भारत में कॅरियर के तौर पर शिक्षण की लोकप्रियता केंद्रीय शिक्षण परीक्षाओं के साथ-साथ समान रूप से राज्य स्तरीय शिक्षण परीक्षाओं में भी है। देश का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश योग्यता/पात्रता के आधार पर शिक्षण परीक्षाओं में न सिर्फ अपने यहाँ के निवासियों को बल्कि अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थियों को भी आकर्षित करता है।
उत्तर प्रदेश अभ्यर्थियों की पात्रता निर्धारित करने के लिये UPTET परीक्षा का आयोजन करता है तथा पात्र शिक्षकों की नियुक्ति के लिये TGT, PGT, GIC एवं SUPERTET जैसी परीक्षाएँ आयोजित करता है। यहाँ हम मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश राज्य की TGT, PGT, GIC एवं UPTET जैसी परीक्षाओं की पद्धति, पाठ्यक्रम तथा रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।
परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)
परीक्षा की प्रभावी तैयारी के लिये उसके स्वरूप को समझना महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यह परीक्षा के अनुरूप हमें अध्ययन संबंधी रणनीतियों को बनाने तथा बेहतर समय प्रबंधन करने में मदद करता है। परीक्षा की संरचना से परिचित होने पर तनाव कम होता है जिससे परीक्षा के दिन आत्मविश्वास बढ़ जाता है। यह जानकारी परीक्षा के विभिन्न खंडों के महत्त्व के आधार पर अभ्यर्थी को समय एवं संसाधन आवंटित करने की रणनीति बनाने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त यह अध्ययन को परीक्षानुकूल बनाता है जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि तैयारी विशिष्ट प्रश्न प्रारूप या मूल्यांकन विधि के साथ संरेखित है। परीक्षा पद्धति की सम्पूर्ण समझ वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करने में, अध्ययन योजना को बनाने में तथा विषयों को प्राथमिकता देने में सहायता करती है। यह नकारात्मक अंकन जैसे कारकों पर विचार करते हुए अभ्यर्थी को रणनीतिक रूप से प्रश्नों के उत्तर देने में भी सक्षम बनाती है। संक्षेप में, परीक्षा पद्धति को समझने से समग्र अध्ययन प्रक्रिया सुव्यवस्थित, केंद्रित एवं प्रभावी हो जाती है जिससे परीक्षा के दौरान प्रदर्शन में सुधार होता है।
UPTET परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) होंगे, प्रत्येक में चार विकल्प दिये जाएंगे, जिनमें से केवल एक ही सर्वाधिक उपयुक्त/तर्कसंगत उत्तर होगा। इस परीक्षा में प्रत्येक सही उत्तर के लिये अभ्यर्थी को एक अंक दिया जाएगा तथा गलत उत्तर के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं होगा।
UPTET परीक्षा में दो पेपर सम्मिलित हैं-
पेपर-I को कक्षा I से V (प्राथमिक स्तर) तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है।
पेपर-II को कक्षा VI से VIII (उच्च प्राथमिक स्तर) तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है।
प्रत्येक पेपर के लिये निर्धारित समय 2 घंटे 30 मिनट अर्थात् 150 मिनट है।
पेपर-I (संरचना एवं विषयवस्तु : सभी खंड अनिवार्य)
क्र. सं.
खंड
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
(i)
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
30
30
(ii)
भाषा-I : (हिंदी)
30
30
(iii)
भाषा-II : अंग्रेज़ी, उर्दू या संस्कृत में से कोई एक
30
30
(iv)
गणित
30
30
(v)
पर्यावरण अध्ययन
30
30
कुल
150
150
पेपर-II (संरचना एवं विषयवस्तु)
क्र. सं.
खंड
प्रश्नों की संख्या (MCQs)
अंक
(i)
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (अनिवार्य)
30
30
(ii)
भाषा-I : हिन्दी (अनिवार्य)
30
30
(iii)
भाषा II : अंग्रेज़ी / उर्दू / संस्कृत में से कोई एक (अनिवार्य)
30
30
(iv)
गणित एवं विज्ञान (गणित एवं विज्ञान के शिक्षक के लिये)
अथवा
सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के लिये)
किसी अन्य शिक्षक के लिये- या तो खंड (a) या (b)
60
60
कुल
150
150
उत्तर प्रदेश प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (UP TGT)
लिखित परीक्षा : प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक पद के लिये अभ्यर्थियों का विषय से संबंधित सामान्य योग्यता का परीक्षण किया जाएगा, जिसके लिये उन्हें एक लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। परीक्षा में कुल 125 प्रश्न होंगे तथा प्रश्नपत्र अधिकतम 500 अंकों का होगा। प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का होगा एवं प्रश्नपत्र में सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
अवधि : प्रश्नपत्र को हल करने के लिये अभ्यर्थियों को 2 घंटे का समय दिया जाएगा।
प्रश्नों का प्रारूप : सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) के रूप में होंगे, प्रत्येक प्रश्न के लिये चार विकल्प दिये जाएंगे। अभ्यर्थी को काले बॉल पेन का प्रयोग करके सही उत्तर वाले विकल्प के गोले को उत्तर पुस्तिका पर भरना होगा।
नोट :नवगठित ‘उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग’ (UPESSC) से संबंधित नियमावली में TGT परीक्षा पद्धति में संशोधन की बात की गई है। हालाँकि अभी तक किसी विशिष्ट संशोधन की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
उत्तर प्रदेश स्नातकोत्तर शिक्षक (UP PGT)
परीक्षा का स्वरूप
1. लिखित परीक्षा
425 अंक
2. साक्षात्कार
50 अंक
3. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड नियमावली, 1998 के नियम 12(4)(ग) में निहित प्रावधान के अनुसार विशेष योग्यता पर अधिभार (डॉक्टरेट, M.Ed., B.Ed., राज्य की टीम से राष्ट्रीय स्तर की किसी भी खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये)
25 अंक
कुल अंक
500 अंक
लिखित परीक्षा : PGT पद के लिये अभ्यर्थियों का विषय से संबंधित सामान्य योग्यता का परीक्षण किया जाएगा, जिसके लिये उन्हें एक लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। परीक्षा में कुल 125 प्रश्न होंगे तथा प्रश्नपत्र अधिकतम 425 अंकों का होगा। प्रत्येक प्रश्न 3.4 अंक का होता है एवं प्रश्नपत्र में सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
अवधि :प्रश्नपत्र को हल करने के लिये निर्धारित समय-सीमा 2 घंटे है।
प्रश्नों का प्रारूप : सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) के रूप में होंगे, प्रत्येक प्रश्न के लिये चार विकल्प दिये जाएंगे। अभ्यर्थी को काले बॉल पेन का प्रयोग करके सही उत्तर वाले विकल्प के गोले को उत्तर पुस्तिका पर भरना होगा।
साक्षात्कार के लिये मेरिट सूची : लिखित परीक्षा में अभ्यर्थियों के प्रदर्शन के आधार पर PGT पदों हेतु साक्षात्कार के लिये मेरिट सूची ज़ारी की जाएगी।
नोट : नवगठित ‘उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग’ (UPESSC) से संबंधित नियमावली में PGT परीक्षा पद्धति में संशोधन की बात की गई है। हालाँकि अभी तक किसी विशिष्ट संशोधन की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
उत्तर प्रदेश राजकीय इंटर कॉलेज (UP GIC) प्रवक्ता
उत्तर प्रदेश राजकीय इंटर कॉलेज (UP GIC) में प्रवक्ता पद हेतु भर्ती परीक्षा का आयोजन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा किया जाता है। यह दो चरणों- प्रारंभिक तथा मुख्य (वर्णनात्मक) परीक्षा, में आयोजित की जाती है। परीक्षा पद्धति का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है :
प्रारंभिक परीक्षा
प्रारंभिक परीक्षा में एकल प्रश्नपत्र होगा, जिसमें सामान्य अध्ययन एवं वैकल्पिक विषय दोनों को कवर करने वाले 120 प्रश्न होंगे। वैकल्पिक विषय अभ्यर्थी द्वारा आवेदन के समय चुने गए पद के आधार पर भिन्न-भिन्न होंगे। सामान्य अध्ययन खंड में 40 प्रश्न तथा वैकल्पिक विषय खंड में कुल 80 प्रश्न होंगे।
सभी प्रश्न ‘बहुविकल्पीय’ (MCQs) रूप में होंगे एवं प्रत्येक प्रश्न का सही उत्तर चुनने के लिये अभ्यर्थी को चार विकल्प दिये जाएंगे। प्रत्येक सही उत्तर के लिये अभ्यर्थी को 2.5 अंक दिये जाएंगे, इस प्रकार परीक्षा कुल 300 अंकों की होती है। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 1/3 अंक की कटौती की जाएगी।
मुख्य परीक्षा
UPPSC GIC मुख्य परीक्षा वर्णनात्मक प्रकार की परीक्षा है, जिसमें दो पेपर शामिल है : पेपर-I (सामान्य हिन्दी एवं निबंध) तथा पेपर-II (वैकल्पिक विषय)
पेपर-I (सामान्य हिंदी एवं निबंध) कुल 100 अंकों का होता है जबकि पेपर-II (वैकल्पिक विषय) 300 अंकों का होता है। पेपर-I के लिये 2 घंटे तथा पेपर-II के लिये 3 घंटे समय-सीमा निर्धारित है।
पेपर-I को दो भागों में विभाजित किया गया है- सामान्य हिंदी तथा निबंध, प्रत्येक भाग 50 अंक का होगा।
सामान्य हिन्दी भाग में व्याकरण पर केंद्रित प्रश्न पूछे जाएंगे तथा दूसरे खंड में अभ्यर्थियों को निम्नलिखित टॉपिक्स में से एक टॉपिक पर अधिकतम 1000 शब्दों में एक निबंध लिखना होगा :
साहित्य एवं संस्कृति
राष्ट्रीय विकास योजनाएँ/क्रियान्विति
वर्तमान राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक समस्याएँ/निवारण
विज्ञान तथा पर्यावरण
प्राकृतिक आपदाएँ तथा उनकी रोकथाम
कृषि, उद्योग तथा व्यापार
वैकल्पिक विषय के प्रश्न-पत्र को 3 भागों में विभाजित किया गया है। भाग-A में 5 प्रश्न होंगे, प्रत्येक प्रश्न 25 अंक का होगा एवं शब्द सीमा 250 शब्दों की होगी। भाग-B में 5 प्रश्न होंगे, प्रत्येक प्रश्न 15 अंक का होगा एवं शब्द सीमा 150 शब्दों की होगी। भाग-C में 10 प्रश्न होंगे, प्रत्येक प्रश्न 10 अंक का होगा एवं शब्द सीमा 50 शब्दों की होगी।
वैकल्पिक विषयों का पाठ्यक्रम प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के लिये समान होगा।
उत्तर प्रदेश बी.एड. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (UP B.Ed. JEE)
उत्तर प्रदेश B.Ed. संयुक्त प्रवेश परीक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा चक्रीय आधार पर आयोजित की जाती है। यह परीक्षा राज्य में B.Ed. करने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया के रूप में कार्य करती है। इस परीक्षा में दो पेपर शामिल हैं : पेपर-1 तथा पेपर-2, प्रत्येक पेपर को दो भागों अर्थात् खंड A एवं B में विभाजित किया गया है। प्रत्येक पेपर में 100 प्रश्न होते हैं तथा प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होता है।
पेपर-1 के खंड-A में ‘सामान्य ज्ञान’ पर केंद्रित 50 प्रश्न होंगे तथा खंड-B भाषा आधारित है जिसमें अभ्यर्थियों को हिंदी एवं अंग्रेज़ी में से एक भाषा का चयन करना होगा। खंड-A सभी अभ्यर्थियों के लिये अनिवार्य है।
पेपर-2 के खंड-A में ‘सामान्य अभिक्षमता परीक्षण’ पर केंद्रित 50 प्रश्न होंगे तथा खंड-B में कला/विज्ञान/वाणिज्य/कृषि जैसे वर्ग शामिल हैं। खंड-A सभी अभ्यर्थियों के लिये अनिवार्य है तथा अभ्यर्थी खंड-B के लिये अपने आवेदन पत्र को भरते समय अपने पसंदीदा वर्ग को चुन सकते हैं। प्रत्येक वर्ग से संबंधित प्रश्न स्नातक स्तर के होंगे।
दोनों प्रश्नपत्रों में प्रत्येक गलत उत्तर के लिये 1/3 अंक की कटौती की जाएगी।
रणनीति एवं पाठ्यक्रम
सफलता को लक्ष्य बनाने वाले अभ्यर्थियों के लिये परीक्षा से पहले एक रणनीतिक दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है, जो समय प्रबंधन, विषयों की प्राथमिकता, तनाव में कमी और संसाधनों के इष्टतम उपयोग जैसे तत्त्वों को भी सम्मिलित करता है। यह दृष्टिकोण समय के विवेकपूर्ण विभाजन में सहायता करता है, जिससे परीक्षा के विभिन्न खंडों पर पूरा ध्यान केंद्रित हो सके। मुख्य विषयों को प्राथमिकता देने तथा अभ्यर्थियों को परीक्षा पद्धति से परिचित कराकर उन्हें चिंता मुक्त करने में मदद मिलती है। यह संसाधनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, उत्पादक पुनरीक्षण की सुविधा देता है तथा लक्ष्य-निर्धारण और अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से आत्मविश्वास पैदा करता है। संक्षेप में, यह रणनीति अभ्यर्थियों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षाओं का सामना करने के लिये सशक्त बनाती है, जिससे विभिन्न परीक्षा परिस्थितियों में उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। इसे पहचानते हुए, हमने उत्तर प्रदेश में आयोजित महत्त्वपूर्ण शिक्षण परीक्षाओं के लिये व्यापक रणनीतियाँ तैयार की हैं। हमारा विश्वास है कि इन रणनीतियों का अध्ययन एवं कार्यान्वयन करके अभ्यर्थी न केवल परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं बल्कि उच्च अंक भी प्राप्त कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा’ (UPTET) उत्तर प्रदेश में शिक्षण के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये महत्त्वपूर्ण परीक्षा है। UPTET की प्रभावी तैयारी करने में आपकी सहायता करने हेतु यहाँ एक व्यापक परीक्षा रणनीति दी गई है :
