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अवलोकन

भारत में कॅरियर के तौर पर शिक्षण की लोकप्रियता केंद्रीय शिक्षण परीक्षाओं के साथ-साथ समान रूप से राज्य स्तरीय शिक्षण परीक्षाओं में भी है। देश का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश योग्यता/पात्रता के आधार पर शिक्षण परीक्षाओं में न सिर्फ अपने यहाँ के निवासियों को बल्कि अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थियों को भी आकर्षित करता है।

उत्तर प्रदेश अभ्यर्थियों की पात्रता निर्धारित करने के लिये UPTET परीक्षा का आयोजन करता है तथा पात्र शिक्षकों की नियुक्ति के लिये TGT, PGT, GIC एवं SUPERTET जैसी परीक्षाएँ आयोजित करता है। यहाँ हम मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश राज्य की TGT, PGT, GIC एवं UPTET जैसी परीक्षाओं की पद्धति, पाठ्यक्रम तथा रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।




परीक्षा पद्धति (एग्ज़ाम पैटर्न)

परीक्षा की प्रभावी तैयारी के लिये उसके स्वरूप को समझना महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यह परीक्षा के अनुरूप हमें अध्ययन संबंधी रणनीतियों को बनाने तथा बेहतर समय प्रबंधन करने में मदद करता है। परीक्षा की संरचना से परिचित होने पर तनाव कम होता है जिससे परीक्षा के दिन आत्मविश्वास बढ़ जाता है। यह जानकारी परीक्षा के विभिन्न खंडों के महत्त्व के आधार पर अभ्यर्थी को समय एवं संसाधन आवंटित करने की रणनीति बनाने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त यह अध्ययन को परीक्षानुकूल बनाता है जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि तैयारी विशिष्ट प्रश्न प्रारूप या मूल्यांकन विधि के साथ संरेखित है। परीक्षा पद्धति की सम्पूर्ण समझ वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करने में, अध्ययन योजना को बनाने में तथा विषयों को प्राथमिकता देने में सहायता करती है। यह नकारात्मक अंकन जैसे कारकों पर विचार करते हुए अभ्यर्थी को रणनीतिक रूप से प्रश्नों के उत्तर देने में भी सक्षम बनाती है। संक्षेप में, परीक्षा पद्धति को समझने से समग्र अध्ययन प्रक्रिया सुव्यवस्थित, केंद्रित एवं प्रभावी हो जाती है जिससे परीक्षा के दौरान प्रदर्शन में सुधार होता है।

UPTET UP TGT UP PGT
UP GIC UP B.Ed. JEE

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET)

UPTET परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) होंगे, प्रत्येक में चार विकल्प दिये जाएंगे, जिनमें से केवल एक ही सर्वाधिक उपयुक्त/तर्कसंगत उत्तर होगा। इस परीक्षा में प्रत्येक सही उत्तर के लिये अभ्यर्थी को एक अंक दिया जाएगा तथा गलत उत्तर के लिये कोई ऋणात्मक अंकन नहीं होगा। UPTET परीक्षा में दो पेपर सम्मिलित हैं-

  • पेपर-I को कक्षा I से V (प्राथमिक स्तर) तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है।
  • पेपर-II को कक्षा VI से VIII (उच्च प्राथमिक स्तर) तक अध्यापन के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये तैयार किया गया है।
  • प्रत्येक पेपर के लिये निर्धारित समय 2 घंटे 30 मिनट अर्थात् 150 मिनट है।


पेपर-I (संरचना एवं विषयवस्तु : सभी खंड अनिवार्य)
क्र. सं. खंड प्रश्नों की संख्या (MCQs) अंक
(i) बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र 30 30
(ii) भाषा-I : (हिंदी) 30 30
(iii) भाषा-II : अंग्रेज़ी, उर्दू या संस्कृत में से कोई एक 30 30
(iv) गणित 30 30
(v) पर्यावरण अध्ययन 30 30
कुल 150 150

पेपर-II (संरचना एवं विषयवस्तु)
क्र. सं. खंड प्रश्नों की संख्या (MCQs) अंक
(i) बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (अनिवार्य) 30 30
(ii) भाषा-I : हिन्दी (अनिवार्य) 30 30
(iii) भाषा II : अंग्रेज़ी / उर्दू / संस्कृत में से कोई एक (अनिवार्य) 30 30
(iv)
  1. गणित एवं विज्ञान (गणित एवं विज्ञान के शिक्षक के लिये)
  2. अथवा

  3. सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के लिये)
  4. किसी अन्य शिक्षक के लिये- या तो खंड (a) या (b)
60 60
कुल 150 150

रणनीति एवं पाठ्यक्रम

सफलता को लक्ष्य बनाने वाले अभ्यर्थियों के लिये परीक्षा से पहले एक रणनीतिक दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है, जो समय प्रबंधन, विषयों की प्राथमिकता, तनाव में कमी और संसाधनों के इष्टतम उपयोग जैसे तत्त्वों को भी सम्मिलित करता है। यह दृष्टिकोण समय के विवेकपूर्ण विभाजन में सहायता करता है, जिससे परीक्षा के विभिन्न खंडों पर पूरा ध्यान केंद्रित हो सके। मुख्य विषयों को प्राथमिकता देने तथा अभ्यर्थियों को परीक्षा पद्धति से परिचित कराकर उन्हें चिंता मुक्त करने में मदद मिलती है। यह संसाधनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, उत्पादक पुनरीक्षण की सुविधा देता है तथा लक्ष्य-निर्धारण और अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से आत्मविश्वास पैदा करता है। संक्षेप में, यह रणनीति अभ्यर्थियों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षाओं का सामना करने के लिये सशक्त बनाती है, जिससे विभिन्न परीक्षा परिस्थितियों में उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। इसे पहचानते हुए, हमने उत्तर प्रदेश में आयोजित महत्त्वपूर्ण शिक्षण परीक्षाओं के लिये व्यापक रणनीतियाँ तैयार की हैं। हमारा विश्वास है कि इन रणनीतियों का अध्ययन एवं कार्यान्वयन करके अभ्यर्थी न केवल परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं बल्कि उच्च अंक भी प्राप्त कर सकते हैं।


