'केंद्रीय विद्यालय संगठन' (KVS) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में कार्यरत है। सहायक आयुक्त, प्राचार्य, उप प्राचार्य, स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT), प्राथमिक शिक्षक (PRT), लाइब्रेरियन, वित्त अधिकारी, सहायक अभियंता (सिविल) आदि सहित कई पदों के लिये पात्र भारतीय नागरिकों से आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं। भर्ती प्रक्रिया में कंप्यूटर-आधारित परीक्षण (CBT) शामिल होगा, और सफल अभ्यर्थियों को संगठन की आवश्यकताओं के आधार पर भारत के किसी भी स्थान पर नियुक्त किया जा सकता है। इस संदर्भ में, हम विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षक, प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक और स्नातकोत्तर शिक्षक के पदों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।
सफलता को लक्ष्य बनाने वाले विद्यार्थियों के लिये परीक्षा से पूर्व एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है, जो समय प्रबंधन, विषयों की प्राथमिकता, तनाव प्रबंधन और संसाधनों के इष्टतम उपयोग जैसे तत्त्वों को सम्मिलित करता हो। यह दृष्टिकोण समय के विवेकपूर्ण विभाजन में सहायता करता है, जिससे परीक्षा के विभिन्न खंडों पर पूरा ध्यान केंद्रित हो सके। यह संसाधनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, उत्पादक पुनरीक्षण की सुविधा देता है तथा लक्ष्य-निर्धारण और अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से आत्मविश्वास पैदा करता है। संक्षेप में, यह रणनीति विद्यार्थियों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षाओं का सामना करने के लिये सशक्त बनाती है, जिससे विभिन्न परीक्षा परिस्थितियों में उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। इसे ध्यान में रखते हुए, हमने केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) परीक्षा के मुख्य पदों के लिये रणनीतियों की एक रूपरेखा तैयार की है। हमें विश्वास है कि इन रणनीतियों को अपनाने और लागू करने से, न केवल विद्यार्थियों की परीक्षा उत्तीर्ण करने की संभावनाओं में वृद्धि होगी बल्कि उन्हें अधिक अंक प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी।
KVS प्राथमिक शिक्षक (PRT)
एक प्राथमिक शिक्षक (PRT) प्राथमिक स्तर यानी कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के शिक्षण का कार्य करता है। इस परीक्षा में एक प्रश्नपत्र होता है जो चार भागों में विभाजित होता है (जिसमें एक भाग विषय विशिष्ट होता है)।
KVS PRT प्रश्नपत्र को चार भागों में विभाजित किया गया है – भाग-I भाषायी दक्षता (20 अंक); भाग-II सामान्य जागरूकता, रीज़निंग और कंप्यूटर दक्षता (20 अंक); भाग-III शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण ( 60 अंक) तथा भाग-IV विषय-विशिष्ट पाठ्यक्रम (80 अंक)। KVS PRT परीक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम आधारित रणनीति विद्यार्थियों के लिये लाभदायी हो सकती है।
हम पाठ्यक्रम आधारित रणनीति को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं :
सामान्य अंग्रेज़ी (General English)
PGT परीक्षा का भाग-I (भाषायी दक्षता) दो भागों, पहला- सामान्य अंग्रेज़ी (10 अंक) और दूसरा- सामान्य हिंदी (10 अंक), में विभाजित है। सामान्य अंग्रेज़ी में अंग्रेज़ी के मूलभूत ज्ञान का परीक्षण किया जाएगा किंतु सटीक रणनीति के बिना इसमें अच्छे अंक प्राप्त करना आसान नहीं होगा। इस अनुभाग में पर्याप्त अंक प्राप्त करने के लिये आपको निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिये :
- अंग्रेज़ी समाचार पत्रों का अध्ययन : नई शब्दावली सीखने, भाषा को समझने तथा समसामयिक जागरूकता बढ़ाने के लिये नियमित अंग्रेज़ी समाचार पत्रों का अध्ययन करें।
- व्याकरणिक नियमों का अभ्यास : अंग्रेज़ी भाषा के मूलभूत सिद्धांतों की समझ को मज़बूत करने के लिये व्याकरण के नियमों का नियमित अभ्यास करें।
- नोट्स बनाना : परीक्षा की तैयारी के दौरान त्वरित रिवीज़न के लिये मुख्य बिंदुओं, नियमों और अवधारणाओं के संक्षिप्त एवं आसान नोट्स बनाएँ।
- संपूर्ण पाठ्यक्रम की समीक्षा : तैयारी को व्यापक आधार प्रदान करने के लिये संपूर्ण पाठ्यक्रम के प्रत्येक बिंदु को गहराई से समझें।
- बिन्दुवार रिवीज़न : अंग्रेज़ी की आवश्यक अवधारणाओं पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिये पाठ्यक्रम में उल्लिखित प्रत्येक बिंदु को प्रतिदिन रिवाइज़ करें।
सामान्य हिंदी
इस परीक्षा का भाग-I (भाषायी दक्षता) दो भागों में विभाजित है - सामान्य अंग्रेज़ी (10 अंक) और सामान्य हिंदी (10 अंक)। हिंदी का कई अभ्यर्थियों की मातृभाषा होने के बावजूद, इस अनुभाग में आवश्यक अंक प्राप्त करना कठिन हो जाता है। अभ्यर्थी निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर इस अनुभाग में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं :
- हिंदी समाचार पत्रों का अध्ययन : नई शब्दावली सीखने के लिये दैनिक हिंदी समाचार पत्र के नियमित अध्ययन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, जो परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने में सहायक होगा।
- हिंदी व्याकरण की मज़बूत समझ : अभ्यर्थी अपनी तैयारी के स्तर में गुणात्मक वृद्धि के लिये त्रुटि पहचान, बहुवचन और एकवचन आदि जैसे विभिन्न उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित करके हिंदी व्याकरण की एक मज़बूत समझ विकसित करें।
- अंग्रेज़ी से हिंदी तथा हिंदी से अंग्रेज़ी में अनुवाद का दैनिक अभ्यास : अभ्यर्थी समयबद्ध योजना बनाकर प्रतिदिन कम से कम 1-2 अनुच्छेदों का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने का अभ्यास करें। यह अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देने में आपकी गति बढ़ाएगा और परीक्षा के दौरान प्रश्नों को हल करने की सटीकता में सुधार करेगा।
- प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन : सामान्य हिंदी की विश्वसनीय और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन अभ्यर्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने में सहायक होगा।
सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति और कंप्यूटर दक्षता
भाग-II में, महत्त्वपूर्ण विषय जैसे - सामान्य जागरूकता और करेंट अफेयर्स (10 अंक), रीज़निंग (5 अंक) तथा कंप्यूटर दक्षता (5 अंक) सम्मिलित हैं। इसकी महत्ता एवं आवश्यकता को समझते हुए उपर्युक्त विषयों में गहन समझ बनाने के लिये सुदृढ़ रणनीतियों की आवश्यकता है जिसे निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
- सामान्य जागरूकता और करेंट अफेयर्स:सामान्य जागरूकता जैसे विषय में समसामयिक मुद्दे सम्मिलित होते हैं इसलिये यह आवश्यक है कि आप अपने अध्ययन के कमज़ोर और मज़बूत पहलुओं को समझकर बहुविकल्पीय प्रश्नों का यथासंभव अभ्यास करें। अच्छे अंक प्राप्त करने तथा इस अनुभाग की बेहतर तैयारी के लिये, आप अपनी अध्ययन सामग्री में दृष्टि पब्लिकेशन्स की 'सामान्य जागरूकता (दृष्टि G.K). और वन डे मैजिक सीरीज़' की पुस्तकों को सम्मिलित कर सकते हैं। करेंट अफेयर्स के लिये आपको दैनिक समाचार पत्रों या किसी प्रामाणिक वेबसाइट या पत्रिका के माध्यम से विषयवस्तु और बहुविकल्पीय प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- रीज़निंग (तर्कशक्ति) : इस अनुभाग की तैयारी के लिये, आपको पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों को आधार बनाकर महत्त्वपूर्ण विषयों पर यथासंभव अभ्यास करना आवश्यक होगा। इसके लिये आप कुछ प्रामाणिक पुस्तकों की मदद भी ले सकते हैं। इस अनुभाग में प्रश्नों को समयबद्ध तरीके से हल करना अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये आपको निम्नलिखित विषयों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है :
- युक्तियुक्त तर्क
- अल्फ़ा-न्यूमेरिक शृंखला
- कोडिड असमानताएँ
- क्रम व्यवस्था
- कोडिंग-डिकोडिंग
- आँकड़ों की पर्याप्तता
- तार्किक पहेलियाँ
- न्याय निगमन
- रैंकिंग, दिशा और वर्णमाला परीक्षण
- रक्त संबंध
- कंप्यूटर दक्षता : यह अनुभाग सामान्य कंप्यूटर ज्ञान का परीक्षण करता है। प्रश्नों की कठिनाई आसान से मध्यम स्तर की होती है। आप लाइव कक्षाओं और मॉक टेस्ट में भाग लेकर अपनी कमियों में सुधार कर सकते हैं। अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिये आप कंप्यूटर विषय की प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करें। इसके लिये आप सामान्य कंप्यूटर अध्ययन की प्रामाणिक पुस्तकों जैसे- दृष्टि पब्लिकेशन्स की सामान्य ज्ञान (G.K.) की पुस्तक को अपनी अध्ययन सामग्री में सम्मिलित कर सकते हैं। यह पुस्तक सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति और सामान्य कंप्यूटर ज्ञान के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण
यह खंड पाँच भागों (कुल 60 अंक) में विभाजित हैं - शिक्षार्थी को समझना (15 अंक), शिक्षण अधिगम को समझना (15 अंक), अनुकूल शैक्षिक वातावरण का निर्माण (10 अंक), विद्यालय संगठन और नेतृत्व (10 अंक) तथा शैक्षिक दृष्टिकोण (10 अंक)| कुल 60 अंकों का यह अनुभाग आपकी सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है, इसलिये रणनीतिक रूप से इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। KVS PRT परीक्षा में 'शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण' टॉपिक शैक्षिक नेतृत्व के क्षेत्र में समकालीन सिद्धांतों और प्रथाओं के विषय पर आपकी समझ का मूल्यांकन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इसका उद्देश्य इन अवधारणाओं पर विश्लेषण करने हेतु आपकी क्षमता का आकलन करना भी है। इस परीक्षा खंड की प्रभावी तैयारी के लिये निम्नलिखित चरणों पर विचार करना आवश्यक है-
