम

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CTET जुलाई 2024 : सूचना बुलेटिन

CTET



कॉन्सेप्ट कार्ड  

राजकुमार शुक्ल (1875–1929)

  • राजकुमार शुक्ल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन सच्चे सिपाहियों में से थे, जिनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और देशप्रेम ने इतिहास की दिशा बदल दी। उनका जन्म बिहार के चंपारण ज़िले के मुरलीभरवा (या मुरली भराहावा) गाँव में लगभग 1875 के आसपास हुआ था। वे एक साधारण किसान थे, लेकिन उनके भीतर अन्याय के प्रति गहरा विरोध और किसानों के अधिकारों के लिये संघर्ष की भावना थी।

    ब्रिटिश शासनकाल में चंपारण के किसानों पर ‘तीनकठिया’ प्रथा का भारी अत्याचार था — इस प्रथा के तहत किसानों को ज़मीन के तीन भागों में से एक भाग पर जबरन नील की खेती करनी पड़ती थी। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गयी थी। इस अन्याय के खिलाफ राजकुमार शुक्ल ने आवाज़ उठाई और किसानों को एकजुट करना शुरू किया।

    1916 में जब लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, तब राजकुमार शुक्ल वहाँ बिहार के किसानों के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे। उन्होंने महात्मा गांधी से मिलकर चंपारण की समस्या बताई और उन्हें वहाँ आने के लिये आग्रह किया। गांधी जी ने पहले तो कुछ असमर्थता जताई, पर शुक्ल की दृढ़ता और समर्पण देखकर वे मान गये। इसी जिद का परिणाम था कि 1917 में महात्मा गांधी चंपारण आये और वहीं से उनका पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ — जिसे “चंपारण सत्याग्रह” कहा गया।

    राजकुमार शुक्ल भले ही इतिहास की किताबों में उतना प्रमुख नाम नहीं पा सके, लेकिन वे वही व्यक्ति थे, जिन्होंने गांधी जी को भारत के जनआंदोलनों की राह दिखाने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने अपने निःस्वार्थ समर्पण से भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में एक अमिट छाप छोड़ी।

मल्ल महाजनपद —

  • मल्ल महाजनपद प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में एक महत्त्वपूर्ण गणराज्य था। यह महाजनपद अपनी विशिष्ट राजनीतिक व्यवस्था और गणतांत्रिक परम्परा के लिये प्रसिद्ध था। मल्लों का शासन एक वंशानुगत राजसत्ता के रूप में न होकर गणसंघ के रूप में সংগठित था, जहाँ निर्णय सामूहिक रूप से लिये जाते थे। मल्लों का क्षेत्र दो प्रमुख भागों में विभाजित था— पावा और कुशीनारा। ये दोनों शाखाएँ स्वतंत्र होते हुए भी मल्ल संघ के अन्तर्गत एकजुट रहती थीं।

    मल्ल महाजनपद का उल्लेख बौद्ध, जैन और अन्य प्राचीन साहित्य में स्पष्ट रूप से मिलता है। बौद्ध परम्परा के अनुसार, कुशीनारा मल्लों की वह प्रतिष्ठित राजधानी थी जहाँ महात्मा बुद्ध ने अपने अंतिम दिनों का समय बिताया और यहीं उनका महापरिनिर्वाण हुआ। इस कारण कुशीनारा बौद्ध इतिहास में अत्यन्त पवित्र स्थान माना जाता है। पावा भी एक महत्त्वपूर्ण नगर था, जहाँ महावीर जैन ने अपना अंतिम वर्ष व्यतीत किया था। इस प्रकार मल्ल महाजनपद का सम्बन्ध दो प्रमुख धर्मों—बौद्ध और जैन—दोनों से गहराई से जुड़ा हुआ है।

    ‘कुस जातक’ में मल्लों के राजा के रूप में ओक्काक (इक्ष्वाकु वंश से संबद्ध) का उल्लेख मिलता है, जो इस क्षेत्र की प्राचीन राजवंशीय परम्पराओं की ओर संकेत करता है। राजनीतिक रूप से मल्ल संघ वज्जि संघ के समान संरचना रखता था, जिसमें सभा और परिषद् के माध्यम से निर्णय लिये जाते थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि मल्लों में लोकसहभागिता और सामूहिक शासन की मजबूत परम्परा विद्यमान थी।