UPTET UP TGT UP PGT
UP GIC UP B.Ed. JEE

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET)

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा’ (UPTET) उत्तर प्रदेश में शिक्षण के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिये महत्त्वपूर्ण परीक्षा है। UPTET की प्रभावी तैयारी करने में आपकी सहायता करने हेतु यहाँ एक व्यापक परीक्षा रणनीति दी गई है :

  • प्रश्नपत्रों की संख्या, खंडों एवं अंकन योजना सहित UPTET परीक्षा पद्धति को समझें।
  • पेपर-I तथा पेपर-II दोनों के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम प्राप्त करें। पेपर-I के लिये बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र, भाषा I तथा II, गणित और पर्यावरण अध्ययन जैसे विषयों का अध्ययन करें। पेपर-II के लिये अपने चुने हुए विषय का अध्ययन करें। हम यहाँ विस्तृत पाठ्यक्रम भी प्रदान करेंगे।
  • बाल विकास एवं शैक्षणिक मनोविज्ञान के सिद्धांतों का अध्ययन करें। शैक्षणिक सिद्धांतो, शैक्षणिक पद्धतियों एवं शैक्षणिक विचारकों का अध्ययन करें। परीक्षा पद्धति को समझने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें।
  • भाषा-I तथा भाषा-II दोनों में अपनी दक्षता बढाएँ। व्याकरण, शब्दावली एवं बोध पर अधिक काम करें। भाषा कौशल में सुधार करने के लिये निबंध, पत्र एवं गद्यांश लिखने का अभ्यास करें।
  • पेपर-I के लिये प्राथमिक शिक्षा से संबंधित मूलभूत गणितीय एवं पर्यावरण अध्ययन संबंधी अवधारणाओं का अध्ययन करें। मूलभूत विषयों की स्पष्ट समझ सुनिश्चित करें। गति तथा सटीकता में सुधार करने के लिये प्रश्नों/समस्याओं को हल करने का नियमित अभ्यास करें।
  • यदि आप पेपर-II के लिये परीक्षा में उपस्थित हो रहे हैं तो अपना विशिष्ट विषय सोच-समझकर चुनें। अपने चुने हुए विषय की मूल अवधारणाओं एवं शिक्षण पद्धतियों को रिवाइज़ करें। विषय संबंधित प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें।
  • परीक्षा की परिस्थितियों को समझने के लिये नियमित मॉक टेस्ट दें। परीक्षा पैटर्न को समझने तथा अपने अध्ययन के मज़बूत एवं कमज़ोर पक्षों की पहचान करने के लिये विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करें।
  • प्रभावी समय प्रबंधन कौशल विकसित करें। गति तथा सटीकता में सुधार करने के लिये अभ्यास के दौरान प्रत्येक खंड के लिये विशिष्ट समय आवंटित करें। पेपर को निर्धारित समय में पूरा करने पर ज़ोर दें।
  • प्रमुख अवधारणाओं एवं सूत्रों को नियमित रूप से रिवाइज़ करें। त्वरित रिवीज़न के लिये संक्षिप्त किंतु सारगर्भित नोट्स बनाएँ। अपनी समझ को सुदृढ़ करने के लिये पूरे पाठ्यक्रम को कई बार रिवाइज़ करें।

UPTET पेपर-I के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :

खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र

(क) बाल विकास

  • बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएँ- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
  • बाल विकास का आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी, संचार माध्यम)

(ख) अधिगम का अर्थ एवं सिद्धांत

  • अधिगम (सीखने) का अर्थ, प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
  • अधिगम के नियम- थॉर्नडाइक के अधिगम के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्त्व।
  • अधिगम के प्रमुख सिद्धांत एवं कक्षा शिक्षण में उनकी प्रमुख व्यावहारिक उपयोगिता, थॉर्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पावलॉव का संबद्ध-प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, पियाजे का सिद्धांत, वायगोत्सकी का अधिगम वक्र का सिद्धांत- अर्थ एवं प्रकार, अधिगम पठार का अर्थ, कारण एवं निराकरण।

(ग) शिक्षण एवं अधिगम की विधियाँ

  • शिक्षण, संप्रेषण का अर्थ तथा उद्देश्य
  • शिक्षण के सिद्धांत
  • शिक्षण के स्रोत
  • शिक्षण की विधियाँ, शिक्षण की नई विधियाँ (दृष्टिकोण)
  • बुनियादी शिक्षण तथा शिक्षण का बुनियादी कौशल

(घ) समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श

  • शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, समाधान, जैसे- वंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक कौशल (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता।
  • समावेशन के लिये आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, TLM एवं अभिवृत्तियाँ।
  • समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
  • समावेशित विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षण विधियाँ, जैसे- ब्रेल लिपि आदि।
  • समावेशी बच्चों के लिये निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र।
  • परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएँ-
    • मनोविज्ञानशाला, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
    • मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र (मंडल स्तर पर)
    • ज़िला चिकित्सालय
    • ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षित डायट मेंटर
    • पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तंत्र
    • समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
    • सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन
  • बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्त्व