- परीक्षा का प्रारूप और विषयवस्तु की समझ: परीक्षा संरचना की समझ, जिसमें प्रश्नों के प्रकार, निर्धारित समय-सीमा और संभावित रूप से सम्मिलित किये जाने वाले विषय शामिल हैं।
- पाठ्यसामग्री की समीक्षा करें: यदि आपने पहले से शैक्षिक नेतृत्व से संबंधित पाठ्यक्रम का अध्ययन किया है, तो अपने नोट्स और पाठ्यसामग्री को नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार संशोधित करें। इससे महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं और सिद्धांतों के बारे में आपको अपनी समझ को बेहतर और अद्यतन करने में मदद मिलेगी।
- विस्तृत अध्ययन: लेख, पुस्तकों और अन्य संबंधित पाठ्यसामग्रियों सहित विभिन्न स्रोतों का अध्ययन करें, जो शैक्षिक नेतृत्व से संबंधित विषयों पर गहराई से विचार करते हैं। इन क्षेत्रों में समसामयिक और प्रासंगिक मुद्दों पर बारीकी से ध्यान दें।
- नवीनतम पाठ्यक्रम और पैटर्न के आधार पर अधिक-से-अधिक बहुविकल्पीय प्रश्नों का अभ्यास करें|
संबंधित विषय की रणनीति
भाग-IV में संबंधित विषय (कुल 80 अंक) का पाठ्यक्रम दिया गया है और इसमें NCERT/CBSE पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों (कक्षा I-V) की अवधारणाएँ शामिल हैं जैसा कि संबंधित विषय शीर्षकों जैसे - हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और पर्यावरण विज्ञान (EVS) के तहत दर्शाया गया है। हालाँकि, प्रश्नों में उच्चतर माध्यमिक (सीनियर सेकेंडरी : कक्षा-XII तक) के स्तर तक की अवधारणाओं की समझ और उनके अनुप्रयोग की गहराई के परीक्षण की अपेक्षा की जाती है। यह अनुभाग प्रत्येक अभ्यर्थी के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अधिक अंक प्राप्त करने और सफलता के लिये एक प्रभावी अध्ययन रणनीति अपनाने दोनों में योगदान दे सकता है। अपने विषय संबंधी ज्ञान को बढ़ाने के लिये, अपनी अध्ययन सामग्री में प्रामाणिक पुस्तकों और वेबसाइट्स को शामिल करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त, संबंधित विषय के बहुविकल्पीय प्रश्नों का निरंतर अभ्यास भी आवश्यक है।
नोट : साक्षात्कार 60 अंकों का है (जिसमें डेमो शिक्षण और साक्षात्कार दोनों सम्मिलित हैं)। लिखित परीक्षा, व्यावसायिक योग्यता और साक्षात्कार का भारांश(वेटेज) 70:30 के अनुपात में होगा। अंतिम मेरिट सूची लिखित परीक्षा, व्यावसायिक योग्यता और साक्षात्कार में अभ्यर्थियों के प्रदर्शन पर आधारित होगी।
KVS PRT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम :
भाग-I : भाषायी दक्षता (20 अंक)
- General English (10 marks)
Reading comprehension, word power, Grammar & usage
- सामान्य हिन्दी (10 अंक)
पठन कौशल, शब्द सामर्थ्य, व्याकरण एवं प्रयुक्ति
भाग-II : सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति और कंप्यूटर दक्षता (20 अंक)
- सामान्य जागरूकता और करेंट अफेयर्स (10 अंक)
- तर्कशक्ति या रीज़निंग (5 अंक)
- कंप्यूटर दक्षता (5 अंक)
भाग-III : शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण (60 अंक)
(a) अधिगमकर्त्ता या शिक्षार्थी को समझना (Understanding the Learner)- 15 अंक
- वृद्धि का सिद्धान्त, परिपक्वता और विकास की अवधारणा, विकास के सिद्धांत और वाद-विवाद, विकासात्मक कार्य और चुनौतियाँ |
- विकास के क्षेत्र : शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, नैतिक आदि; विकास में विचलन और इसके निहितार्थ।
- किशोरावस्था को समझना : संस्थागत समर्थन की रूपरेखा तैयार करने के लिये आवश्यकताएँ, चुनौतियाँ और निहितार्थ।
- प्राथमिक और माध्यमिक समाजीकरण संस्था की भूमिका, घर और विद्यालयी निरंतरता सुनिश्चित करना।
(b) शिक्षण-अधिगम की समझ (Understanding Teaching Learning)- 15 अंक
- अधिगम के सैद्धांतिक दृष्टिकोण – व्यवहारवाद, संज्ञानात्मकवाद और रचनावाद तथा उनके निहितार्थ के विशेष संदर्भ में :
- शिक्षक की भूमिका
- शिक्षार्थी की भूमिका
- शिक्षक-विद्यार्थी संबंध की प्रकृति
- शिक्षण विधियों का विकल्प
- कक्षा का वातावरण
- अनुशासन, शक्ति आदि की समझ
- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक और उनके लिये निहितार्थ :
- कक्षा निर्देश डिज़ाइन करना
- कक्षा में विद्यार्थी गतिविधियों की योजना बनाना
- विद्यालय में सीखने की जगह बनाना
- शिक्षण-अधिगम की योजना और संगठन
- पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या की अवधारणा, प्रत्यक्ष और प्रछन्न पाठ्यचर्या
- मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान, बचपन की देखभाल और शिक्षा
- योग्यता-आधारित शिक्षा, अनुभवात्मक शिक्षा आदि
- निर्देशात्मक योजनाएँ: वार्षिक योजना, इकाई योजना, पाठ योजना
- शिक्षण सामग्री और संसाधन
- शिक्षण-अधिगम के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)।
- अधिगम का आकलन, अधिगम के लिये और अधिगम के रूप में : प्रत्येक योजना बनाने में अर्थ, उद्देश्य और विचार
- शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं को बढ़ाना: रचनावादी शिक्षण के साधन के रूप में कक्षा अवलोकन और प्रतिक्रिया, प्रतिबिंब और संवाद।
(c) अनुकूल अधिगम वातावरण निर्माण (Creating Conducive Learning Environment)- 10 अंक
- विविधता, अक्षमता और समावेशन की अवधारणा, सामाजिक संरचना के रूप में अक्षमता के निहितार्थ, अक्षमता के प्रकार-उनकी पहचान और हस्तक्षेप
- विद्यालयी मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा, सभी विद्यार्थियों और कर्मचारियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य के उपचारात्मक, निवारक और प्रोत्साहक आयामों को संबोधित करना। मार्गदर्शन एवं परामर्श के लिये प्रावधान।
- विद्यालय और समुदाय को अधिगम के संसाधन के रूप में विकसित करना।
(d) विद्यालय संगठन और नेतृत्व (School Organization and Leadership)- 10 अंक
- चिंतनशील व्यवसायी, टीम निर्माता, आरंभकर्ता, प्रशिक्षक और संरक्षक के रूप में नेतृत्व।
- विद्यालयी नेतृत्व पर परिप्रेक्ष्य : निर्देशात्मक, वितरित और परिवर्तनकारी
- दृष्टि निर्माण, लक्ष्य निर्धारण और विद्यालय विकास योजना तैयार करना
- शिक्षण अधिगम को सुदृढ़ करने के लिये स्कूल प्रक्रियाओं और मंचों का उपयोग करना- वार्षिक कैलेंडर, समय-सारिणी बनाना, अभिभावक शिक्षक मंच, स्कूल असेंबली, शिक्षक विकास मंच; शिक्षण-अधिगम में सुधार के लिये उपलब्धि डेटा का उपयोग करना; विद्यालय स्व-मूल्यांकन और सुधार।
- समुदाय, उद्योग और अन्य आस-पास के विद्यालयों तथा उच्चतर शिक्षा संस्थानों के साथ साझेदारी निर्मित करना - अधिगम वाले समुदायों का निर्माण
(e) शैक्षिक परिप्रेक्ष्य (Perspectives in Education)- 10 अंक
- शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में विद्यालय की भूमिका
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NEP) -2020; प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा; अधिगम का आधार; मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान; स्कूलों में पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र; समग्र और एकीकृत शिक्षा; न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सभी के लिये शिक्षा; योग्यता आधारित अधिगम और शिक्षा।
- बाल अधिकारों के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत, सुरक्षा और सुरक्षित विद्यालयी वातावरण के लिये बच्चों के अधिकारों की रक्षा और प्रावधान, बच्चों के लिये मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
- विद्यालयी शिक्षा के संदर्भ में ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय नीतियों का अध्ययन;
- विद्यालयी पाठ्यचर्या के सिद्धांत : परिप्रेक्ष्य, अधिगम और ज्ञान, पाठ्यचर्या क्षेत्र, विद्यालय चरण - शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन।
भाग-IV : विषय विशिष्ट पाठ्यक्रम (80 अंक)
विषय-विशिष्ट पाठ्यक्रम में NCERT/CBSE पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों (कक्षा I-V) की अवधारणाएँ सम्मिलित हैं जैसा कि संबंधित विषय शीर्षकों के तहत दर्शाया गया है। हालाँकि, प्रश्नों में उच्च माध्यमिक (सीनियर सेकेंडरी : कक्षा-XII तक) स्तर तक की अवधारणाओं की समझ और उनके अनुप्रयोग की अपेक्षा की जाती है।
English
Grammar : Nouns, Pronouns, Adjectives, Possessive Adjectives, Adverbs; is, am, are, has, have, Tense Forms (Simple present and present continuous, simple past and past continuous); Expressing Future (will and be going to); Articles; this, that, these, those (as determiners and empty subjects); Question Words, an, or, but, Punctuation marks (full stop, comma, question mark and inverted commas); Prepositions
हिंदी
व्याकरण : संज्ञा, विशेषण और वचन की पहचान और व्यावहारिक प्रयोग, गणित के पाठ्यक्रम के अनुरूप हिन्दी में संख्याएँ, संयुक्ताक्षरों की पहचान, पर्याय और विलोम (स्तरानुकूल), सर्वनाम और लिंग की पहचान, विशेषण का संज्ञा के साथ सुसंगत प्रयोग, वचन का प्रयोग, क्रिया, काल और कारक चिह्नों की पहचान, शब्दों के संदर्भ में लिंग का प्रयोग
गणित
ज्यामिति : आकृतियाँ और स्थानिक समझ, हमारे चारों ओर ठोस पदार्थ;
संख्याएँ : संख्यात्मकता की भावना विकसित करना, गणितीय संक्रियाएँ और गणना, जोड़ और घटाव, गुणा, भाग, मानसिक अंकगणित, भिन्नात्मक संख्याएँ, पैसा, माप, लंबाई, वजन, क्षमता (आयतन), समय, डेटा हैंडलिंग और पैटर्न।
पर्यावरण विज्ञान
परिवार और मित्र, भोजन, आश्रय, पानी, यात्रा, चीज़ें जो हम बनाते और करते हैं।
KVS प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक(TGT)