प्रश्नपत्रों की संख्या, खंडों एवं अंकन योजना सहित UPTET परीक्षा पद्धति को समझें।
पेपर-I तथा पेपर-II दोनों के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम प्राप्त करें। पेपर-I के लिये बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र, भाषा I तथा II, गणित और पर्यावरण अध्ययन जैसे विषयों का अध्ययन करें। पेपर-II के लिये अपने चुने हुए विषय का अध्ययन करें। हम यहाँ विस्तृत पाठ्यक्रम भी प्रदान करेंगे।
बाल विकास एवं शैक्षणिक मनोविज्ञान के सिद्धांतों का अध्ययन करें। शैक्षणिक सिद्धांतो, शैक्षणिक पद्धतियों एवं शैक्षणिक विचारकों का अध्ययन करें। परीक्षा पद्धति को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें।
भाषा-I तथा भाषा-II दोनों में अपनी दक्षता बढाएँ। व्याकरण, शब्दावली एवं बोध पर अधिक काम करें। भाषा कौशल में सुधार करने के लिये निबंध, पत्र एवं गद्यांश लिखने का अभ्यास करें।
पेपर-I के लिये प्राथमिक शिक्षा से संबंधित मूलभूत गणितीय एवं पर्यावरण अध्ययन संबंधी अवधारणाओं का अध्ययन करें। मूलभूत विषयों की स्पष्ट समझ सुनिश्चित करें। गति तथा सटीकता में सुधार करने के लिये प्रश्नों/समस्याओं को हल करने का नियमित अभ्यास करें।
यदि आप पेपर-II के लिये परीक्षा में उपस्थित हो रहे हैं तो अपना विशिष्ट विषय सोच-समझकर चुनें। अपने चुने हुए विषय की मूल अवधारणाओं एवं शिक्षण पद्धतियों को रिवाइज़ करें। विषय संबंधित प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें।
परीक्षा की परिस्थितियों को समझने के लिये नियमित मॉक टेस्ट दें। परीक्षा पैटर्न को समझने तथा अपने अध्ययन के मज़बूत एवं कमज़ोर पक्षों की पहचान करने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करें।
प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें। गति तथा सटीकता में सुधार करने के लिये अभ्यास के दौरान प्रत्येक खंड के लिये विशिष्ट समय आवंटित करें। पेपर को निर्धारित समय में पूरा करने पर ज़ोर दें।
प्रमुख अवधारणाओं एवं सूत्रों को नियमित रूप से रिवाइज़ करें। त्वरित रिवीज़न के लिये संक्षिप्त किंतु सारगर्भित नोट्स बनाएँ। अपनी समझ को सुदृढ़ करने के लिये पूरे पाठ्यक्रम को कई बार रिवाइज़ करें।
UPTET पेपर-I के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(क) बाल विकास
बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएँ- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
बाल विकास का आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी, संचार माध्यम)
(ख) अधिगम का अर्थ एवं सिद्धांत
अधिगम (सीखने) का अर्थ, प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
अधिगम के नियम- थॉर्नडाइक के अधिगम के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्त्व।
अधिगम के प्रमुख सिद्धांत एवं कक्षा शिक्षण में उनकी प्रमुख व्यावहारिक उपयोगिता, थॉर्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पावलॉव का संबद्ध-प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, पियाजे का सिद्धांत, वायगोत्सकी का अधिगम वक्र का सिद्धांत- अर्थ एवं प्रकार, अधिगम पठार का अर्थ, कारण एवं निराकरण।
(ग) शिक्षण एवं अधिगम की विधियाँ
शिक्षण, संप्रेषण का अर्थ तथा उद्देश्य
शिक्षण के सिद्धांत
शिक्षण के स्रोत
शिक्षण की विधियाँ, शिक्षण की नई विधियाँ (दृष्टिकोण)
बुनियादी शिक्षण तथा शिक्षण का बुनियादी कौशल
(घ) समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श
शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, समाधान, जैसे- वंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक कौशल (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता।
समावेशन के लिये आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, TLM एवं अभिवृत्तियाँ।
समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
समावेशित विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षण विधियाँ, जैसे- ब्रेल लिपि आदि।
समावेशी बच्चों के लिये निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र।
परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएँ-
मनोविज्ञानशाला, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र (मंडल स्तर पर)
ज़िला चिकित्सालय
ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षित डायट मेंटर
पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तंत्र
समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन
बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्त्व
(च) अधिगम एवं अध्यापन
बच्चे किस प्रकार सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे तथा क्यों ‘असफल’ होते हैं?
अधिगम एवं अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के अधिगम की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
समस्या समाधानकर्त्ता एवं वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरणों के रूप में समझना।
बोध एवं संवेदनाएँ
अभिप्रेरणा एवं अधिगम
अधिगम में योगदान देने वाले कारक- निजी एवं वातावरणीय
खंड-2 : भाषा-I (हिंदी)
(क) विषयवस्तु
अपठित गद्यांश।
हिन्दी वर्णमाला। (स्वर, व्यंजन)
वर्णों के मेल से मात्रिक तथा अमात्रिक शब्दों की पहचान।
वाक्य रचना।
हिन्दी की सभी ध्वनियों के पारस्परिक अंतर की जानकारी विशेष रूप से– ष, स, श, ड, ङ, क्ष, छ, ण तथा न की ध्वनियाँ।
हिन्दी भाषा की सभी ध्वनियों, वर्णों, अनुस्वार, अनुनासिक एवं चन्द्रबिन्दु में अन्तर।
संयुक्ताक्षर एवं अनुनासिक ध्वनियों के प्रयोग से बने शब्द।
सभी प्रकार की मात्राएँ।
विराम चिह्न यथा– अल्प विराम, अर्द्ध विराम, पूर्ण विराम, प्रश्नवाचक, विस्मयबोधक; चिह्नों का प्रयोग।
विलोम, समानार्थी, तुकान्त, अतुकान्त, समान ध्वनियों वाले शब्द।
संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण के भेद।
वचन, लिंग एवं काल।
प्रत्यय, उपसर्ग, तत्सम, तद्भव व देशज, शब्दों की पहचान एवं उनमें अंतर।
लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ
सन्धि
स्वर संधि- दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि, यण् संधि, अयादि संधि।
व्यंजन संधि
विसर्ग संधि
वाच्य, समास एव अंलकार के भेद।
कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ।
(ख) भाषा विकास का अध्यापन
अधिगम और अर्जन।
भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
भाषा कौशल।
भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
संख्याएँ एवं संख्याओं का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग।
लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्त्य।
भिन्नों का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग।
दशमलव- जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग।
ऐकिक नियम
प्रतिशत
लाभ-हानि
साधारण ब्याज
ज्यामिति- ज्यामितीय आकृतियाँ एवं पृष्ठ, कोण, त्रिभुज, वृत्त।
धन (रूपया-पैसा)
मापन- समय, भार, धारिता, लंबाई एवं ताप।
परिमाप- त्रिभुज, आयत, वर्ग, चतुर्भुज।
कैलेंडर
सांख्यिकी
आयतन, धारिता- घन, घनाभ।
क्षेत्रफल- आयत एवं वर्ग।
रेलवे या बस समय-सारिणी।
डाटा का प्रस्तुतीकरण एवं निरूपण।
(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति : बच्चों के चिंतन एवं तर्क पैटर्न को समझना तथा अर्थ निकालने एवं अधिगम की कार्यनीतियाँ।
पाठ्यचर्या में गणित का स्थान।
गणित की भाषा।
सामुदायिक गणित।
औपचारिक एवं अनौपचारिक पद्धतियों के माध्यम से मूल्यांकन।
शिक्षण की समस्याएँ।
त्रुटि विश्लेषण तथा अधिगम एवं अध्यापन के प्रासंगिक पहलू।
नैदानिक एवं उपचारात्मक शिक्षण।
खंड-5 : पर्यावरण अध्ययन (विज्ञान, इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र एवं पर्यावरण)
(क) विषयवस्तु
परिवार
भोजन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता
आवास
पेड़-पौधे एवं जंतु
हमारा परिवेश
मेला
स्थानीय पेशे से जुड़े व्यक्ति एवं व्यवसाय
जल
यातायात एवं संचार
खेल तथा खेल भावना
भारत- नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात, महाद्वीप एवं महासागर
हमारा प्रदेश- नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात
संविधान
शासन व्यवस्था- स्थानीय स्वशासन, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, ज़िला पंचायत, नगरपालिका, नगर निगम, ज़िला प्रशासन, प्रदेश की शासन व्यवस्था, विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय प्रतीक, मतदान, राष्ट्रीय एकता।
पर्यावरण- आवश्यकता, महत्त्व एवं उपयोगिता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण के प्रति सामाजिक दायित्वबोध, पर्यावरण संरक्षण हेतु संचालित योजनाएँ।
(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं व्याप्ति
पर्यावरणीय अध्ययन का महत्त्व तथा एकीकृत पर्यावरणीय अध्ययन
पर्यावरणीय अध्ययन एवं पर्यावरणीय शिक्षा
अधिगम सिद्धांत
विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान की व्याप्ति एवं संबंध
अवधारणा प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण
क्रियाकलाप
प्रयोग/व्यावहारिक कार्य
परिचर्चा
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन
शिक्षण सहायक सामग्री/उपकरण
समस्याएँ
UPTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन) के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(क) बाल विकास
बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएँ- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
बाल विकास का आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी, संचार माध्यम)
(ख) अधिगम का अर्थ एवं सिद्धांत
अधिगम (सीखने) का अर्थ, प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
अधिगम के नियम- थॉर्नडाइक के अधिगम के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्त्व।
अधिगम के प्रमुख सिद्धांत एवं कक्षा शिक्षण में उनकी प्रमुख व्यावहारिक उपयोगिता, थॉर्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पावलॉव का संबद्ध-प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, पियाजे का सिद्धांत, वायगोत्सकी का अधिगम वक्र का सिद्धांत- अर्थ एवं प्रकार, अधिगम पठार का अर्थ, कारण एवं निराकरण।
(ग) शिक्षण एवं अधिगम की विधियाँ
शिक्षण, संप्रेषण का अर्थ तथा उद्देश्य
शिक्षण के सिद्धांत
शिक्षण के स्रोत
शिक्षण की विधियाँ, शिक्षण की नई विधियाँ (दृष्टिकोण)
बुनियादी शिक्षण तथा शिक्षण का बुनियादी कौशल
(घ) समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श
शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, समाधान, जैसे- वंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक कौशल (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता।
समावेशन के लिये आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, TLM एवं अभिवृत्तियाँ।
समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
समावेशित विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षण विधियाँ, जैसे- ब्रेल लिपि आदि।
समावेशी बच्चों के लिये निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र।
परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएँ-
मनोविज्ञानशाला, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र (मंडल स्तर पर)
ज़िला चिकित्सालय
ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षित डायट मेंटर
पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तंत्र
समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन
बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्त्व
(च) अधिगम एवं अध्यापन
बच्चे किस प्रकार सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे तथा क्यों ‘असफल’ होते हैं?