(च) अधिगम एवं अध्यापन

  • बच्चे किस प्रकार सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे तथा क्यों ‘असफल’ होते हैं?
  • अधिगम एवं अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के अधिगम की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
  • समस्या समाधानकर्त्ता एवं वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
  • बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरणों के रूप में समझना।
  • बोध एवं संवेदनाएँ
  • अभिप्रेरणा एवं अधिगम
  • अधिगम में योगदान देने वाले कारक- निजी एवं वातावरणीय

खंड-2 : भाषा-I (हिंदी)

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश।
  • हिन्दी वर्णमाला। (स्वर, व्यंजन)
  • वर्णों के मेल से मात्रिक तथा अमात्रिक शब्दों की पहचान।
  • वाक्य रचना।
  • हिन्दी की सभी ध्वनियों के पारस्परिक अंतर की जानकारी विशेष रूप से– ष, स, श, ड, ङ, क्ष, छ, ण तथा न की ध्वनियाँ।
  • हिन्दी भाषा की सभी ध्वनियों, वर्णों, अनुस्वार, अनुनासिक एवं चन्द्रबिन्दु में अन्तर।
  • संयुक्ताक्षर एवं अनुनासिक ध्वनियों के प्रयोग से बने शब्द।
  • सभी प्रकार की मात्राएँ।
  • विराम चिह्न यथा– अल्प विराम, अर्द्ध विराम, पूर्ण विराम, प्रश्नवाचक, विस्मयबोधक; चिह्नों का प्रयोग।
  • विलोम, समानार्थी, तुकान्त, अतुकान्त, समान ध्वनियों वाले शब्द।
  • संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण के भेद।
  • वचन, लिंग एवं काल।
  • प्रत्यय, उपसर्ग, तत्सम, तद्भव व देशज, शब्दों की पहचान एवं उनमें अंतर।
  • लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ
  • सन्धि
    • स्वर संधि- दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि, यण् संधि, अयादि संधि।
    • व्यंजन संधि
    • विसर्ग संधि
  • वाच्य, समास एव अंलकार के भेद।
  • कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ।

(ख) भाषा विकास का अध्यापन

  • अधिगम और अर्जन।
  • भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
  • सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
  • एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
  • भाषा कौशल।
  • भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
  • अध्यापन – अधिगम सामग्रियाँ : पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
  • उपचारात्मक अध्यापन।

खंड-3 : भाषा-II

English

(A) Content

  • Unseen Passage
  • The Sentence
    • Subject And Predicate
    • Kinds of Sentences
  • Parts of Speech
    • Kinds of Noun
    • Pronoun
    • Adverb
    • Adjective
    • Verb
    • Preposition
    • Conjunction
  • Tenses - Present, Past, Future
  • Articles
  • Punctuation
  • Word Formation
  • Active & Passive Voice
  • Singular & Plural
  • Gender

उर्दू

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश
  • ज़बान की फन्नी महारतों की मालूमात।
  • मशहूर अदीबों एवं शायरों की हालाते ज़िन्दगी एवं उनकी रचनाओं की जानकारी।
  • मुख्तलिफ असनाफ अदब, जैसे– मज़मून, अफसाना, मर्सिया, मसनवी दास्तान वगैरह की तारीफ मअ, अमसाल।
  • सही इमला एवं तलफ्फुज की मश्क।
  • इस्म, जमीर, सिफत, मुतज़ाद अल्फाज, वाहिद, जमा, मोजक्कर, मोअन्नस वगैरह की जानकारी।
  • सनअते, (तशबीह व इस्तआरा, तलमीह, मराअतुन्नजीर) वगैरह।
  • मुहावरे, जर्बुल अमसाल की मालूमात।
  • मख्तलिफ समाजी मसायल जैसे माहौलियाती आलूदगी जिन्सी नाबराबरी, नाख्वान्दगी, तालीम बराएअम्न, अदमे, तगुजिया, वगैरह की मालूमात।
  • नज़्मों, कहानियों, हिकायतों एवं संस्मरणों में मौजूद समाजी एवं एखलाकी अक्दार को समझना।

संस्कृत

  • अपठित गद्यांश
  • संज्ञाएँ–
    • अकारांत पुल्लिंग
    • आकारांत स्त्रीलिंग
    • अकारांत नपुंसकलिंग
    • ईकारांत स्त्रीलिंग
    • उकारांत पुल्लिंग
    • ऋकारांत पुल्लिंग
    • ऋकारांत स्त्रीलिंग
  • घर, परिवार, परिवेश, पशु, पक्षियों, घरेलू उपयोग की वस्तुओं के नामों से परिचय।
  • सर्वनाम।
  • क्रियाएँ।
  • शरीर के प्रमुख अंगों के संस्कृत शब्दों का प्रयोग।
  • अव्यय।
  • सन्धि- सरल शब्दों की सन्धि तथा उनका विच्छेद (दीर्घ संधि)।
  • संख्याएँ - संस्कृत में संख्याओं का ज्ञान।
  • लिंग, वचन, प्रत्याहार, स्वर के प्रकार, व्यंजन के प्रकार, अनुस्वार एवं अनुनासिक व्यंजन।
  • स्वर व्यंजन एवं विसर्ग संधियाँ, समास, उपसर्ग, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, कारक, प्रत्यय एवं वाच्य।
  • कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ।

(ख) भाषा विकास का अध्यापन

  • अधिगम और अर्जन।
  • भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
  • सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
  • एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
  • भाषा कौशल।
  • भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
  • अध्यापन – अधिगम सामग्रियाँ : पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
  • उपचारात्मक अध्यापन।