एक प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) 6वीं से 10वीं स्तर तक की कक्षाओं को पढ़ाता है। इस परीक्षा में एक प्रश्नपत्र होगा, जो चार भागों में विभाजित है। भाग-I भाषायी दक्षता (20 अंक), भाग-II सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति और कंप्यूटर दक्षता (20 अंक), भाग-III शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण (40 अंक) और भाग-IV विषय-विशिष्ट पाठ्यक्रम (100 अंक) पर आधारित है। KVS TGT परीक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम आधारित रणनीति विद्यार्थियों के लिये लाभदायक हो सकती है।
हम पाठ्यक्रम आधारित रणनीति को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं :
सामान्य अंग्रेज़ी (General English)
TGT परीक्षा का भाग-I (भाषायी दक्षता) दो भागों, पहला- सामान्य अंग्रेज़ी (10 अंक) और दूसरा- सामान्य हिंदी (10 अंक), में विभाजित है। सामान्य अंग्रेज़ी में अंग्रेज़ी के मूलभूत ज्ञान का परीक्षण किया जाएगा किंतु सटीक रणनीति के बिना इसमें अच्छे अंक प्राप्त करना आसान नहीं होगा। इस अनुभाग में पर्याप्त अंक प्राप्त करने के लिये आपको निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिये :
- अंग्रेज़ी समाचार पत्रों का अध्ययन : नई शब्दावली सीखने, भाषा को समझने तथा समसामयिक जागरूकता बढ़ाने के लिये नियमित अंग्रेज़ी समाचार पत्रों का अध्ययन करें।
- व्याकरणिक नियमों का अभ्यास : अंग्रेज़ी भाषा के बुनियादी सिद्धांतों की समझ को मज़बूत करने के लिये व्याकरण के नियमों का नियमित अभ्यास करें।
- नोट्स बनाना : परीक्षा की तैयारी के दौरान त्वरित रिवीज़न के लिये मुख्य बिंदुओं, नियमों और अवधारणाओं के संक्षिप्त एवं आसान नोट्स बनाएँ।
- संपूर्ण पाठ्यक्रम की समीक्षा : तैयारी को व्यापक आधार प्रदान करने के लिये संपूर्ण पाठ्यक्रम के प्रत्येक टॉपिक को गहराई से समझें।
- बिन्दुवार रिवीज़न : अंग्रेज़ी की आवश्यक अवधारणाओं पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिये पाठ्यक्रम में उल्लिखित प्रत्येक बिंदु को व्यवस्थित रूप से रिवाइज़ करें।
सामान्य हिंदी
इस परीक्षा का भाग-I (भाषायी दक्षता) दो भागों में विभाजित है - सामान्य अंग्रेज़ी (10 अंक) और सामान्य हिंदी (10 अंक)। हिंदी का कई अभ्यर्थियों की मातृभाषा होने के बावजूद, इस अनुभाग में आवश्यक अंक प्राप्त करना कठिन हो जाता है। अभ्यर्थी निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर इस अनुभाग में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं :
- हिंदी समाचार पत्रों का अध्ययन : नई शब्दावली सीखने के लिये दैनिक हिंदी समाचार पत्र के नियमित अध्ययन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, जो परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने में सहायक होगा।
- हिंदी व्याकरण की मज़बूत समझ को विकसित करें : अभ्यर्थी अपनी तैयारी के स्तर में गुणात्मक वृद्धि के लिये त्रुटि पहचान, बहुवचन और एकवचन आदि जैसे विभिन्न उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए हिंदी व्याकरण की एक मज़बूत समझ विकसित करें।
- अंग्रेज़ी से हिंदी तथा हिंदी से अंग्रेज़ी में अनुवाद का दैनिक अभ्यास : अभ्यर्थी समयबद्ध योजना बनाकर प्रतिदिन कम-से-कम 1-2 अनुच्छेदों का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने का अभ्यास करें। यह अभ्यास प्रश्नों के उत्तर देने में आपकी गति बढ़ाएगा और परीक्षा के दौरान प्रश्नों को हल करने की सटीकता में सुधार करेगा।
- प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन : सामान्य हिंदी की विश्वसनीय और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन अभ्यर्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने में सहायक होगा।
सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति (रीज़निंग) और कंप्यूटर दक्षता
भाग-II में, महत्त्वपूर्ण विषय जैसे - सामान्य जागरूकता और करेंट अफेयर्स (10 अंक), तर्कशक्ति (5 अंक) और कंप्यूटर दक्षता (5 अंक) सम्मिलित हैं। इसकी महत्ता एवं आवश्यकता को समझते हुए उपर्युक्त विषयों में गहरी समझ बनाने के लिये विभिन्न रणनीतियों की आवश्यकता है जिसे निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है |
सामान्य जागरूकता और करेंट अफेयर्स : सामान्य जागरूकता जैसे विषय में समसामयिक मुद्दे सम्मिलित होते हैं इसलिये यह आवश्यक है कि आप अपने अध्ययन के कमज़ोर और मज़बूत पहलुओं को समझकर बहुविकल्पीय प्रश्नों का यथासंभव अभ्यास करें। अच्छे अंक प्राप्त करने तथा इस अनुभाग की बेहतर तैयारी के लिये, आप अपनी अध्ययन सामग्री में दृष्टि पब्लिकेशन्स की 'सामान्य जागरूकता (दृष्टि G.K.) तथा वन डे मैजिक सीरीज़' की पुस्तकों को सम्मिलित कर सकते हैं। करेंट अफेयर्स के लिये आपको दैनिक समाचार पत्रों या किसी प्रामाणिक वेबसाइट या पत्रिका के माध्यम से विषयवस्तु और बहुविकल्पीय प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
तर्कशक्ति (रीज़निंग) : इस अनुभाग की तैयारी के लिये, पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को आधार बनाकर महत्त्वपूर्ण विषयों पर यथासंभव अभ्यास करना आवश्यक होगा। इसके लिये आप कुछ प्रामाणिक पुस्तकों की मदद भी ले सकते हैं। इस अनुभाग में प्रश्नों को समयबद्ध तरीके से हल करना अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये महत्त्वपूर्ण विषय निम्नलिखित हैं :
- युक्तियुक्त तर्क
- अल्फ़ा-न्यूमेरिक शृंखला
- कोडेड असमानताएँ
- क्रम व्यवस्था
- कोडिंग-डिकोडिंग
- आँकड़ों की पर्याप्तता
- तार्किक पहेलियाँ
- न्याय निगमन
- रैंकिंग, दिशा और वर्णमाला परीक्षण
- रक्त संबंध
कंप्यूटर दक्षता : यह अनुभाग सामान्य कंप्यूटर ज्ञान का परीक्षण करता है। प्रश्नों की कठिनाई आसान से मध्यम स्तर की होती है। आप कक्षा में और मॉक टेस्ट में भाग लेकर अपनी कमियों में सुधार कर सकते हैं। अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिये आप कंप्यूटर विषय की प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करें। इसके लिये आप सामान्य कंप्यूटर अध्ययन की प्रामाणिक पुस्तकों जैसे- दृष्टि पब्लिकेशन्स की सामान्य ज्ञान (दृष्टि G.K.) की पुस्तक को अपनी अध्ययन सामग्री में सम्मिलित करके अपनी तैयारी को मज़बूत आधार प्रदान करें। यह पुस्तक सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति और सामान्य कंप्यूटर ज्ञान के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण
यह खंड पाँच भागों (कुल 40 अंक) में विभाजित है - शिक्षार्थी को समझना (10 अंक), शिक्षण अधिगम को समझना (15 अंक), अनुकूल शैक्षिक वातावरण का निर्माण, विद्यालयी संगठन और नेतृत्व तथा शैक्षिक दृष्टिकोण (15 अंक)| कुल 40 अंकों का यह अनुभाग आपकी सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है, इसलिये रणनीतिक रूप से इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। KVS TGT परीक्षा में 'शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण' टॉपिक शैक्षिक नेतृत्व के क्षेत्र में समकालीन सिद्धांतों और प्रथाओं के विषय पर आपकी समझ का मूल्यांकन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इस खंड की बेहतर तैयारी के लिये निम्नलिखित चरणों पर विचार करना आवश्यक है-
- परीक्षा के प्रारूप और विषयवस्तु की समझ : परीक्षा संरचना की समझ, जिसमें प्रश्नों के प्रकार, निर्धारित समय-सीमा और संभावित रूप से सम्मिलित किये जाने वाले विषय शामिल हैं।
- पाठ्यसामग्री की समीक्षा करें : यदि आपने इससे पूर्व शैक्षिक नेतृत्व से संबंधित पाठ्यक्रम का अध्ययन किया है, तो अपने नोट्स और पाठ्यसामग्री को नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार अद्यतित करें। इससे महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं और सिद्धांतों के बारे में आपको अपनी समझ को अपडेट करने में मदद मिलेगी।
- विस्तृत अध्ययन : लेख, पुस्तकों और अन्य संबंधित पाठ्यसामग्रियों सहित विभिन्न स्रोतों का अध्ययन करें, जो शैक्षिक नेतृत्व से संबंधित विषयों पर गहराई से विचार करते हैं। इन क्षेत्रों में समसामयिक और प्रासंगिक मुद्दों पर बारीकी से ध्यान दें।
- नवीनतम पाठ्यक्रम और पैटर्न के आधार पर पर्याप्त मात्रा में बहुविकल्पीय प्रश्नों का अभ्यास करने की आवश्यकता है।
विषय-विशिष्ट की रणनीति :
भाग-IV में संबंधित विषय (कुल 100 अंक) का पाठ्यक्रम दिया गया है और इसमें NCERT/CBSE पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों (कक्षा 6वीं से 12वीं तक) की अवधारणाएँ सम्मिलित हैं। हालाँकि, प्रश्नों में स्नातक स्तर तक की अवधारणाओं की समझ और उनके अनुप्रयोग की गहराई के परीक्षण की अपेक्षा की जाती है। KVS TGT परीक्षा में निम्नलिखित विषय सम्मिलित हैं-
- गणित
- विज्ञान
- सामाजिक विज्ञान
- अंग्रेज़ी
- हिंदी
- संस्कृत
यह अनुभाग प्रत्येक अभ्यर्थी के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अधिक अंक प्राप्त करने और सफलता के लिये एक प्रभावी अध्ययन रणनीति अपनाने दोनों में योगदान दे सकता है। अपने विषय संबंधी ज्ञान को बढ़ाने के लिये, अपनी अध्ययन सामग्री में प्रामाणिक पुस्तकों और वेबसाइटों को शामिल करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त, संबंधित विषय के बहुविकल्पीय प्रश्नों का निरंतर अभ्यास आवश्यक है।
नोट : साक्षात्कार 60 अंकों का है (जिसमें डेमो शिक्षण और साक्षात्कार दोनों सम्मिलित हैं)। लिखित परीक्षा, व्यावसायिक योग्यता और साक्षात्कार का भारांश(वेटेज) 70:30 के अनुपात में होगा। अंतिम मेरिट सूची लिखित परीक्षा, व्यावसायिक योग्यता और साक्षात्कार में उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर आधारित होगी।
KVS TGT के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम :
भाग - I : भाषाई दक्षता : (20 अंक)
(a) General English (10 marks)
Reading comprehension, word power, Grammar & usage
(b) सामान्य हिंदी (10 अंक)
पठन कौशल, शब्द सामर्थ्य, व्याकरण एवं प्रयुक्ति
भाग-II : सामान्य जागरूकता, तर्कशक्ति और कंप्यूटर दक्षता : (20 अंक)