अधिगम एवं अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के अधिगम की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
समस्या समाधानकर्त्ता एवं वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरणों के रूप में समझना।
बोध एवं संवेदनाएँ
अभिप्रेरणा एवं अधिगम
अधिगम में योगदान देने वाले कारक- निजी एवं वातावरणीय
खंड-2 : भाषा-I (हिंदी)
(क) विषयवस्तु
अपठित गद्यांश।
संज्ञा एवं संज्ञा के भेद।
सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद।
विशेषण एवं विशेषण के भेद।
क्रिया एवं क्रिया के भेद।
वाच्य– कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।
हिंदी भाषा की समस्त ध्वनियाँ, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं अनुस्वार व चंद्रबिंदु में अंतर।
झाड़ी एवं लताएँ, शोभा वाले पौधे, मौसमी फूलों की खेती, फलों की खेती, औषधि वाटिका, सब्जियों की खेती
प्रवर्द्धन, कायिक प्रवर्द्धन
फल परीक्षण, फल संरक्षण- जैम, जैली, सॉस, अचार बनाना
जलवायु विज्ञान
फसल चक्र
(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
सामाजिक अध्ययन की अवधारणा एवं पद्धति
कक्षा की प्रक्रियाएँ, क्रियाकलाप एवं व्याख्यान/विमर्श
आलोचनात्मक चिंतन का विकास करना
पूछताछ/अनुभवजन्य साक्ष्य
सामाजिक विज्ञान/सामाजिक अध्ययन पढ़ाने की समस्याएँ
प्रोजेक्ट कार्य
मूल्यांकन
UPTET पेपर-II (गणित एवं विज्ञान) के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :
खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
(A) बाल विकास
बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएँ- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
बाल विकास का आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी, संचार माध्यम)
(ख) अधिगम का अर्थ एवं सिद्धांत
अधिगम (सीखने) का अर्थ, प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
अधिगम के नियम- थॉर्नडाइक के अधिगम केे मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्त्व।
अधिगम के प्रमुख सिद्धांत एवं कक्षा शिक्षण में उनकी प्रमुख व्यावहारिक उपयोगिता, थॉर्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पावलॉव का संबद्ध-प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, पियाजे का सिद्धांत, वायगोत्सकी का अधिगम वक्र का सिद्धांत- अर्थ एवं प्रकार, अधिगम पठार का अर्थ, कारण एवं निराकरण।
(C) शिक्षण एवं अधिगम की विधियाँ
शिक्षण, संप्रेषण का अर्थ तथा उद्देश्य
शिक्षण के सिद्धांत
शिक्षण के स्रोत
शिक्षण की विधियाँ, शिक्षण की नई विधियाँ (दृष्टिकोण)
बुनियादी शिक्षण तथा शिक्षण का बुनियादी कौशल
(D) समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श
शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, समाधान, जैसे- वंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक कौशल (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता।
समावेशन के लिये आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, TLM एवं अभिवृत्तियाँ।
समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
समावेशित विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षण विधियाँ, जैसे- ब्रेल लिपि आदि।
समावेशी बच्चों के लिये निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र।
परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएँ-
मनोविज्ञानशाला, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र (मंडल स्तर पर)
ज़िला चिकित्सालय
ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षित डायट मेंटर
पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तंत्र
समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन
बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्त्व
(E) अधिगम एवं अध्यापन
बच्चे किस प्रकार सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे तथा क्यों ‘असफल’ होते हैं?
अधिगम एवं अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के अधिगम की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
समस्या समाधानकर्त्ता एवं वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरणों के रूप में समझना।
बोध एवं संवेदनाएँ
अभिप्रेरणा एवं अधिगम
अधिगम में योगदान देने वाले कारक- निजी एवं वातावरणीय
खंड-2 : भाषा-I (हिंदी)
(क) विषयवस्तु
अपठित गद्यांश।
संज्ञा एवं संज्ञा के भेद।
सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद।
विशेषण एवं विशेषण के भेद।
क्रिया एवं क्रिया के भेद।
वाच्य– कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।
हिंदी भाषा की समस्त ध्वनियाँ, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं अनुस्वार व चंद्रबिंदु में अंतर।
प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, परिमेय संख्याएँ
पूर्णांक, कोष्ठक लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्त्य
वर्गमूल
घनमूल
सर्वसमिकाएँ
बीजगणित, अवधारणा- चर संख्याएँ, अचर संख्या, चर संख्याओं की घात
बीजीय व्यंजकों का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग, बीजीय व्यंजकों के पद एवं पदों के गुणांक, सजातीय एवं विजातीय पद, व्यंजकों की डिग्री; एक, दो तथा त्रिपदीय व्यंजकों की अवधारणा
युगपत समीकरण, द्विघात समीकरण, रैखिक समीकरण
समांतर रेखाएँ, चतुर्भुज की रचनाएँ, त्रिभुज
वृत्त एवं चक्रीय चतुर्भुज
वृत्त की स्पर्श रेखाएँ
वाणिज्यिक गणित- अनुपात, समानुपात, प्रतिशत, लाभ-हानि, साधारण ब्याज, कर (टैक्स), वस्तु विनिमय प्रणाली
बैंकिंग- वर्तमान मुद्रा, बिल, कैश मेमो
सांख्यिकी- आँकड़ों का वर्गीकरण, पिक्टोग्राफ, माध्य, माध्यिका एवं बहुलक, बारंबारता
पाई एवं दंड चार्ट- अवर्गीकृत डाटा का चित्रण
प्रायिकता, ग्राफ, दंड आरेख तथा मिश्रित आरेख
कार्तीय तल
क्षेत्रमिति
घातांक
(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति
पाठ्यचर्या में गणित का स्थान
गणित की भाषा
सामुदायिक गणित
मूल्यांकन
उपचारात्मक शिक्षण
शिक्षण की समस्याएँ
2. विज्ञान
(क) विषयवस्तु
दैनिक जीवन में विज्ञान, महत्त्वपूर्ण खोज, महत्त्व, मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
रेशे एवं वस्त्र, रेशों से वस्त्रों तक (प्रक्रिया)
सजीव, निर्जीव पदार्थ, जीव जगत, सजीवों का वर्गीकरण, प्राणी एवं वनस्पति के आधार पर पादपों एवं जंतुओं के वर्गीकरण, जीवों में अनुकूलन, जंतुओं एवं पौधों में परिवर्तन
प्राणियों की संरचना एवं कार्य
सूक्ष्म जीव एवं उनका वर्गीकरण
कोशिका से अंगतंत्र तक
किशोरावस्था, दिव्यांगता
भोजन, स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं रोग, फसल उत्पादन, नाइट्रोजन चक्र
प्राणियों में पोषण
पौधों में पोषण तथा जनन, लाभदायक पौधे
जीवों में श्वसन, उत्सर्जन, लाभदायक जंतु
मापन
विद्युत धारा
चुंबकत्व
गति, बल एवं यंत्र
ऊर्जा
कंप्यूटर
ध्वनि
स्थिर विद्युत
प्रकाश एवं प्रकाश यंत्र
वायु- गुण, संघटन, आवश्यकता, उपयोगिता, ओज़ोन परत, हरित गृह प्रभाव
जल- आवश्यकता, उपयोगिता, स्रोत, गुण, प्रदूषण, जल संरक्षण
पदार्थ, पदार्थों के समूह, पदार्थों का पृथक्करण, पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति
पास-पड़ोस में होने वाले भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
अम्ल, क्षार एवं लवण
ऊष्मा एवं ताप
मानव निर्मित वस्तुएँ, प्लास्टिक, प्लास्टिक, काँच, साबुन, मृत्तिका
खनिज एवं धातु
कार्बन एवं उसके यौगिक
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत
(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
विज्ञान की प्रकृति एवं संरचना
प्राकृतिक विज्ञान/लक्ष्य एवं उद्देश्य
विज्ञान को समझना एवं उसकी प्रशंसा करना
दृष्टिकोण/एकीकृत दृष्टिकोण
प्रेक्षण/प्रयोग/अन्वेषण (विज्ञान की पद्धतियाँ)
अभिनवता
पाठ्यचर्या सामग्री/सहायक सामग्री
मूल्यांकन
समस्याएँ
उपचारात्मक शिक्षण
उत्तर प्रदेश प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (UP TGT)
उत्तर प्रदेश प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (UP TGT) परीक्षा की तैयारी के लिये पाठ्यक्रम को व्यापक रूप से कवर करने और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिये सुनियोजित और परीक्षा केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इस परीक्षा की प्रभावी ढंग से तैयारी करने में आपकी मदद करने के लिये यहाँ एक व्यापक रणनीति दी गई है, जो निम्नलिखित है-
परीक्षा पैटर्न के सभी पक्षों जैसे- अनुभागों, प्रश्नों की संख्या, अंकन योजना और परीक्षा की अवधि आदि से खुद को परिचित करें।
पाठ्यक्रम का भलीभाँति अध्ययन करें और विषयों को उनके वेटेज तथा स्वयं के सहजता स्तर के अनुसार वर्गीकृत करें।
परीक्षा तिथि तक शेष बचे समय के लिये अध्ययन की प्रभावी रणनीति बनाएँ। एक सुनियोजित और प्रभावी अध्ययन योजना बनाकर सभी विषयों और टॉपिक्स को तय समय-सीमा के अंदर कवर करने का प्रयास करें। प्रत्येक विषय के लिये विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित करें और उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दें जहाँ आपको अधिक सुधार की आवश्यकता है।
पाठ्यपुस्तकें, संदर्भ मार्गदर्शिकाएँ, विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों और ऑनलाइन संसाधनों सहित प्रासंगिक अध्ययन सामग्री एकत्र करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आपकी अध्ययन सामग्री TGT पाठ्यक्रम के अनुरूप हो। इसके साथ ही इस संबंध में आपकी और अधिक मदद करने के लिये, दृष्टि पब्लिकेशन्स ने UP TGT परीक्षा के लिये पुस्तकों की एक शृंखला प्रकाशित की है। इसके लिये आप हमारे कोर्सेज़ में भी नामांकन करा सकते हैं।
परीक्षा के वातावरण में स्वयं को ढालने और अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने के लिये मॉक टेस्ट का नियमित अभ्यास करें।
अपनी तैयारी को सुदृढ़ करने के लिये कवर किये गए विषयों को नियमित रूप से दोहराएँ। प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें, विशेष रूप से परीक्षा के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिये कि आप सभी अनुभागों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा कर सकें।
उत्तर प्रदेश TGT परीक्षा के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम निम्नलिखित है :
सामाजिक विज्ञान
इतिहास
पुरा-ऐतिहासिक संस्कृतियाँ- पूर्व-पाषाण युग, मध्य पाषाण युग, नवपाषाण युग, उनकी मुख्य विशेषताएँ
प्राचीन युग- सिंधु घाटी सभ्यता, प्रमुख विशेषताएँ
वैदिक काल- पूर्व-वैदिक काल, उत्तर-वैदिक काल, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन
धार्मिक आंदोलन- जैन धर्म, बौद्ध धर्म, भागवत धर्म और शैव धर्म
मौर्य काल- राजनीतिक इतिहास, समाज और संस्कृति
गुप्त राजवंश- राजनीतिक इतिहास, समाज और संस्कृति
चोल वंश- प्रशासन
भारत में इस्लाम का आगमन, आक्रमण और प्रभाव
दिल्ली सल्तनत की स्थापना- कुतुबुद्दीन ऐबक का योगदान, इल्तुतमिश का मूल्यांकन, बलबन का जीवन चरित्र और उपलब्धियाँ।
अलाउद्दीन खिलजी की उपलब्धियाँ
तुगलक वंश- गयासुद्दीन तुगलक, मोहम्मद बिन तुगलक, फिरोज़शाह तुगलक
तैमूर का आक्रमण
बहमनी साम्राज्य
सैय्यद एवं लोदी वंश
मुगल राजवंश - बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगज़ेब
छत्रपति शिवाजी – जीवन चरित्र और उपलब्धियाँ
आधुनिक भारत (1858-1950 ई.)