    मल्ल महाजनपद उत्तर भारत के प्राचीन इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखता है। इसकी गणतांत्रिक राजनीति, सांस्कृतिक महत्ता और बौद्ध-जैन परम्पराओं से गहरे सम्बन्ध इसे भारत के प्राचीन काल का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बनाते हैं।

वज्जि महाजनपद

  • वज्जि प्राचीन भारत का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गणतंत्रीय महाजनपद था, जो अपने विशिष्ट राजनीतिक ढाँचे और सामूहिक शासन-व्यवस्था के कारण अन्य महाजनपदों से अलग पहचान रखता था। वज्जि एक संघात्मक राज्य-संगठन था, जिसमें कुल आठ गणराज्य सम्मिलित थे। इनमें मुख्यतः—वैशाली के लिच्छवि, मिथिला के विदेह, कुंडग्राम के ज्ञातृक तथा स्वयं वज्जि अत्यधिक प्रसिद्ध थे। यह संघ सामूहिक नेतृत्व, सभा-परिषद् और गणतांत्रिक निर्णय-प्रक्रिया का एक उन्नत उदाहरण प्रस्तुत करता था।

    वैशाली, जो वज्जि संघ की राजधानी थी, उस समय भारत के प्राचीनतम और सर्वाधिक विकसित नगरों में से एक माना जाता था। वैशाली अपनी उत्कृष्ट नगरीय व्यवस्था, समृद्ध व्यापार, सुविकसित सड़क-व्यवस्था तथा मजबूत सामाजिक ढाँचे के लिये प्रसिद्ध था। जैन परम्परा के अनुसार महावीर का जन्म वज्जि संघ के अंतर्गत स्थित कुंडग्राम में हुआ था, जबकि बौद्ध ग्रंथों में भी वैशाली को बुद्ध के प्रिय स्थलों में शामिल बताया गया है। बुद्ध ने यहाँ कई वर्ष व्यतीत किये और अनेक महत्वपूर्ण उपदेश दिये।

    वज्जि संघ विशेष रूप से अपनी गणतंत्रीय शासन-व्यवस्था के लिये प्रसिद्ध था। यहाँ शासन किसी एक राजा के हाथों में न होकर गण-अध्यक्षों के समूह द्वारा चलाया जाता था। निर्णय सभा और परिषद् के माध्यम से लिये जाते थे, और जन-भागीदारी की परम्परा अत्यन्त विकसित थी। इस प्रकार वज्जि महाजनपद प्राचीन भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों का एक उत्कृष्ट उदाहरण था।

    बुद्ध के समय में वज्जि संघ अत्यन्त शक्तिशाली था। इसकी शक्ति का आधार केवल इसकी सैन्य क्षमता ही नहीं, बल्कि इसका सामूहिक नेतृत्व, संगठित समाज, उच्च नैतिक मूल्य और सुव्यवस्थित प्रशासन था। मगध के शासक अजातशत्रु को वज्जि संघ को पराजित करने में लम्बा समय लगा, क्योंकि वज्जि की शासन-व्यवस्था और सामाजिक एकता अत्यन्त मजबूत थी।

    समग्रतः, वज्जि महाजनपद प्राचीन भारत में एक उन्नत, संगठित और लोकतांत्रिक संघ-राज्य का श्रेष्ठ उदाहरण था, जिसने भारतीय राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जीव विज्ञान की प्रमुख शाखाएँ

  • जीव विज्ञान (Biology) जीवन और जीवित प्राणियों के अध्ययन की विज्ञान शाखा है। यह न केवल उनके संरचना, कार्य, विकास और अनुवांशिकी का विश्लेषण करती है, बल्कि विभिन्न जीवों, पौधों, सूक्ष्मजीवों और उनके पारस्परिक संबंधों का भी अध्ययन करती है। समय के साथ, जीव विज्ञान ने कई उप-शाखाओं (sub-branches) में विस्तार किया है, ताकि किसी विशेष समूह, विशेषता या क्रिया पर केंद्रित गहन अध्ययन किया जा सके। नीचे दी गई तालिका में इन प्रमुख शाखाओं के नाम और उनके अध्ययन के विषय दिये गए हैं — 