(a) सामान्य जागरूकता और करेंट अफेयर्स(10 अंक)
(b) तर्कशक्ति/रीज़निंग (5 अंक)
(c) कंप्यूटर दक्षता (5 अंक)
भाग- III : शिक्षा और नेतृत्व पर दृष्टिकोण : (40 अंक)
(a) आधिगमकर्त्ता को समझना (Understanding the Learner)- 10 अंक
- वृद्धि का सिद्धान्त, परिपक्वता और विकास की अवधारणा, विकास के सिद्धांत और वाद-विवाद, विकासात्मक कार्य और चुनौतियाँ
- विकास के क्षेत्र : शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, नैतिक आदि; विकास में विचलन और इसके निहितार्थ।
- किशोरावस्था को समझना : संस्थागत समर्थन की रूपरेखा तैयार करने के लिये आवश्यकताएँ, चुनौतियाँ और निहितार्थ।
- प्राथमिक और माध्यमिक समाजीकरण संस्था की भूमिका, घर और विद्यालयी निरंतरता सुनिश्चित करना।
(b) शिक्षण-अधिगम की समझ (Understanding Teaching Learning) - 15 अंक
- अधिगम के सैद्धांतिक दृष्टिकोण – व्यवहारवाद, संज्ञानात्मकवाद और रचनावाद तथा उनके निहितार्थ के विशेष संदर्भ में :
- शिक्षक की भूमिका
- शिक्षार्थी की भूमिका
- शिक्षक-विद्यार्थी संबंध की प्रकृति
- शिक्षण विधियों का विकल्प
- कक्षा का वातावरण
- अनुशासन, शक्ति आदि की समझ।
- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक और उनके लिये निहितार्थ :
- कक्षा निर्देश डिज़ाइन करना
- विद्यार्थी गतिविधियों की योजना बनाना
- स्कूल में सीखने की जगह बनाना।
- शिक्षण-अधिगम की योजना और संगठन
- पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या की अवधारणा, प्रत्यक्ष और प्रछन्न पाठ्यचर्या
- मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान, बचपन की देखभाल और शिक्षा
- योग्यता-आधारित शिक्षा, अनुभवात्मक शिक्षा आदि।
- निर्देशात्मक योजनाएँ : - वार्षिक योजना, इकाई योजना, पाठ योजना
- शिक्षण सामग्री और संसाधन
- शिक्षण-अधिगम के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)।
- अधिगम का आकलन, अधिगम के लिये और अधिगम के रूप में : प्रत्येक योजना बनाने में अर्थ, उद्देश्य और विचार
- शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं को बढ़ाना : रचनावादी शिक्षण के साधन के रूप में कक्षा अवलोकन और प्रतिक्रिया, प्रतिबिंब और संवाद।
(c) अनुकूल अधिगम वातावरण निर्माण (Creating Conducive Learning Environment)- 6 अंक
- विविधता, अक्षमता और समावेशन की अवधारणा, सामाजिक संरचना के रूप में अक्षमता के निहितार्थ, अक्षमता के प्रकार-उनकी पहचान और हस्तक्षेप
- विद्यालयी मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा, सभी विद्यार्थियों और कर्मचारियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य के उपचारात्मक, निवारक और प्रोत्साहक आयामों को संबोधित करना। मार्गदर्शन एवं परामर्श के लिये प्रावधान।
- विद्यालय और समुदाय को अधिगम के संसाधन के रूप में विकसित करना।
(d) विद्यालय संगठन और नेतृत्व (School Organization and Leadership)- 6 अंक
- चिंतनशील व्यवसायी, टीम निर्माता, आरंभकर्त्ता, प्रशिक्षक और संरक्षक के रूप में नेतृत्व
- विद्यालयी नेतृत्व पर परिप्रेक्ष्य : निर्देशात्मक, वितरित और परिवर्तनकारी
- दृष्टि निर्माण, लक्ष्य निर्धारण और विद्यालय विकास योजना तैयार करना
- शिक्षण अधिगम को सुदृढ़ करने के लिये स्कूल प्रक्रियाओं और मंचों का उपयोग करना- वार्षिक कैलेंडर, समय-सारिणी बनाना, अभिभावक शिक्षक मंच, स्कूल असेंबली, शिक्षक विकास मंच, शिक्षण-अधिगम में सुधार के लिये उपलब्धि डेटा का उपयोग करना, विद्यालय स्व-मूल्यांकन और सुधार।
- समुदाय, उद्योग और अन्य आस-पास के विद्यालयों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों के साथ साझेदारी निर्मित करना - अधिगम वाले समुदायों का निर्माण
(e) शैक्षिक परिप्रेक्ष्य (Perspectives in Education)- 3 अंक
- शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में विद्यालय की भूमिका
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NEP) -2020; प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा; अधिगम का आधार; मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान; स्कूलों में पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र; समग्र और एकीकृत शिक्षा; न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सभी के लिये शिक्षा; योग्यता आधारित अधिगम और शिक्षा।
- बाल अधिकारों के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत, सुरक्षा और सुरक्षित विद्यालयी वातावरण के लिये बच्चों के अधिकारों की रक्षा और प्रावधान, बच्चों के लिये मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
- विद्यालयी शिक्षा के संदर्भ में ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय नीतियों का अध्ययन;
- विद्यालयी पाठ्यचर्या के सिद्धांत : परिप्रेक्ष्य, अधिगम और ज्ञान, पाठ्यचर्या क्षेत्र, विद्यालय चरण - शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन।
भाग- IV : विषय विशिष्ट पाठ्यक्रम (100 अंक)
TGT गणित
विषय विशिष्ट पाठ्यक्रम में NCERT/CBSE पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों (कक्षा-VI से X) की अवधारणाएँ सम्मिलित हैं जैसा कि संबंधित विषय शीर्षकों के तहत दर्शाया गया है। हालाँकि, प्रश्नों में स्नातक स्तर तक की अवधारणाओं की समझ और उनके अनुप्रयोग की अपेक्षा की जाती है।
वास्तविक संख्याएँ
- संख्या रेखा पर प्राकृतिक संख्याओं, पूर्णांकों तथा परिमेय संख्याओं के निरूपण की समीक्षा। आवर्ती/सांत दशमलव के रूप में परिमेय संख्याएँ। वास्तविक संख्याओं पर संक्रियाएँ।
- गैर-आवर्ती/असांत दशमलव के उदाहरण, अपरिमेय संख्याओं, जैसे- √2, √3 का अस्तित्व और संख्या रेखा पर उनका निरूपण। यह समझाते हुए कि प्रत्येक वास्तविक संख्या को संख्या रेखा पर एक अद्वितीय बिंदु द्वारा दर्शाया जाता है और इसके विपरीत, अर्थात् संख्या रेखा पर प्रत्येक बिंदु एक अद्वितीय वास्तविक संख्या को निरूपित करता है।
- वास्तविक संख्या के nवें मूल की परिभाषा।
- तथा प्रकार की वास्तविक संख्याओं का परिमेयकरण तथा उनका संयोजन, जहाँ x और y प्राकृतिक संख्यायाएँ हैं तथा a और b पूर्णांक हैं।
- अभिन्न घात वाले घातांक के नियम। धनात्मक वास्तविक आधार के साथ परिमेय घातांक।
- पूर्व में किये गए कार्यों की समीक्षा करने के बाद अंकगणितीय कथनों के आधारभूत प्रमेयों की व्याख्या उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें तथा √2,√3 और√5 की अपरिमेयता को सिद्ध करें।
बहुपद
- एक चर वाले बहुपद की परिभाषा, उदाहरण और प्रति उदाहरण सहित।
- एक बहुपद के गुणांक, एक बहुपद के पद और शून्य बहुपद।
- बहुपद की डिग्री, अचर, रैखिक, द्विघात और घन बहुपद। एकपद, द्विपद, त्रिपद। गुणनखंड और गुणज।
- एक बहुपद के शून्य. द्विघात बहुपदों के शून्य और गुणांक के बीच संबंध।
- उदाहरण सहित शेष प्रमेय, कारक प्रमेय।
- ax2 + bx + c, a ≠ 0 का गुणनखंड जहां a, b और c वास्तविक संख्याएँ हैं। गुणनखंड प्रमेय का उपयोग करके घन बहुपदों का गुणनखंड ज्ञात करना।
- बीजगणितीय व्यंजक तथा उनकी पहचान व सत्यापन :
- बहुपदों के गुणनखंड में उनका प्रयोग।
दो चरों वाले रैखिक समीकरण
एक चर वाले रैखिक समीकरण। दो चरों वाले रैखिक समीकरण का परिचय। ax + by + c = 0 प्रकार के रैखिक समीकरणों पर ध्यान केंद्रित करें। समझाएँ कि दो चर वाले एक रैखिक समीकरण के अनेक हल होते हैं और उन्हें वास्तविक संख्याओं के क्रमित युग्म के रूप में लिखे जाने का कारण सिद्ध करें, उन्हें निरूपित करें और दर्शाएँ कि वे एक रेखा पर स्थित हैं।
दो चरों वाले रैखिक समीकरणों का युग्म
दो चरों में रैखिक समीकरणों का युग्म और उनके हल की आलेखीय विधि, संगति/असंगति। एकाधिक हलों के लिये बीजगणितीय पद्धतियाँ। प्रतिस्थापन तथा विलोपन द्वारा बीजगणितीय रूप से दो चरों में रैखिक समीकरणों के एक युग्म का हल। सरल परिस्थितिजन्य समस्याएँ।
द्विघातीय समीकरण
द्विघात समीकरण ax² + bx + c = 0, (a ≠ 0) का मानक रूप। गुणनखंड द्वारा और द्विघात सूत्रों का उपयोग करके द्विघात समीकरणों (केवल वास्तविक मूल) का हल। विभेदक और मूलों की प्रकृति के बीच संबंध।
समांतर श्रेणी
समांतर श्रेणी, nवाँ पद और समांतर श्रेणी(AP) के पहले n पदों का योग और दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने में उनका अनुप्रयोग।
निर्देशांक ज्यामिति
कार्तीय तल, एक बिंदु के निर्देशांक, निर्देशांक तल से जुड़े नाम और पद तथा संकेतन। रैखिक समीकरणों के ग्राफ, दूरी सूत्र, अनुभाग सूत्र (आंतरिक विभाजन)।
यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय
भारत में ज्यामिति और यूक्लिड की ज्यामिति का इतिहास। परिभाषाओं, सामान्य/स्पष्ट धारणाओं, सिद्धांतों/अभिधारणाओं और प्रमेयों के साथ अवलोकन की गई घटनाओं को गणित में औपचारिक रूप देने की यूक्लिड की विधि। यूक्लिड की पाँच अभिधारणाएँ। उदाहरण के लिये अभिगृहीत/स्वसिद्ध (Axiom) और प्रमेय के बीच संबंध दर्शाना, जैसे- अभिगृहीत(Axiom)- दो भिन्न-भिन्न बिंदुओं को मिलाने वाली केवल एक रेखा हो सकती है। प्रमेय - (सिद्ध करें) दो अलग-अलग रेखाओं में एक से अधिक बिंदु उभयनिष्ठ नहीं हो सकते हैं।
रेखा और कोण
- यदि एक किरण किसी रेखा पर स्थित है, तो इस प्रकार बने दो आसन्न कोणों का योग 180 डिग्री और इसका व्युत्क्रम होता है।
- यदि दो रेखाएँ प्रतिच्छेद करती हैं, तो शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं।
- जो रेखाएँ किसी दी गई रेखा के समानांतर होती हैं वे समानांतर रेखाएँ कहलाती हैं।
त्रिभुज
- दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं यदि एक त्रिभुज की कोई भी दो भुजाएँ और सम्मिलित कोण दूसरे त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं और सम्मिलित कोण के बराबर हों (SAS सर्वांगसमता)।
- दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं यदि एक त्रिभुज के कोई भी दो कोण और सम्मिलित भुजा दूसरे त्रिभुज के किन्हीं दो कोणों और सम्मिलित भुजा के बराबर हो (ASA सर्वांगसमता)।
- दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बराबर हों (SSS सर्वांगसमता)।
- दो समकोण त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं यदि एक त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा दूसरे त्रिभुज के कर्ण और एक भुजा के (क्रमशः) बराबर हों। (RHS सर्वांगसमता)
- किसी भी त्रिभुज की समान भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
- किसी त्रिभुज के समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
- यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा के समांतर अन्य दो भुजाओं को अलग-अलग बिंदुओं पर काटने के लिये एक रेखा खींची जाए, तो अन्य दो भुजाएँ समान अनुपात में विभाजित हो जाती हैं।
- यदि एक रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को समान अनुपात में विभाजित करती है, तो रेखा तीसरी भुजा के समांतर होती है।
- यदि दो त्रिभुजों में संगत कोण बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं और त्रिभुज समरूप होते हैं।
- यदि दो त्रिभुजों की संगत भुजाएँ समानुपाती हों, तो उनके संगत कोण बराबर होते हैं और दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।
- यदि किसी त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के किसी एक कोण के बराबर है और इन कोणों की संगत भुजाएँ समानुपाती हैं, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।
चतुर्भुज
- विकर्ण एक समांतर चतुर्भुज को दो सर्वांगसम त्रिभुजों में विभाजित करता है।
- एक समांतर चतुर्भुज में सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं, और इसका विपरीत भी(vice versa)।
- एक समांतर चतुर्भुज में सम्मुख कोण बराबर होते हैं और इसका विपरीत भी (vice versa) ।
- एक चतुर्भुज, समांतर चतुर्भुज होता है यदि इसकी सम्मुख भुजाओं का एक युग्म समांतर और बराबर हो।
- एक समांतर चतुर्भुज में, विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं और इसका विपरीत भी (vice versa)।
- किसी त्रिभुज में किन्हीं दो भुजाओं के मध्य बिंदुओं को मिलाने वाला रेखाखंड तीसरी भुजा के समानांतर होता है और उसके आधे भाग में होता है और इसके विपरीत (vice versa) को प्रेरित करता है।
वृत्त
- एक वृत्त के केंद्र से एक जीवा पर डाला गया लंब, जीवा को समद्विभाजित करता है और इसका विपरीत (vice versa) भी , एक वृत्त के केंद्र से होकर एक जीवा को समद्विभाजित करने के लिये खींची गई रेखा जीवा पर लंबवत होती है।
- एक वृत्त (या सर्वांगसम वृत्त) की समान जीवाएँ केंद्र (या उनके संबंधित केंद्रों) से समान दूरी पर होती हैं और इसके विपरीत भी।
- एक चाप द्वारा केंद्र पर बनाया गया कोण वृत्त के शेष भाग के किसी भी बिंदु पर इसके द्वारा बनाए गए कोण का दोगुना होता है।
- वृत्त के एक ही खंड में कोण बराबर होते हैं।
- यदि दो बिंदुओं को जोड़ने वाला एक रेखाखंड उस खंड वाली रेखा के एक ही तरफ स्थित दो अन्य बिंदुओं पर समान कोण बनाता है, तो चार बिंदु एक वृत्त पर स्थित होते हैं।
- एक चक्रीय चतुर्भुज के सम्मुख कोणों के युग्म में से किसी एक का योग 180° होता है और इसका विपरीत (vice versa) भी।
- किसी वृत्त की स्पर्श रेखा, संपर्क बिंदु
- वृत्त के किसी भी बिंदु पर स्पर्श रेखा, संपर्क बिंदु से गुजरने वाली त्रिज्या के लंबवत होती है।
- किसी बाह्य बिंदु से वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाओं की लंबाई बराबर होती है।
क्षेत्रफल
हेरॉन के सूत्र (Heron's formula) का उपयोग करके एक त्रिभुज का क्षेत्रफल, एक वृत्त के त्रिज्यखंडों और खंडों का क्षेत्रफल। समतल आकृतियों के क्षेत्रफल और परिमाप/परिधि पर आधारित समस्याएँ। (किसी वृत्त के किसी खंड के क्षेत्रफल की गणना में, समस्याओं को 60°, 90° और 120° के केंद्रीय कोण तक सीमित रखा जाना चाहिये।)
पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
गोले (अर्द्धगोले सहित) और लंब वृत्तीय शंकुओं का पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन। निम्नलिखित में से किन्हीं दो के संयोजन से पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन : घन, घनाभ, गोले, अर्द्धगोले और लंब वृत्तीय बेलन/शंकु।
आँकड़े
बार ग्राफ, हिस्टोग्राम (अलग-अलग आधार लंबाई के साथ), और बारंबारता बहुभुज। समूहीकृत डेटा का माध्य, माध्यिका और बहुलक।
प्रायिकता
प्रायिकता की परिभाषा। किसी घटना की प्रायिकता ज्ञात करने से संबंधित आसान समस्याएँ।
त्रिकोणमिति
समकोण त्रिभुज के न्यून कोण का त्रिकोणमितीय अनुपात। उनके अस्तित्व की उपपत्ति/युक्ति-प्रमाण (स्पष्ट रूप से परिभाषित)। 0° और 90° पर जो भी अनुपात परिभाषित हो, उसे प्रस्तुत करें। 30°, 45° और 60° के त्रिकोणमितीय अनुपातों का मान। अनुपातों के बीच संबंध।
त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ
सर्वसमिका sin²A + cos²A = 1 का प्रमाण और अनुप्रयोग। केवल साधारण सर्वसमिकाएँ दी जाएंगी।
ऊँचाई और दूरियाँ
उन्नयन कोण, अवनमन कोण। ऊँचाई और दूरी से संबंधित सरल समस्याएँ। समस्याओं में दो से अधिक समकोण त्रिभुज शामिल नहीं होने चाहिये। ऊँचाई/अवनमन कोण केवल 30°, 45° और 60° होना चाहिये।
TGT विज्ञान
विषय-विशिष्ट पाठ्यक्रम में NCERT/CBSE पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों (कक्षा-VI से X) की अवधारणाएँ सम्मिलित हैं, हालाँकि, प्रश्नों में स्नातक स्तर तक की अवधारणाओं की समझ और अनुप्रयोग की अपेक्षा की जाती है।
पदार्थ-प्रकृति एवं व्यवहार
पदार्थ की परिभाषा; ठोस, तरल और गैस; विशेषताएँ - आकार, आयतन, घनत्व, अवस्था परिवर्तन- पिघलना (गर्मी का अवशोषण), जमना, वाष्पीकरण (वाष्पीकरण द्वारा ठंडा होना), संघनन, ऊर्ध्वपातन।
पदार्थ की प्रकृति
तत्त्व, यौगिक और मिश्रण। विषमांगी और समांगी मिश्रण, कोलॉइड और निलंबन। भौतिक और रासायनिक परिवर्तन (मिश्रण के घटकों को पृथक करने को छोड़कर)।
कणों की प्रकृति और उनकी मूल इकाइयाँ
परमाणु और अणु, रासायनिक संयोजन का नियम, सामान्य यौगिकों का रासायनिक सूत्र, परमाणु और आणविक द्रव्यमान।
परमाणुओं की संरचना
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन, संयोजकता, परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या, समस्थानिक और समभारिक।
रासायनिक अभिक्रियाएँ
रासायनिक समीकरण, संतुलित रासायनिक समीकरण, संतुलित रासायनिक समीकरण के निहितार्थ, रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार : संयोजन, अपघटन, विस्थापन, दोहरा विस्थापन, अवक्षेपण, ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ , ऑक्सीकरण और अपचयन।
अम्ल, क्षार और लवण
H+ और OH- आयनों की रासायनिक अभिक्रियाओं के संदर्भ में परिभाषाएँ, सामान्य विशेषताएँ, उदाहरण और उपयोग, उदासीनीकरण, pH स्केल की अवधारणा (लघुगणक से संबंधित परिभाषा आवश्यक नहीं), दैनिक जीवन में pH का महत्त्व; सोडियम हाइड्रॉक्साइड, ब्लीचिंग पाउडर, बेकिंग सोडा, धावन सोडा और प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण और उपयोग।
धातु और अधातु
धातुओं और अधातुओं के गुण, आवर्त सारिणी, आयनिक यौगिकों का निर्माण और गुण; मूलभूत धातुकर्म प्रक्रियाएँ; संक्षारण एवं उसकी रोकथाम।
कार्बन यौगिक
कार्बन यौगिकों में सहसंयोजक बंधन, कार्बन की सर्वतोन्मुखी प्रकृति, सजातीय शृंखला, कार्यात्मक समूहों (हैलोजन, एल्कोहल, कीटोन, एल्डिहाइड, एल्केन्स और एलकाइन्स) वाले कार्बन यौगिकों का नामकरण, संतृप्त हाइड्रोकार्बन और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के बीच अंतर। कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुण (दहन, ऑक्सीकरण, योगात्मक और प्रतिस्थापन अभिक्रिया)। एथेनॉल और एथेनोइक अम्ल (केवल गुण और उपयोग), साबुन और डिटर्जेंट।
कोशिका - जीवन की मूल इकाई
जीवन की मूल इकाई के रूप में कोशिका, प्रोकैरियोटिक और यूकेरियोटिक कोशिकाएँ, बहुकोशिकीय जीव, कोशिका झिल्ली और कोशिका भित्ति, कोशिका अंगक और कोशिका समावेशन, क्लोरोप्लास्ट, माइटोकॉन्ड्रिया, रिक्तिकाएँ, एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम, गॉल्जी तंत्र, केंद्रक, गुणसूत्र - मूल संरचना, संख्या।
ऊतक, अंग, अंगतंत्र, जीव
जानवरों और पौधों के ऊतकों की संरचना और कार्य (जानवरों में चार प्रकार के ऊतक, पौधों में मेरिस्टेमेटिक और स्थायी ऊतक)।
जीवन चक्र
'जीवित प्राणी'। पौधों और जानवरों में पोषण, श्वसन, परिवहन और उत्सर्जन की बुनियादी अवधारणा।
जन्तुओं एवं पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय
पौधों में उष्णकटिबंधीय गति/हलचलें, पादप हॉर्मोन का परिचय, पशुओं में नियंत्रण एवं समन्वय : तंत्रिका तंत्र तथा स्वैच्छिक, अनैच्छिक एवं प्रतिवर्ती क्रिया, रासायनिक समन्वय : पशु हॉर्मोन।
प्रजनन
पशुओं और पौधों में प्रजनन (अलैंगिक और लैंगिक), जनन स्वास्थ्य - परिवार नियोजन की आवश्यकता और तरीके। सुरक्षित यौन संबंध बनाम एचआईवी/एड्स, प्रसव और महिलाओं का स्वास्थ्य।
आनुवंशिकता और विकास
वंशागति, मेंडल का योगदान- लक्षणों की वंशानुगति हेतु नियम, लिंग निर्धारण : संक्षिप्त परिचय और विकास।
गति
दूरी और विस्थापन, वेग, एक सरल रेखा के सापेक्ष एकसमान और असमान गति, त्वरण, एकसमान गति और एकसमान त्वरित गति के लिये दूरी-समय और वेग-समय ग्राफ, एकसमान वृत्तीय गति की मौलिक अवधारणाएँ।
बल और न्यूटन के नियम
बल और गति, न्यूटन के गति के नियम, क्रिया और प्रतिक्रिया बल, किसी पिंड की जड़ता, जड़ता और द्रव्यमान, संवेग, बल और त्वरण।
गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण; गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौमिक नियम, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल (गुरुत्वाकर्षण), गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण; द्रव्यमान और भार, स्वतंत्र पतन (Freefall)।