1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण, स्वरूप एवं परिणाम
उन्नीसवीं शताब्दी में भारतीय पुनर्जागरण और सामाजिक-धार्मिक आंदोलन, राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान।
स्वतंत्रता एवं विभाजन के बाद का भारत ( 1950 ई. तक)
भूगोल
भौतिक भूगोल : सौरमंडल - उत्पत्ति, सौरमंडल में पृथ्वी का आकृति एवं गतियाँ, पृथ्वी की गतियों का प्रभाव, सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण, अक्षांश और देशांतर का निरूपण, ग्लोब पर किसी स्थल की अवस्थिति का निर्धारण, स्थानीय एवं प्रामाणिक समय का निर्धारण, अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा – अनुरेखन एवं महत्त्व।
स्थलमंडल : चट्टान की उत्पत्ति और प्रकार, ज्वालामुखी क्रिया/ज्वालामुखी के प्रकार और विश्व वितरण; भूकंप- उत्पत्ति और विश्व वितरण; महाद्वीपों और महासागरों का वितरण; पर्वत और उनके प्रकार; विश्व के प्रमुख पठार और उनके प्रकार; मैदान और नदी घाटियाँ; अपरदन और अपक्षय प्रक्रियाएँ, डेविस का अपरदन चक्र, नदी घाटी की निम्नीकरण प्रक्रिया, जल अपरदन द्वारा विभिन्न चरणों में निर्मित प्रमुख भू-आकृतियाँ, समोच्च रेखाएँ और समोच्च रेखाओं द्वारा प्रमुख स्थलाकृतियों की पहचान।
वायुमंडल : वायुमंडल की संरचना; सूर्यातप और इसे प्रभावित करने वाले कारक; तापमान का क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर वितरण, तापमान व्युत्क्रमण; वायुदाब पेटियाँ और स्थायी पवनें, महत्त्वपूर्ण स्थानीय पवनें; वर्षण के प्रकार- संवहनीय, सतही और चक्रवातीय वर्षा तथा वर्षण की प्रक्रियाएँ, जैसे- वर्षा, पाला, कोहरा आदि; विश्व के जलवायु प्रदेश, दैनिक मौसम मानचित्रों में प्रयुक्त संकेतों की पहचान।
जलमंडल : महासागरीय उच्चावच; महासागरीय तापमान और लवणता; महासागरीय धाराएँ - उत्पत्ति, प्रवाह की दिशा और जलवायवीय प्रभाव, ज्वार-भाटा एवं उत्पत्ति के सिद्धांत।
जैवमंडल : संरचना; वनस्पति के प्रकार, वैश्विक वितरण एवं संबंधित वन्यजीव क्षेत्र।
मानव भूगोल : मानव-पर्यावरण अंतर्संबंध; सैद्धांतिक विवेचन – रैटजेल, डेविस, सेम्पल, हंटिंगटन, विडाल डी ला ब्लाश, ब्रूंश और ग्रिफिथ टेलर के विचार; वैश्विक जनसंख्या वृद्धि और वितरण का विश्लेषण; मानव प्रजातियाँ, विश्व की प्रमुख मानव प्रजातियाँ – कॉकेशियस, मंगोलॉइड्स के लक्षणात्मक भेद एवं वितरण; विश्व की आदिम प्रजातियाँ एवं उनसे संबंधित पर्यावासों के साथ उनके संबंध- बुशमैन, एस्किमो, खिरगीज़, मसाई, सेमांग के विशेष संदर्भ में।
मानव अधिवास : प्रमुख प्राकृतिक प्रदेशों में ग्रामीण अधिवास का स्वरूप और पर्यावरण से संबंध, विश्व के प्रमुख विराट नगर – अवस्थिति और महत्त्व।
आर्थिक भूगोल : विश्व की प्रमुख फसलों का भौगोलिक विश्लेषण - चावल, गेहूँ, कपास, गन्ना, चुकंदर, चाय, कॉफी और रबर; विश्व में मत्स्यन, वन दोहन और दुग्ध उत्पादन; प्रमुख ऊर्जा और खनिज संसाधन - कोयला, पेट्रोलियम, लौह अयस्क, मैंगनीज़, बॉक्साइट और तांबा; विश्व में प्रमुख उद्योगों की अवस्थिति और उनके वितरण को प्रभावित करने वाले कारक- लौह-इस्पात, सूती और संश्लेषित (कृत्रिम) वस्त्र, कागज़, तेल शोधन; प्रमुख औद्योगिक प्रदेश- उत्तर-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, किंकी, रूर, यूक्रेन, कैंटन, शंघाई, शेनयांग, ब्राजीलियाई पठार, केप टाउन-नेटाल; विश्व के प्रमुख व्यापारिक मार्ग एवं पत्तन।
भारत की स्थिति और विस्तार : अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ और उससे संबंधित सीमा विवाद; हिंद महासागर और इसका आर्थिक और सामरिक महत्त्व। भू-आकृति, अपवाह तंत्र, मानसून की उत्पत्ति एवं विशेषताएँ; जलवायु प्रदेश; मृदा का जलवायु एवं प्राकृतिक वनस्पति के साथ अंतर्संबंध, वनोन्मूलन, बाढ़ और मृदा अपरदन की समस्याएँ और उनके समाधान। कृषि खाद्यान्न उत्पादन, प्रगति एवं समस्याएँ; हरित, श्वेत और नीली क्रांतियाँ; प्रमुख फसलें – चावल, गेहूँ, गन्ना, दलहन, तिलहन तथा चाय का भौगोलिक वितरण और उत्पादन प्रवृत्तियाँ। खनिज संसाधन एवं उनके दोहन से संबंधित समस्याएँ; ऊर्जा संकट और उसका समाधान; कोयले और खनिज तेल का भौगोलिक वितरण और उत्पादन; ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत, बहुउद्देशीय परियोजनाएँ और उनसे जुड़ी पर्यावरणीय समस्याएँ। विनिर्माण उद्योग, लौह-इस्पात, वस्त्र, चीनी, कागज़, सीमेंट और एल्युमीनियम उद्योगों की अवस्थिति तथा वितरण प्रतिरूप; जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण, जनसंख्या-जनित समस्याएँ; परिवहन के साधन; विदेशी व्यापार; प्रमुख नगर और बंदरगाह।
अर्थशास्त्र
आर्थिक सिद्धांत : अर्थशास्त्र- परिभाषा और प्रकृति, स्थैतिक और प्रवैगिक विश्लेषण, अणु एवं व्यापक विश्लेषण, मांग का नियम और मांग की लोच की माप, तुष्टिगुण (उपयोगिता) विश्लेषण, उदासीनता वक्र के माध्यम से उपभोक्ता साम्य, आय प्रभाव, कीमत प्रभाव, प्रतिस्थापन प्रभाव, प्रकटित अधिमान।
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम एवं पैमाने के प्रतिफलन नियम, उत्पादन फलन, समोत्पाद वक्र विश्लेषण, माल्थस और अनुकूलतम जनसंख्या सिद्धांत।
मूल्य निर्धारण के सिद्धांत : पारंपरिक और आधुनिक पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा एकाधिकार एवं एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्म का साम्य।
वितरण का केंद्रीय सिद्धांत : रिकार्डो का आधुनिक लगान सिद्धांत, ब्याज का नव-परंपरावादी एवं कीन्स का सिद्धांत, प्रो. नाइट का लाभ सिद्धांत, पूर्ण और अपूर्ण प्रतियोगिता में मज़दूरी निर्धारण। मुद्रा और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार- मुद्रा की मांग और मुद्रा की आपूर्ति, मुद्रा का मूल्य, फिशर और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय समीकरण, मुद्रास्फीति, रिफ्लेशन और स्टैगफ्लेशन, वर्तमान भारतीय मौद्रिक प्रणाली, वाणिज्यिक बैंकों की आधुनिक प्रवृत्तियाँ, साख निर्माण, केंद्रीय बैंक के कार्य, साख नियंत्रण के परिमाणात्मक एवं गुणात्मक तरीके, अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति।
अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार : तुलनात्मक लागत सिद्धांत, मुक्त व्यापार और संरक्षण की विधियाँ, व्यापार की शर्तें।
विनिमय दरें, क्रय शक्ति समता सिद्धांत और भुगतान संतुलन सिद्धांत, व्यापार शेष और भुगतान शेष, असंतुलन के कारण और समाधान।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक, एशियाई विकास बैंक, विश्व व्यापार संगठन, राजस्व और रोज़गार सिद्धांत; निजी और सार्वजनिक वित्त, अधिकतम सामाजिक कल्याण सिद्धांत, ऐच्छिक विनिमय सिद्धांत, कर और आर्थिक प्रभाव के सिद्धांत, कर और शुल्क, कर देय क्षमता, कर न्याय, करापात और कराघात, कर भार के सिद्धांत, सार्वजनिक व्यय के उद्देश्य और सिद्धांत, हीनार्थ प्रबंधन, सार्वजनिक ऋण भार एवं शोधन। राजकीय नीति, केंद्र और राज्य सरकारों के आय-व्यय के स्रोत। परंपरावादी और कीन्स का रोज़गार सिद्धांत; आर्थिक प्रणालियाँ- पूंजीवाद, समाजवाद और मिश्रित अर्थव्यवस्था।
भारतीय अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास : भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं; गरीबी और विकास; जनसंख्या प्रवृत्ति और जनसंख्या नीति; राष्ट्रीय आय का वितरण और संरचना; भूमि सुधार; लघु एवं सीमांत कृषक, कृषि की समस्याएँ और समाधान, कृषि विपणन, अल्परोज़गार की समस्या, दृश्यमान और प्रच्छन्न बेरोज़गारी- कारण और समाधान।
औद्योगीकरण की समस्याएँ : नई औद्योगिक नीति, कुटीर और लघु उद्योगों की समस्याएँ, श्रम समस्या, भारत में श्रमिक संघों की भूमिका, औद्योगिक विवाद।
भारत में विदेशी व्यापार : संरचना और आधुनिक प्रवृत्तियाँ; आयात प्रतिस्थापन; आर्थिक विकास और आर्थिक प्रगति, आर्थिक विकास की कमी के कारण, पूंजी निर्माण, रोस्टॉव के आर्थिक विकास के चरण; आर्थिक विकास के सिद्धांत, न्यूनतम प्रयास सिद्धांत, विकास के उपाय; भारत में पंचवर्षीय योजनाएँ।
नागरिकशास्त्र
राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिशास्त्र : परिभाषा, प्रकृति और विषयक्षेत्र।
राज्य : परिभाषा, निर्माणक तत्त्व, राज्य की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत।
राजनीतिक अवधारणाएँ : संप्रभुता, कानून और दंड के सिद्धांत, स्वतंत्रता, समानता, अधिकार, नागरिकता, प्रजातंत्र एवं अधिनायक तंत्र।
राजनीतिक परंपराएँ/वाद : व्यक्तिवाद, उदारवाद, फासीवाद और वैज्ञानिक समाजवाद।
राजनीतिक दार्शनिक : प्लेटो, अरस्तू, हॉब्स, लॉक, रूसो, बेंथम, जे.एस. मिल, कार्ल मार्क्स, मनु, कौटिल्य और गांधी।
शासन और राजनीति : भारतीय संदर्भ में संविधान, परिभाषा और वर्गीकरण, सरकार के प्रकार – संसदात्मक एवं अध्यक्षात्मक, एकात्मक और संघात्मक; सरकार के अंग – व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, निर्वाचन प्रणाली - चुनाव आयोग, चुनाव सुधार, राजनीतिक दल और मतदान व्यवहार, भारतीय राजनीतिक प्रणाली।
गोखले, तिलक, गांधी, नेहरू, सुभाष, जिन्ना और डॉ. बी.आर. अंबेडकर का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान।
भारतीय संविधान : मुख्य विशेषताएँ, मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्त्व, संघ सरकार - राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद, संसद और सर्वोच्च न्यायालय - न्यायिक सक्रियता, राज्य सरकार - राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्र-राज्य संबंध।
जिला प्रशासन, जिलाधिकारी, लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और पंचायती राज।
भारतीय प्रशासन : नौकरशाही, ओम्बुड्समैन, लोकपाल और लोकायुक्त।
भारतीय लोकतंत्र की कमियाँ : भारतीय राजनीति में जातिवाद, क्षेत्रवाद और सांप्रदायिकता, राजनीतिक दल, राष्ट्रीय एकीकरण की समस्या, राजनीतिक दल और दबाव समूह।
भारत और संयुक्त राष्ट्र।
हिंदी
हिंदी साहित्य का इतिहास : आदिकाल, भक्तिकाल (संत काव्य, सूफी काव्य, रामभक्ति काव्य, कृष्णभक्ति काव्य), रीतिकाल, आधुनिक काल-भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता।
हिंदी गद्य साहित्य का विकास : निबंध, नाटक, उपन्यास, कहानी, हिन्दी गद्य की लघु विधाएँ- जीवनी, आत्मकथा, संस्मरण, रेखाचित्र, यात्रा-साहित्य, गद्यकाव्य, व्यंग्य।
भाषा विज्ञान : हिंदी की बोलियाँ, विभाषाएँ, हिंदी की शब्द संपदा, हिंदी की ध्वनियाँ, देवनागरी लिपि- नामकरण, विकास, विशेषताएँ, त्रुटियाँ, सुधार के प्रयत्न।
व्याकरण : लिंग, वचन, कारक, संधि, समास, वर्तनी तथा वाक्य शुद्धीकरण, शब्द रूप- पर्यायवाची, विलोम, श्रुति समभिन्नार्थक शब्द, वाक्यांश के लिये एक शब्द; मुहावरा, लोकोक्ति।
संस्कृत साहित्य :
संस्कृत के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी रचनाएँ- कालिदास, भवभूति, माघ, दण्डी, श्रीहर्ष।
व्याकरण- सन्धि (स्वर एवं व्यञ्जन सन्धि), समास, शब्द रूप, धातु रूप, कारक प्रयोग, अनुवाद।
नोट : पाठ्यक्रम की बोधगम्यता और पठनीयता को बढ़ाने के लिये, इसे कुछ संशोधनों के साथ बिंदुवार पुनर्संरचित किया गया है।