खंड-4 : गणित

(क) विषयवस्तु

  • संख्याएँ एवं संख्याओं का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग।
  • लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्त्य।
  • भिन्नों का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग।
  • दशमलव- जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग।
  • ऐकिक नियम
  • प्रतिशत
  • लाभ-हानि
  • साधारण ब्याज
  • ज्यामिति- ज्यामितीय आकृतियाँ एवं पृष्ठ, कोण, त्रिभुज, वृत्त।
  • धन (रूपया-पैसा)
  • मापन- समय, भार, धारिता, लंबाई एवं ताप।
  • परिमाप- त्रिभुज, आयत, वर्ग, चतुर्भुज।
  • कैलेंडर
  • सांख्यिकी
  • आयतन, धारिता- घन, घनाभ।
  • क्षेत्रफल- आयत एवं वर्ग।
  • रेलवे या बस समय-सारिणी।
  • डाटा का प्रस्तुतीकरण एवं निरूपण।

(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे

  • गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति : बच्चों के चिंतन एवं तर्क पैटर्न को समझना तथा अर्थ निकालने एवं अधिगम की कार्यनीतियाँ।
  • पाठ्यचर्या में गणित का स्थान।
  • गणित की भाषा।
  • सामुदायिक गणित।
  • औपचारिक एवं अनौपचारिक पद्धतियों के माध्यम से मूल्यांकन।
  • शिक्षण की समस्याएँ।
  • त्रुटि विश्लेषण तथा अधिगम एवं अध्यापन के प्रासंगिक पहलू।
  • नैदानिक एवं उपचारात्मक शिक्षण।

खंड-5 : पर्यावरण अध्ययन (विज्ञान, इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र एवं पर्यावरण)

(क) विषयवस्तु

  • परिवार
  • भोजन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता
  • आवास
  • पेड़-पौधे एवं जंतु
  • हमारा परिवेश
  • मेला
  • स्थानीय पेशे से जुड़े व्यक्ति एवं व्यवसाय
  • जल
  • यातायात एवं संचार
  • खेल तथा खेल भावना
  • भारत- नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात, महाद्वीप एवं महासागर
  • हमारा प्रदेश- नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात
  • संविधान
  • शासन व्यवस्था- स्थानीय स्वशासन, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, ज़िला पंचायत, नगरपालिका, नगर निगम, ज़िला प्रशासन, प्रदेश की शासन व्यवस्था, विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय प्रतीक, मतदान, राष्ट्रीय एकता।
  • पर्यावरण- आवश्यकता, महत्त्व एवं उपयोगिता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण के प्रति सामाजिक दायित्वबोध, पर्यावरण संरक्षण हेतु संचालित योजनाएँ।

(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे

  • पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं व्याप्ति
  • पर्यावरणीय अध्ययन का महत्त्व तथा एकीकृत पर्यावरणीय अध्ययन
  • पर्यावरणीय अध्ययन एवं पर्यावरणीय शिक्षा
  • अधिगम सिद्धांत
  • विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान की व्याप्ति एवं संबंध
  • अवधारणा प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण
  • क्रियाकलाप
  • प्रयोग/व्यावहारिक कार्य
  • परिचर्चा
  • सतत एवं व्यापक मूल्यांकन
  • शिक्षण सहायक सामग्री/उपकरण
  • समस्याएँ

UPTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन) के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :

खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र

(क) बाल विकास

  • बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएँ- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
  • बाल विकास का आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी, संचार माध्यम)

(ख) अधिगम का अर्थ एवं सिद्धांत

  • अधिगम (सीखने) का अर्थ, प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
  • अधिगम के नियम- थॉर्नडाइक के अधिगम के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्त्व।
  • अधिगम के प्रमुख सिद्धांत एवं कक्षा शिक्षण में उनकी प्रमुख व्यावहारिक उपयोगिता, थॉर्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पावलॉव का संबद्ध-प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, पियाजे का सिद्धांत, वायगोत्सकी का अधिगम वक्र का सिद्धांत- अर्थ एवं प्रकार, अधिगम पठार का अर्थ, कारण एवं निराकरण।

(ग) शिक्षण एवं अधिगम की विधियाँ

  • शिक्षण, संप्रेषण का अर्थ तथा उद्देश्य
  • शिक्षण के सिद्धांत
  • शिक्षण के स्रोत
  • शिक्षण की विधियाँ, शिक्षण की नई विधियाँ (दृष्टिकोण)
  • बुनियादी शिक्षण तथा शिक्षण का बुनियादी कौशल

(घ) समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श

  • शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, समाधान, जैसे- वंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक कौशल (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता।
  • समावेशन के लिये आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, TLM एवं अभिवृत्तियाँ।
  • समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
  • समावेशित विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षण विधियाँ, जैसे- ब्रेल लिपि आदि।
  • समावेशी बच्चों के लिये निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र।
  • परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएँ-
    • मनोविज्ञानशाला, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
    • मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र (मंडल स्तर पर)
    • ज़िला चिकित्सालय
    • ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षित डायट मेंटर
    • पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तंत्र
    • समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
    • सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन
  • बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्त्व

(च) अधिगम एवं अध्यापन

  • बच्चे किस प्रकार सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे तथा क्यों ‘असफल’ होते हैं?
  • अधिगम एवं अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के अधिगम की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
  • समस्या समाधानकर्त्ता एवं वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
  • बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरणों के रूप में समझना।
  • बोध एवं संवेदनाएँ
  • अभिप्रेरणा एवं अधिगम
  • अधिगम में योगदान देने वाले कारक- निजी एवं वातावरणीय

खंड-2 : भाषा-I (हिंदी)