प्लवन
प्रणोद और दबाव. आर्किमिडीज़ का सिद्धांत, उत्प्लावन बल।
कार्य, ऊर्जा और शक्ति
किसी बल, ऊर्जा, शक्ति द्वारा किया गया कार्य; गतिज और स्थितिज ऊर्जा; ऊर्जा संरक्षण का नियम।
ध्वनि
ध्वनि की प्रकृति और विभिन्न माध्यमों में इसका प्रसार, ध्वनि की गति, मनुष्यों में सुनने की सीमा, अल्ट्रासाउंड(सोनोग्राफी), ध्वनि का परावर्तन, प्रतिध्वनि।
धारा के प्रभाव
विद्युत धारा, विभवान्तर एवं विद्युत धारा, ओम का नियम, प्रतिरोध, प्रतिरोधकता, कारक जिन पर किसी चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है; प्रतिरोधों का शृंखला संयोजन, प्रतिरोधों का समांतर संयोजन और दैनिक जीवन में इसका अनुप्रयोग; विद्युत धारा का तापीय प्रभाव और दैनिक जीवन में इसका अनुप्रयोग, विद्युत शक्ति; शक्ति, वोल्टेज,धारा और प्रतिरोधकता के बीच अंतर्संबंध।
धारा के चुंबकीय प्रभाव
चुंबकीय क्षेत्र, चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ, धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र, धारा प्रवाहित कुंडली या परिनालिका (सोलनॉइड) के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र ,धारावाही चालक पर आरोपित बल, फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम, विद्युत मोटर, विद्युतचुंबकीय प्रेरण। प्रेरित विभवांतर, प्रेरित धारा। फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम, विद्युत जनरेटर, दिष्ट धारा। प्रत्यावर्ती धारा : प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति। दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा के लाभ, घरेलू विद्युत परिपथ।
खाद्य उत्पादन
गुणवत्ता सुधार और प्रबंधन के लिये पौधे, पशु प्रजनन और चयन; उर्वरकों एवं खादों का उपयोग; कीटों और रोगों से सुरक्षा; जैविक खेती।
प्राकृतिक घटनाएँ
घुमावदार सतहों द्वारा प्रकाश का परावर्तन, गोलाकार दर्पणों द्वारा निर्मित छवियाँ, वक्रता केंद्र, मुख्य अक्ष, मुख्य फोकस, फोकल लंबाई, दर्पण सूत्र (व्युत्पत्ति आवश्यक नहीं), आवर्द्धन। अपवर्तन, अपवर्तन के नियम, अपवर्तनांक। गोलाकार लेंस द्वारा प्रकाश का अपवर्तन, गोलाकार लेंस द्वारा निर्मित छवि; लेंस का सूत्र (व्युत्पत्ति आवश्यक नहीं), आवर्द्धन, लेंस की शक्ति। मानव नेत्र में लेंस की कार्यप्रणाली, दृष्टि दोष और उनमें सुधार, गोलाकार दर्पण और लेंस का अनुप्रयोग। प्रिज्म के माध्यम से प्रकाश का अपवर्तन, प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण, प्रकाश का प्रकीर्णन, दैनिक जीवन में अनुप्रयोग।
हमारा पर्यावरण
पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरणीय समस्याएँ, ओज़ोन क्षरण, अपशिष्ट उत्पादन और उनके समाधान। जैव निम्नीकरण(बायोडिग्रेडेबल) और अजैव निम्नीकरण(गैर-बायोडिग्रेडेबल) पदार्थ।
TGT सामाजिक विज्ञान
विषय विशिष्ट पाठ्यक्रम में NCERT/CBSE पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों (कक्षा-VI से X) की अवधारणाएँ सम्मिलित हैं| हालाँकि, प्रश्नों में स्नातक स्तर तक की अवधारणाओं की समझ और उनके अनुप्रयोग की अपेक्षा की जाती है।
घटनाएँ और प्रक्रियाएँ
1. फ्राँसीसी क्रांति :
- अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के दौरान फ्राँसीसी समाज
- क्रांति का सूत्रपात
- फ्राँस द्वारा राजशाही को समाप्त कर एक गणतंत्र का निर्माण
- क्या महिलाओं में कोई क्रांति आई?
- दासता का उन्मूलन
- क्रांति और दैनिक जीवन
2. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति :
- सामाजिक परिवर्तन का युग
- रूसी क्रांति
- पेट्रोग्राद में फरवरी क्रांति
- अक्तूबर के बाद क्या बदला?
- रूसी क्रांति और USSR का वैश्विक प्रभाव
3. नाज़ीवाद और हिटलर का उदय :
- वाइमर गणराज्य का जन्म
- हिटलर का सत्ता में उदय
- नाजियों का विश्वदृष्टिकोण
- नाजी जर्मनी में युवा
- सामान्य लोग और मानवता के विरुद्ध अपराध
जीविका,अर्थव्यवस्था और समाज
4. वन समाज और उपनिवेशवाद :
- वनों का विनाश क्यों?
- वाणिज्यिक वानिकी की शुरुआत
- वन-विद्रोह
- जावा के जंगलों में हुए बदलाब
5. आधुनिक विश्व में चरवाहे :
- घुमंतू चरवाहे और उनकी आवाजाही
- उपनिवेश
- औपनिवेशिक शासन और चरवाहों का जीवन
- अफ़्रीका में चरवाहा जीवन
समकालीन भारत-I
1. भारत :
- स्थिति
- आकार
- भारत और विश्व
- भारत के पड़ोसी
2. भारत का भौतिक स्वरूप :
- हिमालय पर्वत शृंखला, उत्तरी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, भारतीय मरुस्थल, तटीय मैदान, द्वीप समूह।
3. अपवाह :
- अवधारणा
- भारत में अपवाह तंत्र
- हिमालयी नदियाँ- गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली
- प्रायद्वीपीय नदियाँ- नर्मदा बेसिन, ताप्ती बेसिन, गोदावरी बेसिन, महानदी बेसिन, कृष्णा बेसिन, कावेरी बेसिन
- झील
- अर्थव्यवस्था में नदियों की भूमिका
- नदी प्रदूषण
4. जलवायु :
- अवधारणा
- जलवायवीय नियंत्रण
- भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक-अक्षांश, ऊँचाई, दबाव और पवनें
- ऋतुएँ- शीत ऋतु , ग्रीष्म ऋतु , वर्षा ऋतु; मानसून का आगमन व वापसी।
- वर्षा का वितरण
- मानसून एक एकीकृत बंधन के रूप में
5. प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्यजीव :
- वनस्पति के प्रकार- उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन, उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन, काँटेदार वन और झाड़ियाँ, पर्वतीय वन, मैंग्रोव वन
- वन्यजीव
6. जनसंख्या :
- जनसंख्या का आकार और वितरण- भारत की जनसंख्या का आकार और उसके आधार पर वितरण, घनत्व के आधार पर भारत में जनसंख्या का वितरण
- जनसंख्या वृद्धि और जनसंख्या परिवर्तन की प्रक्रियाएँ- जनसंख्या वृद्धि, जनसंख्या परिवर्तन/वृद्धि की प्रक्रियाएँ
लोकतांत्रिक राजनीति – I
1. लोकतंत्र क्या ? लोकतंत्र क्यों ?
- लोकतंत्र क्या है?
- लोकतंत्र की विशेषताएँ
- लोकतंत्र ही क्यों?
- लोकतंत्र का व्यापक अर्थ
2. संविधान निर्माण :
- दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक संविधान
- क्यों हमें एक संविधान की ज़रूरत है?
- भारतीय संविधान का निर्माण
- भारतीय संविधान के मार्गदर्शक मूल्य
3. चुनावी राजनीति :
- चुनाव क्यों ?
- चुनाव की हमारी प्रणाली क्या है?
- भारत में चुनाव क्यों लोकतांत्रिक है?
4. संस्थाओं का कामकाज :
- प्रमुख नीतिगत निर्णय कैसे किये जाते हैं?
- संसद
- राजनीतिक कार्यकारी
- न्यायपालिका
5. लोकतांत्रिक अधिकार :
- अधिकारों के बिना जीवन
- लोकतंत्र में अधिकार
- भारतीय संविधान में अधिकार
- अधिकारों का बढ़ता दायरा
अर्थशास्त्र
1. पालमपुर गाँव की कहानी :
- अवलोकन
- उत्पादन का संगठन
- पालमपुर में खेती
- पालमपुर में गैर-कृषि गतिविधियाँ
2. संसाधन के रूप में लोग :
- अवलोकन
- पुरुषों और महिलाओं के आर्थिक क्रियाकलाप
- जनसंख्या की गुणवत्ता
- बेरोज़गारी
3. निर्धनता : एक चुनौती
- अवलोकन
- निर्धनता के दो विशिष्ट मामले
- सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में निर्धनता
- निर्धनता के अनुमान
- कमज़ोर वर्ग
- अंतरराज्यीय असमानताएँ
- वैश्विक गरीबी परिदृश्य
- निर्धनता के कारण
- निर्धनता निवारण के उपाय
- आगे की चुनौतियाँ
भारत में खाद्य असुरक्षा :
- अवलोकन
- खाद्य सुरक्षा क्या है?
- खाद्य सुरक्षा क्यों?
- खाद्य असुरक्षित कौन हैं?
- भारत में खाद्य सुरक्षा
- बफर स्टॉक क्या है?
भारत और समकालीन विश्व – II
घटनाएँ और प्रक्रियाएँ :
1. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय :
- फ्राँसीसी क्रांति और राष्ट्र का विचार
- यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण
- क्रांतियों का युग : 1830-1848
- जर्मनी और इटली का निर्माण
- राष्ट्र की दृश्य-कल्पना
- राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद
2. भारत में राष्ट्रवाद :
- प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत और असहयोग
- आंदोलन के भीतर अलग-अलग धाराएँ
- सविनय अवज्ञा की ओर
- सामूहिक अपनेपन का भाव
जीवन, अर्थशास्त्र और समाज
3. भूमंडलीकृत विश्व का बनना :
- आधुनिक युग से पहले
- उन्नीसवीं शताब्दी (1815-1914)
- महायुद्धों के बीच अर्थव्यवस्था
- विश्व अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण : युद्धोत्तर युग
4. औद्योगीकरण का युग :
- औद्योगिक क्रांति से पहले
- हाथ का श्रम और वाष्प शक्ति
- उपनिवेशों में औद्योगीकरण
- फैक्ट्रियों का आना
- औद्योगिक विकास की विशेषताएँ
- वस्तुओं के लिये बाज़ार
दिन-प्रतिदिन का जीवन, संस्कृति और राजनीति
5. मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया :
- आरंभिक मुद्रित पुस्तकें
- यूरोप में मुद्रण का आना
- मुद्रण क्रांति और उसका प्रभाव
- पढ़ने का जुनून
- उन्नीसवीं सदी
- भारत और मुद्रण का संसार
- धार्मिक सुधार और सार्वजनिक बहसें
- प्रकाशन के नए रूप
- प्रिंट और प्रतिबंध
समकालीन भारत – II
1. संसाधन और विकास :
- अवधारणा
- संसाधनों का विकास
- संसाधन योजना - भारत में संसाधन योजना, संसाधनों का संरक्षण
- भूमि संसाधन
- भूमि उपयोग
- भारत में भूमि उपयोग पैटर्न(प्रारूप)
- भूमि क्षरण एवं संरक्षण के उपाय
- एक संसाधन के रूप में मृदा - मृदा का वर्गीकरण, मृदा का कटाव और मृदा संरक्षण
2. वन एवं वन्यजीव संसाधन :
- भारत में वन एवं वन्यजीव का संरक्षण
- वनों और वन्यजीव संसाधनों के प्रकार और वितरण
- समुदाय और संरक्षण
3. जल संसाधन :
- जल की कमी और जल संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता
- बहुउद्देश्यीय नदी परियोजनाएँ और समन्वित जल संसाधन प्रबंधन
- वर्षा जल संग्रहण
4. कृषि :
- कृषि के प्रकार - आदिम निर्वाह, गहन निर्वाह, वाणिज्यिक कृषि
- फसल प्रारूप - प्रमुख फसलें, अनाज के अलावा अन्य खाद्य फसलें, गैर खाद्य फसलें, तकनीकी और संस्थागत सुधार
- खाद्य सुरक्षा (कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव को छोड़कर)
5. खनिज और ऊर्जा संसाधन
- खनिज क्या है?