उत्तर प्रदेश स्नातकोत्तर शिक्षक (UP PGT)
उत्तर प्रदेश स्नातकोत्तर शिक्षक (UP PGT) परीक्षा की तैयारी के लिये पाठ्यक्रम को व्यापक रूप से कवर करने और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिये सुनियोजित और परीक्षा केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इस परीक्षा की प्रभावी ढंग से तैयारी करने में आपकी मदद करने के लिये यहाँ एक व्यापक रणनीति दी गई है, जो निम्नलिखित है-
परीक्षा पैटर्न के सभी पक्षों जैसे- अनुभागों, प्रश्नों की संख्या, अंकन योजना और परीक्षा की अवधि आदि से खुद को परिचित करें।
पाठ्यक्रम का भलीभाँति अध्ययन करें और विषयों को उनके वेटेज तथा स्वयं के सहजता स्तर के अनुसार वर्गीकृत करें।
परीक्षा तिथि तक शेष बचे समय के लिये अध्ययन की प्रभावी रणनीति बनाएँ। एक सुनियोजित और प्रभावी अध्ययन योजना बनाकर सभी विषयों और टॉपिक्स को तय समय-सीमा के अंदर कवर करने का प्रयास करें। प्रत्येक विषय के लिये विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित करें और उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दें जहाँ आपको अधिक सुधार की आवश्यकता है।
पाठ्यपुस्तकें, संदर्भ मार्गदर्शिकाएँ, विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों और ऑनलाइन संसाधनों सहित प्रासंगिक अध्ययन सामग्री एकत्र करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आपकी अध्ययन सामग्री PGT पाठ्यक्रम के अनुरूप हो। इसके साथ ही इस संबंध में आपकी और अधिक मदद करने हेतु, दृष्टि पब्लिकेशन्स ने UP PGT परीक्षा के लिये पुस्तकों की एक शृंखला प्रकाशित की है। आप इसके लिये हमारे पाठ्यक्रमों में भी नामांकन कर सकते हैं।
परीक्षा के वातावरण में स्वयं को ढालने और अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने के लिये मॉक टेस्ट का नियमित अभ्यास करें।
अपनी तैयारी को सुदृढ़ करने के लिये कवर किये गए विषयों को नियमित रूप से दोहराएँ। प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें, विशेष रूप से परीक्षा के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिये कि आप सभी अनुभागों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा कर सकें।
उत्तर प्रदेश PGT परीक्षा के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम निम्नलिखित है :
इतिहास
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत एवं प्रागैतिहासिक काल/सिंधु घाटी सभ्यता/वैदिक सभ्यता/प्राचीन भारत में धार्मिक आंदोलन
प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ- पूर्व पाषाण युग, मध्य पाषाण युग, नव पाषाण युग एवं इनकी प्रमुख विशेषताएँ
सिंधु घाटी की सभ्यता- नगर नियोजन, धार्मिक जीवन एवं सामाजिक जीवन
वैदिक काल – पूर्व-वैदिक काल एवं उत्तर-वैदिक काल- सामाजिक स्थिति, धार्मिक स्थिति, आर्थिक स्थिति तथा राजनीतिक स्थिति
धार्मिक आंदोलन - जैन धर्म, बौद्ध धर्म, भागवत धर्म, शैव धर्म, हिंदू धर्म के पुनर्गठन में शंकराचार्य का योगदान
छठी शताब्दी ई.पू. का भारत/प्राचीन भारत पर विदेशी आक्रमण/मौर्य साम्राज्य/मौर्योत्तर काल/गुप्त साम्राज्य/ गुप्तोत्तर काल (पूर्व मध्यकाल)/संगम काल/तुर्कों के आक्रमण से पूर्व भारतीय राजवंश
राजनीतिक इतिहास, अशोक का मूल्यांकन, समाज एवं संस्कृति
गुप्त राजवंश - राजनीतिक इतिहास, कला, धर्म, दर्शन एवं समाज, गुप्तोत्तर काल में आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन
चोल वंश - राजनीतिक इतिहास, चोल प्रशासन
उत्तर भारत की राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिति (800 ई. से 1200 ई. तक)
तुर्कों का आक्रमण/दिल्ली सल्तनत/सूफी एवं भक्ति आंदोलन/मराठा साम्राज्य/मुगल काल
महमूद गज़नवी, मुहम्मद गौरी, दिल्ली सल्तनत की स्थापना- कुतुबुद्दीन ऐबक की उपलब्धियों का मूल्यांकन, सल्तनत शासकों में इल्तुतमिश का स्थान; मध्यकालीन भारतीय इतिहास में रज़िया सुल्तान का महत्त्व
बलबन की प्रारंभिक चुनौतियाँ , बलबन का राजत्व सिद्धांत; खिलजी- क्रांति एवं उसका महत्त्व, अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य विस्तार, बाज़ार मूल्य नियंत्रण नीति, भू-राजस्व सुधार, दक्षिण नीति
तुगलक वंश - गयासुद्दीन तुगलक - जीवन चरित्र एवं उपलब्धियाँ; मुहम्मद बिन तुगलक, विभिन्न योजनाएँ, मुहम्मद बिन तुगलक का समीक्षात्मक मूल्यांकन; फिरोज़शाह तुगलक; तैमूर का आक्रमण एवं उसका प्रभाव
बहमनी राजवंश, विजयनगर, सैय्यद एवं लोदी वंश
मुगल वंश - बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ एवं औरंगज़ेब की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति
मुगल साम्राज्य का पतन; मराठा अभ्युदय - छत्रपति शिवाजी का जीवन चरित्र एवं उपलब्धियाँ
आधुनिक भारत का इतिहास
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन- भारत में ब्रिटिश शासन के राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभाव
सन् 1857 के विद्रोह के कारण, स्वरूप एवं परिणाम
उन्नीसवीं शताब्दी में पुनर्जागरण तथा सामाजिक-आर्थिक आंदोलन
स्वामी दयानंद सरस्वती, राजा राममोहन राय, अरविंद घोष, एनी बेसेंट एवं रवींद्रनाथ टैगोर
राष्ट्रीय आंदोलन एवं स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान
स्वतंत्रता की प्राप्ति
देश का विभाजन एवं उसके बाद का भारत (सन् 2000 तक)
भूगोल
भूगोल की परिभाषा एवं विषय-क्षेत्र — भूगोल विषय से संबंधित विभिन्न विद्वानों की अवधारणा- हंबोल्ट, रिटर, रैटजेल, हेटनर, डेविस, विडाल डि ला ब्लाश, कार्ल सॉवर, पीटर हैगेट, विलियम बुंगी, हार्वे एवं स्मिथ। प्रमुख संकल्पनाएँ : नियतिवाद, संभववाद, नव-नियतिवाद एवं पर्यावरणीय कारकवाद (पारिस्थितिक तंत्र)
भौतिक भूगोल : स्थलमंडल — पृथ्वी की आंतरिक संरचना, भूमंडल का निर्माण, खनिज एवं चट्टानें, भूसंचलन, ज्वालामुखी एवं भूकंप- अद्यतन सिद्धांत, वलन एवं भ्रंशन तथा उनसे उत्पन्न स्थलाकृतियाँ, अपरदन चक्र एवं उनका भू-आकृतिक स्वरूप; भूमिगत जल, वायु, समुद्र तथा हिमनद के कार्य एवं संबंधित स्थलाकृतियाँ।
वायुमंडल : संरचना — सूर्यातप एवं ताप/ऊष्मा बजट, तापमान का क्षैतिज एवं लंबवत वितरण, तापीय व्युत्क्रमण की दशाएँ, वायुदाब पेटियाँ एवं पवनें, वायुदाब पेटियों का संचलन एवं उनका प्रभाव, आर्द्रता एवं वर्षण के प्रकार, बादलों के प्रकार एवं स्वरूप, शीतोष्ण एवं उष्ण कटिबंधीय चक्रवात- उत्पत्ति, गतिविधि एवं मौसम पर प्रभाव, कोपेन और थॉर्नथ्वेट द्वारा विश्व जलवायु का वर्गीकरण।
जलमंडल- महासागरीय जल का तापमान एवं लवणता, महासागरीय धाराएँ, ज्वार-भाटा, महासागरीय निक्षेप, प्रवाल द्वीप एवं प्रवाल भित्तियाँ- उत्पत्ति, वितरण एवं पर्यावरणीय महत्त्व।
जैवमंडल- वनस्पति के प्रकार एवं वैश्विक वितरण, सदाबहार वनों का पर्यावरणीय महत्त्व, वनस्पति एवं पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता एवं उसका पारिस्थितिकीय महत्त्व, निर्वनीकरण की समस्या, वन संरक्षण।
मानव भूगोल- मानव-पर्यावरण संबंध, पुरापाषाण युग, नवपाषाण युग, मानव पर्यावरण अंतर्संबंध पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव — कृषि क्रांति, औद्योगिक क्रांति एवं सूचना क्रांति। जनसंख्या वृद्धि के पर्यावरणीय प्रभाव, जनांकिकीय मॉडल (विकसित एवं विकासशील देशों में जनसंख्या समस्या के प्रारूप)।
आर्थिक भूगोल — संसाधन एवं उनका वर्गीकरण, संसाधनों का विभिन्न दृष्टियों से वर्गीकरण, संसाधन संरक्षण के सिद्धांत। जल, मृदा, खनिज एवं ऊर्जा से संबंधित उपभोग की समस्याएँ एवं उनका संरक्षण। मानव संसाधन संरक्षण। कृषि योग्य भूमि का उपयोग — खाद्यान्न उत्पादन एवं उसका क्षेत्रीय स्वरूप — गेहूँ, चावल, कपास, गन्ना, चाय, कहवा, रबर। विश्व के वृहद् कृषि प्रदेश, विश्व के औद्योगिक प्रतिरूप, उद्योगों के स्थानीयकरण के कारण, औद्योगिक अवस्थिति के प्रमुख सिद्धांत — न्यूनतम लागत सिद्धांत, बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा सिद्धांत, विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार-प्रमुख व्यापारिक प्रखंड, प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय स्थल, वायु एवं जल परिवहन मार्ग तथा बंदरगाह।
प्रादेशिक भूगोल — विकसित, विकासशील एवं अल्पविकसित देशों की अवधारणा एवं प्रत्येक की विशेषताओं का विवेचन; निम्नलिखित प्रदेशों की प्राकृतिक विशेषताएँ, जनसंख्या संसाधन आधार एवं उनके विकास का अध्ययन- (i) आंग्ल अमेरिका (ii) यूरोपीय समुदाय (iii) रूस (iv) चीन (v) जापान (vi) दक्षिण-पूर्वी एशिया।
भारत का भौगोलिक स्वरूप - (1) भारत का प्राकृतिक स्वरूप- उच्चावच, जल प्रवाह, जलवायु, वनस्पति एवं मृदा के वैश्विक प्रतिरूप, एल-नीनो एवं ला-नीना प्रभाव, सूखा एवं बाढ़ संभावित क्षेत्र, संसाधन आधार — खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, सिंचाई, जलविद्युत, बहुउद्देशीय परियोजनाएँ, आर्थिक स्वरूप — कृषि खाद्यान्न उत्पादन, नकदी फसलें, कृषि की नवीनतम पद्धतियाँ, औद्योगिक विकास, भारत की औद्योगिक नीति, आधारभूत उद्योग, (लौह-इस्पात) ऊर्जा उत्पादन, सीमेंट, एल्युमीनियम का उत्पादन, वितरण प्रतिरूप एवं उत्पादन प्रवृत्ति, अवसंरचना विकास एवं समस्याएँ, जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण का प्रादेशिक स्वरूप, जनसंख्या वृद्धि की समस्याएँ, आर्थिक विकास का प्रादेशिक स्वरूप।
अर्थशास्त्र
उच्च आर्थिक सिद्धांत : संतुलन/साम्य की अवधारणा और प्रकार, मांग का सिद्धांत, मांग की लोच की श्रेणियाँ, आड़ी मांग की लोच या प्रतिलोच, उपभोक्ता का अतिरेक, तटस्थता वक्र तकनीक, उपभोक्ता साम्य : उद्घाटित अधिमान सिद्धांत, उत्पादन का सिद्धांत एवं पैमाने के प्रतिफल नियम, उत्पादन फलन – अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन और कॉब-डगलस उत्पादन फलन।
अर्थशास्त्र का सिद्धांत : पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा, एकाधिकार, द्वाधिकार, अल्पाधिकार एवं एकाधिकृत प्रतिस्पर्द्धा और समाजवादी अर्थव्यवस्था में कीमत निर्धारण। वितरण का केंद्रीय एवं आधुनिक सिद्धांत, लगान का सिद्धांत, आभास लगान एवं अवसर लागत, मज़दूरी का आधुनिक सिद्धांत, ब्याज का सिद्धांत- शास्त्रीय/प्रतिष्ठित सिद्धांत, कीन्स का तरलता पसंदगी सिद्धांत और तरलता-जाल, ऋण योग्य निधि का सिद्धांत, नाइट एवं शेकल का लाभ सिद्धांत, उत्पादन समाप्ति प्रमेय, कीन्स का रोज़गार सिद्धांत- गुणक और त्वरक सिद्धांत, उपभोग और विनियोग फलन, व्यापार चक्र के सिद्धांत- हॉट्रे, हेयक और हिक्स।
लोक वित्त : लोक वित्त के सिद्धांत, निजी एवं सार्वजनिक वस्तुएँ, सार्वजनिक व्यय- उद्देश्य, सिद्धांत और आर्थिक प्रभाव, संतुलित और असंतुलित बजट, राजकोषीय वित्त, क्रियात्मक वित्त और युद्ध वित्त, विकासशील अर्थव्यवस्था में राजकोषीय नीति। सार्वजनिक आय- करारोपण के सिद्धांत, करों का वर्गीकरण, करों में समानता, कराभार और कर विवर्तन, कर भार के सिद्धांत, पूंजीकृत कर, दोहरा कर एवं कर देय क्षमता सिद्धांत।
सार्वजनिक ऋण : ऋण भार, कर बनाम ऋण शोधन, केंद्र एवं राज्य सरकार के वित्त की प्रवृत्तियाँ, दसवाँ वित्त आयोग, घाटे का वित्तपोषण (हिनार्थ प्रबंधन)।