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश।
  • संज्ञा एवं संज्ञा के भेद।
  • सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद।
  • विशेषण एवं विशेषण के भेद।
  • क्रिया एवं क्रिया के भेद।
  • वाच्य– कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।
  • हिंदी भाषा की समस्त ध्वनियाँ, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं अनुस्वार व चंद्रबिंदु में अंतर।
  • वर्णक्रम, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, अनेकार्थक, समानार्थी शब्द।
  • अव्यय के भेद।
  • अनुस्वार, अनुनासिक का प्रयोग।
  • ‘र’ के विभिन्न रूपों का प्रयोग।
  • वाक्य निर्माण (सरल, संयुक्त एवं मिश्र वाक्य)।
  • विराम चिह्नों की पहचान एवं उपयोग।
  • वचन, लिंग एवं काल का प्रयोग।
  • तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द।
  • उपसर्ग एवं प्रत्यय।
  • शब्द युग्म।
  • समास, समास विग्रह एवं समास के भेद।
  • मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ।
  • क्रिया– सकर्मक एवं अकर्मक।
  • संधि एवं संधि के भेद। (स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग संधियाँ)।
  • अलंकार (अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति)

(ख) भाषा विकास का अध्यापन

  • अधिगम और अर्जन।
  • भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
  • सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
  • एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
  • भाषा कौशल।
  • भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
  • अध्यापन – अधिगम सामग्रियाँ : पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
  • उपचारात्मक अध्यापन।

खंड-3 : भाषा-II

English

(A) Content

  • Unseen Passages
  • Noun and its Kinds
  • Pronoun and its Kinds
  • Verb and its Kinds
  • Adjective, its Kinds & Degrees
  • Adverb and its Kinds
  • Preposition and its Kinds
  • Conjunction and its Kinds
  • Intersection
  • Singular and Plural
  • Subject and Predicate
  • Negative and Interrogative Sentences
  • Masculine and Feminine Gender
  • Punctuations
  • Suffix with Root words
  • Phrasal Verbs
  • Use of Somebody, Nobody, Anybody
  • Parts of Speech
  • Narration
  • Active Voice and Passive Voice
  • Antonyms & Synonyms
  • Use of Homophones
  • Use of Request in Sentence
  • Silent Letters in Words

उर्दू

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश।
  • ज़बान की फन्नी महारतों की जानकारी।
  • मुखतलिफ असनाफे अदब हम्द, गज़ल, कसीदा, मर्सिया, मसनवी, गीत वगैरह की समझ एवं उनके फर्क को समझना।
  • मुख्तलिफ शायरों, अदीबों की हालाते ज़़िदगी से वाकफियत एवं उनकी तसानीफ की जानकारी हासिल करना।
  • मुल्क की मुश्तरका तहज़ीब में उर्दू ज़बान की खिदमत और अहमियत से वाकफियत हासिल करना।
  • इस्म व उसके अकसाम, फेल, सिफत, ज़मीर, तज़कीरओंतानीस, तज़ाद की समझ।
  • सही इमला एवं एराब की जानकारी होना।
  • मुहावरे एवं जर्बुल अमसाल से वाकफियत हासिल करना।
  • सनअतों की जानकारी होना।
  • सियासी, समाजी एवं एख्लाकी मसाइल के तईं बेदार होना और उस पर अपना नज़रिया वाजे रखना।

संस्कृत

(क) विषय-वस्तु :

  • अपठित गद्यांश।
  • संधि– स्वर, व्यंजन।
  • अव्यय।
  • समास।
  • लिंग, वचन एवं काल का प्रयोग।
  • उपसर्ग।
  • पर्यायवाची।
  • विलोम।
  • कारक।
  • अलंकार।
  • प्रत्यय।
  • वाच्य।
  • संज्ञाएँ– निम्नवत सभी शब्दों की सभी विभक्ति एवं वचनों के रूपों का ज्ञान
    • पुल्लिंग शब्द
    • स्त्रीलिंग शब्द
    • नपुंसकलिंग शब्द
    • अकारांत पुल्लिंग
    • आकारांत स्त्रीलिंग
    • अकारांत नपुंसकलिंग
    • उकारांत पुल्लिंग
    • उकारांत स्त्रीलिंग
    • उकारांत नपुंसकलिंग
    • ईकारांत पुल्लिंग
    • ईकारांत स्त्रीलिंग
    • ईकारांत नपुंसकलिंग
    • ऋकारांत पुल्लिंग
  • सर्वनाम।
  • विशेषण।
  • धातु।
  • संख्याएँ।

(ख) भाषा विकास का अध्यापन

  • अधिगम और अर्जन।
  • भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
  • सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
  • एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
  • भाषा कौशल।
  • भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
  • अध्यापन – अधिगम सामग्रियाँ : पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
  • उपचारात्मक अध्यापन।

खंड-4 : सामाजिक अध्ययन एवं अन्य

(क) विषयवस्तु

I. इतिहास

  • इतिहास जानने के स्रोत
  • पाषाणकालीन संस्कृति, ताम्र पाषाणिक संस्कृति, वैदिक संस्कृति
  • छठी शताब्दी ई.पू. का भारत
  • भारत के प्रारंभिक राज्य
  • भारत में मौर्य साम्राज्य की स्थापना
  • उत्तर मौर्यकालीन भारत, गुप्त काल, राजपूतकालीन भारत, पुष्यभूति वंश, दक्षिण भारत के राज्य
  • इस्लाम का भारत में आगमन
  • दिल्ली सल्तनत की स्थापना, विस्तार एवं विघटन
  • मुग़ल साम्राज्य, संस्कृति, पतन
  • यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन तथा ब्रिटिश राज्य की स्थापना
  • भारत में कंपनी राज्य का विस्तार
  • भारत में नवजागरण, भारत में राष्ट्रवाद का उदय
  • स्वाधीनता आंदोलन, स्वतंत्रता प्राप्ति, भारत विभाजन
  • स्वतंत्र भारत की चुनौतियाँ