- खनिजों की उत्पत्ति के माध्यम - ये खनिज कहाँ पाए जाते हैं?, लौह अयस्क, अलौह अयस्क, अधात्विक खनिज, चट्टानी खनिज
- खनिजों का संरक्षण
- ऊर्जा संसाधन - ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत
- ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण
6. विनिर्माण उद्योग :
- विनिर्माण का महत्त्व - औद्योगिक स्थान (उद्योग बाज़ार लिंकेज को छोड़कर), कृषि आधारित उद्योग (सूती कपड़ा, जूट कपड़ा, चीनी उद्योग को छोड़कर), खनिज आधारित उद्योग (लौह इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग को छोड़कर), औद्योगिक प्रदूषण और पर्यावरण निम्नीकरण, पर्यावरण निम्नीकरण की रोकथाम
7. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ :
- सड़क परिवहन
- रेलवे
- पाइपलाइन
- जलमार्ग
- प्रमुख बंदरगाह
- वायुमार्ग
- संचार
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
- व्यापार के रूप में पर्यटन
लोकतांत्रिक राजनीति – II
1. सत्ता की साझेदारी :
- बेल्जियम और श्रीलंका
- श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद
- बेल्जियम समझौता
- सत्ता की साझेदारी वांछनीय क्यों है?
- सत्ता साझेदारी के स्वरूप
2. संघवाद :
- संघवाद क्या है?
- क्या भारत को एक संघीय देश बनाता है?
- संघीय व्यवस्था कैसे चलती है?
- भारत में विकेंद्रीकरण
3. जाति, धर्म और लैंगिक मुद्दे :
- लैंगिक मुद्दे और राजनीति - सार्वजनिक/निजी विभाजन, महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व
- धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति - सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्ष राज्य
- जाति और राजनीति - जातिगत असमानताएँ, राजनीति में जाति, जाति के अंदर राजनीति
4. राजनीतिक दल :
- हमें राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों है?
- अर्थ, कार्य, आवश्यकता
- हमारे पास कितनी पार्टियाँ होनी चाहिये?
- राष्ट्रीय दल
- क्षेत्रीय दल
- राजनीतिक दलों के लिये चुनौतियाँ
- पार्टियों में सुधार कैसे किया जा सकता है?
5. लोकतंत्र के परिणाम :
- हम लोकतंत्र के परिणामों का आकलन कैसे करते हैं?
- जवाबदेह, उत्तरदायी और वैध सरकार
- आर्थिक संवृद्धि और विकास
- असमानता और गरीबी में कमी
- सामाजिक विविधता का समायोजन
- नागरिकों की गरिमा और स्वतंत्रता
आर्थिक विकास की समझ
1. विकास :
- विकास क्या वादा करता है - विभिन्न व्यक्ति, विभिन्न लक्ष्य
- आय और अन्य लक्ष्य
- राष्ट्रीय विकास
- विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे करें?
- आय एवं अन्य मानदंड
- सार्वजनिक सुविधाएँ
- विकास की धारणीयता
2. भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक :
- आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रक
- तीनों क्षेत्रकों की तुलना
- भारत में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र
- क्षेत्रकों का संगठित एवं असंगठित में विभाजन
- स्वामित्व आधारित क्षेत्रक : सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक
3. मुद्रा और साख :
- मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है
- मुद्रा के आधुनिक रूप
- बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियाँ
- साख की दो अलग-अलग स्थितियाँ
- ऋण की शर्तें
- भारत में औपचारिक क्षेत्रक में साख
- गरीबों के लिये स्वयं सहायता समूह
4. वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था :
- अंतर्देशीय उत्पादन
- विदेशी व्यापार और बाज़ारों का एकीकरण
- वैश्वीकरण क्या है?
- वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक
- विश्व व्यापार संगठन
- भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव
- न्यायसंग वैश्वीकरण के लिये संघर्ष
5. उपभोक्ता अधिकार
TGT हिन्दी
विषय विशेष पाठ्यक्रम में NCERT/CBSE पाठ्यक्रम में प्रदत्त एवं कक्षा 6वीं और 10वीं की पुस्तकों में अंतर्निहित अवधारणा/संकल्पना समिल्लित है, हालाँकि प्रश्नों के माध्यम से उपर्युक्त अवधारणाओं और अनुप्रयोगों की स्नातक स्तर तक की समझ का आकलन किया जाएगा।
खण्ड-क
- हिन्दी भाषा और व्याकरण
- वर्णव्यवस्था - वर्ण, मात्रा, अक्षर
- वर्तनी तथा वर्तनी व्यवस्था वर्ण स्तर पर, शब्द स्तर पर, वाक्य स्तर पर; वर्तनी की सामान्य अशुद्धियाँ
- संधि भेद - स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि, हिन्दी की अपनी संधियाँ।
- शब्द-भंडार और शब्द निर्माण-शब्दों का वर्गीकरण
स्रोत, उत्पत्ति या इतिहास के आधार पर- तत्सम, तद्भव, देशज, आगत (विदेशज), संकर
रचना के आधार पर - मूल या रूढ़ शब्द, व्युत्पन्न शब्द- यौगिक, योगरूढ़
अर्थ के आधार पर - पर्यायवाची, विलोमार्थी, एकार्थी, अनेकार्थी, श्रुति समभिन्नार्थक शब्द; शब्द निर्माण-उपसर्ग, प्रत्यय, समास, युग्म शब्द, पुनरुक्त शब्द
- पद व्यवस्था - शब्द और पद
पद के भेद - संज्ञा एवं संज्ञा-भेद; लिंग, वचन, कारक; सर्वनाम एवं सर्वनाम-भेद; विशेषण एवं विशेषण-भेद, प्रविशेषण; क्रिया एवं क्रिया-भेद, वाच्य; अव्यय एवं अव्यय-भेद
- पद-परिचय - संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय
- वाक्य-व्यवस्था - वाक्य के अंग- उद्देश्य, विधेय;
वाक्य रचना - वाक्य के अनिवार्य तथा ऐच्छिक घटक; पदबंध और उपवाक्य;
वाक्य के प्रकार - रचना के आधार पर; अर्थ के आधार पर; वाक्य रचना की अशुद्धियाँ, वाक्य रूपांतरण
- मुहावरे और लोकोक्तियाँ
- अलंकार-अनुप्रास, पुनरुक्ति, यमक, उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अतिशयोक्ति, मानवीकरण
खण्ड-ख
अवबोधन तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति
- पाठ बोधन - अपठित पद्य एवं गद्य
- लिखित रचना -
- पत्र लेखन - प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, बधाई पत्र, शुभकामना पत्र, निमंत्रण पत्र, संवेदना पत्र, शिकायती पत्र, समस्या-सम्बन्धी (प्रकाशनार्थ) पत्र
- अनुच्छेद लेखन, स्ववृत्त लेखन, संवाद लेखन, विज्ञापन लेखन, सूचना लेखन
पाठ्यपुस्तक-वसंत, भाग-1
|
पाठ्यपुस्तक-वसंत, भाग-2
|
पाठ्यपुस्तक-वसंत, भाग-3
|
1. वह चिड़िया जो
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1. हम पंछी उन्मुक्त गगन के
|
1. ध्वनि
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2. बचपन
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2. दादी माँ
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2. लाख की चूड़ियाँ
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3. नादान दोस्त
|
3. हिमालय की बेटियाँ
|
3. बस की यात्रा
|
4. चाँद से थोड़ी सी गप्पें
|
4. कठपुतली
|
4. दीवानों की हस्ती
|
5. अक्षरों का महत्त्व
|
5. मिठाई वाला
|
5. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
|
6. पार नज़र के
|
6. रक्त और हमारा शरीर
|
6. भगवान के डाकिये
|
7. साथी हाथ बढ़ाना
|
7. पापा खो गए
|
7. क्या निराश हुआ जाए
|
8. ऐसे-ऐसे
|
8. शाम एक किशान
|
8. यह सब से कठिन समय नहीं
|
9. टिकट अलबम
|
9. चिड़िया की बच्ची
|
9. कबीर की साखियाँ
|
10. झाँसी की रानी
|
10. अपूर्व अनुभव
|
10. कामचोर
|
11. जो देखकर भी नहीं देखते
|
11. रहीम के दोहे
|
11. जब सिनेमा ने बोलना सीखा
|
12. संसार पुस्तक है
|
12. कंचा
|
12. सुदामा चरित
|
13. मैं सबसे छोटी होऊँ
|
13. एक तिनका
|
13. जहाँ पहिया है
|
14. लोकगीत
|
14. खान पान की बदलती तस्वीर
|
14. अकबरी लोटा
|
15.नौकर
|
15. नीलकण्ठ
|
15. सूर के पद
|
16. वन के मार्ग में
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16. भोर और बरखा
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16. पानी की कहानी
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17. साँस-साँस में बांस
|
17. वीर कुँवर सिंह
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17. बाज़ और साँप
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18. संघर्ष के कारण मैं तुनक मिजाज हो गया
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18. टोपी
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19. आश्रम का अनुमानित व्यय
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20. विप्लव गायन
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पूरक पाठ्यपुस्तक - बाल राम प्रथा |
पूरक पाठ्यपुस्तक - बाल महाभारत कथा
|
पूरक पाठ्यपुस्तक - भारत की खोज |
1. अवध पुरी में राम
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1. अहमद नगर का किला
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2. जंगल और जनकपुर
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2. तलाश
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3. दो वरदान
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3. सिंधु घाटी सभ्यता
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4. राम का वनगमन
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4. युगों का दौर
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5. चित्रकूट में भरत
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5. नयी समस्याएँ
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6. दंडक वन में दस वर्ष
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6. अंतिम दौर : एक
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7. सोने का हिरन
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7. अंतिम दौर : दो
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8. सीता की खोज
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8. तनाव
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9. राम और सुग्रीव
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9. दो पृष्ठ भूमियाँ-भारतीय और अंग्रेज़ी
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10. लंका में हनुमान
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11. लंका विजय
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12. राम का राज्याभिषेक
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पूरक पाठ्यपुस्तक - बाल राम प्रथा
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पूरक पाठ्यपुस्तक - बाल महाभारत कथा
|
पूरक पाठ्यपुस्तक - भारत की खोज
|
पाठ्यपुस्तक-क्षितिज भाग-1
|
पाठ्यपुस्तक-क्षितिज भाग-2
|
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1. दो बैलों की कथा
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1. पद-ऊधौ तुम हो अति बड़भागी, मन की मन ही माँझ रही, हमारे हरि हारिल की लकरी, हरि हैं राजनीति पढ़ि आए
|
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2. ल्हासा की ओर
|
2. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद
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3.उपभोक्ता वाद की संस्कृति
|
3. सवैया-पाँयनिनूपुर....,
कवित्त-डारद्रुमपलना....,
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|
|
कवित्त-फटकिसिलानि....,
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|
4. साँवले सपनों की याद |
4. आत्मकथ्य
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|
5. नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया |
5. उत्साह, अटनहीं रही है
|
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6. प्रेमचंद के फटे जूते |
6. यह दंतुरित मुस्कान, फसल
|
|
7. मेरे बचपन के दिन |
7. छाया मत छूना
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8. एक कुत्ता और एक मैना |
8. कन्यादान
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|
9. साखियाँ एवं सबद |
9. संगतकार
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10. वाख |
10. नेता जी का चश्मा
|
|
11. सवैये |
11. बाल गोबिन भगत
|
|
12. कैदी और कोकोला |
12. लखनवी अंदाज़
|
|
13. ग्रामश्री |
13. मानवीयकरुणा की दिव्य चमक
|
|
14. चंद्र गहना से लौटती बेर |
14. एक कहानी यह भी
|
|
15. मेघ आए |
15. स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
|
|
16. यमराज की दिशा |
16. नौबतखाने में इबादत
|
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17. बच्चे काम पर जा रहे हैं |
17. संस्कृति
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पाठ्यपुस्तक-कृतिका भाग-1 |
पाठ्यपुस्तक-कृतिका भाग-2
|
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1. इस जल प्रलय में |
1. माता का आँचल
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2. मेरे संग की औरतें |
2. ज़ॉर्ज पंचम की नाक
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3. रीढ़ की हड्डी |
3. साना माना हाथ जोड़ि....