मौद्रिक अर्थशास्त्र : मुद्रा का मूल्य और उसकी माप- मुद्रा परिणाम का सिद्धांत, कीन्स और कैम्ब्रिज का मौलिक समीकरण, कीन्स का मौद्रिक सिद्धांत- मुद्रा प्रसार, मांग जनित एवं लागत जनित मुद्रास्फीति, फिलिप्स वक्र, मुद्रास्फीति और मुद्रा संकुचन की तुलनातमक श्रेष्ठता, मौद्रिक संस्थाएँ, केंद्रीय एवं वाणिज्यिक बैंकों के कार्य, साख सृजन, केंद्रीय बैंक, साख नियंत्रण की विधियाँ, भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, राष्ट्रीय औद्योगिक (दीर्घकालिक) कोष, अवमूल्यन, अधिमूल्यन, विनिमय नियंत्रण, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष विधियाँ।
अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत (एडम स्मिथ, रिकार्डो और मिल), पारस्परिक मांग का सिद्धांत, मार्शल का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य का सिद्धांत, अवसर लागत सिद्धांत, (हैबरलर), सामान्य संतुलन का सिद्धांत (हैक्शर-ओहलिन), लियोनतिफ विरोधाभास।
विदेशी विनिमय दर : क्रयशक्ति समता एवं भुगतान संतुलन का सिद्धांत, व्यापार की शर्तें, मुक्त व्यापार बनाम संरक्षण, टैरिफ(प्रशुल्क) मूल्यह्रास/राशिपातन, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार। टैरिफ(प्रशुल्क) और व्यापार पर सामान्य समझौता (GATT), संयुक्त राष्ट्र संघ का व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD), भारत में विदेशी पूंजी की वर्तमान स्थिति, विदेशी सहायता, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), एशियाई विकास बैंक, यूरोपीय साझा बाज़ार और अंतर्राष्ट्रीय तरलता।
आर्थिक विकास एवं भारतीय अर्थव्यवस्था : आर्थिक विकास की समस्याएँ, विकास की अवस्थाएँ , विकास मॉडल- प्रतिष्ठित, हैरॉड एवं डोमर मॉडल, राष्ट्रीय आय की नवीन अवधारणाएँ, राष्ट्रीय आय की प्रवृत्तियाँ , गरीबी एवं अल्परोज़गार की समस्याएँ, रोज़गार नीति, ऊर्जा संकट, कृषि वित्त की समस्याएँ एवं उपाय, अन्नपूर्णा योजना, भारत की नई औद्योगिक नीति एवं उपक्रम, लघु एवं कुटीर औद्योगिक नीति, निर्यात संवर्द्धन, सामाजिक सुरक्षा एवं श्रम कल्याण, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ एवं भारत का आर्थिक विकास, जनसंख्या संक्रमण का सिद्धांत, भारत में जनसंख्या वृद्धि एवं संरचना, जनसंख्या नीति।
प्रारंभिक सांख्यिकी : सांख्यिकी का अर्थ एवं महत्त्व, बिंदुरेखीय प्रदर्शन, केंद्रीय प्रवृत्ति की माप, माध्यिका, भूयिष्ठक (मोड), प्रामाणिक विचलन और सहसंबंध।
नागरिकशास्त्र
राजनीतिक सिद्धांत : राजनीतिशास्त्र - परिभाषा, विषयक्षेत्र, और अध्ययन पद्धतियाँ।
राज्य : परिभाषा, तत्त्व और राज्य की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत।
राजनीतिक अवधारणाएँ : संप्रभुता- अर्थ, प्रमुख विशेषताएँ, संप्रभुता के प्रकार, एकलवादी और बहुलवादी सिद्धांत; कानून - परिभाषा, कानून के स्रोत, कानून एवं नैतिकता; स्वतंत्रता, समानता, अधिकार, न्याय।
राजनीतिक परंपराएँ / राजनीतिकवाद : व्यक्तिवाद, उदारवाद, आदर्शवाद, अराजकतावाद, फासीवाद, वैज्ञानिक समाजवाद, प्रजातंत्र एवं अधिनायकतंत्र।
राजनीतिक दर्शन : प्लेटो, अरस्तू, हॉब्स, लॉक, मॉन्टेस्क्यू, रूसो, जे.एस. मिल, कार्ल मार्क्स, लेनिन, माओ त्से तुंग, मनु, कौटिल्य, गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. अंबेडकर, लोहिया और जय प्रकाश नारायण के राजनीतिक दर्शन।
तुलनात्मक राजनीति : संघवाद - प्रमुख तत्त्व, प्रवृत्तियाँ और समस्याएँ; नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्त्तव्य; विधायिका - संरचना और कार्य; कार्यपालिका - संरचना, शक्तियाँ और स्थिति; न्यायपालिका - संरचना, कार्य और स्वतंत्रता; नौकरशाही - कार्य, महत्त्व, प्रतिबद्धता और तटस्थता; निर्वाचन पद्धति - समस्याएँ और समाधान; राजनीतिक दल, दबाव समूह और जनमत (भारत, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस और चीन के विशेष संदर्भ में उपर्युक्त अवधारणाओं का अध्ययन)।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति : सिद्धांत और व्यवहार- प्रमुख अवधारणाएँ - शक्ति संतुलन, सामूहिक सुरक्षा, राष्ट्रीय हित; प्रमुख प्रवृत्तियाँ- शीत युद्ध, तनाव, शैथिल्य, गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM); अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ और संगठन - संयुक्त राष्ट्र और उसके अभिकरण, आसियान, सार्क; प्रमुख मुद्दे – निःशस्त्रीकरण, नवीन अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, उत्तर-दक्षिण संवाद, दक्षिण सहयोग, तृतीय विश्व - अवधारणा और समस्याएँ; विदेश नीति- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन।
भारतीय लोक प्रशासन : सिद्धांत और व्यवहार- प्रशासकीय व्यवहार – निर्णय करना, नेतृत्व के सिद्धांत, सम्प्रेषण, अभिप्रेरणा, संगठनात्मक संरचना, मुख्य कार्यपालिका, सूत्र स्टाफ एवं सहायक अभिकरण; विभाग, निगम और स्वतंत्र नियामक आयोग; कार्मिक प्रशासन; नौकरशाही - भर्ती, प्रशिक्षण, पदोन्नति, प्रशासन में सत्यनिष्ठा; उत्तरदायित्व और नियंत्रण - संसदीय नियंत्रण के अस्त्र के रूप में बजट; प्रशासन पर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायिक नियंत्रण; प्रशासनिक सुधार।
हिंदी
हिंदी साहित्य का इतिहास : आदिकालीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ, भक्तिकाल (संत काव्य, सूफी काव्य, रामभक्ति काव्य, कृष्णभक्ति काव्य), रीतिकाव्य धारा (रीतिबद्ध, रीतिमुक्त, रीतिसिद्ध), आधुनिक काल- भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, नयी कविता।
गद्य साहित्य का विकास : निबंध, नाटक, कहानी, उपन्यास, आलोचना। हिंदी गद्य की लघु विधाओं का विकासात्मक परिचय- जीवनी, संस्मरण, आत्मकथा, रेखाचित्र, यात्रा-साहित्य, गद्यकाव्य एवं व्यंग्य।
भाषा विज्ञान : हिंदी की उपभाषाएँ, विभाषाएँ, बोलियाँ, हिंदी की शब्द संपदा, हिंदी की ध्वनियाँ।
व्याकरण : हिंदी की वर्तनी, संधि, समास, लिंग, वचन, कारक, विराम चिह्नों का प्रयोग, पर्यायवाची, विलोम, वाक्यांश के लिये एक शब्द, वाक्य शुद्धि, मुहावरा, लोकोक्ति।
संस्कृत साहित्य :
संस्कृत के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी रचनाएँ- भास, कालिदास, भारवि, माघ, दण्डी, भवभूति, श्रीहर्ष, मम्मट, विश्वनाथ, राजशेखर।
व्याकरण- सन्धि (स्वर सन्धि, व्यञ्जन सन्धि, विसर्ग सन्धि), समास, विभक्ति, उपसर्ग, प्रत्यय, शब्द रूप, धातु रूप, काल, अनुवाद।
उत्तर प्रदेश राजकीय इंटर कॉलेज (UP GIC) प्रवक्ता
उत्तर प्रदेश में GIC परीक्षा की प्रकृति इसे राज्य में अन्य शिक्षण परीक्षाओं से काफी अलग करती है, जिसका प्रमुख कारण प्रारंभिक परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न प्रारूप के अलावा एक वर्णनात्मक मुख्य परीक्षा का शामिल होना है। इसलिये, अभ्यर्थियों के लिये दोनों चरणों को प्राथमिकता देना और मुख्य परीक्षा पर थोड़ा अधिक ध्यान देना आवश्यक है। इसमें उत्तर लेखन कौशल का विकास और नियमित अभ्यास सम्मिलित है। UP GIC परीक्षा की विशिष्ट मांग को ध्यान में रखते हुए आप के लिये एक विस्तृत रणनीतिक दृष्टिकोण निम्नलिखित बिंदुओं में उल्लिखित है :
प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाओं के पाठ्यक्रम को ठीक प्रकार से समझना आवश्यक है। अपनी दक्षता और विषय कौशल के अनुरूप विषयों को वर्गीकृत करें और तदनुसार प्राथमिकता दें।
अभ्यर्थी परीक्षा के सभी अनुभागों को ध्यान में रखते हुए नियमित अध्ययन के लिये एक संतुलित समय-सारिणी बनाएँ, जो उन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करें जहाँ आपको सुधार की अधिक आवश्यकता हो।
प्रारंभिक परीक्षा में शामिल सभी विषयों के लिये एक मज़बूत आधार बनाने पर ध्यान केंद्रित करें तथा गति और सटीकता बढ़ाने के लिये समयबद्ध तरीके से मॉक टेस्ट का अभ्यास करें।
मुख्य परीक्षा में शामिल विषयों का गहन अध्ययन करें और पाठ्यक्रम में उनके महत्त्व के आधार पर विषयों को प्राथमिकता दें।
सुनिश्चित करें कि आप प्रत्येक विषय में सभी प्रासंगिक तथ्यों को अच्छी तरह से कवर कर रहे हैं। विषय की गहन समझ विकसित करने के लिये मानक पाठ्यपुस्तकों और संदर्भ सामग्रियों का उपयोग करें, इस उद्देश्य के लिये दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा UP GIC परीक्षा पर केंद्रित (हिन्दी में) पुस्तकों की एक शृंखला उपयोगी सिद्ध होगी। अभ्यर्थी अपनी तैयारी को और अधिक सुदृढ़ करने के लिये दृष्टि संस्थान द्वारा संचालित कोर्सेज़ में भी नामांकन करा सकते हैं।
परीक्षा पैटर्न को भलीभाँति समझने और संबंधित विषयों से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों या महत्त्वपूर्ण टॉपिक की पहचान करने के लिए पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।
स्वयं को परीक्षा परिस्थितियों के अनुरूप ढालने के लिये लेखन शैली और समय-सीमा को ध्यान में रखकर, मुख्य परीक्षा के लिये विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए मॉक टेस्ट का अभ्यास करें।
समसामयिक घटनाओं, विशेष रूप से अपने विषयों से संबंधित घटनाओं के बारे में जागरूक रहें तथा पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों के साथ संबद्ध करके करेंट अफेयर्स को तैयार करें। यह रणनीति परीक्षा में सामान्य अध्ययन अनुभाग के लिये सहायक सिद्ध होगी।
याद रखें, तैयारी के लिये निरंतरता और एक सही दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है। परीक्षा के प्रत्येक चरण और सामान्य अध्ययन तथा विषय-विशिष्ट दोनों पर संतुलित ध्यान देने से अभ्यर्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने और UP GIC परीक्षा में चयनित होने में मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश GIC परीक्षा के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम निम्नलिखित है :
प्रारंभिक परीक्षा
सामान्य अध्ययन
सामान्य विज्ञान (10वीं कक्षा स्तर तक)
भारत का इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति
भारतीय कृषि, वाणिज्य एवं व्यापार
विश्व का भूगोल, भारत का भूगोल तथा भारत के प्राकृतिक संसाधन
महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समसामयिक घटनाक्रम
सामान्य बुद्धिमता तथा तार्किक क्षमता।
उत्तर प्रदेश की शिक्षा, संस्कृति, कृषि, उद्योग, व्यापार, रहन-सहन एवं सामाजिक प्रथाओं से संबंधित विशिष्ट जानकारी।
प्रारंभिक गणित (8वीं स्तर तक) : अंकगणित, बीजगणित और ज्यामिति/रेखागणित।
पारिस्थितिकी और पर्यावरण
वैकल्पिक विषय
प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम मुख्य परीक्षा के समान ही होगा।
मुख्य परीक्षा
सामान्य हिन्दी और निबंध
सामान्य हिन्दी
अपठित गद्यांश का संक्षेपण, उससे संबंधित प्रश्न, रेखांकित अंशों की व्याख्या एवं उसका उपयुक्त शीर्षक।
अनेकार्थी शब्द, विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्द, तत्सम एवं तद्भव, क्षेत्रीय, विदेशी (शब्द भंडार), वर्तनी, अर्थबोध, शब्द-रूप, संधि, समास, क्रियाएँ, हिन्दी वर्णमाला, विराम चिह्न, शब्द रचना, वाक्य रचना, मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ, उत्तर प्रदेश की मुख्य बोलियाँ तथा हिन्दी भाषा के प्रयोग में होने वाली अशुद्धियाँ।