II. नागरिकशास्त्र

  • हम और हमारा समाज
  • ग्रामीण एवं नगरीय समाज तथा रहन-सहन
  • ग्रामीण एवं नगरीय स्वशासन
  • ज़िला प्रशासन
  • हमारा संविधान
  • यातायात सुरक्षा
  • केंद्रीय एवं राज्य शासन व्यवस्था
  • भारत में लोकतंत्र
  • देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति
  • वैश्विक समुदाय एवं भारत
  • नागरिक सुरक्षा
  • दिव्यांगता

III. भूगोल

  • सौरमंडल में पृथ्वी, ग्लोब- पृथ्वी पर स्थानों का निर्धारण, पृथ्वी की गतियाँ
  • मानचित्रण, पृथ्वी के चार परिमंडल, स्थलमंडल- पृथ्वी की संरचना, पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप
  • विश्व में भारत, भारत का भौतिक स्वरूप, मृदा, वनस्पति एवं वन्यजीव, भारत की जलवायु, भारत के आर्थिक संसाधन, यातायात, व्यापार एवं संचार
  • उत्तर प्रदेश- भारत में स्थान, राजनीतिक विभाग, जलवायु, मृदा, वनस्पति एवं वन्यजीव, कृषि, खनिज उद्योग, जनसंख्या एवं नगरीकरण
  • धरातल के रूप बदलने वाले कारक (आंतरिक एवं बाह्य)
  • वायुमंडल तथा जलमंडल
  • संसार के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेश एवं जन-जीवन
  • खनिज संसाधन एवं उद्योग
  • आपदा एवं आपदा प्रबंधन

IV. पर्यावरण अध्ययन

  • पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन एवं उनकी उपयोगिता
  • प्राकृतिक संतुलन
  • संसाधनों का उपयोग
  • जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण
  • अपशिष्ट प्रबंधन, आपदाएँ
  • पर्यावरणविद्, पर्यावरण के क्षेत्र में पुरस्कार, पर्यावरण दिवस, पर्यावरण कैलेंडर

V. गृह विज्ञान/गृह शिल्प

  • स्वास्थ्य एवं स्वच्छता
  • पोषण, रोग एवं उनसे बचने के उपाय, प्राथमिक उपचार
  • खाद्य पदार्थों का संरक्षण
  • प्रदूषण
  • पाचन संबंधी रोग एवं सामान्य बीमारियाँ
  • गृह प्रबंधन, सिलाई कला, धुलाई कला, पाक कला, बुनाई कला, कढ़ाई कला

VI. शारीरिक शिक्षा एवं खेल

  • शारीरिक शिक्षा, व्यायाम, योग एवं प्राणायाम
  • मार्चिंग, राष्ट्रीय खेल एवं पुरस्कार
  • छोटे एवं मनोरंजनात्मक खेल, अंतर्राष्ट्रीय खेल
  • खेल तथा हमारा भोजन
  • प्राथमिक चिकित्सा
  • नशीले पदार्थों के दुष्परिणाम एवं उनसे बचाव का उपाय, खेलकूद, खेल प्रबंधन एवं नियोजन का महत्त्व

VII. संगीत

  • स्वर ज्ञान
  • राग परिचय
  • संगीत में लय एवं ताल का ज्ञान
  • तीव्रता/तीक्ष्णता वाले राग
  • वंदना गीत/झंडा गान
  • राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत, भजन
  • वन संरक्षण/वृक्षारोपण
  • क्रियात्मक गीत

VIII. उद्यान विज्ञान एवं फल संरक्षण

  • मृदा, मृदा गठन, मृदा परिष्करण, यंत्र, बीज, खाद उर्वरक
  • सिंचाई, सिंचाई के यंत्र
  • बाग लगाना, विद्यालय वाटिका
  • झाड़ी एवं लताएँ, शोभा वाले पौधे, मौसमी फूलों की खेती, फलों की खेती, औषधि वाटिका, सब्जियों की खेती
  • प्रवर्द्धन, कायिक प्रवर्द्धन
  • फल परीक्षण, फल संरक्षण- जैम, जैली, सॉस, अचार बनाना
  • जलवायु विज्ञान
  • फसल चक्र

(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे

  • सामाजिक अध्ययन की अवधारणा एवं पद्धति
  • कक्षा की प्रक्रियाएँ, क्रियाकलाप एवं व्याख्यान/विमर्श
  • आलोचनात्मक चिंतन का विकास करना
  • पूछताछ/अनुभवजन्य साक्ष्य
  • सामाजिक विज्ञान/सामाजिक अध्ययन पढ़ाने की समस्याएँ
  • प्रोजेक्ट कार्य
  • मूल्यांकन

UPTET पेपर-II (गणित एवं विज्ञान) के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम इस प्रकार है :

खंड-1 : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र

(A) बाल विकास

  • बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएँ- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
  • बाल विकास का आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी, संचार माध्यम)

(ख) अधिगम का अर्थ एवं सिद्धांत

  • अधिगम (सीखने) का अर्थ, प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
  • अधिगम के नियम- थॉर्नडाइक के अधिगम केे मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्त्व।
  • अधिगम के प्रमुख सिद्धांत एवं कक्षा शिक्षण में उनकी प्रमुख व्यावहारिक उपयोगिता, थॉर्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पावलॉव का संबद्ध-प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, पियाजे का सिद्धांत, वायगोत्सकी का अधिगम वक्र का सिद्धांत- अर्थ एवं प्रकार, अधिगम पठार का अर्थ, कारण एवं निराकरण।