    क्रम 

    शाखा का नाम 

    Branch Name 

    अध्ययन का विषय 

    एपीकल्चर 

    Apiculture 

    मधुमक्खी पालन का अध्ययन 

    सेरीकल्चर 

    Sericulture 

    रेशम कीट पालन का अध्ययन 

    पीसीकल्चर 

    Pisciculture 

    मत्स्य पालन का अध्ययन 

    माइकोलॉजी 

    Mycology 

    कवकों (Fungi) का अध्ययन 

    फाइकोलॉजी 

    Phycology 

    शैवालों (Algae) का अध्ययन 

    एंथोलॉजी 

    Anthology 

    पुष्पों का अध्ययन 

    पोमोलॉजी 

    Pomology 

    फलों का अध्ययन 

    ऑर्निथोलॉजी 

    Ornithology 

    पक्षियों का अध्ययन 

    इक्थ्योलॉजी 

    Ichthyology 

    मछलियों का अध्ययन 

    10 

    एण्टोमोलॉजी 

    Entomology 

    कीटों का अध्ययन 

    11 

    डेन्ड्रोलॉजी 

    Dendrology 

    वृक्षों एवं झाड़ियों का अध्ययन 

    12 

    ओफियोलॉजी 

    Ophiology 

    सर्पों (Snakes) का अध्ययन 

    13 

    सॉरोलॉजी 

    Saurology 

    छिपकलियों का अध्ययन 

    14 

    सिल्विकल्चर 

    Silviculture 

    काष्ठीय पेड़ों का संवर्धन (Cultivation of forest trees) 

     

वत्स महाजनपद

  • वत्स महाजनपद प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण राज्य था। इसकी राजधानी कौशांबी थी, जो गंगा और यमुना नदियों के संगम क्षेत्र के निकट स्थित होने के कारण व्यापार, राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रमुख केन्द्र बन गयी थी। कौशांबी उस समय उत्तर भारत के सर्वाधिक विकसित नगरों में से एक था और बौद्ध साहित्य में इसे महानगरों की श्रेणी में रखा गया है। इसके अतिरिक्त कौशांबी की ख्याति उसके सुव्यवस्थित किलाबन्दी, प्रशासनिक दक्षता और समृद्ध उद्योग-धंधों के लिये भी थी।

    बुद्धकाल में वत्स महाजनपद पर पौरव वंश का शासन था, जिसके प्रसिद्ध शासक उदयन थे। उदयन का उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। बौद्ध साहित्य, संस्कृत नाटकों तथा पुराणों में उनका चरित्र अत्यन्त रोचक रूप में प्रकट होता है। कहा जाता है कि उदयन एक वीर, संगीत-प्रेमी और नीति-कुशल राजा थे। संस्कृत नाटक “स्वप्नवासवदत्तम्” तथा “प्रतिज्ञा–यौगंधरायणम्” में उदयन और उनकी रानी वासवदत्ता की कथा बड़े मार्मिक ढंग से वर्णित है, जो वत्स दरबार की सांस्कृतिक उन्नति को दर्शाती है।

    वत्स राज्य की भौगोलिक स्थिति भी उसे विशेष महत्त्व प्रदान करती थी। यह मगध, अवंति, पंचाल और कुरु जैसे शक्तिशाली महाजनपदों के बीच स्थित था, जिससे वाणिज्यिक गतिविधियों को बल मिला। कौशांबी के माध्यम से अनेक व्यापारिक मार्ग गुजरते थे, जिसके कारण यहाँ धातु-शिल्प, वस्त्र-उद्योग और मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन अत्यन्त विकसित था। इसी कारण कौशांबी उस युग में समृद्धि और आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया।

    राजनीतिक दृष्टि से वत्स एक शक्तिशाली राजतंत्र था। उदयन के शासनकाल में राज्य ने सैन्य तथा कूटनीतिक स्तर पर प्रगति की। बौद्ध ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि बुद्ध स्वयं कई बार कौशांबी आये और यहाँ के लोगों को उपदेश दिये। इससे वत्स में बौद्ध संस्कृति का भी अच्छा विशेष प्रभाव पड़ा।

    इस प्रकार, वत्स महाजनपद राजनीतिक शक्ति, सांस्कृतिक समृद्धि, साहित्यिक महत्त्व और आर्थिक प्रगति के कारण सोलह महाजनपदों में एक विशिष्ट स्थान रखता है।





















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