निबंध
अभ्यर्थियों को 1000 से अधिक शब्दों में एक निबंध लिखना होगा, जिसमें निम्नलिखित छह क्षेत्र सम्मिलित होंगे :
साहित्य एवं संस्कृति
राष्ट्रीय विकास योजनाएँ/क्रियान्वयन
वर्तमान राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय, सामाजिक समस्याएँ/निदान
विज्ञान और पर्यावरण
प्राकृतिक आपदाएँ और उनकी रोकथाम
कृषि, उद्योग और व्यापार
वैकल्पिक विषय (इतिहास)
भारतीय इतिहास के स्रोत
पुरातात्त्विक,विदेशी साहित्यिक विवरण
इकाई-1
पुरा-ऐतिहासिक : आरंभिक मानव और उसके द्वारा प्रयोग किये गए पाषाणिक, ताम्र-पाषाणिक, कांस्य एवं उपकरण।
आद्य-इतिहास : नदी घाटी सभ्यता, हड़प्पा नगर की सभ्यता- नगर नियोजन, आवासीय भवन, स्वच्छता, विशाल स्नानागार, अन्न भंडार, घरेलू सामग्री, काँसे की नर्तकी, वेशभूषा और साज-सज्जा, वाणिज्य-व्यापार, आस्था एवं धर्म और शवाधान विधि, कला और कलाकृतियाँ, बंदरगाह, मुहरें, मुख्य स्थल और पतन के कारण।
वैदिक संस्कृति : स्रोत- वैदिक संहिताएँ, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक, उपनिषद, धर्मशास्त्र, वेदांग।
प्रारंभिक वैदिक संस्कृति : सामाजिक संरचना का उदय, वर्ण संरचना, राजा और रत्निन, विवाह, व्यवसाय, देवता एवं देवियाँ।
उत्तर वैदिक संस्कृति : जाति का उदय, व्यवसाय, राजा, सभा-समिति, विश, यज्ञकर्म (बलि), पुरोहित व्यवस्था, आर्थिक स्थिति- पणि, निष्क, कृषि-उद्योग
इकाई -2
प्रमुख धार्मिक आंदोलन : जैन धर्म, बौद्ध धर्म, वैष्णव धर्म, शैव धर्म
इकाई-3
600 ईसा पूर्व से आगे का राजनीतिक इतिहास, सोलह महाजनपद, गणराज्यों की स्थापना और मगध साम्राज्य का उत्कर्ष, नंद वंश; मौर्य वंश- चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक; गुप्त वंश- चन्द्रगुप्त प्रथम से स्कंदगुप्त तक; मगध साम्राज्य के पतन का कारण; विदेशी आक्रमण- पर्सियन, मकदूनिया का अलेक्जेंडर (सिकंदर), हिन्द-यवन, शक-पहलव, कुषाण, हूण
500 ई. से 650 ई. तक उत्तर भारत : उत्तर गुप्त, मौखरी वंश, हर्षवर्द्धन,
प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियाँ (राजपूत काल 700 ई. - 1200 ई.),
शुंग-कण्व,
आंध्र-सातवाहन,
मौखरि-पुष्यभूति,
गुर्जर-प्रतिहार, चंदेल, परमार, चालुक्य
बादामी और वेंगी के चालुक्य, पल्लव,
राष्ट्रकूट, कल्याणी और पट्टदकल के चालुक्य, चोल।
इकाई-4
प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था का इतिहास : कृषि, व्यवसाय और उद्योग, श्रेणी व्यवस्था, नानादेशी, सिक्का प्रणाली ।
इकाई-5
प्राचीन समाज का इतिहास : वर्ण-जाति, आश्रम, पुरुषार्थ, संस्कार, शिक्षा
इकाई-6
कला और वास्तुकला : मंदिर, स्तूप, मूर्तिकला, चित्रकला और लघु कलाएँ। स्तंभों व चट्टानों पर उत्कीर्ण प्राचीन अभिलेख।
सल्तनत/मुगल काल
मुहम्मद गौरी का आक्रमण, गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैय्यद और लोदी वंश। बाबर- मुगल साम्राज्य के संस्थापक के रूप में, हुमायूँ और शेरशाह सूरी, अकबर से औरंगज़ेब तक मुगल साम्राज्य का विस्तार एवं विघटन और पतन; ब्रिटिश आगमन। मुगलों का प्रशासन एवं आर्थिक नीतियाँ। विजयनगर और बहमनी राज्य- उत्थान और पतन; छत्रपति शिवाजी महाराज के अधीन मराठा साम्राज्य का उदय एवं पतन के कारण।
प्रशासन व्यवस्था : दिल्ली सल्तनत की प्रशासन व्यवस्था, मुगल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ। केंद्रीय प्रशासन, प्रांतीय प्रशासन, शेरशाह सूरी का प्रशासन।
भू-राजस्व व्यवस्था : शेरशाह सूरी तथा अकबर की भू-राजस्व व्यवस्था।
मुगलों की धार्मिक नीति : बाबर, हुमायूँ, अकबर की धार्मिक नीति; दीन-ए-इलाही, जहाँगीर, शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब की धार्मिक नीति।
मुगलों की दक्कन नीति : बाबर से औरंगज़ेब तक।
मुगल संस्कृति और सभ्यता : शिक्षा, महिलाओं की शिक्षा, साहित्य, वास्तुकला, चित्रकला तथा संगीत।
सैन्य संगठन : अकबर की मनसबदारी प्रणाली, जात, सवार, मराठा सैन्य प्रणाली।
मुगलकालीन समाज : सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक व्यवस्था, व्यापार और वाणिज्य, धार्मिक व्यवस्था।
आधुनिक भारतीय इतिहास
वणिकवाद, 17वीं और 18वीं शताब्दी में भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियाँ; डच, फ्राँसीसी, पुर्तगाली और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत आगमन।
बंगाल में ब्रिटिश शक्ति का उदय : प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध और इसका महत्त्व
क्लाइव द्वितीय बंगाल का गवर्नर (1765-67) : द्वैध शासन तथा इसके गुण और दोष।
वॉरेन हेस्टिंग्स (1772-1785) : प्रशासनिक सुधार, न्यायिक सुधार, राजस्व सुधार।
कॉर्नवालिस के प्रशासनिक सुधार (1786-93) : न्यायिक सुधार, राजस्व सुधार- बंगाल की स्थायी ज़मींदारी (1793)
लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) : सहायक संधि प्रणाली।
हैदर अली और टीपू सुल्तान के अंतर्गत मैसूर : प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध, द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध, तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध, चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध
लॉर्ड हेस्टिंग्स और भारत में ब्रिटिश प्रभुसत्ता की स्थापना : आंग्ल-नेपाल युद्ध (1814-18), पिंडारियों का युद्ध, हेस्टिंग्स की मराठा नीति
विलियम बेंटिक (1825-35) : सती प्रथा का उन्मूलन, विलियम बेंटिक के सुधार- सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक।
लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ।
रणजीत सिंह की उपलब्धियाँ : रणजीत सिंह का प्रारंभिक जीवन, प्रशासन, भू-राजस्व, सैन्य प्रशासन।
लॉर्ड डलहौजी (1848-56) : व्यपगत का सिद्धांत, अवध का विलय, डलहौजी के सुधार।
1857का विद्रोह : विद्रोह के कारण
भू-राजस्व व्यवस्था : स्थायी बंदोबस्त, महालवाड़ी तथा रैय्यतवाड़ी व्यवस्था।
लॉर्ड कर्जन (1899-1905) : बंगाल का विभाजन।
धार्मिक और सामाजिक सुधार (पुनर्जागरण) : ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण आंदोलन, थियोसोफिकल आंदोलन, मुस्लिम सुधार आंदोलन, वहाबी आंदोलन, अलीगढ़ आंदोलन।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का उदय और विकास : उदारवादी नीतियों का मूल्यांकन, उग्रवाद के उदय के कारण, होमरूल आंदोलन, क्रांतिकारी आंदोलन, साइमन कमीशन, खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की भूमिका।
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय नेता : भारत के आधुनिकीकरण में राजा राममोहन राय की भूमिका, दादाभाई नौरोजी (1825-1917), गोपाल कृष्ण गोखले, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू।
मुस्लिम सांप्रदायिकता का उदय : सर सैय्यद अहमद खाँ के कार्य, मुस्लिम लीग की स्थापना, द्वि-राष्ट्र सिद्धांत, हिंदू महासभा, भारत के विभाजन के लिये माउंटबेटन योजना।
अधिनियम (एक्ट) : 1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट, 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट, 1833 का चार्टर अधिनियम, 1909 का अधिनियम, 1919 का अधिनियम, 1935 का अधिनियम।
स्वतंत्रता का पहला चरण : भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947; रियासतों और राज्यों का एकीकरण, महात्मा गांधी की हत्या, पंचवर्षीय योजनाएँ, पड़ोसी राष्ट्रों के साथ संबंध- पाकिस्तान, चीन; 1962 का चीनी आक्रमण; बांग्लादेश।
वैकल्पिक विषय (भूगोल)
भूगोल का अर्थ एवं विषयक्षेत्र, भूगोल के अध्ययन उपागम एवं प्रविधि , प्रमुख भौगोलिक विचारधाराएँ- पर्यावरण नियतिवाद, संभववाद, संभाव्यवाद, प्रदेशवाद, तार्किक प्रत्यक्षवाद, व्यवहारवाद
वायुमंडल की संरचना, सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट, तापमान का क्षैतिज एवं लंबवत वितरण, तापीय प्रतिलोमन, वायुदाब पेटियाँ, पवन प्रणाली- पवन पेटियों की गति, स्थानीय पवनें, आर्द्रता एवं वर्षण, वर्षा के प्रकार, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात, कोपेन एवं थॉर्नथ्वेट द्वारा जलवायु का वर्गीकरण, विश्व के प्रमुख जलवायु क्षेत्र
पृथ्वी की आंतरिक संरचना, चट्टान एवं उनके प्रकार, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत, ज्वालामुखी एवं भूकंप, वलन एवं भ्रंशन- उत्पन्न स्थलाकृतियाँ, डब्ल्यू.एम. डेविस के अपरदन चक्र की संकल्पना, नदी, भौमजल, समुद्र एवं हिमनद के कार्य तथा संबंधित स्थलाकृतियाँ
महासागरीय निक्षेप, महासागरीय जल का तापमान एवं लवणता, महासागरीय धाराएँ, ज्वार-भाटा एवं तरंगें, प्रवाल द्वीप एवं प्रवाल भित्तियाँ- उत्पत्ति, वितरण एवं उनका पर्यावरणीय महत्त्व
पारिस्थितिकी तंत्र की अवधारणा, स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र- प्रकार एवं उनका वितरण, वनोन्मूलन/निर्वनीकरण- समस्याएँ एवं संरक्षण, आपदा- प्रकार एवं उनका प्रबंधन
मानव-पर्यावरण अंतर्संबंध, कृषि, उद्योग एवं सूचना क्रांति पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव, जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण प्रतिरूप, जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत, ग्रामीण एवं नगरीय बस्तियाँ/अधिवास।
संसाधनों की अवधारणा एवं उनका वर्गीकरण, संसाधन संरक्षण के सिद्धांत; जल, मृदा, खनिज एवं ऊर्जा- उपयोग, समस्याएँ एवं उनका संरक्षण। प्रमुख फसलें- चावल, गेहूँ, कपास, गन्ना, चाय, कहवा एवं रबर की भौगोलिक स्थितियाँ, वैश्विक वितरण, उत्पादन और व्यापार, विश्व के प्रमुख कृषि प्रदेश। विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश, उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक, उद्योगों की अवस्थिति के प्रमुख सिद्धांत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, प्रमुख व्यापार ब्लॉक/प्रखंड, प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग तथा बंदरगाह।
संस्कृति तत्त्व, प्रमुख सांस्कृतिक प्रदेश, प्रजातियाँ एवं जनजातियाँ
प्रदेशों की संकल्पना एवं प्रकार, विकसित एवं विकासशील देशों की विशेषताएँ, विश्व के प्रमुख प्रदेशों का अध्ययन- आंग्ल अमेरिका, यूरोपीय समुदाय, रूस, चीन, जापान, दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा दक्षिण-पश्चिमी एशिया
भारत का भौगोलिक स्वरूप - उच्चावच, अपवाह तंत्र, जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति तथा मृदा; प्रमुख खनिज संसाधन- लौह अयस्क, अभ्रक, बॉक्साइट, आणविक खनिज एवं ऊर्जा संसाधन; प्रमुख कृषि उत्पादन- खाद्यान्न एवं नकदी फसलें, कृषि की अद्यतन प्रवृत्तियाँ, सिंचाई तथा बहुउद्देशीय परियोजनाएँ; औद्योगिक विकास, औद्योगिक प्रदेश, औद्योगिक नीति; प्रमुख उद्योग- लौह-इस्पात, सूती वस्त्र, सीमेंट, चीनी और कागज़ उद्योगों की अवस्थापना, वितरण, उत्पादन एवं समस्याएँ; जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण के प्रादेशिक स्वरूप- संबंधित समस्याएँ तथा उनके समाधान; प्रादेशिक विकास विषमता - कारण एवं निवारण; राज्यों का पुनर्गठन- समस्याएँ एवं उनका समाधान