(C) शिक्षण एवं अधिगम की विधियाँ

  • शिक्षण, संप्रेषण का अर्थ तथा उद्देश्य
  • शिक्षण के सिद्धांत
  • शिक्षण के स्रोत
  • शिक्षण की विधियाँ, शिक्षण की नई विधियाँ (दृष्टिकोण)
  • बुनियादी शिक्षण तथा शिक्षण का बुनियादी कौशल

(D) समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श

  • शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, समाधान, जैसे- वंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक कौशल (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता।
  • समावेशन के लिये आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, TLM एवं अभिवृत्तियाँ।
  • समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
  • समावेशित विद्यार्थियों के अधिगम मूल्यांकन हेतु आवश्यक उपकरण एवं तकनीक।
  • समावेशित विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षण विधियाँ, जैसे- ब्रेल लिपि आदि।
  • समावेशी बच्चों के लिये निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र।
  • परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएँ-
    • मनोविज्ञानशाला, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
    • मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र (मंडल स्तर पर)
    • ज़िला चिकित्सालय
    • ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षित डायट मेंटर
    • पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तंत्र
    • समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
    • सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन
  • बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्त्व

(E) अधिगम एवं अध्यापन

  • बच्चे किस प्रकार सोचते एवं सीखते हैं?; बच्चे विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे तथा क्यों ‘असफल’ होते हैं?
  • अधिगम एवं अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएँ, बच्चों के अधिगम की अभिविधियाँ, एक सामाजिक गतिविधि के रूप में अधिगम, अधिगम का सामाजिक संदर्भ।
  • समस्या समाधानकर्त्ता एवं वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बच्चे।
  • बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, बच्चों की ‘त्रुटियों’ को अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरणों के रूप में समझना।
  • बोध एवं संवेदनाएँ
  • अभिप्रेरणा एवं अधिगम
  • अधिगम में योगदान देने वाले कारक- निजी एवं वातावरणीय

खंड-2 : भाषा-I (हिंदी)

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश।
  • संज्ञा एवं संज्ञा के भेद।
  • सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद।
  • विशेषण एवं विशेषण के भेद।
  • क्रिया एवं क्रिया के भेद।
  • वाच्य– कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।
  • हिंदी भाषा की समस्त ध्वनियाँ, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं अनुस्वार व चंद्रबिंदु में अंतर।
  • वर्णक्रम, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, अनेकार्थक, समानार्थी शब्द।
  • अव्यय के भेद।
  • अनुस्वार, अनुनासिक का प्रयोग।
  • ‘र’ के विभिन्न रूपों का प्रयोग।
  • वाक्य निर्माण (सरल, संयुक्त एवं मिश्र वाक्य)।
  • विराम चिह्नों की पहचान एवं उपयोग।
  • वचन, लिंग एवं काल का प्रयोग।
  • तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द।
  • उपसर्ग एवं प्रत्यय।
  • शब्द युग्म।
  • समास, समास विग्रह एवं समास के भेद।
  • मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ।
  • क्रिया– सकर्मक एवं अकर्मक।
  • संधि एवं संधि के भेद। (स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग संधियाँ)।
  • अलंकार (अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति)

(ख) भाषा विकास का अध्यापन

  • अधिगम और अर्जन।
  • भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
  • सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
  • एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
  • भाषा कौशल।
  • भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
  • अध्यापन – अधिगम सामग्रियाँ : पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
  • उपचारात्मक अध्यापन।

खंड-3 : भाषा-II

English

(A) Content

  • Unseen Passages
  • Noun and its Kinds
  • Pronoun and its Kinds
  • Verb and its Kinds
  • Adjective, its Kinds & Degrees
  • Adverb and its Kinds
  • Preposition and its Kinds
  • Conjunction and its Kinds
  • Intersection
  • Singular and Plural
  • Subject and Predicate
  • Negative and Interrogative Sentences
  • Masculine and Feminine Gender
  • Punctuations
  • Suffix with Root words
  • Phrasal Verbs
  • Use of Somebody, Nobody, Anybody
  • Parts of Speech
  • Narration
  • Active Voice and Passive Voice
  • Antonyms & Synonyms
  • Use of Homophones
  • Use of Request in Sentence
  • Silent Letters in Words

उर्दू

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश।
  • ज़बान की फन्नी महारतों की जानकारी।
  • मुखतलिफ असनाफे अदब हम्द, गज़ल, कसीदा, मर्सिया, मसनवी, गीत वगैरह की समझ एवं उनके फर्क को समझना।
  • मुख्तलिफ शायरों, अदीबों की हालाते ज़़िदगी से वाकफियत एवं उनकी तसानीफ की जानकारी हासिल करना।
  • मुल्क की मुश्तरका तहज़ीब में उर्दू ज़बान की खिदमत और अहमियत से वाकफियत हासिल करना।
  • इस्म व उसके अकसाम, फेल, सिफत, ज़मीर, तज़कीरओंतानीस, तज़ाद की समझ।
  • सही इमला एवं एराब की जानकारी होना।
  • मुहावरे एवं जर्बुल अमसाल से वाकफियत हासिल करना।
  • सनअतों की जानकारी होना।
  • सियासी, समाजी एवं एख्लाकी मसाइल के तईं बेदार होना और उस पर अपना नज़रिया वाजे रखना।