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4. माटी वाली |
4 . एही ठैंया झुलनी हेरानी हो रामा
|
|
5. किसी तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया |
5. मैं क्यों लिखता हूँ।
|
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TGT संस्कृत
विषय विशेष पाठ्यक्रम में NCERT/CBSE पाठ्यक्रम में प्रदत्त एवं कक्षा 6वीं और 10वीं की पुस्तकों में अंतर्निहित अवधारणा/संकल्पना समिल्लित है, हालाँकि प्रश्नों के माध्यम से उपर्युक्त अवधारणाओं और अनुप्रयोगों की स्नातक स्तर तक की गहन समझ का आकलन किया जाएगा।
रुचिरा, प्रथमोभाग:, एनसीईआरटी, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित
शब्दपरिचय:- I; शब्दपरिचय:- II; शब्दपरिचय:- III; विद्यालय: ; वृक्षा:; समुद्रतट: ; बकस्यप्रतीकार: ; सूक्तिस्तबक:; क्रीडास्पर्धा; कृषिका: कर्मवीरा: ; दशम: त्वम् असि ; विमानयानं रचयाम ; अहह आ: च ; कारक-विभक्ति-परिचय:, शब्दरूपाणि (अकारान्त-उकारांत पुल्लिंगशब्दरूपाणि), धातुरूपणि (लट्लकारे प्रथमपुरुष:, सर्वनामपदपरिचय:, संख्याज्ञानम् ।
रुचिरा, द्वितीयोभाग:, एनसीईआरटी, नईदिल्ली द्वारा प्रकाशित
सुभाषितानि ; दुर्बुद्धि: विनश्यति ; स्वावलम्बनम् ; पण्डिता रमाबाई ; सदाचार: सङ्कल्प: सिद्धिदायक:; त्रिवर्ण:ध्वज:; अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि; विश्वबन्धुत्वम्; समवायो हि दुर्जय: ; विद्याधनम् ; अमृतं संस्कृतम् ; लालनगीतम् ; परिशिष्टवर्णविचार:, कारकम्, शब्दरूपाणि, धातुरूपाणिच
रुचिरा, तृतीयोभाग:, एनसीईआरटी, नईदिल्ली द्वारा प्रकाशित
सुभाषितानि ; बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता ; डिजीभारतम् ; सदैव पुरतो निधेहि चरणम् ; कण्टकेनैव कण्टकम् ; गृहं शून्यं सुतां विना ; भारतजनताहम्; संसारसागरस्य नायका: ; सप्तभगिन्य: ; नीतिनवनीतम् ; सावित्रीबाईफुले ; क: रक्षति क: रक्षित:; क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ; आर्यभट: ; परिशिष्टम्सन्धि:, कारकम्, शब्दरूपाणि (मातृ-अस्मद्-युष्मद्-स्वसृ-राजन् च); धातुरूपाणि (पठ्-खाद्-इच्छ च धातव:) ; प्रत्यय: (तुमुन्-क्तवा-ल्यप् च) I शेमुषी, प्रथमोभाग:, एनसीईआरटी, नईदिल्ली द्वारा प्रकाशित
भारतीवसन्तगीति: ; स्वर्णकाक: गोदोहनम् ; सूत्तिमौत्तिकम् ; भ्रान्तोबाल: ; सिकतासेतु: ; जटायो: शौर्यम् ; पर्यावरणम् ; वाड्मन: प्राणस्वरूपम् व्याकरणवीथि:, सन्धि: (स्वर:-दीर्घ:, गुण:, वृद्धि:, यण्, अयादि व्यंजन-जश्त्वसंधि:, ‘म्’ स्थाने अनुस्वार:, ; विसर्गसंधि:- विसर्गस्य उवतम्-रत्वम्) ; शब्दरूपाणि (बालक-कवि-साधु-पितृ-लता-नदी-मातृ-राजन-भवत्-विद्वस्-अस्मद्-युष्मद्-तत्-इदम्-किम्)
धातुरूपाणि (पठ्-गम्-वद्-भू-क्रीड्-नी-दृश्-शक्-ज्ञा-अस्-कृ-दा-क्री-श्रु-पा-सेव्-लभ्); कारकविभत्तय: ; प्रत्यया: (क्तवा-तुमुन्-ल्यप्-क्तवतु-शतृ-शानच्-क्त); संख्याज्ञानम्; उपसर्गा: (द्वाविंशति: ; अव्ययानि (स्थानबोधकानि:-अत्र-तत्र-अन्यत्र-सर्वत्र-यत्र- एकत्र-उभयत्र ; कालबोधकानि:-यदा-तदा-सर्वदा-एकदा-पुरा-अधुना-अद्य-श्व:-ह्य: ; प्रश्नबोधकानि:-किम्-कुत्र-कति-कदा-कुत:-कथम्- किमर्थम्; अन्यानि:-च-अपि-यदि-तर्हि-यथा-तथा-सम्यक्-एव) रचनाप्रयोग, ; पत्रलेखनं
शेमुषी, द्वितीयोभाग:, एनसीईआरटी, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित
शुचिपर्यावरणम्; बुद्धिर्बलवती सदा; शिशुलालनम्; जननीतुल्यवत्सला; सुभाषितानि; सौहार्दप्रकृते: शोभा; विचित्र:साक्षी; सूक्तय: अन्योक्तय: व्याकरणविथि:,
सन्धि: (व्यंजन-वर्गीय प्रथम वर्णस्य तृतीयवर्णे परिवर्तनं, प्रथमवर्णस्य प ञ्चमवर्णे परिवर्तनम्; विसर्गसंधि:- सिवर्गस्य उवतम्-रत्वम्, विसर्गलोप:, विसर्गस्य स्थाने स्-श्-ष्); अव्यय: (उच्चै:- च-श्व:-ह्य:-अद्य-अत्र-तत्र-यत्र-कुत्र-इदानीम्-अधुना-सम्प्रति-साम्प्रतं-यदा-तदा- कदा-सहसा-वृथा-शनै:- अपि-कुत:- इतस्तत:- यदि-तर्हि-यावत्- तावत्),
प्रत्यय: (तद्धिता-मतुप्-ठक्-त्व-तल्; स्त्रीप्रत्ययौ-टाप्-डीप्), समास: (तत्पुरुष:- विभक्ति:, बहुब्रीहि:, अव्ययीभाव:- अनु, उप, सह, निर, प्रति, यथा, द्वंद्व:-केवलम् इतरेतर:), वाच्यपरिवर्तनम् (केवलं लट्लकारे-कर्तृ, कर्म, क्रिया), रचनाप्रयोग, समय:, अशुद्धि: संशोधनं; पत्रलेखनं
TGT - English
Subject specific syllabus includes the concepts of NCERT/CBSE syllabus and Textbooks (Classes VI to X), however, the questions will be testing the depth of understanding and application of these concepts at the level of Graduation.
- Who Did Patrick’s Homework?, How the Dog Found Himself a New Master?, Taro’s Reward, An Indian-American Woman in Space: Kalpana Chawla, A Different Kind of School , Who I Am (Part-1) Fair Play ,The Banyan Tree, A House, A Home, The Kite, The Quarrel, Beauty, Where Do All The Teachers Go ?, The Wonderful Words, Vocation.
- A pact with the Sun (Supplementary Reader) : A tale of two birds, The Friendly Mongoose, The Shepherd’s Treasure, Tansen, The Monkey and the Crocodile, The wonder called sleep, A pact with the Sun.
- Three Questions, The Squirrel, A Gift of Chappals, The Rebel, The Shed, Gopal and the Hilsa Fish, The Ashes that Made the Trees Bloom, Chivvy, Quality, Trees, Experts Detectives, Mystery of the talking fan, Invention of Vita Work, Dad and the Cat and the Tree, Meadow Surprises, Garden Shake.
- An Alien Hand (Supplementary Reader) : The Tiny Teacher, bringing up Kari, Golu Grows a nose, Chandni, The Bear story, A Tiger in the House, An Alien Hand
- The Best Christmas Present in the World, The Tsumani, Glimpses of the Past, Bepin Babu, The Summit Within, The Ant and the Cricket, Geography Lesson, The Last Bargain, The School Boy, this is Jody’s Fawn, The Duck and the Kangaroo, A visit to Cambridge, A short Monsoon Diary, On the grasshopper and the Cricket.
- How the Camel Got his Hump, Children at Work, The Selfish Giant, The Treasure Within, Princess September, The Fight, Jalebis.
- The Fun They Had, The Sound of Music, The Little Girl, A Truly Beautiful Mind, The Snake and the Mirror, My Childhood, Reach For The Top, Kathmandu, If I were You , The Road Not Taken, Wind, Rain on The Roof, The Lake Isle of Innisfree, A Legend of The Northland, No Men Are Foreign, On Killing a Tree, A Slumber Did My Spirit Seal, The Lost Child, The Adventures of Toto, Iswaran the Storyteller, In the Kingdom of Fools, The Happy Prince, The Last Leaf, A House is not a Home, The Beggar.
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- Grammar : Determiners, linking words, adverbs (place and types), tense forms, clauses, passivation, adjectives (comparative and superlative forms), modal auxiliaries, word order in sentence types, reported speech, Sequence of tenses, non-finites (infinitives, gerunds, participles, complex and compound sentences, phrasal verbs and prepositional phrases, cohesive devices, punctuation (semicolon, colon, dash, hyphen, parenthesis or use of brackets and exclamation mark).