वैकल्पिक विषय (अर्थशास्त्र)
व्यष्टि अर्थशास्त्र : उपभोक्ता व्यवहार एवं मांग विश्लेषण के सिद्धांत- गणनावाचक तथा क्रमवाचक दृष्टिकोण, अनधिमान वक्र विधि, उत्पादन के सिद्धांत, परिवर्तनीय अनुपात का नियम, पैमाने के प्रतिफल-उत्पादन फलन, लागत एवं आगम वक्र, विभिन्न बाज़ार संरचनाओं के तहत फर्म का संतुलन-पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा/एकाधिकार, एकाधिकारिक प्रतिस्पर्द्धा
समष्टि अर्थशास्त्र : राष्ट्रीय आय- अवधारणाएँ, घटक एवं लेखांकन की विधियाँ; रोज़गार तथा आय के शास्त्रीय और कीन्सीयन सिद्धांत, उपभोग एवं निवेश फलन, मुद्रास्फीति तथा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय, व्यापार चक्र के सिद्धांत
मुद्रा एवं बैंकिंग : मुद्रा की अवधारणा एवं कार्य, मुद्रा आपूर्ति के निर्धारक तत्त्व, मुद्रा का परिमाण सिद्धांत- फिशर तथा कैंब्रिज दृष्टिकोण, किन्सीयन दृष्टिकोण, केंद्रीय तथा वाणिज्यिक बैंक- कार्य, साख निर्माण, केंद्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण की विधियाँ
लोक वित्त : आर्थिक क्रियाकलापों में सरकार की भूमिका, कराधान- प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर, भारत सरकार का बजट एवं घाटे की अवधारणा, सार्वजनिक व्यय- प्रभाव एवं मूल्यांकन, सार्वजनिक ऋण, वित्त आयोग, राजकोषीय नीति
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा विदेशी विनिमय : व्यापार संतुलन तथा भुगतान संतुलन, विदेशी विनिमय दर- क्रय शक्ति समता, भुगतान संतुलन सिद्धांत; अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ- I.M.F., I.B.R.D., I.D.A., एशियाई विकास बैंक, W.T.O. आदि
भारतीय अर्थव्यवस्था : भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारभूत विशेषताएँ- नियोजन के उद्देश्य, दृष्टिकोण, प्राथमिकताएँ तथा संसाधन जुटाने की समस्याएँ, भारत में जनसंख्या, गरीबी, एवं बेरोज़गारी से संबंधित नीतियाँ, कृषि नीति- खाद्य सुरक्षा का मुद्दा, ग्रामीण आधारभूत ढाँचे का विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों का मूल्यांकन, औद्योगिक नीति- औद्योगिक सुधार तथा औद्योगिक विकास पर उनका प्रभाव, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तथा लघु उद्यम
प्रारंभिक सांख्यिकी : सांख्यिकी का अर्थ एवं महत्त्व, समंकों का संकलन एवं प्रस्तुतीकरण, केंद्रीय प्रवृत्ति की माप, अपकिरण की माप, सहसंबंध, सैम्पलिंग की विधियाँ सूचकांक और समय शृंखला विश्लेषण।
वैकल्पिक विषय (नागरिकशास्त्र)
खंड-A
राजनीति विज्ञान : अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकृति एवं क्षेत्र
राजनीति, राजनीति विज्ञान, राजनीतिक सिद्धांत तथा राजनीतिक दर्शन के बीच अंतर
राजनीति विज्ञान का विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा भूगोल के साथ अंतर्संबंध
मनोविज्ञान तथा नीतिशास्त्र
नागरिकशास्त्र की परिभाषा, प्रकृति तथा क्षेत्र
नागरिकता : अर्थ, नागरिकता प्राप्त करने एवं समाप्ति के प्रावधान, एक आदर्श नागरिक के गुण, आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाएँ, पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण के प्रति नागरिक की ज़िम्मेदारी
राज्य की अवधारणा : उत्पत्ति के तत्त्व एवं सिद्धांत- सामाजिक संविदा, विकासवादी तथा मार्क्सवादी
राज्य के कार्य के सिद्धांत : उदारवादी, समाजवादी एवं कल्याणकारी
संप्रभुता : शक्ति, प्राधिकार, प्रभाव
कानून, स्वतंत्रता, समानता एवं न्याय
संविधान : अर्थ, प्रकार तथा वर्गीकरण
सरकार की अवधारणा
आधुनिक सरकार : संघीय एवं एकात्मक, संसदीय एवं अध्यक्षात्मक
सरकार के अंग : विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका- संगठन, कार्य एवं महत्त्व तथा उनके बीच संबंध
लोकतंत्र की अवधारणा : अर्थ, प्रकार एवं सिद्धांत
दलीय व्यवस्था, दबाव समूह, जनमत
चुनाव एवं मताधिकार की प्रणाली
राष्ट्र, राष्ट्रीयता, अंतर्राष्ट्रीयता तथा गुट-निरपेक्षता की अवधारणा
राजनीतिक तंत्र में गुटसंबंधी तत्त्व : जाति, भाषा, सांप्रदायिकता तथा क्षेत्र
राजनीति विज्ञान में नवीन प्रवृत्तियाँ : उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण, स्वतंत्रतावाद, समानतावाद, शासन की अवधारणा, राज्य बनाम बाज़ार बहस , पंचायती राज तथा नए सामाजिक आंदोलन
भारतीय राजनीतिक विचारक : मनु, कौटिल्य, महात्मा गांधी तथा अंबेडकर
खंड-B
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास एवं संविधान सभा
भारतीय संविधान एवं उसकी प्रस्तावना, भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ, मौलिक अधिकार एवं मूल कर्त्तव्य, राज्य की नीति के निदेशक सिद्धांत, संवैधानिक संशोधन- प्रक्रिया एवं प्रमुख संवैधानिक संशोधन, अनुच्छेद 370
भारतीय संघीय व्यवस्था एवं संघ/केंद्र-राज्य संबंध
संघीय सरकार की संरचना एवं इसकी कार्यप्रणाली : संघीय कार्यपालिका- राष्ट्रपति; चुनाव, शक्तियाँ एवं कार्य, आपातकालीन शक्तियाँ; उपराष्ट्रपति- चुनाव एवं कार्य
केंद्रीय मंत्रिपरिषद् एवं मंत्रिमंडल : संरचना एवं कार्यप्रणाली, प्रधानमंत्री की नियुक्ति- कार्य तथा महत्त्व
संघीय विधायिका : संसद- राज्यसभा एवं लोकसभा का संघटन, शक्तियाँ तथा महत्त्व; राज्यसभा एवं लोकसभा के बीच संबंध
संघीय न्यायपालिका : सर्वोच्च न्यायालय- संरचना एवं क्षेत्राधिकार, न्यायिक समीक्षा, जनहित याचिका संबंधी मामले
उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में राज्य सरकार की संरचना एवं कार्यप्रणाली
राज्य कार्यपालिका : राज्यपाल- नियुक्ति, शक्तियाँ, कार्य, विशेषाधिकार तथा भूमिकाएँ
मंत्रिपरिषद् : संरचना एवं कार्य
मुख्यमंत्री : नियुक्ति, शक्तियाँ तथा राज्यपाल एवं मंत्रिपरिषद् के बीच संबंध
राज्य विधायिका : संरचना, शक्तियाँ एवं कार्य, राज्य विधानसभा तथा विधानपरिषद् के बीच संबंध
राज्य न्यायपालिका : उच्च न्यायालय- संरचना, कार्य एवं क्षेत्राधिकार
स्थानीय सरकार तथा स्थानीय स्वशासन
73वें तथा 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियमों के विशेष संदर्भ में स्थानीय स्वशासन की अवधारणा
ज़िला मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ, कार्य तथा भूमिका
ज़िला न्यायालय : संरचना एवं कार्य, लोक अदालत
भारत में सार्वजनिक निगम एवं आयोग : योजना आयोग, चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, अंतर-राज्य परिषद्, लोकपाल एवं लोकायुक्त
भारत की विदेश नीति : क्षेत्रीय संगठन एवं संयुक्त राष्ट्र संघ, मानवाधिकार तथा गुटनिरपेक्ष आंदोलन
वैकल्पिक विषय (हिन्दी)
हिंदी साहित्य का इतिहास : हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन की परंपरा, हिंदी साहित्य व इतिहास का काल-विभाजन। आदिकाल- नामकरण, प्रमुख प्रवृत्तियाँ। भक्तिकाल- सामान्य विशेषताएँ, भक्तिकाल की धाराएँ- ज्ञानाश्रयी काव्यधारा, प्रेमाश्रयी (सूफी) काव्यधारा, रामभक्ति काव्यधारा, कृष्णभक्ति काव्यधारा, चारों काव्यधाराओं की प्रमुख प्रवृत्तियाँ। रीतिकाल- नामकरण, प्रमुख प्रवृत्तियाँ। आधुनिक काल- भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, प्रपद्यवाद, नवगीत। विभिन्न कालों के प्रमुख कवि एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ। प्रसिद्ध काव्य-पंक्तियों एवं सूक्तियों के लेखकों/कवियों के नाम।
गद्य-साहित्य का उद्भव और विकास : निबंध, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना। गद्य की अन्य नवीन विधाएँ- जीवनी-साहित्य, आत्मकथा, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज़, यात्रा-साहित्य, डायरी-साहित्य, व्यंग्य, इंटरव्यू, बाल-साहित्य, स्त्री-विमर्श, दलित-विमर्श। युगप्रवर्तक लेखकों के नाम तथा उनकी प्रमुख रचनाएँ।
पत्रकारिता : प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाएँ, प्रकाशन-स्थान, प्रकाशन-वर्ष तथा उनके प्रमुख संपादकों के नाम।
काव्यशास्त्र : भारतीय काव्यशास्त्र- काव्य-लक्षण, भेद, रस, छंद, अलंकार, काव्य संप्रदाय, काव्य गुण, काव्य दोष, शब्द शक्तियाँ।
भाषा विज्ञान : हिंदी की उपभाषाएँ, विभाषाएँ, बोलियाँ, हिंदी की ध्वनियाँ, हिंदी शब्द-संपदा।
हिंदी-व्याकरण : संधि, समास, कारक, लिंग, वचन, काल, पर्यायवाची, विलोम शब्द, वर्तनी-संबंधी अशुद्धिशोधन, वाक्य-संबंधी अशुद्धिशोधन, वाक्यांश के लिये एक शब्द, अनेकार्थी शब्द, समोच्चरित-प्राय भिन्नार्थक शब्द, विरामचिह्न, मुहावरा और लोकोक्ति। संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण, उपसर्ग, प्रत्यय।
संस्कृत-साहित्य के प्रमुख रचनाकारों के नाम एवं उनकी प्रमुख कृतियाँ : कालिदास, भवभूति, भारवि, माघ, भास, बाणभट्ट, श्रीहर्ष, दण्डी, मम्मट, भरतमुनि, विश्वनाथ, राजशेखर तथा जयदेव।
संस्कृत-व्याकरण : सन्धि (स्वर सन्धि, व्यञ्जन सन्धि, विसर्ग सन्धि), समास, उपसर्ग, प्रत्यय। विभक्ति-चिह्न (परसर्ग)- प्रयोग एवं पहचान। शब्दरूप- आत्मन्, नामन्, जगत्, सरित, बालक, हरि, सर्व, इदम्, अस्मद्, युष्मद्। धातुरूप- स्था, पा, गम्, पठ्, हस्, धातु- केवल परस्मैपदी रूप में काल। हिंदी-वाक्यों का संस्कृत अनुवाद।
उत्तर प्रदेश बी.एड. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (UP B.Ed. JEE)
UP B.Ed. संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिये कोई पूर्वनिर्धारित पाठ्यक्रम नहीं है इसलिये परीक्षा की संरचना, परीक्षा के स्वरूप, प्रश्नों की संख्या तथा अंकन योजना को समझना महत्त्वपूर्ण है।
परीक्षा की तैयारी के लिये आप प्रतिष्ठित पब्लिकेशन्स की इस परीक्षा विशेष के लिये प्रकाशित पुस्तकों को अपनी अध्ययन सामग्री में शामिल कर सकते हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए दृष्टि पब्लिकेशन्स ने इस परीक्षा की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली पुस्तकों की एक शृंखला प्रकाशित की है। इस परीक्षा की तैयारी के लिये आप हमारे कोर्सेज़ में भी नामांकन करा सकते हैं।
परीक्षा पैटर्न, प्रश्नों के प्रकार तथा कठिनाई के स्तर को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करने का अभ्यास करें। इससे समय प्रबंधन को बेहतर करने तथा पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति को समझने में मदद मिलती है।
प्रत्येक विषय की मूलभूत अवधारणाओं को समझने पर ध्यान दें। अवधारणाओं की स्पष्ट समझ आपको परीक्षा में विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देने में मदद करेगी।
परीक्षा की परिस्थितियों को समझने के लिये नियमित रूप से मॉक टेस्ट दें। इससे गति एवं सटीकता में सुधार करने में मदद मिलती है। अध्ययन के कमज़ोर पक्षों की पहचान करने तथा उन पर कार्य करने के लिये प्रत्येक मॉक टेस्ट के बाद अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें।
अपनी समझ तथा स्मरणशक्ति को मज़बूत करने के लिये कवर किये गए विषयों को नियमित रूप से रिवाइज़ करें। परीक्षा के अंतिम दिनों में त्वरित रिवीज़न के लिये संक्षिप्त नोट्स बनाएँ।
नोट : UP B.Ed. परीक्षा के लिये कोई पूर्वनिर्धारित पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है।