संस्कृत

(क) विषयवस्तु

  • अपठित गद्यांश।
  • संधि– स्वर, व्यंजन।
  • अव्यय।
  • समास।
  • लिंग, वचन एवं काल का प्रयोग।
  • उपसर्ग।
  • पर्यायवाची।
  • विलोम।
  • कारक।
  • अलंकार।
  • प्रत्यय।
  • वाच्य।
  • संज्ञाएँ– निम्नवत सभी शब्दों की सभी विभक्ति एवं वचनों के रूपों का ज्ञान
    • पुल्लिंग शब्द
    • स्त्रीलिंग शब्द
    • नपुंसकलिंग शब्द
    • अकारांत पुल्लिंग
    • आकारांत स्त्रीलिंग
    • अकारांत नपुंसकलिंग
    • उकारांत पुल्लिंग
    • उकारांत स्त्रीलिंग
    • उकारांत नपुंसकलिंग
    • ईकारांत पुल्लिंग
    • ईकारांत स्त्रीलिंग
    • ईकारांत नपुंसकलिंग
    • ऋकारांत पुल्लिंग
  • सर्वनाम।
  • विशेषण।
  • धातु।
  • संख्याएँ।

(ख) भाषा विकास का अध्यापन

  • अधिगम और अर्जन।
  • भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
  • सुनने और बोलने की भूमिका– भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिये किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
  • एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ; भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियाँ और विकार।
  • भाषा कौशल।
  • भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना : बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
  • अध्यापन – अधिगम सामग्रियाँ : पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
  • उपचारात्मक अध्यापन।

खंड-4 : गणित एवं विज्ञान

1. गणित

(क) विषयवस्तु

  • प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, परिमेय संख्याएँ
  • पूर्णांक, कोष्ठक लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्त्य
  • वर्गमूल
  • घनमूल
  • सर्वसमिकाएँ
  • बीजगणित, अवधारणा- चर संख्याएँ, अचर संख्या, चर संख्याओं की घात
  • बीजीय व्यंजकों का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग, बीजीय व्यंजकों के पद एवं पदों के गुणांक, सजातीय एवं विजातीय पद, व्यंजकों की डिग्री; एक, दो तथा त्रिपदीय व्यंजकों की अवधारणा
  • युगपत समीकरण, द्विघात समीकरण, रैखिक समीकरण
  • समांतर रेखाएँ, चतुर्भुज की रचनाएँ, त्रिभुज
  • वृत्त एवं चक्रीय चतुर्भुज
  • वृत्त की स्पर्श रेखाएँ
  • वाणिज्यिक गणित- अनुपात, समानुपात, प्रतिशत, लाभ-हानि, साधारण ब्याज, कर (टैक्स), वस्तु विनिमय प्रणाली
  • बैंकिंग- वर्तमान मुद्रा, बिल, कैश मेमो
  • सांख्यिकी- आँकड़ों का वर्गीकरण, पिक्टोग्राफ, माध्य, माध्यिका एवं बहुलक, बारंबारता
  • पाई एवं दंड चार्ट- अवर्गीकृत डाटा का चित्रण
  • प्रायिकता, ग्राफ, दंड आरेख तथा मिश्रित आरेख
  • कार्तीय तल
  • क्षेत्रमिति
  • घातांक

(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे

  • गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति
  • पाठ्यचर्या में गणित का स्थान
  • गणित की भाषा
  • सामुदायिक गणित
  • मूल्यांकन
  • उपचारात्मक शिक्षण
  • शिक्षण की समस्याएँ

2. विज्ञान

(क) विषयवस्तु

  • दैनिक जीवन में विज्ञान, महत्त्वपूर्ण खोज, महत्त्व, मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
  • रेशे एवं वस्त्र, रेशों से वस्त्रों तक (प्रक्रिया)
  • सजीव, निर्जीव पदार्थ, जीव जगत, सजीवों का वर्गीकरण, प्राणी एवं वनस्पति के आधार पर पादपों एवं जंतुओं के वर्गीकरण, जीवों में अनुकूलन, जंतुओं एवं पौधों में परिवर्तन
  • प्राणियों की संरचना एवं कार्य
  • सूक्ष्म जीव एवं उनका वर्गीकरण
  • कोशिका से अंगतंत्र तक
  • किशोरावस्था, दिव्यांगता
  • भोजन, स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं रोग, फसल उत्पादन, नाइट्रोजन चक्र
  • प्राणियों में पोषण
  • पौधों में पोषण तथा जनन, लाभदायक पौधे
  • जीवों में श्वसन, उत्सर्जन, लाभदायक जंतु
  • मापन
  • विद्युत धारा
  • चुंबकत्व
  • गति, बल एवं यंत्र
  • ऊर्जा
  • कंप्यूटर
  • ध्वनि
  • स्थिर विद्युत
  • प्रकाश एवं प्रकाश यंत्र
  • वायु- गुण, संघटन, आवश्यकता, उपयोगिता, ओज़ोन परत, हरित गृह प्रभाव
  • जल- आवश्यकता, उपयोगिता, स्रोत, गुण, प्रदूषण, जल संरक्षण
  • पदार्थ, पदार्थों के समूह, पदार्थों का पृथक्करण, पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति
  • पास-पड़ोस में होने वाले भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
  • अम्ल, क्षार एवं लवण
  • ऊष्मा एवं ताप
  • मानव निर्मित वस्तुएँ, प्लास्टिक, प्लास्टिक, काँच, साबुन, मृत्तिका
  • खनिज एवं धातु
  • कार्बन एवं उसके यौगिक
  • ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत

(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे

  • विज्ञान की प्रकृति एवं संरचना
  • प्राकृतिक विज्ञान/लक्ष्य एवं उद्देश्य
  • विज्ञान को समझना एवं उसकी प्रशंसा करना
  • दृष्टिकोण/एकीकृत दृष्टिकोण
  • प्रेक्षण/प्रयोग/अन्वेषण (विज्ञान की पद्धतियाँ)
  • अभिनवता
  • पाठ्यचर्या सामग्री/सहायक सामग्री
  • मूल्यांकन
  • समस्याएँ
  • उपचारात्मक शिक्षण

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